मेरा नाम ईशा शर्मा है, वैसे तो मैं एक लड़का हूँ पर मुझे यही नाम ज्यादा अच्छा लगता है। मेरी उम्र 21 साल की है और मैं बंगलौर में अपनी इंजीनियरिंग कर रहा हूँ। मैं काफी गोरा हूँ, मेरा वजन 56 किलो है, मैं काफी चिकना हूँ और मेरी टाँगें और गाण्ड तो एकदम लड़कियों जैसी ही है। मैं जानता हूँ कि आप यही सोच रहे होंगे कि मैं एक गे हूँ पर यह सच नहीं है। ऐसे तो मेरी ज़िन्दगी के बहुत सारे किस्से हैं, चलो कुछ तो सुनाया जाए।
मैं वैसे तो एक साधारण लड़का बनकर ही रहता हूँ पर कभी कभी जब मैं अकेला होता हूँ तो मुझे लगता है कि मैं एक लड़की हूँ। वैसे तो मैं कई सालों से अपने आपको को ऐसा मानता था पर यह बात मेरे इन्जीनियरिंग के पहले साल की है जब मेरा दाखिला बंगलौर में हो गया तो मेरे पापा ने मुझे जयपुर से बंगलौर भेज दिया। मैं कॉलेज से बाहर एक कमरा लेकर अकेला रहता था। असल में वो एक अपार्टमेन्ट था। यहाँ आकर मैं अकेला रहने लगा, तभी से मुझे कुछ ऐसा करने का मन कर रहा था पर मैं किसी वजह से रुका हुआ था।
वो बात मैं आप लोगों को बाद में बताऊँगा अगर मेरी यह कहानी आपको पसंद आई तो ही।
तो एक दिन जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं अपने पास वाले रिलायंस फ्रेश स्टोर पर गया और वहाँ से एक वीट की हेयररिमूवर क्रीम ले लाया बड़े आकार की।
अपने अपार्टमेन्ट में आकर मैंने अपना कमरा बंद किया और अपने सारे कपड़े उतार दिए। फिर मैंने क्रीम निकाली और अपनी टांगों पर लगाई जैसे उसमें बताया हुआ था। पाँच मिनट में जब मैंने क्रीम उतने हिस्से में से हटाई तो मेरी टाँगें एकदम लड़कियों जैसी चमक रही थी पर उतनी क्रीम से मैं सिर्फ अपनी एक टांग का कुछ हिस्सा ही पूरा कर पाया था। फिर मुझ से रहा नहीं गया, मैंने तुरन्त अपने कपड़े पहने और मैं वापस जाकर और दो पैक क्रीम के और ले लिए। लेकिन अब तक तो मैं बेताब हो गया था और मेरा मन लड़कियों के कपडे पहनने को करने लगा तो मेरे अन्दर की लड़की पूरी तरह से ज़िंदा हो गई।
अब आगे मैं अपने आपको लड़की मान कर ही कहानी लिखूँगा।
मैं वहाँ से तुरन्त ब्रिगेड रोड के लिए चल पड़ी बस से। एक घंटे में मैं वहाँ पहुँची। वहाँ पहुँच कर मैं सीधी तिब्बत मार्केट में घुस गई। वहाँ पर ब्रा और पैंटी काफी सही रेट पर मिलती हैं। पहले तो मुझे बहुत शर्म आ रही थी, फिर मैं हिम्मत करके एक दुकान से तीन पैंटी और एक ब्रा खरीद कर ले आई। मेरा मन बहुत कर रहा था उन्हें पहनने का। जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं वहाँ पर एक मॉल में चली गई, वहाँ जाकर मैं सीधी जैंट्स बाथरूम में चली गई।
क्या करूँ? हूँ तो लड़का ही ना सबकी नज़र में !
वहाँ बाथरूम में मैंने अपने उतार कर ब्रा और पैंटी पहन ली। वो इतनी प्यारी फीलिंग थी कि मुझसे रहा नहीं गया, मैंने थोड़ा सा दरवाजा खोल कर देखा तो पूरा बाथरूम खाली था। मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में बाहर आई, सामने दर्पण में अपने आपको देखा तो सच कहूँ किसी सेक्सी लड़की की याद आ गई।
एकदम गोरी-गोरी टाँगें, (एक पर बाल बचे थे पर मेरे ज्यादा बाल नहीं थे, लेकिन दूसरी टांग तो एकदम लड़कियों जैसी लग रही थी।)
पूरे बाथरूम में उस वक़्त कोई नहीं था सामने के दर्पण में मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में अपने आपको काफ़ी देर तक देखती रही। फिर अचानक मुझे किसी के आने की आवाज आई। एक बार तो मुझे लगा कि ऐसे ही खड़ी रहती हूँ, जो भी आएगा उसका लण्ड अपने मुँह में ले लूंगी पर मुझे लगा शायद गार्ड भी हो सकता है तो मैं तुरंत बाथरूम में वापस घुस गई। वहाँ मैंने जींस और टीशर्ट पहनी ब्रा और पैंटी के ऊपर ही, और तुरन्त बाहर निकल कर घर के लिए बस पकड़ ली। रास्ते में आते हुए मैंने कुछ बैंगन भी ले लिए छोटे छोटे क्यूंकि मेरी गाण्ड बहुत ही कसी है।
घर आते ही इस बार पहले मैंने अपनी दोनों टांगों और अपनी गाण्ड के सारे बाल हटा दिए। मेरे पेट पर तो तब बहुत ही कम बाल थे। उसके बाद मैं नहाने के लिए बाथरूम में गई। नहाते हुए मेरी गोरी गोरी टाँगें मुझे बहुत सेक्सी लग रही थी। बाहर आकर मैंने बॉडी क्रीम लगाई और तुरंत ब्रा और पैंटी पहन ली। ब्रा पैडेड थी ! उस वक़्त अगर कोई भी लड़का मुझे देख ले तो कोई नहीं कह सकता था कि मैं लड़की नहीं हूँ, एकदम गोरी-गोरी पतली लड़कियों जैसी टाँगे, एकदम पतली लड़कियों जैसी कमर, और कमर पर लाल रंग की ब्रा और नीचे गुलाबी पैंटी !
उस वक़्त रात के बारह बज चुके थे।
मुझसे रहा नहीं गया, मैं ब्रा और पैंटी में ही बाहर सड़क पर आ गई। मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं बता नहीं सकती। बस मन कर रहा था कि कोई लड़का आये और मेरी कुंवारी गाण्ड में अपना लंड डाल दे ! पर डर लगता था क्यूंकि मैं कुंवारी थी और मैंने सुना था कि गाण्ड मरवाने में बहुत दर्द होता है। फिर मैं अपने कमरे से एक पतला वाला बैंगन उठा लाई और बाहर जहाँ मेरी पड़ोसियों की बाइक खड़ी थी, वहाँ चली गई। उस वक़्त अगर अपार्टमेन्ट से कोई आ जाए तो पता नहीं क्या होगा, यह सोच कर मुझे डर लग रहा
था पर मजा भी आ रहा था।
मैं अपने साथ तेल की बोतल भी लाई थी क्यूंकि मुझे लगा था कि बहुत दर्द होगा। फिर मैं बाइक पर बैठ गई और अपनी पैंटी थोड़ी नीचे कर दी और अपनी गाण्ड को बाइक के हैंडल से रगड़ने लगी यह सोच कर कि यह एक लण्ड है।
तब तक मेरी गाण्ड में जैसे आग लग चुकी थी, फिर मुझ से रहा नहीं गया तो मैंने तेल लगा कर एक ऊँगली गाण्ड में घुसा दी, बहुत दर्द हुआ पर कुछ देर में बहुत मजा आने लगा। फिर मुझ से रहा नहीं गया मैंने दूसरी उंगली डालने की कोशिश की तो बहुत जलन होने लगी। मैं तुरंत कुत्ते वाली अवस्था में आ गई, गाण्ड थोड़ी ऊपर की और तेल की बोतल का मुँह अपनी गाण्ड में लगाया और बोतल उलट दी। उसके बाद तो ऐसा लगा कि बहुत चिकनी हो गई है मेरी गाण्ड।
मैं अपनी गाण्ड मसलने लगी, मुझ से रहा नहीं गया तो मैंने अपनी दोनों उंगलियाँ अपनी गाण्ड में डाल ली और अन्दर-बाहरकरने लगी …आ आआ आआआ क्या बताऊँ क्या लग रहा था !
फिर मैंने अपनी दोनों उंगलियाँ निकाल ली और एक बैंगन को नीची रखा और उस पर बैठ कर आधे से ज्यादा बैंगन अनदर ले लिया- आआआ आआआ जैसे तन बदन में आग लग गई !
मैं मस्ती में ऊपर-नीचे होने लगी फिर मेरा हाथ अपने लण्ड पर चला गया। मैं मस्ती में आगे पीछे होकर एक हाथ से बैंगन गाण्ड में अन्दर बाहर कर रही थी और दूसरे हाथ से लण्ड हिला रही थी।
कुछ ही देर में मैं झड़ गई।
उसके बाद और मैं वहाँ नहीं रह सकती थी, कोई भी आ सकता था। मैंने वापस पैंटी पहनी और बाहर सड़क पर जाकर उस पार डिब्बे में बैंगन डालने चली गई।
आप यकीन नहीं करेंगे पर उस वक़्त मैं किसी सेक्सी लड़की से कम नहीं लग रही थी…..
मुझे वो रात अब तक याद है !
अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई तो मैं अपनी पहली सेक्स की कहानी भी लिखूंगी वरना शायद नहीं…..
बाय लव यू आल…