Thursday, November 21, 2024
Hindi Midnight Stories

गर्लफ्रेंड ने गांड मरवा ली चूत नहीं दी

मैं राजू जयपुर से
मेरी उम्र 30 है और मेरी लंबाई 6 फीट है।
मैं दिखने में सांवला हूँ।
मैं गुजरात में नौकरी करता हूँ।

यह GF बैक सेक्स स्टोरी एक साल पहले की है।

मेरे एक दोस्त सुरेन्द्र ने अपनी गर्लफ्रेंड हेमा से बातों–बातों में मेरे लिए अपनी एक सहेली को सेट करवाने को बोला।
मेरा दोस्त सुरेन्द्र जयपुर में ही अपना दुकान चलाता था।

उसकी दोस्ती स्कूल में पढ़ने वाली एक लड़की से थी जो कि बारहवीं कक्षा में पढ़ती थी।

सुरेन्द्र की जीएफ ने मेरा नंबर अपनी सहेली को दिया जिससे नेहा ने मुझसे संपर्क किया।

सबसे पहले उसने अपना नाम ‘नेहा’ बताया और बोली– मुझे यह नंबर मेरी दोस्त यानि सुरेन्द्र की जीएफ ने दिया है।

धीरे–धीरे हम व्हाट्सएप चैट में खूब बातें करने लगे।
कुछ समय बाद बात चूमा चाटी तक पहुँच गई।

मुझे लगने लग गया था कि यह लड़की नेहा कुछ ज्यादा ही रूचि ले रही है मुझमें!

नेहा के बारे में मैं आप सबको बता देता हूँ।
वह सांवले रंग की पतली सी औसत लड़की है।
उसकी लंबाई 5 फीट और उम्र 19 वर्ष है।

पहली बार जब कोई उसे देखे खासकर स्कूली ड्रेस, सलवार कुर्ते में … तो वह कुछ खास नहीं लगती है।
लेकिन वह फोन पर बातें करने में बहुत शौकीन थी।

कुछ दिन बाद मैं 5 दिन की छुट्टी लेकर गाँव चला आया।
स्कूल समय के बाद हमने मिलने की योजना बनाई।

चूंकि वह मोबाइल स्कूल नहीं लेकर जाती थी तो समय और जगह हमने पहले ही तय कर लिया था।
हमने शाम को 3:15 पर बस स्टैंड के पास एक कैफे में मिलना तय किया।

अगले दिन योजना अनुसार मैं और सुरेन्द्र दोनों बस स्टैंड पहुँच गए और उनका इंतज़ार करने लग गए।

थोड़ी देर में वह अपनी सहेलियों के साथ आई.
उसके साथ हेमा और माला थी।

हम आगे–आगे और वह पीछे–पीछे अपने ग्रुप के साथ कैफे में पहुँच गए।
वहां पहुँच कर हम सब अपने–अपने केबिन में चले गए।

सुरेन्द्र हेमा को लेकर एक केबिन में घुस गया।
माला ने अपने बीएफ को कॉल करके बुला लिया।

मैं और नेहा अलग केबिन में घुस गए।

नेहा और मैं पहली बार आमने–सामने से मिल रहे थे तो वह बहुत ज्यादा शरमा रही थी।

मैं भी पहली बार कैफे की केबिन में किसी लड़की के साथ रोमांस करने के लिए गया था तो मुझे भी डर लग रहा था।

इसीलिए मेरा गला सूख रहा था तो मैं काउंटर से जाकर पानी का बोतल ले आया।
मैंने पानी पिया और नेहा को भी पानी पीने को बोला परंतु उसने नहीं पिया।

फ़िर धीरे–धीरे मैंने बातों को आगे बढ़ाया और उससे उसकी सहमति मांगी तो उसने सेक्स करने से साफ मना कर दिया लेकिन चुम्बन के लिए हामी भर दी।

मैंने अपने होंठ उसके पतले–पतले होंठ से सटा दिए और लिप लॉक स्टाइल में उसे चूमने लगा।

धीरे–धीरे मैंने अपने हाथ को उसके सर के ऊपर रखा और बालों को संवारने लगा।
फ़िर अपना हाथ फेरते–फेरते उसकी कमर को पकड़ा।
उसकी कमर इतनी छोटी थी कि मेरे एक हाथ में ही पूरी पकड़ में आ गई।

धीरे–धीरे वह गर्म होने लगी और मैंने उसके छोटे–छोटे चूची को दबाना शुरू कर दिया।

उसकी चूची का आकार मौसमी जितना था और निप्पल बहुत छोटे थे।

शायद मेरे से पहले उसके चूची किसी लड़के ने नहीं दबाए थे, जिसके कारण उसकी छाती में भराव और उभार अभी तक नहीं आया था।

मेरे अनुमान से उसकी ब्रा का आकार भी अभी 26″ का ही होगा।

उसको चूमते हुए मैं अपने एक हाथ से चूची दबाता रहा, वहीं दूसरे हाथ को उसके पेट पर फेरते हुए उसकी सलवार में घुसा दिया।

दूसरे हाथ को उसके सलवार में से पैंटी के अंदर डाला तो आभास हुआ कि उसकी चूत का आकार चूची की ही तरह छोटा था।

उसकी चूत पर हाथ फेरते हुए मैंने अपनी एक अंगुली उसकी चूत में घुसाने की कोशिश की तो वह मछली की तरह छटपटाने लगी क्योंकि उसकी चूत सील पैक थी।

मैंने सलवार का नाड़ा खोलने की कोशिश की तो वह मना करने लगी.

लेकिन मैं अब गर्म हो गया था।
मुझे उसकी कमसिन चूत में अपना लौड़ा डालना था जो मेरी पैंट में तंबू बनाए खड़ा था।

नेहा ने मुझे सलवार नहीं खोलने दी तो मुझे गुस्सा आने लगा.
तब मैंने बोला– जब कुछ करना ही नहीं था, तो मेरे को यहां बुलाया ही क्यों? अब मेरे से रहा नहीं जा रहा था बिना सेक्स किए।

मुझे तो सेक्स करना था, पर नेहा नहीं मान रही थी।

मैंने नेहा का हाथ अपने लंड पर रखा और उसके हाथ से अपने लंड को दबाने लग गया।

फ़िर मैंने अपना लंड पैंट से आजाद करके उसके हाथ में रख दिया.
लेकिन नेहा ने अपना हाथ हटा लिया।

तब मैंने अपने लंड को उसकी मुंह की तरफ कर दिया और बोला– इसको चूमो!
इस पर नेहा ने मना कर दिया जिससे मेरे दिमाग का दही हो गया, उसने काम करना बंद कर दिया।

फ़िर गुस्से में मैं अपने कपड़े ठीक करके वापस केबिन से बाहर आकर कुर्सी पर बैठ गया।
कुछ देर में वह भी अपने कपड़े ठीक करके बाहर आकर मेरे सामने बैठ गई।

मेरा दोस्त सुरेन्द्र और उसकी गर्लफ्रेंड हेमा अभी भी केबिन में लगे हुए थे और हम बाहर उनका इंतजार करने लगे।

कुछ देर बाद सुरेन्द्र बाहर आया और पूछा– कुछ काम हुआ या नहीं, इतना जल्दी बाहर कैसे?
तब मैं बोला– बस ऐसे ही आ गए।

वह समझ गया कि कुछ काम नहीं हुआ और मामला अधूरा रह गया है।
उसने मुझे बोला– पहले दिन ही सब कुछ नहीं मिलता है, नया माल है आराम से मिलेगा।

फ़िर हम सब वहां से चले आए और अपने–अपने घर को चले गए।
घर पर आने के बाद फ़िर रात में मैसेज आया और वापस बात होने लगी।

चूंकि मैं गुजरात में नौकरी करता हूँ तो वापस मैं गुजरात आ गया।

कुछ दिन में वीडियो कॉल पर बाते होने लगी.
तो मैंने उससे न्यूड वीडियो कॉल करने का बोला।
इस पर वह मना कर देती।

धीरे–धीरे वह अपनी चूची को वीडियो कॉल पर दिखाने लगी और सेक्स करने के लिए भी राजी होने लगी।

जब भी समय मिलता हम दोनों कॉल पर बात करते।

वह जब भी मिलने के लिए कहती तो मैं कह देता ‘मुझे सेक्स करना है।’
इस पर वह चूत चुदवाने से मना कर देती।

कभी–कभी मैं उसको मजाक–मजाक में बोल देता ‘आगे से नहीं तो पीछे से करवा लेना!’
इस पर वह कुछ सहमत हो जाती थी तो मैं भी खुश हो जाता कि ‘आगे से नहीं तो पीछे से ही सही। हस्तमैथुन करने से तो लाख गुना अच्छा है इसकी छोटी सी गांड मार लेना. और पीछे से मारने के चक्कर में सीधा चूत में डाल दूंगा लंड, एक बार माने तो सही।’

वह भी इस बात से खुश हो जाती कि आगे से सील पैक रहेगी तो शादी के बाद सुहागरात में काम आयेगी।
कुछ दिन ऐसे ही बीत गए।

एक दिन गाँव जाना हुआ तो तय समय और लोकेशन के अनुसार मैं उससे मिलने पहुंचा।
मैंने कॉण्डम का पैकेट पहले ही जेब में रख लिया था।

कैफे की उस छोटी सी केबिन में हमारा मिलना हुआ।

चूंकि घर के काम में फंसे होने के कारण मैं उस दिन थोड़ा लेट पहुंचा था तो मेरा दोस्त, सुरेन्द्र ही नेहा को लेकर कैफे में लेकर आया और केबिन में बैठा था।
सुरेन्द्र ने जीजा साली वाला खेल करके उसको गुस्से से गर्म कर दिया था।

सुरेन्द्र ने मेरे आते ही मुझे बता दिया– जीजा साली वाला छेड़खानी कर दी है मैंने!
मैंने कहा– मैं देख लूंगा, तू टेंशन मत ले।

वह मेरे समय पर नहीं आने की बात से मुझसे नाराज दिख रही थी।
मैंने उससे पूछा– सुरेन्द्र ने छेड़ा क्या?
इस पर वह कुछ नहीं बोली।

मैंने उसे समझाया कि घर में कुछ जरूरी काम की वजह से मैं फंस गया था इसलिए लेट हो गया।

फ़िर मैं उसके लिए कोल्डड्रिंक लाया।
पहले उसको पिलाया फिर मैंने भी पिया।
वह गर्मी की वजह से पसीना–पसीना हो गई थी।

मैंने नेहा को चूमना शुरू कर दिया।
फिर मैं उसकी चूची को दबाने लग गया।

कुछ देर बाद उसकी चूची को उसकी कमीज से आजाद करके चूची के निप्पल को चूसने लगा।
जिससे वह गर्म होने लगी।

धीरे–धीरे मैंने अपनी हाथ से उसके पेट को सहलाते हुए उसकी कमर को पकड़ा जिससे वह चिहुंक पड़ी।
मैंने कमर की पकड़ ढीली की तो सलवार का नाड़ा मेरे हाथ में आ गया।

नेहा ने अपने दोनों हाथों से अपना सलवार का नाड़ा पकड़ लिया और मुझे मना करने लगी।
लेकिन मैंने जबरदस्ती करके उसके सलवार का नाड़ा खोल दिया।

फिर उसकी सलवार को हल्का नीचे करके उसकी छोटी सी चूत को दबाने लग गया।
जिसको मैंने अभी तक आँखों से देखा तक नहीं था।

कैफे की केबिन नेहा की चूत से भी छोटी थी।
जिसमें सिर्फ़ दो कुर्सी लगी हुई थी और सामने छोटी सी डेस्क के नाम पर आधा फीट का लकड़ी का पट्टा था।

मेरी लंबाई और नेहा की लंबाई मैच नहीं होने के कारण उस केबिन में कोई पोजीशन भी नहीं बन पा रहा था।

मैंने नेहा को बोला– मेरा लंड पकड़ो!
तो वह मेरे लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी।
उसकी हाथ लगते ही मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था।

कुछ देर बाद मैंने नेहा से कहा– तैयार हो चुदने के लिए?

वह फ़िर मना करने लगी और बोली– आगे से नहीं!
तो मैंने कहा– कोई बात नहीं आगे से नहीं तो पीछे से कर लेंगे!

मैं ठहरा पक्का चोदू इंसान, मैंने सोचा पीछे करने के चक्कर में इसकी चूत में डाल दूंगा लौड़ा!

मैंने अपना पैंट थोड़ा नीचे किया, नेहा को खड़ी कर दिया और अपने लंड पर कॉण्डम चढ़ा लिया।
जिससे नेहा को यह लगे कि यह चूत नहीं बल्कि पीछे से गांड ही मारेगा।

मुझे तो पहले ही पता था कि चूत मारो या गांड मारो यह चिल्लाएगी तो पक्का!
तो मैं उसे चूमने लगा.

वह थोड़ा और गर्म हुई तो मैंने कहा– टेबल पर झुक जाओ!
क्योंकि उसका यह पहली बार था तो वह खुद भी लौड़े पर नहीं बैठ सकती थी और मैं भी गांड के बहाने चूत मारना चाहता था।

नेहा झुक गई लेकिन लंबाई कम–ज्यादा होने के कारण कुछ भी करने में आरामदायक नहीं हो पा रहा था।
तब मैंने उसको थोड़ा और झुकाया और लंड को उसके दोनों कूल्हों के बीच घुसाया और थोड़ा ज़ोर लगाया तो लंड शायद चूत के ऊपर स्लिप मार गया।

फ़िर मैंने दुबारा निशाना साधा तो लंड थोड़ा सा फंस गया.
और उसकी चीख निकलने वाली थी कि उससे पहले ही मैंने उसके मुंह को अपने एक हाथ से दबा दिया जिससे वह ‘गुन–गुन’ करके रह गई।
दूसरे हाथ से मैं उसके चूची दबाने लग गया।

थोड़ा नॉर्मल हुई तो फ़िर एक झटका मारा, इस बार लंड आधा फंस गया।
एक झटके में लंड चूत में फंस जाना मुझे थोड़ा खटका परंतु यह कन्फर्म करना उचित नहीं समझा कि लंड उसकी चूत में जा रहा है या गांड में!

आधा लंड फंसने के बाद अगले झटके में पूरा लंड उसकी चूत में फंसा दिया।

इस बार नेहा के आँसू निकल आए और वह रोने लगी और लंड को बाहर निकालने की विनती करने लगी।

कुछ देर इस पोजीशन में शांत रहने के बाद जब उसका दर्द कम हुआ तो मैंने धीरे–धीरे अंदर बाहर करना चालू कर दिया।
तंगी के कारण और लंड का दबाव ज्यादा होने के कारण मजबूत कॉण्डम भी फट गया।

कुछ देर बाद उसको भी मजा आने लगा तो मैंने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और पांच मिनट में मैं अपने चरम पर पहुँच गया।
फिर उसी पोजीशन में मैं उसके अंदर अपना माल डाल दिया।

जब मैंने लंड बाहर निकाला तो देखा कि कॉण्डम तो फट चुका है तो में तनाव में आ गया।

हम दोनों ने कपड़े ठीक किए और एक–दूसरे को चूमने के बाद मैंने अपने दोस्त सुरेन्द्र को मेडिकल की दुकान से अनवांटेड 72 लाने का बोला।

कुछ देर में सुरेन्द्र टैबलेट लेकर आ गया जिसके साथ में मैंने दर्द की टैबलेट भी मंगवाई थी।

मैंने नेहा को बोला– कॉण्डम फट गया था, पानी अंदर रह गया है! इसलिए अनवांटेड 72 ले लो!

लेकिन वह मना करने लगी और बोली– ऐसी कोई बात नहीं!
लेकिन मैं उस पर दबाव बनाने लग गया था क्योंकि मैं कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहता था।

मेरे ज्यादा दबाव देने पर उसने वह अनवांटेड 72 वाली टैबलेट खा ली।

मैं आज उसकी पहली चुदाई करने से खुश था और उसको अपनी गाड़ी पर बिठाकर उसके घर के पास ड्रॉप करके अपने घर आ गया।

रात में उसका मैसेज आया- बहुत दर्द हो रहा है, बैठा भी नहीं जा रहा है! शौच करने जाती हूँ तो दर्द हो रहा है और जो पानी अंदर रह गया था वह शौच के दौरान बाहर निकल आया!

तब मैंने कहा– मैंने तो लंड चूत में डाला था?
तो नेहा ने कहा– गांड में डाला था आपने!

मुझे अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं किसी लड़की की चूत और गांड में अंतर नहीं देख पाया।
नेहा की पहली बार गांड मारना मेरे लिए आश्चर्य से भरा रहा क्योंकि मैं गांड को चूत समझ बैठा था।

घर पर मैंने लंड को अच्छे से चेक किया पर उसकी गांड का ज़रा सा भी मेरे लंड पर गंद नहीं लगा था।
लंड एकदम साफ था।

यह मैंने इसलिए किया क्योंकि इससे पहले मैंने अपनी एक गर्लफ्रेंड की गांड मारी थी तो मेरे लंड पर उसकी गांड से कचरा लग गया था।
उस कचरे को मुझे बहुत मेहनत लगी थी अच्छे से साफ करने में!

इस गांड चुदाई के 5 दिन बाद मुझे अपनी नौकरी पर वापस लौटना था तो मैंने उससे वापस मिलने को कहा क्योंकि मैं उसकी चूत चोदना चाहता था।

गुजरात जाने से एक दिन पहले हम शाम में तय समय पर कैफे में मिले।

इस बार फ़िर हम उसी संकरी सी केबिन में मिले जिसमें एक ही पोजिशन हो सकती थी।
नेहा ने आज आते ही बताया– मेरा पीरियड आ गया है, इसीलिए मैं सेक्स नहीं कर पाऊंगी। केवल चूमा चाटी और बात करते है!

लेकिन मैं ठहरा चोदू … मैंने कहा– कोई बात नहीं पीछे से कर लेंगे!

नेहा को जल्दी से गर्म किया और पहले से खड़े लौड़े पर कॉण्डम चढ़ाया और आज नेहा को खड़े–खड़े नहीं पेलकर उसको अपने लंड पर बैठाया।
फ़िर वह गांड में लंड लेकर बैठ गई।

आज पहली बार के मुकाबले उसे कम दर्द हुआ।
फिर मैंने पूछा– लंड चूत में गया?
तो वह बोली– नहीं गांड में है?

तब मैंने एक हाथ से आगे ले जाकर उसकी चूत पर फेरा।
उसकी चूत में लंड नहीं होकर उसकी गांड में पाया तो मुझे पछतावा हुआ कि आज फ़िर चूत में नहीं जाकर लंड गांड में चला गया।

मैंने एक अंगुली उसकी चूत में डाली तो पाया कि उसकी चूत में एक अंगुली घुसने की भी जगह नहीं थी।
वह तक सील पैक है।

पीरियड के वजह से मेरी अंगुली पर खून लग गया जो बदबू दे रहा था।

चूत के भरोसे गांड मारने के हुए इस धोखे के कारण पांच से सात मिनट के बाद मेरा लंड गर्मी सहन नहीं कर पाया और मैं GF बैक सेक्स करते हुए नीचे से धक्के मार कर मैं फ्री हो गया।
हमने अपने कपड़े सही किए और अपने–अपने घर को लौट गए।

अगले दिन मैं गुजरात के लिए निकल गया।

मैसेज में बात होने पर उसने बताया कि ‘उसने जान करके अपने आप को सील पैक रखा है’। दोनों बार में उसने अपना एक हाथ से अपनी चूत को कवर कर लिया जिससे लंड उसकी चूत में नहीं घुस पाया और ज्यादा दबाव देने के कारण लंड गांड में घुस गया।

अब वह मेरा उपहास कर रही थी।
तो मैं बोला– जल्दी मैं वापस आऊंगा जयपुर और तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा!

नौकरी से छुट्टी नहीं मिलने के कारण मेरे को दो महीने होने को आए।
लेकिन नेहा वासना के कारण मुझे बार बार आने के लिए कहा रही थी.
उसे लंड लेने की गरमी चढ़ी हुई थी.

तब सुरेन्द्र ने मुझे कहा– तू तो आ नहीं आ रहा है तो मैं इसकी सील तोड़ दूं? तेरे लिए माल तैयार कर दूं, सीधा आओ चूत मारो!

मैं संकोच में डूब गया तो सुरेन्द्र ने बोला– तू नहीं करेगा तो यह किसी और से करवाएगी. इससे अच्छा है कि मैं ही इसकी सील तोड़ दूं।

कुछ दिन बाद सुरेन्द्र ने उसकी सील तोड़ दी।
मैं मन ही मन अपने दोस्त को गाली दे रहा था!

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