पारुल- “श्रुति, कहां है तू? सुबह से ढूँढ़ रही हूं तुझे, कहां चली गयी थी तू?”
श्रुति- “मामा, मैं वोह अंदर, कमल चाचू से गाण्ड मरवा रही थी, बताइये क्या काम था मुझसे?”
पारुल- “क्या कहा? तू चाचू से गाण्ड मरवा रही थी, शरम नहीं आयी तुझे। वहां तेरे पापा हाथ में लण्ड लिये तेरी चूत और गाण्ड मारने का इंतज़ार कर रहे हैं और तू यहां चुदवा रही है। तुझे पता नहीं कि हर सुबह आफिस जाने से पहले पापा को तेरी ज़रुरत होती है, वो तेरी चूत और गाण्ड चोदे बिना कहीं नहीं जाते…”
श्रुति- “पता है मामा… लेकिन मैं क्या करूं? कमल चाचू मुझे ज़बरदस्ती कमरे में ले गये। और तुम तो जानती हो मर्द का लौड़ा देखते ही कैसे मेरी चूत और गाण्ड रस छोड़ने लगती है, इसलिये मैं न नहीं कर पायी और चाचू से चुद गयी…”
पारुल- “कमल… आज जो कुछ भी हुआ अच्छा नहीं हुआ। तुम जानते हो कि सोम को आफिस जाने के लिये कितनी देरी हो रही है, मगर वो श्रुति को चोदे बिना कहीं नहीं जायेंगे। फिर तूने श्रुति को क्यों चोदा? पूरा दिन पड़ा था उसे चोदने के लिये, तू बाद में भी तो उसे चोद सकता था…”
कमल- “वो भाभी, क्या हुआ न… मैं आंगन में सुबह-सुबह टहल रहा था तो देखा श्रुति वहां सलवार उतार के संडास कर रही है। वो नाज़ारा देखते ही मुझसे रहा नहीं गया और मैंने श्रुति को अपने कमरे में ले जाके उसकी गाण्ड चाटी और फिर उसकी गाण्ड मारी। सारी भाभी, फिर कभी ऐसा नहीं होगा, मैं सोम भैया के आफिस जाने के बाद चोद लूँगा…”
पारुल- “हां ठीक है कमल… तुमने श्रुति को संडास करते हुए देखा और तुम्हारा लण्ड खड़ा हो गया, पर तुम श्रुति को क्यों अपने कमरे में ले गये? मुझसे कहा होता तो मैं तुमको अपनी गाण्ड मारने दे देती। कम से कम सोम को तकलीफ तो नहीं होती। क्यों क्या तुम्हें अपनी भाभी की गाण्ड चोदने में मज़ा नहीं आता?”
कमल- “अरे नहीं भाभी, ऐसी बात नहीं है, आपकी गाण्ड मारने के लिये तो अपनी जान भी दे सकता हूं। आपकी गाण्ड में इतनी ताकत है की सारी दुनिया इसे चोदेगी तो भी इसकी खूबसूरती कम नहीं होगी, और आपकी गाण्ड का स्वाद तो ज़बरदस्त है। सारी भाभी गलती हो गयी…”
श्रुति- “हां मामा सारी, कल से कभी ऐसा नहीं होगा। मुझे माफ कर दो। चलो पापा के कमरे में चलते हैं, मेरी गाण्ड भी पापा के लण्ड को तरस रही है…”
श्रुति ने पापा के कमरे में जाकर पापा से कहा- “सारी पापा, आपको मेरे लिये इंतेजार करना पड़ा। वो क्या है न… कमल चाचू ने मुझे सुबह-सुबह संडास करते हुए देख लिया तो, उनका दिल बहक गया और उन्होंने मुझे अपने कमरे में ले जाके चोद डाला। वो भी बहुत शर्मिंदा हैं आज के लिये। प्लीज… हमें माफ कर दीजिये पापा, अगली बार ऐसा नहीं होगा। आपसे जी भर के चुदवाने के बाद ही किसी और से चुदवाऊँगी…”
सोम- “नहीं बेटी, मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है, बस तुम तो जानती हो की सुबह जब घर से निकलता हूं तो तुम्हारी गाण्ड चाटके और चोदके ही निकलता हूं। मेरा ऐसा मानना है की ऐसा करने से दिन अच्छा गुज़रेगा। तुम्हें तो पता है की हमारा भड़वागिरी का धंधा है, सब कस्टमर पे डिपेंड करता है। अगर कस्टमर को हमारे यहां की लड़कियां पसंद नहीं आयीं तो फिर मुझे तुम्हारी माँ पारुल को उनके पास भेजना पड़ता है जो मुझे पसंद नहीं है…”
श्रुति- “मुझे पता है पापा, चलिये अब अपनी बेटी को खूब रगड़-रगड़ के चोदिये, मुझे भी आपका लौड़ा बहुत पसंद है पापा, मुझे इसे चूसने में और अपनी चूत और गाण्ड में लेने में बहुत मज़ा आता है। मेरी चूत आपकी है, मेरी गाण्ड भी आपकी है। खूब चोदिये पापा मुझे…”
सोम- “मुझे तुम पे नाज़ है की तुम मेरी बेटी हो। मैं कितना किश्मतवाला हूं की मुझे पारुल जैसी रांड बीवी मिली है, और तुम जैसी छिनाल बेटी को पैदा किया है। चल अब जल्दी से अपने कपड़े उतार, वैसे मैंने नाश्ता भी नहीं किया, अपनी चूत से मूत पिला और अपनी गाण्ड से मुझे पीले-पीले केक्स खिला। अपनी गाण्ड में कुछ बचा के रखा है या सारा हग दिया सुबह-सुबह?”
श्रुति- “नहीं पापा अभी भी आपके नाश्ते के लिये कुछ बचा के रखा है, आइये आपको अपना गाण्ड में पकाया नाश्ता खिलाती हूं…”
पारुल- “बाप और बेटी का ऐसा प्यार कितना अच्छा लगता है न कमल। काश… मेरा भी कोई बाप होता तो मैं उससे खूब चुदवाती… तुर्रर्रर… थुस्सस्स… पुर्रर्र… तूउर्र…”
कमल- “भाभी, ये तुमहारी गाण्ड से कैसी-कैसी आवाज़ें आ रही हैं, लगता है सोम भैया ने खूब मारी है रात को तुम्हारी गाण्ड…”
पारुल- “हां रे कमल, कल तेरे भैया सोम ने मेरी चूत और गाण्ड चोद-चोद के एक कर दी, और उसपर से कल रात खाना भी मसालेदार खा लिया था, ये सब उसी का असर है…”
कमल- तो चलो न भाभी मेरे कमरे में मुझे भी बहुत भूख लगी है, मैंने भी नाश्ता नहीं किया। सोम भैया श्रुति की गाण्ड से खा लेंगे आप मुझे अपनी गाण्ड से खिला देना…”
पड़ोस के दूसरे घर का दृश्य
आशा- “ओह भैया यह क्या कर रहे हो, छोड़ो न भैया मुझे बहुत काम है…”
समीर- “ओह आशा… तुम्हारी कातिल जवानी से ज़्यादा देर दूर नहीं रह सकता, मेरी प्यारी छोटी राड़ बहन…”
आशा- “अभी घंटे भर पहले ही तो मेरी गाण्ड मार चुके हो, फिर इतनी जल्दी कैसे खड़ा हो गया तुम्हारा लौड़ा…”
समीर- “अगर तुम्हारी जैसी छिनाल बहन घर में गाण्ड हिलाते-हिलाते घूम रही हो तो मुझ जैसे बहनचोद का लौड़ा कैसे चुप रहेगा। मैं बस यहां से गुज़र रहा था तो देखा की तुम्हारा पैजामा तुम्हारी गाण्ड में अटक गया है। ये सीन देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैं चला आया तुम्हारी गाण्ड चाटने को। तेरी गाण्ड चूसने का बेहद दिल कर रहा है आशा, चल उतार अपनी सलवार और टेस्ट लेने दे मुझे तेरी गाण्ड का…”
आशा- “मगर भैया… माँ ने देख लिया तो गज़ब हो जायेगा। अगर माँ को पता चल गया की मैं इस टाइम तुमसे अपनी गाण्ड चटवा रही हूं तो मुझे मार डालेगी। जानते नहीं माँ ने स्ट्रिक्टली कहा है की अगर चोदना चुदवाना है तो सुबह के 9:00 बजे से पहले और रात के 10:00 बजे के बाद…”
समीर- “अरे माँ तो खुद रंडी की तरह अपने चौकीदार नंदू से चुदवा रही है, अभी-अभी देख के आ रहा हूं। और वैसे भी माँ ने चोदने चुदाने को मना किया है, खाने पीने पर तो कोई रोक नहीं है ना। मैं माँ से कह दूंगा की मैं आशा की गाण्ड से अपना नाश्ता खाने और चूत से जूस पीने आया था। तब तो माँ कुछ नहीं कहेगी…”
आशा- “अरे भाई… हां… यह बात तो बिल्कुल सही कही तुमने, मां तो खाने पीने पर कभी नाराज़ नहीं होती…”
माँ कमला बाहर दरवाज़े से सब कुछ देख रही थी और मन ही मन खुश हो रही थी की उसके अपने बच्चे कितने प्यार से एक दूसरे के साथ रहते हैं और एन्जॉय करते हैं।
कमला- “ये सब क्या चल रहा है तुम भाई बहन में?”
समीर- “अरे माँ वो… वो… क्या है न की बस कुछ नहीं ऐसे ही आशा से बात करने आ गया था। कुछ नहीं माँ कोई खास बात नहीं है…”
कमला- “मैंने सब सुन लिया है पर तुम्हें परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है, मैं बिल्कुल नाराज़ नहीं हूं, उल्टा मैं बहुत खुश हूं की तुम दोनों में इतना प्यार और अपनापन है। जो कुछ करना है जल्दी-जल्दी करो, मैं हाल में बैठती हूं…”
आशा- “थैंक्स मां तुम कितनी अच्छी हो, वैसे तुम भी हमें ज्वाइन करो न, जब तक भैया मेरी गाण्ड चूसता है, मैं भी तुम्हारी गाण्ड को टेस्ट करती हूं और फिर हो सके तो कुछ मैं भी तुम्हारी गाण्ड से खा लूंगी, आओ न माँ…”
कमला- “नहीं बेटी… मेरी दोस्त पारुल बहुत दिनों बाद आयी है मुझसे मिलने, मैं उससे हाल में बातें करती हूं तुम लोग जल्दी से ये सब खत्म करके अपने-अपने काम पे लग जाओ…”
पारुल- “और बताओ कमला सब कुछ कैसा चल रहा है?”
कमला- “सब ऊपर वाले की दया है, घर में खुशियां ही खुशियां हैं, पारुल…”
पारुल- “और तुम्हारे बच्चे दिखाई नहीं दे रहे… कहां हैं?”
कमला- “अरे वो दोनों तो किचन में खूब मस्ती कर रहे हैं। मेरी बेटी आशा बहुत बड़ी छिनाल है, अपने भाई समीर से गाण्ड चुसवा रही है। अभी तक तो उसके मुँह में हग भी दिया होगा। और समीर भी अपनी बहन से बहुत प्यार करता है, वो भी अपनी बहन की चूत और गाण्ड का पूरा-पूरा ख्याल रखता है। रात को मेरी चूत और गाण्ड भी एक-एक करके चोदता है मादरचोद। मैं बहुत किश्मतवाली हूं पारुल जो मुझे ऐसा परिवार मिला है…”
पारुल- बहुत खुशी हुई ये जानकर की तुमने अपने बच्चों को इतने अच्छे और सेक्सी संस्कार दिये हैं। मैंने भी अपने परिवार को बिल्कुल चुदक्कड़ बना दिया है। कोई भी किसी को भी जब चाहे, जितना चाहे, जिधर चाहे, चोद सकता है। लेकिन एक बेटे की कमी महसूस होती है। मेरी सिर्फ़ एक बेटी है जो मुझसे भी बड़ी रांड है, लण्ड के बगैर एक घंटा भी नहीं रह सकती। मेरे सोम का भड़वागिरी का धंधा है जो मस्त चल रहा है। बस ऊपर वाले की दया है…”
तभी पारुल को किसी का फोन आता है।
“हैलो पारुल भाभी, मैं जानकी बोल रही हूं, आपके लिये एक बुरी खबर है, श्रुति को पुलिस ने बाज़ारू रांड समझकर गिरफ्तार कर लिया है…”
श्रुति की गिरफ्तारी की खबर सुनकर पारुल घबरा जाती है।
कमला- “क्या हुआ पारुल, तुम इतनी घबरायी हुई सी क्यों हो, सब ठीक तो है न…”
पारुल- “अब क्या बताऊँ कमला, न जाने इस श्रुति ने फिर क्या कर दिया है? पुलिस उसे रंडीगिरी के जुर्म में पकड़ के ले गयी है। मुझे अभी इसी वक्त पुलिस स्टेशन जाना होगा…”
पुलिस स्टेशन में
पारुल- “श्रुति बेटा ये सब क्या है? क्यों पुलिस तुम्हें यहां पकड़ के लायी है। क्या रंडीपन किया तुमने?”
श्रुति- “मामा वो क्या है न की मैं रोड के किनारे पे बैठ के मूत रही थी, तभी एक 14 साल का बच्चा आके मुझे और मेरी चूत को घूरने लगा। मैंने उससे पूछा- क्यों बे साले क्या देख रहा है? कभी किसी लड़की को मूतते हुए नहीं देखा है क्या?”
तो वो कहने लगा- “देखा तो है मगर ऐसी मस्त चूत कभी नहीं देखी…”
श्रुति- “मुझे उसकी बात अच्छी लगी और मैं उसकी पैंट खोल के उसका लौड़ा मुँह में लेके चूसने लगी। इतने में जानकी आंटी ने मुझे वहां देख लिया और शायद उन्होंने ही पुलिस को शिकायत कर दी…”
पारुल- “श्रुति, तुझसे कितनी बार कहा है, अगर चोदना चुदाना है तो उस लड़के को घर लेके आना था, ऐसे रोड पे तमाशा करने की क्या ज़रूरत थी? तुम्हें तो मालूम है न वो जानकी के बारे में, साली रांड छिनाल, खुद को लौड़ा नहीं मिला चुदवाने के लिये तो जल गयी और मेरी बेटी को अंदर करवा दिया। श्रुति तुम्हें सावधान रहना होगा, अगर तू उस लड़के को घर ले आती तो घर वाले कितने खुश होते। मैं भी उससे गाण्ड मरवा लेती, मगर तेरी जल्दबाज़ी ने सब कुछ खराब कर दिया…”
श्रुति- “मामा सारी, अगली बार मैं ध्यान रखूंगी। मामा मुझे यहां से छुड़ाओ, ये लोग बहुत मारते हैं, गाण्ड देखो लाल कर दिया है मादरचोदों ने मार-मार के। माँ अगर तुम इंस्पेक्टर साहब से गाण्ड मरवा लोगी तो ये मुझे छोड़ देंगे। मामा प्लीज मेरे लिये एक बार गाण्ड मरवा लो न प्लीज… मामा, तुम्हारी गाण्ड की तो सारी दुनिया दीवानी है, एक बार तुम्हारी गाण्ड चोदेगा तो तुम जो कहोगी मानेगा…”
पारुल- “ठीक है मैं अभी कुछ करती हूं, तू फिकर मत कर…”
पारुल अपने आप से- “यह सोम को क्या हुआ? बहुत परेशान लग रहे हैं, अभी पता लगाती हूँ…”
पारुल सोम से- “क्या हुआ सोम बहुत उदास बैठे हो, चेहरा तो ऐसा बना रखा है जैसे किसी ने तुम्हारी गाण्ड मार दी हो। क्या टेन्शन है? मुझे बताओ…”
सोम- “अब क्या बताऊँ पारुल, माँ चुद गयी है मेरी। एक कस्टमर आया है, 5 करोड़ का आफर दे रहा है एक रात का, पर उसे एक ऐसी औरत चाहिए जिसकी पाद (फार्ट) बहुत नशीली, बदबूदार और सेक्सी हो। और तो और जिसकी टट्टी बहुत स्वादिष्ट हो…”
पारुल- “तो इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है? हमारे रंडी खाने में बहुत सी रंडियां हैं जो यह सब कर सकती हैं, भेज दो किसी एक छिनाल को…”
सोम- “अरे तुम बात को समझ नहीं रही हो पारुल, हमारे यहाँ ऐसी कोई लड़की नहीं है जो 5 करोड़ के कस्टमर को संतुष्ट कर सके। सब छिनालें पादती हैं, हगती हैं मगर कोई भी ऐसी नहीं है जो 5 करोड़ के कस्टमर को संतुष्ट कर सके… अगर यह कस्टमर हमारे हाथ से निकल गया तो हमारे दुश्मन किरानी परिवार की मालती उस कस्टमर को हथिया लेगी। फिर हम लौड़ा हाथ में लेके हिलाते रह जाएँगे…”
पारुल- “अगर आप कहें सोम, तो मैं चली जाती हूँ उसके पास। मैं सोचती हूँ कि मैं उसको अपनी गाण्ड के तुरर तुरर तुस्स्स तूस्स से संतुष्ट कर दूँगी और उसे खूब पेट भरकर अपनी टट्टी भी खिलाकर आ जाऊँगी, प्राब्लम साल्व्ड…”
सोम- “नहीं पारुल, मैं तुम्हें जाने नहीं दूँगा, मुझे तुम्हारा वहाँ जाना पसंद नहीं…”
पारुल- “क्यूँ सोम? मैं क्यूँ नहीं जा सकती, क्या मेरी गाण्ड के पाद में अब वो बात नहीं रही या फिर मेरे गू में वो टेस्ट नहीं रहा? क्या बात है सोम बताओ मुझे?”
सोम- “नहीं पर्वती वो बात नहीं है, तुम्हारी गाण्ड की बास में तो इतना दम है कि 5 करोड़ क्या, 50 करोड़ भी तुम्हारी गाण्ड से आई हुई एक पाद के मुकाबले कम है। मगर मुझे पसंद नहीं की मेरी प्राइवेट रंडी लोगों के सामने गाण्ड हिला-हिला के पादे और उनके मुँह में हगे। मैं बहुत ईर्ष्या महसूस करूँगा पारुल। मैं तुम्हें किसी गैर मर्द को अपनी गाण्ड का हलवा खिलाते नहीं देख सकता। तुम्हारी गाण्ड से निकली हुई हर चीज मेरी और इस परिवार की है बस और किसी की नहीं…”
पारुल- “मुझे बहुत खुशी हुई सोम कि आज भी आपको मेरी गाण्ड और उसमें से निकली हुई चीज़ों से इतना प्यार है। मगर बिज़नेस में नो एथिक्स सोम… मैं उस तुलसी किरानी रांड़ को इस कांट्रैक्ट को लेते हुए नहीं देखना चाहती। मैं दिखा देना चाहती हूँ कि पारुल अगरवाल की गाण्ड के सामने किरानी परिवार बेकार है। गाण्ड बड़ी होने से कुछ नहीं होता, गाण्ड में दम होना चाहिए…”
श्रुति- “मामा, पापा, मैंने सब सुन लिया है। अगर आप कहें तो मैं चली जाती हूँ। मैं भी संडास नहीं गयी हूँ। अगर आप दोनों चाहें तो मैं उस कस्टमर के पास चली जाती हूँ। आपका काम भी हो जाएगा पापा और मामा को भी जाना नहीं पड़ेगा…”
पारुल- “तू अपने कमरे में जा श्रुति…”
श्रुति- “नहीं माँ, मैं सच कह रही हूँ, मैं भी तो आप ही की बेटी हूँ। आपकी गाण्ड का कुछ तो असर मेरी गाण्ड में भी तो होगा, देखिए मैं आपको पाद के भी बताती हूँ- तुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रर तुस्स्स्स्स्स्सस्स तुरर्र तुस्स्स्स्स…”
पारुल- “श्रुति तेरी गाण्ड भी मस्त सेक्सी और नशीली है। मगर बेटा, जो कस्टमर आया है उसे एक औरत की गाण्ड चाहिए, एक लड़की की नहीं। उसे मुझ जैसी चुदी चुदाई मेच्योर्ड रांड़ चाहिए। तू तो अभी कमसिन है बेटा, उसकी प्यास और भूख सिर्फ़ मैं और मेरी गाण्ड ही मिटा सकती है…”
पारुल ने फिर कहा- “सूंघना चाहती है मेरी पाद तो यह ले सूंघ- पुउउर्र्र्ररर… फुररररर… टुउस्स्स्स… तुउउउर्र्र्र्ररर… तुस्स्स्स्स्सस्स… पर… पुर्र्र… हिस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स…”
श्रुति- “वाह मोम… मान गयी मैं तो आपकी गाण्ड को… क्या पाद था? जितनी मधुर आवाज उतना ही बदबूदार मगर नशीली बास… हाँ पापा, आप मामा को ही भेजो, मामा की गाण्ड ही आपको यह कांट्रॅक्ट दिला सकती है…”
सोम- “मगर अब भी मेरा दिल नहीं मान रहा है, मैं पारुल को किसी गैर मर्द से गाण्ड चुदवाने नहीं भेज सकता…”
पारुल- “अब कुछ ज्यादा मत सोचिए सोम, मुझे जाने दीजिए। मेरे संसकार कहते हैं कि जब पति मुशीबत में हो तो पत्नी को उसका साथ देना चाहिए और उसकी मुशीबत दूर करने में पति की मदद करनी चाहिए। रामायण में रावण के वध में सीता का भी उतना ही हाथ था जितना राम का था। मुझे जाने दीजिए… सोम मुझे जाने दीजिए। मुझे अपने परिवार की इज़्ज़त बचाने के लिए यह करना ही होगा, मुझे जाने दीजिए…”
सोम- “ठीक है पारुल जाओ, जाकर हमारे खानदान की इज़्ज़त ऊँची करके लौटो…”
पारुल- “ठीक हैं मैं अभी निकलती हूँ…” पारुल भागने लगती है।
पारुल अपनी गाण्ड के छेद से बात करते हुये- “अरी ऊ मेरी प्यारी सी गाण्ड जरा देर के लिए अपनी तूस्स… तूस्स… को दबा के रख, ज्यादा तूस्स… तूस्स… करेगी तो गू निकल आएगा और सारा प्लान सत्यानाश हो जाएगा। तू थोड़ी देर चुप बैठ, तुझे बहुत जल्दी खुलने का मौका दूँगी बस थोड़ी देर रोक के रख…”