ये कहानी मेरे घर में आई दरवाजे की दीदी है। वो बहुत सेक्सी थी और मेरे पार वो मोहित हो गई थी, मैं भी उसके साथ सेक्स करना चाहता था। एक रात में बाथरूम गया देखा कि दीदी का कमरा खुला था। उसके कमरे में एक नाइट लैंप जल रहा था और मंजू सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहने हुए थे। पेटीकोट मंजू के घुटनों के ऊपर तक चरहा हुआ था और उसकी एक टांग, जांघ तक, नंगी थी। वो जाग रही थी मैंने पूछा “दीदी, क्या कर रही हो”। “बहुत गर्मी है, नींद नहीं आ रही हैक्या”। वो बोली हान सैम भैया मुझे नींद नहीं आ रही आप यहां आ जाओ मेरे बिस्तर पर थोड़ी बात करते हैं “मैं तुम्हारे बिस्तर पर आ जाऊं”। “आ जाओ” माई टुरेंट दीदी के बिस्टर पर चला गया और दीदी के बगल में जाकर लेट गया। हमें समय माई सिर्फ शॉर्ट पहने हुए था और ऊपर कुछ नहीं था। मेरे दिमाग में एक बात घूम रही है कि मैं सही हूं, अपनी दीदी की सुंदर शरीर से खेलूंगा। थोरी देर के बाद दीदी मुझसे बोलीं, “तुम मर्द लोग कितने भाग्यशाली हो, जब तुम लोग चाहो अपने कपड़े उतार सकते हो।” मैंने पहले दीदी से बोला, “कौन तुम्हें रोक रहा है, दरवाजा बंद है और अगर तुम चाहो तो तुम भी अपने कपड़े उतार सकती हो।” दीदी मेरी बात सुन कर मेरी तरफ करवट बदल कर अपनी नंगी टांग मेरे ऊपर चारा दी और मेरे चाटे पर अपना हाथ मलने लगेगी। माई भी अपना एक हाथ दीदी की पीठ पर रख कर उनको लपेट लिया। थोरी देर के बाद दीदी बोलीं, “बहुत गर्मी है, लेकिन मुझको कपड़े उतारने में शर्म आ रही है। “इसमें शरमाने की क्या बात है? दरवाजा बंद है और मैं तुम्हारा छोटा भाई जैसा हूं” मैंने दीदी से कहा। “मुझसे कैसे शरम मेरे ख्याल से अगर तुमको गर्मी लग रही है तो तुमको अपना कपरे उतार देना चाहिए।” मैं दीदी को उक्साया. थोरी देर तक दीदी कुछ नहीं बोली। माई अपना हाथ दीदी की नंगी टांग पर रख कर उनकी नंगी जंघ को सहलाने लगा। फिर दीदी ने लेते ही अपना ब्लाउस का बटन खोल कर ब्लाउज उतार दिया। ब्लोज़ के नीचे दीदी सफ़ेद रंग का ब्रा पहने हुए थे। दीदी को ब्लाउज उतारते देख कर मैं गरम हो गया लेकिन मैं अपने आप पर काबू रखता। मैंने दीदी से कहा, “मेरे शिक्षक कहते हैं कि रात को सोते वक्त हिस्सेदार पर कोई तंग कपड़ा नहीं होना चाहिए।” दीदी भी बोली, “हां भाई, क्लास की पढ़ाई भी कहती है कि रात को सोते समय ब्रा और पैंटी उतार कर सोनी चाहिए, उनका दाग हिस्से पर रह जाता है।” माई दीदी की बात सुन कर बोली, “दीदी तब तो तुम्हें भी ब्रा और पैंटी पहन कर सोना नहीं चाहिए।” उधर पीछे मेरा हाथ दीदी के पीठ से होकर दीदी के चूतर तक पहुँच चुका था। माई अपने हाथों से दीदी के पेटीकोट उनको ऊपर तक खींच दिया था और इस समय मेरा हाथ उनकी जांघ और उनकी चूत को सहला रहा था। दीदी मेरे सीने में अपना चेहरा छुपाते हुए बोली, “भाई, तुम अपनी मां से तो नहीं कहोगे कि तुम्हारे सामने अपना कपड़ा उतारा था?” माई टैब दीदी की चुतर को पैने हाथ से पकड़ कर बोला, “मैं प्रॉमिस करता हूं कि मैं कभी भी मां हूं या किसी से भी नहीं कहूंगी कि तुमने गर्मी के मारे मेरे सामने अपने कपरे उतार दिया था।” दीदी तब अपने पीछे हाथ ले जाकर अपनी ब्रा का हॉक खोल दिया और अपनी ब्रा उतार दी। अब दीदी भी मेरे जैसा ऊपर के हिस्से से नंगी हो गईं। कमरे की हल्की रोशनी में दीदी का गोरा बदन हीरे की तरह चमक रहा था। दीदी की चूंचियां बहुत सेक्सी थी और खरे थे। इस समय जबकी दीदी मेरी तरफ करवट ले कर लेती थीं, उनकी चूंचियां अपने बजन से नीचे के तरह लुरक गई थीं। माई अपन आप को दीदी की चूंची चूने से रोक नहीं पा रहा था।
माई अपने हाथ दीदी के चूतर पर से हटा लिया और अपने दो उंगली के बीच में दीदी की एक चूची ले लिया। दीदी की चूंची तो बारी बारी थी लेकिन उनका निपल छोटे छोटे थे और उनका एरोला भी बहुत ज्यादा था। निपल का साइज करीब छोटा मुंगफली के समान था। मैं दीदी की चूची को अपनी दो उंगली के बीच में लेकर जोर से दबा दिया। “आउच, भाई, दर्द करता है, धीरे धीरे सहलाओ।” माई अपनी दीदी की बात मन कर उनके निप्पल को धीरे धीरे से सहलाने लगा और फिर उनकी पूरी चूंची अपने हाथ में ले कर धीरे धीरे दबाने लगा। दीदी की चूंची को सहलाते हुए मैंने दीदी से पूछा, “दीदी पहले किसने ऐसे चूंची दबाई है? मजा आ रहा है ना?” दीदी सिसकारी भारती हुए बोली, “बहुत मजा आ रहा है। पहले कुछ लड़कों ने कपड़े के ऊपर से चूंची दबाई थी, उसमें मजा नहीं आया था। आज बहुत अच्छा लग रहा है. दबते रहो।” फिर मैं अपने पेट के बाल लेट गया और दीदी की दोनों चूंचियों को अपने हाथों में ले कर धीरे-धीरे दबाने लगा और सहलाने लगा। दीदी अपने चुने दबवते हुए मुझ से बोलीं, “भाई, तुमने मुझे पागल कर दिया है, मेरे पूरे बदन में आग लग रही है। गर्मी और बढ़ गयी है।” माई अपने डोनो हाथों को दीदी के कंधों के नीचे ले जाकर दीदी को अपने से लिपटा लिया। दीदी ने भी अपना बदन मेरे से लिपटा लिया। अब दीदी की दोनों चूंचियां मेरे चाटे से दबा रहे थे और मुझको उनकी गर्मी का एहसास हो रहा था। माई दीदी को होठों से लगा कर खूब कस कर चूमा और अपने एक हाथ से दीदी की एक चूंची को पाकर कर सहलते हुए दूसरे हाथ दीदी के शरीर पर फेरने लगा। दीदी का बदन बहुत चिकना था और मैं एक जवान लड़की के बदन को सहारा दे रहा था। माई अपना हाथ दीदी के शरीर के निचले हिस्से में ले जाने लगा तो मेरा हाथ दीदी की पेटीकोट पर जा कर रुक गया। उधर मैं दीदी के हितिन को चूम रहा था।
माई दीदी ले पेटीकोट के नारे में पहले अपना फेरा और फिर मैंने धीरे से पेटीकोट के नर्रा को खोल दिया। पेटीकोट के नर्रे को खोल कर मैंने उसको दीदी के जांघों के नीचे सरका दिया। अब मेरा हाथ दीदी की कोरी बिना चूड़ी गरम चूत के ऊपर था। दीदी की चूत पर झांटे थे लेकिन वो मेरे हाथों को रोक नहीं पा रहा था और मेरा हाथ दीदी की चूत की होठों को छूटे हुए थे दीदी की चूत के गेट में घुस गया। जैसे ही मेरी उंगली दीदी की चूत के अंदर गई, दीदी की जांघें अपने आप खुल गईं। और मेरा उंगली ठीक तारिके से दीदी की चूत में अंदर बाहर होने लगा। दीदी ने मेरे मुँह को अपने मुँह पर कस कर दबा लिया और अपने जाँघों से मेरा हाथ को दबा लिया और चटपटा कर बोलने लगी, “भाई, उसको मत छूओ, मैं संभल नहीं पाऊँगी। मेरी जांघो और चूत को सहलाओ लेकिन अपना हाथ वहां से हटा लो।” फिर भी मैंने अपना हाथ दीदी की चूत पर रख छोरा और दीदी से पूछा, “दीदी, इसको तुम क्या बोलती हो।” दीदी चुप रही. माई फिर बोला, “बोलो नहीं तो मैं फिर उंगली अंदर डाल दूंगा।” दीदी बोली, “चूत” और मुझ को अपने से लिपटा कर मुझ को जोर जोर से चूमने लगी। माई दीदी के चूत पर से अपना हाथ हटा लिया और उनके जांघ लो सहलाते हुए, माई फिर से उनकी चूंची पर हाथ ले गया और उनकी निपल से खेलने लगा। अब दीदी भी अपने हाथ में शरीर पर फेरने लगेंगी। दीदी का हाथ मेरे पेंट तक पहुंच गया। मेरे पेंट के ऊपर अपने हाथ रखे हुए दीदी बोलीं, “भाई, तुमने मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया और खुद पेंट पहन के बैठे हो। इसको खोलो।” दीदी को तसलीम नहीं हो रही थी, उन्हें अपने हाथों से मेरे पेंट के बटन खोल कर मेरा पेंट मेरे जांघों से नीचे कर दिया। अब हम भाई और बहन दोनो के दोनो नंगे थे। मैं दीदी की चूंचे से खेलते हुए उनसे बोला, “दीदी, तुम बहुत सुंदर हो, मैं तुम्हें ठीक से लाइट में देखना चाहता हूं।” मैं उठ कर कमरे की लाइट जला दिया और फिर से बस्टर पर अपनी नंगी दीदी के पास आ गया। दीदी लाइट में शरमाते हुए अपने पेट के बाल लेट गई और अपने चेहरे को अपनी हथेलियों में छुपा लिया। कमरे की रोशनी में दीदी का रंग बिल्कुल दूधिया लग रहा था और बहुत ही सुंदर लग रही थी। माई ने अपना हाथ दीदी के कंधों पर रखा और उनको सहलाने लगा। फिर मैं अपनी हाथ दीदी के पतले कमर से होते हुए उनके गोल गोल भरे हुए चुतर, चिकनी जांघों से होते हुए उनकी जोड़ी तक हाथ फिराया। माई ने दीदी की सुंदर हिस्सेदार के एक एक इंच पर अपना हाथ फेरा और चूमा और मजा लिया। मेरा नज़र घड़ी पर गया तो देखा कि रात के 1.30 बज रहे हैं, इसका मतलब था कि मैं करीब पिछले दो घंटों से दीदी की शरीर से खेल रहा था। फिर मैंने अपनी दीदी को पीठ के बल ले लिया और कमरे की रोशनी में उनको देखने लगा। दीदी नंगी हो कर मेरे नज़रों के सामने चित लेटी हुई थी और उन का नंगी हिस्सेदार दुनिया की सब से अच्छी लग रही थी। उनकी चुन्ची करीब 36″ पतले कमर, सपाट पेट, थोरा उबरा हुआ उनकी पेरू, हल्के भूरे रंग की झांटों से ढकी हुई उनकी चूत। उनकी जंघे ना खूब मोटी ना बिल्कुल पतली बिल्कुल सही और बिल्कुल चिकनी थे। दीदी इस समय अपनी आंख बंद करके दोनों जोड़ी को घुटन से मोर कर दोनों जंघे दोनों तरफ फेलाए हुए थे और अपने छोटे भाई को अपने नंगे रूप का दर्शन करवा रही थीं।
मैंने उन्हें पास कर दिया और अपने लंड को देखने लगा। क्या समय मेरा लंड खारा होकर 8″ लम्बा हो गया था। मैं अपना लंड दीदी के हाथों में दे दिया। दीदी मेरा लंड अपने हाथों में कस कर पकड़ लिया और अपनी आँख खोल दिया। दीदी मेरे तरफ देखती हुई मुझसे बोलीं, “भाई, मेरी चूंची और घुंडी को मसलो” मैं अपने दोनों हाथों में उनकी चूची को रगड़ने लगा। दीदी अपने हाथों में मेरा लंड पकड़ कर सहला रही थी। मेरा लंड को रगड़ते हुए दीदी मुझसे बोलीं, “तेरा लंड तो बहुत बड़ा है भाई, किसी को कभी तुमने चोदा है।” माई दीदी की बातों को सुन कर समझ गया कि दीदी भी अब गर्म हो गई हैं और खुले लब्ज़ों में लंड, चूत और चुदाई की बातें कर रही हैं। माई टैब दीदी की चुंची को मसलते हुए बोला, “दीदी, आज पहली बार तो तुम्हारी मस्त चुंची और चूत देखी है। मुझसे बच्चे से कौन चुदवायेगी।” तब दीदी बोली, “तेरा लंड तो बहुत मस्त है, तू तो किसी भी चूत को फाड़ सकता है।” दीदी की बात सुन कर मैं ने धीरे से दीदी के कान में कहा, “दीदी, तू मुझसे चुदवायेगी।” दीदी बोली, “आज नहीं, बाद में देखूंगी. अभी तो चूची का मजा लेलो।” टैब माई दीदी को चूमते हुए बोला, “दीदी, चुदवाओगी नहीं तो कम से कम लंड को चूत पर रगड़ने के लिए, वादा करो, चोदूँ गा नहीं।” दीदी मेरे तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर बोली, “देख, चोदना मत, मेरी टैंगो के बीच में आ जा।” मैं तो इसी घर का इंतजार कर रहा था। दीदी इस समय जवानी की गर्मी से गरम है, और मैं समझ रहा था कि अगर मेरा अपना लंड दीदी की चूत में घुस गया तो मेरी दीदी ख़ुशी ख़ुशी उसको अपने छूट में पेलने देगी। लेकिन माई कोई जल्दी बजी नहीं करना चाहता था और जानता था कि आज दीदी ने मुझको अपने शरीर का आनंद उठाया और कल वो मेरे लंड अपने कासी झांटों से ढकी चूत में पिलवाने के लिए खुद बा खुद काहे गी। माई उनके दोनो खुली जंघों के बीच बैठ गया। मेरे बैठते ही उन्हें अपनी जांघों को और फैला दिया और मैं उनकी चूत को अपने हाथ में लेकर मसलने लगा। दीदी मेरी तरफ देखती हुई मुस्कुरा कर बोली, “देख, तूने वादा किया है कि मुझे नहीं छोड़ेगा।” फिर दीदी ने पैने हाथों से मेरा लंड पकड़ लिया और मुझे चुप चाप बैठे रहने के लिए बोली। दीदी अपने हाथों से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के ऊपर रगड़ने लगेगी। वो धीरे धीरे मेरे लंड को अपनी चूत के ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर रगड़ रहे थे। पहले तो दीदी धीरे-धीरे रगड़ रही थीं, फिर से उनकी रगरेन की स्पीड बार गई और उनके मुँह से सिस्कारी निकलने लगी आआआआआआह्ह्ह्ह, भैया आआआआह्ह्ह्ह मजा आ रहा है उउउउउउउउफफफफ्फ़। मैंने तो बस दीदी की कमर पकड़ कर बैठा हुआ था और दीदी जोर जोर से मेरा लंड अपनी चूत के ऊपर रगड़ रही थी। थोरी देर के बाद मुझे दीदी की चूत की चिकनी मेरे लंड के ऊपर होने का एहसास हुआ। मैंने नीचे की तरफ देखा तो पाया कि मेरा लंड करीब आधा इंच, दीदी की चूत में धसा हुआ है। दीदी के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं और वो बोल रही थी, “अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओह्ह्हह्ह्ह्ह मर गईईईई, अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बहुतोउउउउउउउउत मजाआआआआआ अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह, मैं गईईईईई और उनका हाथ एका थम गया। उसने समय मेरा लंड भी पानी चोर दिया। मेरे लंड से पानी निकलता ही दीदी ने मेरा लंड अपनी चूत से निकल दिया और अपने हाथों में वो पानी ले लिया और उसको अपना पेरू और पेट पर मालने लगी। फिर दीदी ने मुझको अपना ऊपर खींच कर ले लिया और मुझको अपने हाथों में ले कर चूमने लगी। मुझे चूमते हुए दीदी बोली, “धन्यवाद भाई, मुझे ऐसा मजा कभी नहीं मिला। तुम बहुत मस्त हो और तुम्हारा लंड खाकर कोई भी लड़की या औरत मस्त हो जायेगी। तुम्हें मजा आया भाई।” मैंने भी दीदी को चूमते हुए दीदी से बोला, “दीदी, तुम बहुत सुंदर हो, और तुम्हारी चूत बहुत ही गुदाज है। एक दम ताज़ा माल, मन करता है कि हर समय तुम्हारे नंगे बदन को सहलाता रहूँ और तुम्हारी चूत में अपना लंड पेलता रहूँ। दीदी एक बार मुझसे जरूर चुदवाना, बहुत मजा दूंगा। दीदी मुझसे कस कर लिपटते हुए बोलीं, “आज तो मन भर गया, चुदाई का बाद मैं सोचूंगी। अभी आज मुझसे चिपक कर सो जा।” हम लोग एक दूसरे को अपनी बाहों में भर कर सो गए। जब आँख खुली तो देखा कि सुबेरा हो गया है। हम लोग जल्दी से अपने-अपने कपरे पहनने और कमरे के बाहर निकल आये। कमरे से बाहर निकलने से पहले दीदी ने मुझसे वादा करवाया कि मैं किसी को भी कल बताऊं गा। मैंने भी दीदी से वादा किया कि कल रात की बात किसी से भी नहीं बोलूंगा,
अगले चूहे को अपने कमरे में और दीदी कल चूहे का खेल जारी रख। हमसे रात में बहुत कोशिश करता रहा, लेकिन दीदी ने मुझ को लंड अपने चूत में डालने नहीं दिया। दीदी ने अपने हाथों से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत से लगा कर रगड़ रही है। हां, आज दीदी ने मेरा लंड कल से ज्यादा अंदर तक ले लिया था। माई भी मैन ही मैन एह सोच रहा था कि आज नहीं तो कल रात मैं अपनी दीदी की चूत में अपना लंड डाल कर चोदूँ गा। दीदी भी बहुत गरम हो गई थी और मैं एह जान रहा था अगर मैं थोड़ी कोशिश करूँ तो दीदी मेरा लंड अपनी चूत में घुसा देगी। मेरी दीदी अपनी सहेली की शादी से लौट आई है और वो मुझको देख कर मुस्कुरा कर आँख मार दी। मैं समझ गया कि अब मैं अपनी दीदी की चूत में भी लंड पेल सकता हूँ। हम लोग थोड़ी देर तक बात करते रहे और रात का खाना खाया। करीब आधे घंटे के बाद मेरे हिस्सेदार में एक अजीब सी शुरुआत होने लगी और मुझको लगा कि मेरा लंड मेरा पैंट फाड़ देगा। सब सू गए और मैं भी अपनी दीदी के साथ सोने के लिए अपने कमरे में चला आया। कमरे में आकर हम और दीदी बातें करने लगे.और बातें करतीं, हम लेट गए, दीदी ने मुझे अपने से लिपटा कर मुझसे कास कर चूम लिया और बोली, “भाई, मैं कल रात को बहुत मिस करती हूं। माई आज की रात तुम्हारे कल रात ना होने की सब बदला ले लेंगे।” मुझे समझ आ गया कि दीदी आज अपने छोटे भाई से अपनी छूट ले लेगी। माई भी दीदी की चूंची पर अपना हाथ फेर कर, दबा कर उनको मस्त कर रहा था और उनके कपड़े उतार रहा था। मैं दीदी के बदन से चादर खींच लिया तो देखा कि दीदी बिल्कुल नंगी सो रही हैं। चादर खिंचते ही दीदी जग गई और मुझ से लिपटे हुए बोली, “भाई, मेरी चुदाई कर, मैं अपनी चूत की खुजली से बहुत परेशान हूं। तू आज अपना लंड मेरी चूत में डाल कर उसकी ऐसी चुदाई कर सकती है कि उसकी साड़ी खुल कर दूर हो जायेगी।” मुझे और क्या चाहिए.
मैं फिर करीब एक घंटे तक दीदी की सुंदर भरा भरा नंगी बदन से खेलता रहा। दीदी भी बहुत गरम हो गई थी और अपने ही हाथों से अपनी चूत में उंगली करने लगे और मुझसे बोली, “भैया क्यों सताते हो, डाल दो ना अपना मस्त लंड मेरी इस रसीली चूत में और चोद चोद कर फ़ायर डालो। मेरी चूत लंड और उसकी चुदाई के लिए तरस रही है। अब जल्दी करो और मुझे चोदो।” मैं भी अब तक गरम हो गया था और मैंने अपना लौरा दीदी की चूत के छेद से भरा हुआ दीदी से बोला, “दीदी क्यों घबराती हो, अभी तो रात पूरी हुई है। माई आज तुम को ऐसा चोदूं गा कि तुम्हारी छूट खुल जाएगी और कल तुम ठीक तरीके से चल नहीं पाओगे। लो अब संभालो अपनी चूत और अब मैं अपना लौड़ा तुम्हारी चूत में पेलता हूं।” दीदी मुझसे लिपटे हुए बोली, “ओह! भैया मेरी छूट तो तुम्हारा लंड खुलने के लिए खुली है। तुम अब डालो भी, क्यों देर कर रहे हो।” फिर मैं दीदी की चूत में अपना लंड एक ही झटके के साथ डाल दिया और दीदी ओह! ओह! आह! मार डाला बोलने लगी. मेरे पहले झटके के साथ ही दीदी की चूत की झिल्ली फट गई और दीदी चटपटाने लगी आआआआआअह्हह्हह्हह्ह उउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउफ़फ़फ़फ़फ़फ़फ़्फ़ मम्मी आअहह्ह्ह्हह्ह्ह्ह फट गयी आअह्ह्ह्हह्ह्ह्ह इसी बात से डरती थी कि तेरा लंड मेरी चूत फाड़ देगा और बोलने लगेगी, “ओह! आह! भाई अब निकल लो. लगता है कि मेरी चूत तूने फाड़ दी है। मुझे अपनी चूत देखने दे।” माई दीदी को चूमते हुए और हाथ से उनकी चूंचियों को दबाते हुए बोला, “दीदी घबराओ नहीं, तुम्हारी छूट नहीं उसकी झील फटी है और अब तुम कुंवारी नहीं बल्कि एक चूड़ी चुदाई औरत बन गई हो। अब तुम दिल खोल कर मेरे लंड के धक्के अपनी चूत से खाओ और चूत का पानी निकालो।” माई एह कहते हुए दीदी की चूत में लंड दनादन पेलता रहा। थोरी देर के बड़ी दीदी को भी मजा आने लगा और अपनी जोड़ी मेरे कमर पर रख कर मुझसे लिपटे हुए बोले, “भाई, बारा मजा आ रहा है। तुम मेरी चूत मैं लंड से चोट लगा रहे हो और मेरा सारा बदन हल्का हो रहा है। चोदो, चोदो भाई और तेजी से चोदो। मेरी छूट आज इतने दिनों के बाद अपना पानी छोड़ने वाली। कृपया समय मत रुकना है। और जोर जोर से चोदो. माई अब झरने वाली हूं।” माई अपना चोदना रोक कर दीदी का चेहरा देख रहा था जो कि इस समय चूत चुदाई की गर्मी से चमक रहा था। मेरे रुकते ही दीदी झल्ला कर हम से बोली, “साले बहनचोद, हमरी इतनी अच्छी चूत तेरे को मुफत में चोदने को मिल गया तो नकरहा मर रहा है। चोद साले चोद अपनी दीदी की चूत मार और तेजी से मार। साले गांडू रुक क्यों गया, चोद ना अपनी दीदी की चूत अपने लंड के धक्के से।” माई दीदी की बातों को सुन कर उन्हें आँखे फेर कर देखने लगा। वैसे दीदी की मुँह से गली बहुत अच्छी लगी। दीदी ने अपना कमर उछाल कर मेरा लंड अपनी चूत में फिर से ले लिया और मुझसे बोली, “मेरे अच्छे भाई, क्यों झुक रहा है। और 10-20 धक्के मार और मेरी चूत का पानी निकाल दे। माई अब झरने वाली हूं. इस समय तू अपनी चुदाई जारी रख और मेरी चूत मार।” mai didi ki bat sun kar phir se didi ko chodna shuru kar diya aur wo boli aaaaaaaahhhhhhhhh bhaiya chodoo zor se ragar do mujhe massal do is komal kali ko,salle kutee phadd de bhosda bana de apni behan ki chut ka sam bhaiya aaaaaaaaaaahhhhhhh ,uuuuuueeeeeei uuuuuuuufffffff आआहह चोदो, चोदो आआहह मारो मेरी चूत आआहह सैम मैं तब तक पेलता रहा जब तक मेरा और दीदी का पानी नहीं निकल गया। दीदी की पहली चुदाई ख़तम होती है हाय दीदी मुझ को चूमने लगी और मुझसे उबालने लगी, “भाई बारा मजा आया अपनी चूत तुझ से चुदवाने में।” सही में तू बहुत ही अच्छा चोदता है। आज मेरी चूत तेरा लंड खाकर धनाय हो गयी।
अब बोल तेरा क्या प्रोग्राम है, सोने का हां और कुछ करने का।” माई दीदी बात सुन कर समझ गई कि दीदी अपनी चूत पहली बार चुदवाने के साथ बुरा भी मन नहीं भरा है। इसलीये माई दीदी के नंगी चूंची पर हाथ फिरते हुए कहा, “दीदी मेरा मन एक चुदाई से नहीं भरा। मैं चाहता हूँ कि मैं एक बार और तुम्हारी चूत में अपना लंड घुसाऊँ और कस कस धक्का मारते हुए एक बार और चोदूँ।” दीदी मेरा बल्ला सुनते ही झट से मेरा लंड पकड़ लिया और मुझसे बोली, “तेरा लंड फट रहा है और चूत भी फुदक रही है तेरा लंड खाने के लिए। फिर देर किस बात की, चल फिर से शुरू करते हैं अपनी चुदाई।” माई दीदी की बात सुनते ही फिर से उनके ऊपर चार गया और उनकी चूंची हाथों से पाकर कर चूसने लगा। फिर माई दीदी के जोड़ी फैला दिया उर उनके बीच बैठ कर दोनों हाथों से उनकी छूट फैला दिया। चूत फैला ने के बाद माई दीदी की चूत में अपना मुँह लगा दिया और उसने अपनी चूत चूसना शुरू कर दिया। चूत की चुसाई शुरू होती है हाय दीदी अपनी कमर उठने लगती है और अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ने लगती है। माई भी दीदी की डोनो चुतर को पाकर कर जितनी दूर तक जीव जा सकती है अपना जीव अंदर डाल कर उनकी चुत चटने लगा और चूसने लगा। दीदी अपनी चूत हम से चूसवाते हुए थोरी देर में ही झड़ गई। झरने बड़ी दीदी उठ मेरा लौरा अपने हाथों से पकड़ कर अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। थोरी देर के बाद माई भी दीदी की मुँह के अन्दर झर गयी और दीदी मेरा सारा का सारा रस पी गयी। थोरी देर के बाद हम लोग नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर सो गए..