आनंद एक गाओं की ऑफीस मे नौकरी करता था. वो उस गाओं के हर आदमी
और औरतों को जानता था. गाओं के किसी भी आदमी को कोई भी काम हो पर वो
सब आनंद के पास पहले आते थे और बाद मे बीडीओ से मिलते थे. ऐसा ना
करने पर ऑफीस से उनकी फाइल कभी ना कभी गायब हो जाया करती
थी और वो फाइल तब तक नही मिलती थी जब तक ना आनंद को खुश
कर दिया जाता था. इस तरह से आनंद का गाओं मे काफ़ी दबदबा था.
आनंद की शादी अभी नही हुई थी और इसी लिए वो गाओं की औरत
और लड़कियों को घूर घूर कर देखता था. गाओं के कुँवारी लरकियाँ भी
आनंद को छुप छुप कर देखती थी क्योंकि वो एक तो अभी कुँवारा था
और दूसरी तरफ उसका गाओं मे काफ़ी रुतबा था. आनंद इस बात से वाकिफ़
था और बारे इतमीनान से अपने लिए सुंदर लड़की की तलाश मे था.
आनंद की सरकारी नौकरे से काफ़ी आमदनी हो जाती थी और इसलिए उसको
पैसे की कोई कमी नही थी.
एक दिन आनंद सहर से सरकारी काम ख़तम करके लौट रहा था. वो
जब अपने गाओं मे बस से उतरा तो उस समय दुपहर के करीब 1.00 बजा
था. ऊन्दिनो गर्मी बहुत पड़ रही थी और मई का महीना था. उस
वक़्त कोई भी आदमी अपने घर के बाहर नही रुकता था. इसलिए उस
दोपहर के समय सड़क काफ़ी सुनसान थी और आनंद को कोई सवारी गाओं
तक मिलने की आशा नही थी. आनंद बहादुरी के साथ अपने गाओं, जो
की करीब दो किलोमेटेर दूर था, पैदल ही चल पड़ा. वो अपने सर के
उपर छाता लगा कर और अपने कंधों पर ऑफीस फाइल का बॅग रख
कर गाओं की तरफ पैदा ही चल पड़ा. वो काफ़ी ज़ोर-ज़ोर चल रहा था
जिससे की जल्दी से वो अपने घर को पहुँच जाए.
आनंद चलते चलते गाओं के किनारे तक पहुँच गया. गाओं के किनारे
आम का बगीचा था जो की टूटी फूटी तार के बाड़े से घिरा था.
आनंद ने सोचा कि अगर आम के बगीचा के अंदर से जाया जाए तो थोड़ी
सी दूरी कम होगी और धूप से भी बचा जा सकेगा. ये सोच कर
आनंद तार के बाड़े मे घुस गया और अपने छाता को मोड़ कर चलने लगा.
वो अभी थोरी दूर ही चला होगा की सामने बगीचा के रखवाले,
नरेन्द्रा, की झोपड़ी तक पहुँच गया. अनानद ने सोचा की वो नरेन्द्रा
के घर थोरी देर आराम कर पानी और छाछ पी कर अपने घर जाएगा.
आनंद सोचा रहा था की वो पहले नहर मे नहाएगा और पानी पिएगा.
आनंद जैसे ही नरेन्द्रा के झोपड़ी के पास पहुँचा तो उसे बर्तन
गिरने की आवाज़ सुनने मे आई. “अरे भाभी, साबधानी से काम कर, मेरे
बर्तनो को मत तोड़,” नरेन्द्रा की आवाज़ सुनाई दी. “माफ़ करना
नरेन्द्रा, बर्तन मेरे हाथ से फिसल गया,” एक औरत की आवाज़ सुनाई
दी. “ये तो बड़ी अजीब बात है,” आनंद. ने सोचा क्यूंकी नरेन्द्रा
की पत्नी का देहांत कई साल पहले हो चुक्का था. “अब ये औरत कौन
हो सकती है? आनंद सोचने लगा. आनंद बहुत उत्सुक हो गया कि ये
औरत नरेन्द्रा के घर मे कौन आई है. वो धीरे धीरे दबे पावं
नरेन्द्रा के घर की तरफ चल पड़ा. वो एक आम के छोटे से पेड के
पीछे जा कर खड़ा हो गया और वहा से नरेन्द्रा के घर मे झाँकने
लगा. उसने देखा की नरेन्द्रा अपने घर मे एक चबूतरे मे बैठ कर
अपने आप पंखा झल रहा है.
ओह! कितनी गर्मी है” ये कहते हुए एक औरत अंदर से बाहर आई.
आनंद उसको देख कर चौंक उठा. वो आनंद के खास दोस्त, अजीत” की
पत्नी थी और उसकी नाम आशा था. आनंद उनके घ्रर कई बार जा चुक्का
था. आशा एक बहुत ही सुंदर और एक सरीफ़ औरत है. आशा ने इस समय
सिर्फ़ एक साड़ी पहन रखी थी और उसके साथ ब्लाउस नही पहन
रखा था और अपनी छाती अपने पल्लू से छुपा रखी थी. पल्लू के
उप्पेर से आशा की चूंची साफ साफ दिख रही थी, क्योंकी साडी बहुत
ही महीन थी. आशा नरेन्द्रा के पास आकर बैठ गयी. आशा चबूतरे
के किनारे पर बैठी थी, उसकी एक टांग चबूतरे के नीचे लटक
रही थी और एक टांग उसने अपने नीचे मोड़ रखी थी. इस तरह
बैठने से उसकी साड़ी काफ़ी उप्पेर उठ चुकी थी और उसके चूतर
साफ साफ दिख रहे थे. “मेरे गोदी मे लेट जाओ नरेन्द्रा, मैं तुम्हे
पंखा से हवा कर देती हूँ. कम से कम आम के पेड़ के नीचे थोड़ा
बहुत ठंडा है” आशा बोली.
“इस तरफ की गर्मी कई साल के बाद पड़ी है,” नरेन्द्रा ने कहा और
आशा की गोदी ने अपना सर रख कर लेट गया, जैसे ही आशा पंखा
झलने लगी तो नरेन्द्रा ने उप्पेर की तरफ देखा तो आशा की चूंची को
अपने चहेरे के उप्पेर पाया. नरेन्द्रा अपने आप को रोक नही पाया और
साडी के उप्पेर से ही वो आशा की चूंची को धीरे धीरे दबाने
लगा. “अजीत बहुत किस्मत वाला है, उसे हर रोज इन सुंदर चूंचियों से
खेलने को मिलता है. अजीत इतनी सुंदर औरत को हर रात
चोद्ता है,” नरेन्द्रा बोल रहा था और आशा की चूंची को धीरे
धीरे दबा रहा था. “तुम अपने आप को और मुझको परेशान मत करो,
तुम अच्छी तरफ से जानते हो कि मुझको कितनी देर तक उसका लंड चूस
चूस कर खड़ा करना पड़ता है. फिर उसके बाद वो दो चार धक्के मार
कर झाड़ जाता है. अगर वो मुझको अच्छी तरफ से चोद पाता तो क्या मैं
तुम्हारे पास कभी आती? खैर अब मुझको कोई परेशानी नही है और
ना मुझको कोई शिकायत है.” इतना कहा कर आशा झुक कर नरेन्द्रा की
धोती के उप्पेर से उसका आधे खड़े लंड को उपर हाथ सेमसल्ने लगी.
ऐसा करने से आशा की चूंची अब नरेंद्र के मुँह के साथ रगड़ खाने
लगी नरेन्द्रा झट आशा की पतली साडी का पल्लू हटा कर
उसकी चूंची को अपने हाथों मे लेकर उनसे खेलने लगा. फिर नरेन्द्रा
आशा की दाँयी चूंची अपने मूह मे ले चूसने लगा और बाँयी
चूंची की मसल्ने लगा.
आनंद फटी फटी आँखो से देखने लगा की आशा की चूंचियाँ मीडियम साइज़
के पपीते के बराबर कड़ी और खड़ी थी. नरेन्द्रा अपने
दोनो हाथों से आशा की चूंची को संभाल नही पा रहा था. आनंद
जब जब अजीत के घर जाया करता था तब वो आशा की चूंचियों को अपने
कनखेओं से देखा करता था. लेकिन आनंद को यह उम्मीद नही थी की
आशा की चूंचियाँ इतनी बड़ी बड़ी और सुंदर होगी. आशा ने अपने हाथों
से नरेन्द्रा की धोती उतार कर उसका लंड बाहर निकाल लिया. फिर उसको
अपने होठों मे लेकर धीरे सहलाने लगी और फिर नरेन्द्रा के उपर
उल्टी लेट कर (69 पोज़िशन) नरेन्द्रा का लंड अपने मूह मे ले लिया.
नरेन्द्रा तबतक आशा की साडी उसके चूतर तक उठा चुका था और उसकी झांतों
भरी चूत को पूरी तरफ से नंगी कर दिया. आशा की गोरी गोरी
जघे बहुत सुडोल और सुंदर थी और उसकी चूतर भी भी गोल गोल थे.
नरेन्द्रा अब आशा की चूत की फांको को अपने हाथों से फैला कर उसकी
चूत को चाटने लगा. आनंद जहाँ खड़ा था उसको सब कुछ साफ साफ
दिख रहा था. अनद का लंड अब खड़ा हो चुक्का था, उसने अपने पैंट
की ज़िप खोल कर अपना 10″ का तननाया हुआ लंड बाहर निकाल कर अपने
हाथों से सहलाने लगा. आनंद ने देखा की आशा की चूत पर से
झांतो की चादर हटाने से चूत के अंदर का लाल लाल हिस्सा साफ साफ
दिख रहा था. नरेन्द्रा अपनी जीभ निकाल कर के आशा की चूत पर
फिराने लगा. आशा अपनी चूत पर नरेन्द्रा का जीभ लगते ही धीमे
धीमे आवाज़ निकालने लगी. आशा अपनी चूत नरेन्द्रा के मुँह पर
रगड़ने लगी और वो नरेन्द्रा का लॅंड इतने ज़ोर ज़ोर से चूसने लगीकी
आनंद को बाहर से उसकी आवाज़ सुनाई देने लगी.
ऊन्दोनो ने अपनी पोज़िशन बदल ली और अब नरेन्द्रा के उप्पेर आशा
पूरी मस्ती से बैठी थी और अपनी चूत नरेन्द्रा से चुस्वा रही
थी. इस समय आशा की चूंची बहुत ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी और
उन चूंचियों को नरेन्द्रा अपने दोनो हाथो से पकड़ कर मसल रहा था.
इस समय आशा अपने मूह से तरफ तरफ की आवाज़ निकाल रही थी. आनंद
ने यह सब देख कर अपने हाथों से अपना लंड ज़ोर ज़ोर से मलने लगा.
एका एक आशा चबूतरे से नीचे उतार. . नीचे उतरते ही उसकी
साडी जो कि बहुत ढीली हो चुकी थी आशा की बदन से फिसल कर
नीचे गिर पड़ी और वो पूरी तरफ से नंगी हो गयी. आनंद अब आशा
के गोल गोल चूतरो को साफ साफ देख रहा था और उनको पकर कर मसल्ने
के लिए बेताब हो रहा था. अब आशा चबूतरे को हाथों से पकड़ कर
झुक कर खड़ी हो गयी और अपने पैर फैला दिए. नरेन्द्रा ने आशा
के पीछे जा कर अपना मूसल जैसा खड़ा लंड आशा की चूत मे घुसेड
दिया और ज़ोर ज़ोर से आशा को पीछे से चोदने लगा. इस समय नरेन्द्रा
और आशा दो नो ही गर्म हो चुके थे और दोनो एक दूसरे को ज़ोर ज़ोर से
चोद रहे थे. आनंद भी ये सब देख कर ज़ोर ज़ोर अपने हाथों से मूठ
मारने लगा. जल्दी ही अनद का पानी निकल गया और उधर नरेन्द्रा और
आशा दोनो एक दूसरे को ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे और बॅड बड़ा रहे
थे. आनंद अब अपने छुपने की जगह से निकल कर चुप चाप दूसरे
रास्ते से अपने घर की तरफ चल पड़ा और उधर नरेन्द्रा और आशा
दोनो झाड़ चुके थे.
उस दिन शाम को आनंद अपने दोस्त अजीत के घर गया और अजीत से गपशप
करने लगा. उसने आशा को अपने कनखेओं से देखा और उसके दिमाग़ मे उस
दिन दोपहर की घटना फिर से घूम गयी. आनन्द को इस समय आशा का
भरा भरा बदन बहुत ही अच्छा लग रहा था और वो उस बदन को अपनी
वासना भरी आँखो से नाप तोल; रहा था. आशा को इस सब बातों का एहसास
नही था और वो भी आनंद से पहले जैसी बातें कर रही थी. आनद
को अपने आप को रोक पाना मुश्किल हो रहा था और वो एक बहाने के साथ
अजीत के घर से उठ कर अपने घर की तरफ चल पड़ा. अपने घर आकर
अकेले मे भी उसका दिमाग़ शांत नही हुआ. वो सोच रह था की कैसे वो
आशा को अपने बाहों मे भर कर चोदेगा. उसके दिमाग़ मे अब एक ही बात
घूम रहा थी की कैसे वो आशा को अपना बनाएगा, चाहे हमेशा के
लिए या फिर चाहे एक बार के लिए. उसको आशा की चूत मे अपना लंड
पेलने की ख्वाइश थी. वो अपने दोस्त की नकाबलियत जान चुक्का था और
रात भर आशा के बारे मे सोचता रहा. इस समय आनंद सिर्फ़ आशा की चूत
चाहता था. आख़िर कार वो थक कर चुप चाप सो गया औरसूबह जब
उसकी आँख खुली तब धूप आसमान पर चढ़ चुकी थी. वो अपने नित्या
क्रिया पर जुट गया.
उस दिन रविबार था. आनंद के दिमाग़ मे अब आशा ही आशा थी और वो
सोच रहा था की कैसे वो आशा को अपने जाल मे फँसाएगा. आनद अपनी
सुबह की सैर पर निकल पड़ा. चलते चलते, आनद अंजाने मे आशा के
आम के बगीचे की तरफ निकल पड़ा. वो आशा के आम के बगीचे मे घुस
कर नरेन्द्रा के झोपड़ी की तरफ चल पड़ा. आनंद जब नरेन्द्रा की
झोपड़ी के पास पहुँचा तो उसको आशा की आवाज़ सुनाई दी. आनद ने झट
अपने आप को एक आम के पेड के पीछे छुपा लिया और छुप कर देखने
लगा. उसने देखा की नरेन्द्रा अपने आप को एक तौलिया मे लप्पेट कर
कुछ कपरे और साबुन लिए नहर की तरफ जा रहा है और आशा उसके
पीछे पीछे चल रही है. जैसे वी लोग आनंद के सामने निकल कर
नहर की तरफ मूड गये, आनंद भी अपने छुपने के जगह से निकल कर
नहर के किनारे जा कर छुप गया और उनकी क्रिया कलाप देखने लगा.
आशा ने नहर पर आ कर नरेन्द्रा से उसके कपड़े लिए और घुटने तक पानी
मे अपनी साडी को उठा कर घुस गयी और नरेन्द्रा के कपड़े नहर के
पानी मे धोने लगी. आशा इस्सामय घुटने तक पानी मे थी और उसने
अपनी साडी को काफ़ी उप्पेर उठा रखी थी और इस इस समय उसकी गोरी
गोरी जाँघ काफ़ी उपेर तक दिख रही थी. नरेन्द्रा नहर किनारे एक
पठार बैठा बैठा आशा को देख रहा था और उसका तौलिया उसके
गुप्तन्ग के पास उठ कर एक तंबू की तरफ ताना हुआ था. कापरे. धोने
के बाद आशा ने नरेन्द्रा को आवाज़ दी, “नरेन्द्रा ई. आओ, मैं
तुम्हारे पीठ पर साबुन लगा देती हूँ.” नरेन्द्रा अपने तौलिया को
तंबू बनाए नहर के पानी मे घुस कर आशा के पास आ गया . आशा ने तौलिया के
तंबू को देख कर उस पर हाथ लगाया और नरेन्द्रा के तौलिया को
खींच कर निकाल दिया. अब नरेन्द्रा बिल्कुल नंगा खड़ा था और उसका
खड़ा हुआ लंड आशा की तरफ था. आशा ने बड़े प्यार से नरेन्द्रा का
खड़ा हुआ लंड अपने हाथों मे लेकर सहलाया. फिर आशा ने नरेन्द्रा
को धीरे से पानी मे धकेल दिया. पानी मे धकेल ने से नरेन्द्रा तीन-
चार डुबकी लगा कर फिर से पत्थर पर जा कर खड़ा हो गया. आशा
उसके पीछे पीछे जा कर नरेन्द्रा के पास खड़ी हो गयी. नरेन्द्रा
पत्थर पर नगा ही बैठ गया. आशा नरेन्द्रा के सिर और पीठ पर
साबुन लगा कर रगड़ने लगी. नरेन्द्रा खड़ा हो गया. आशा तब
नरेन्द्रा के छाती और पेट पर साबुन लगा. लगी. वो नरेन्द्रा के
पेट के पास रुक गयी. नरेन्द्रा का खड़ा लंड आशा के लिए बहुत
लुववाना. था. लेकिन इस समय आशा कुछ करने की मूड मे नही थी,
क्योंकि, थोड़ी देर पहले ही नरेन्द्रा उसकी चूत मे अपना लंड पेल कर
आशा को रगड़ कर चोद चुक्का था.
“क्या तुम्हारा हथियार कभी सुस्त नही पड़ता?” आशा ने मुस्कुरा कर
नरेन्द्रा से पूछा. “कैसे सुस्त रह सकता है जब तुम पास मे हो?”
नरेन्द्रा ने जवाब दिया. “तुम्हे इसकी मदद करनी चाहिए” नरेन्द्रा ने
कहा. तब आशा बोली, “ज़रूर, मैं भी अपने आप को रोक नही पा रही
हूँ?” इसके बाद आशा ने नरेन्द्रा के खड़े लंड को झुक कर अपने मुँह
मे भर लिया और अपनी आँख बंद करके उसको चूसने लगी. थोरी देर के बाद
आशा ने नरेन्द्रा के चूतर को पाकर कर अपनी मुँह उठा उठा कर उसके
लंड कोबड़े चाब से ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. नरेन्द्रा ने अपनी कमर आगे
की तरफ झुका कर के अपनी आँख बंद करके बड़े आराम से अपना तननाया
हुआ लंड आशा की मुँह के अंदर पेलने लगा. नरेन्द्रा थोरी देर के बाद
आशा के सिर को अपने हाथों से पकड़ कर आशा के मुँह मे लंड पेल रहा
था. आनंद अपनी फटी फटी आँखों से यह सब कुछ देख रहा था. आशा
ज़ोर ज़ोर से नरेन्द्रा का चूस रही थी और थोड़ी देर के बाद नरेंद्रा
ने अपना पानी आशा की मुँह मे ही छोड़ दिया. आशा ने नरेन्द्रा का पानी
इतमीनान के साथ पी गयी और उसका लंड धीरे धीरे अपनी जीभ से
चाट कर साफ कर दिया. फिर आशा नहर मे गयी और नहर के पानी से
अपना मुँह धो लिया.
नरेंद्र और आशा फिरसे नहा लिए और नहाने के बाद आशा नरेंद्र से बोली कि मुझे अब घर जाना है. घर पर बहुत से काम बाकी है. ये सुन कर आनद अपनी जगह से निकल कर फिर से आम के बगीचे मे चला गया. वो आशा का इन्तिजार करने लगा. उसको आशा से बात करनी थी, क्योंकी आशा से बात करने का ये सही समय था. थोड़ी देर के बाद आशा उसी रास्ते से धीरे धीरे चल कर आई. आनंद आम के पेड़ के पीछे से निकल कर आशा के सामने आकर खड़ा हो गया. “आनंद भाई शहाब, आप यहाँ क्या कर रहे है?” आशा ने रुक रुक कर आनद से पूछा. आशा को डर था की कहीं आनंद ने सब कुछ देख तो नही लिया. आनद बोला, “मैं तो नरेंद्र के पास जा रहा था लेकिन मैने तुम को उसके साथ देखा. तुम उसके साथ काफ़ी बिज़ी थी और इसीलिए मैने तुम दोनो को परेशान नही किया.” “आपने सब कुछ देखा?” आशा ने आनंद से पूछा और उसकी चहेरा शरम से लाल हो गया. आशा ने अपना सिर झुका लिया. आनंद तब आशा से बोला, “तुम्हे मालूम है अगर मैं सब कुछ अजीत से बोल दूं तो तुम्हारा क्या हाल होगा?” “भाई शहाब, प्लीज़ मेरे पति को कुछ मत कहिए, मैं अब फिर से ये सब काम नही करूँगी” “प्लीज़ किसी से भी कुछ मत कहिए मैं आप को जो भी चीज़ माँगेंगे दूँगी” आशा आनंद केसामने गिड-गिडाने लगी. “तुम मुझे क्या दे सकती हो?” आनंद ने मौका देख कर आशा से पूछा. “कुछ भी, आप जो भी मगेंगे मैं देने के लिए तयार हूँ,” आशा बिना कुछ सोचे समझे आनंद से बोली “ठीक है, तुम मेरे साथ आओ. मुझे तुम्हारी बहुत ज़रूरत है! मैने तुमको नरेंद्र के साथ कल दोपहर और आज सुबह देख कर बुरी तरह से परेशान हो गया हूँ. मैं इस समय तुमको जम कर चोदना चाहता हूँ,” आनंद ने आशा से कहा. “ये कैसे हो सकता है, मैं तो तुम्हारे अच्छे दोस्त की बीवी हूँ” आशा ने विरोध किया. “तुम मेरे लिए एक भाई समान हो, तुम मेरे साथ ये सब गंदे काम कैसे कर सकते हो” आशा ने आनंद से कहा. “तुम अपने वादे के खिलाफ नही जा सकती हो, अगर तुम मेरे साथ नही चलती तो मैं ये सब बात अजीत को बता दूँगा” आनंद ने आशा को य्र कहा कर धमकाया. आशा चुप चाप आनंद की बात सुनती रही और फिर एक ठंडी सांस लेकर बोली, “ठीक है, जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करूँगी,” वो जानती थी कि आनँदके साथ चुदाई की बात अजीत को नही मालूम चलेगी, लेकिन अगर उसको नरेंद्र के साथ रोज रोज की चुदाई की बात मालूम चल गयी तो वो उसकी खाल उधेर देगा. “ठीक है, लेकिन बस सिर्फ़ आज जो करना है कर लो,” आशा ने आनंद से कहा. आनंद ये सुन कर मुस्कुरा दिया और आशा को एक सुन सान जगह पर ले गया. ये जगह आम की बगीचे से दूर थी और रास्ते से भी बहुत दूर, यहाँ पर किसी के भी आने की गुंजाइश नही थी. आनंद सुन सान जगह पर पहुँच कर अपनी धोती उतार कर ज़मीन पर बिछा दिया. उसका लंड इस्सामय अंडरवेर के अंदर धीरे धीरे खरा हो रहा था. उसने आशा से कोई बात ना करते हुए उसको अपनी बाहों मे भर लिया और आशा को चूमने लगा. आशा ने भी मन मार कर अपना मुँह आनंद के लिए खोल दिया जिससे कि आनंद अपनी जीव उसके मुह के अंदर डाल सके. जैसे आनंद, आशा को चूमने और चाटने लगा, आशा भी धीरे धीरे गरमा कर आनंद को चूमने लगी. आशा को अपनी जाँघो के उप्पेर आनंद का खड़ा लंड महसूस होने लगा. आनंद ने आशा की साड़ी खोल दी और अब आशा अपने ब्लाउस और पेटिकोट मे थी. आनंद ने अपना मुँह आशा की चूंची के उपेर रख कर उसकी चूंची को ब्लाउस के उप्पेर से ही चूमने और चाटने लगा. फिर आशा को आनंद ने नीचे अपनी धोती पर बैठा दिया और खुद भी उसके पास बैठ गया. अब तक आनंद का लंड काफ़ी तन चुक्का था और वो उसके अंडरवेर को तंबू बना चुक्का था. ये देख कर आशा की आँखें चमक उठी. उसने अंडरवेर के उप्पेर से ही आनंद का लंड पकड़ लिया और अपने हाथों मे लेकर उसकी लुम्बाइ और मोटाई नापने ल्गी. “अरे वह, तुम्हारा लंड बहुत तगड़ा है, है ना?” आशा खुशी से बोल पड़ी और आनंद का लंड धीरे धीरे अंडरवेर से निकालने लगी. आशा ने जब आनंद का 10″ लंबा लंड देखा तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी. आनंद अपना अंडरवेर और शर्ट उतार कर आशा के सामने पूरी तरह से नंगा हो गया. आशा ने आनंद के लंड को अपने हाथों मे लेकर खिलोने की तरह खेलने लगी. आशा अपना चहेरा आनंद के लंड के पास लाकर उस लंड को घूर घूर कर देखने लगी और उसपर हाथ फेरने लगी. आशा को आनंद के लंड का लाल लाल और फूला हुआ सुपरा बड़ा प्यारा लग रहा था और बहुत असचर्या हो रहा था. वो बोली, “मैने अब तक इतना लंबा लंड और इतना बड़ा सुपरा नही देखा है.” आशा आनंद के लंड के उस सुपरे को धीरे से अपने मुँह मे ले कर चूमने और चूसने लगी. फिर वो उसको अपने मुँह से निकाल देखने लगी और अपनी जीव से उसके छेद तो चाटने लगी. आनंद को अपने लंड पर आशा की जीव की बहुत सुखद अनुभूति हो रही थी. अब आनंद उठ कर बैठ गया और आशा के ब्लाउस और पेटिकोट खोलने लगा. इस समय आनंद आशा को नगी देखना चाहता था और उसके चूंची से खेलना चाहता था. आशा के ब्लाउस खुलते ही उसकी बड़ी बड़ी चूंची बाहर आ गयी और उनको देखते ही आनंद उन पर टूट पड़ा. आनंद को आशा की चूंची बहुत सुंदर दिख रही थी. “तुम्हे ये पसंद है? ये अच्छे है ना? पास आओ और इनको पकडो, शरमाओ मत.” आशा ने अपने चूंची को एक हाथ से पकड़ कर आनंद को भेंट करते हुए दूसरे हाथ से उसका लंड मुठियाने लगी. आनंद पहले तो थोड़ा हिचकिचाया और फिर हिम्मत करके उन नंगी चूचियों पर अपना हाथ रखे. उसे उनको छूने के बाद बहुत गरम और नरम लगा. आनंद उन चूचियों को दोनो हाथों से पकड़ कर मसल्ने लगा, जैसे की कोई आटा गुथता है. वो जितना उनको मसल्ता था आशा उतनी ही उत्तेजित हो रही थी. आशा की निपल उत्तेजना से खड़ी हो गयी और करीब एक इंच के बराबर तन कर खड़ी हो गयी. आनंद अपने आप को रोक नही पाया. उसने निपल को अपने होठों के बिच ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगा. आशा अब ज़मीन पर लेट गयी और आनंद को अपने हाथों मे बाँध कर के अपने उपेर खींच लिया. आनद ने आशा का पेटिकोट कमर तक उठा दिया और उसकी झटों भरी चूत पर अपना हाथ फेरने लगा. अनद ने पाया कि आशा की चूत बहुत गीली हो गयी है और उसमे से काम रस छू छू कर बाहर निकल रहा है. आनद ने पहले अपनी एक उंगली और फिर दो उंगली आशा की गरम चूत के अंदर डाल दी. आनंद अपने अंगूठे से आशा की चूत की घुंडी को सहलाने लगा. आशा बहुत गरमा गयी थी. आशा ने अपनी दोनो पैर चिपका लिए और अपनी सुडोल और चिकने जांघों के बीच आनंद का हाथ दबा लिया. आशा ने अपनी दूसरी चूंची को पकड़ कर आनंद से उसको चूसने के लिए कहा और आनंद ने आशा की बात मानते हुए उसकी दूसरी चूंची को अपने हाथों मे लेकर चूसने लगा. हालंकी ये लोग पेड़ के साए के नीचे थे फिर भी जवानी की गर्मी से पसीने निकल रहा था. आनंद ने धीरे से आशा के पेटिकोट का नडा खींच कर खोल दिया और उसको आशा के शरीर से निकाल दिया.
आनद को आशा का नगा जिस्म बहुत पसंद आया और वो उस नगे जिस्म को घूर घूर कर देखता रहा. आशा की नगा जिस्म देख कर आनंद को लगा कि उसका बदन भरा भरा है लेकिन उसका बदन बहुत सुडोल और गाथा हुआ है. आनद ने आशा की जाँघो को खोल कर घुटने मोड़ दिए और वो खुद उनके बीच आ गया. आशा ने अपनी जाँघो को पूरा का पूरा फैला दिया जिससे कि आनंद उनके बीच बैठ सके. आशा ने आनंद के खड़े हुए लंड को अपने हाथों मे पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर लगा दिया. “आनंद भाई शहाब, ज़रा धीरे धीरे करना, मुझे आपका गधे जैसे लंड से डर लग रहा है. मैने आज तक इतना बड़ा लंड अपनी चूत के अंदर नही लिया है.” फिर आशा अपने चूतर उछाल कर आनंद का लंड अपनी चूत लेने की कोशिश करने लगी. थोड़ी देर के बाद आशा को अपनी चूत के दरवाजे पर आनंद का सुपरा का स्पर्श महसूस हुआ. आशा ने तब अपने आप को ज़मीन पर बिछा दिया और आनंद का मोटा ताज़ा लंड अपनी चूत मे घुसने का इन्तिजर करने लगी. आनंद ने अपने चूतर उठा कर एक ज़ोर दार झटका मारा और उसका आधा लंड आशा की चूत मे समा गया. आनंद ने तब दो मिनिट रुक कर एक और झटका मारा और उसका पूरा पूरा 10″ लंबा लंड आशा की चूत की गहराई मे घुस गया. आशा अपनी चूत मे आनंद के लंड की लंबाई और मोटाई महसूस कर रही थी और नरेंद्र और अजीत के छोटे लंड से फ़र्क का अंदाज़ा लगा रही थी. आशा को लग रहा था कि उसकी चूत आनंद का लंड घुसने से दो फांको मे फॅट रही है. उसको आनंद का लंड अपने बच्चेदानि मे घुसने का अहसास हो रहा था और आनंद का हर धक्का उसकी शरीर को मदहोश कर रहा था. आशा को अबतक अपनी चूत की चुदाई मे इतना मज़ा कभी नही मिला था. वो आनंद के हर धक्के के जवाब अपने चूतर उछाल कर दे रही थी. “क्यों आनंद क्या तुम्हारा लंड पूरा का पूरा मेरी चूत मे समा गया?” आनंद आशा किचूत मे अपन लंड पेलता हुआ बोला, “हाँ, तुम्हारी चूत मे लंड पेलने का मज़ा ही कुछ और है. मुँझे तुम्हारी चूत चोदने मे बहुत मज़ा आ रहा है.” आनद ने अपना लंड आशा की चूत मे जड़ तक घुसेड कर आशा को धीरे धीरे चोदने लगा. आनंद को आशा की चूत की गर्मी और रसिल्ला अंदाज बहुत अक्च्छा लग रहा था. आनंद को आशा के चूतर के दोनो तरफ अपने हाथ रख कर उसकी चूत मे अपना लंड को घुसते और निकलते देख कर बहुत अक्च्छा लगा और वो मारे उत्तेजना के आशा की दोनो चूंची को पकड़ मसल्ने लगा. दोनो चुदाई मे मस्गुल थे और दोनो एक दूसरे के लंड और चूत को खनका रहे थे. इस समय दोनो एक दूसरे को कमर चला चला कर धक्का मार रहे थे और आनंद का लंड आशा की चूत को बुरी तरह चोद रहा था. दोनो इस समय पसीने से नहा चुके थे पर फिर भी किसी को होश नही था. आशा ने अपनी चूत उछालते हुए आनद को अपनी बाँहो मे बाँध लिया और बोलने लगी “आनद जी और ज़ोर से चोदो, आज फार दो मेरी छूट अपने मोटे लंड के धक्के से, बहुत मज़ा आ रहा है, और छोड़ो, रुकना मत बस छोड़ते रहो, बस ज़ोर ज़ोर से मेरी छूट मे अपना लंड डालते रहो.” आनंद ने छोड़ने का रफ़्तार बरहा दिया. वो भी इस समय झड़ने के कगार पर था. आनंद ये सोच कर कि वो आशा की गुलाबी रसिल्ले चूत मे अपना लंड पेल रहा है बहुत उत्तेजित हो गया. आनद मारे गर्मी की आशा की चूत मे अपना लंड ज़ोर ज़ोर से पेल रहा था और बॅडबड़ा था, “है, आशा तेरी चूत तो मक्खन के समान चिकना है, तेरी चूत को चोद कर मेरा लंड धन्य हो गया है, अब मैं रोज तेरी चूत मारूँगा, लगता है तुझको भी मेरा लंड पसंद है, क्या तू मुझसे रोज अपनी चूत चुदवायेगी?” आशा भी अपनी कमर चलाते हुए आनद को चूम कर बोली, “हाई मेरे राजा, तुम्हारा लंड तो लाखों मे एक है, तुम्हारा लंड खा कर मेरी चूत के भाग्य खुल गये है, अब मैं रोज तुमसे अपनी चूत मे तुम्हारे प्यारे प्यारे लंड कोपिल्वौन्गी.” थोड़ी देर इस तरह चुदाई करते हुए आनद ने अपना वीर्य आशा की चूत मे छोड़ दिया और आशा के उपरलेट कर हाँफने लगा. थोड़ी देर के बादआनंद हाँफ़ते हुए आशा की बगल मे लेट गया. “आनंद भाई शहाब आप वाकई बहुत अक्च्छा चोदते हैं. मुझको अगर ये बात पहले ही मालूम होती कि आप के दिल मे भी मेरे लिए प्यार है तो मैं नरेंद्र के पास जा कर उससे कभी अपनी चूत ना चुद्वाती. मुझको अगर पहले से पता चलता कि आपका लंड इतना बड़ा और मज़बूत है तो बहुत पहले ही आपको अपनी बाहों मे बाँध लेती,” आशा आनंद से बोली. “अब मेरी चूत तुम्हारे लंड को चख चुकी है, पता नही अब उसको और कोई लंड पसंद आएगा कि नही. अब शायद मेरी चूत को नरेंद्र का लंड भी पसंद ना आए” आनद ने आशा को अपने हाथों मे बाँध कर अपने बगल मे बैठा दिया और उससे बोला, “आशा आज से ये लंड तुम्हारे चूत का गुलाम हो गया है, तुम्हे जब इसकी ज़रूरत हो तुम मुझे बुला लेना मैं और मेरा लंड हमेशा तुम्हारी सेवा के लिए तयार रहेगा.” उस दिन शाम को आनद अपने दोस्त अजीत के घर गया और दोनो नीम के पेड़ नीचे बैठ कर मिल कर इधर उधर की बातें करने लगे. आशा अपने घर के काम काज मे ब्यस्त थी और चोरी चोरी आनंद को देख रही थी. जैसे शाम होने लगी आनंद अजीत से बोला कि मैं चलता हूँ और अपने घर की तरफ चल पड़ा. आशा अपने घर के गेट के पास आनंद के लिए इंतेजार कर रही थी. जैसेही आनंद पास आया आशा धीरे से बोली, “आनंद आज रात को 10.00 बजे मेरे घर पर आना, पिछला दरवाजा खुला रहेगा और मैं तुम्हारा इन्तिजार करूँगी” और आशा अपने घर चली गयी. आनंद को आशा की बहादुरी पर ताज्जुब हुआ. उसको इसमे खतरा लगने लगा, लेकिन ये सोच करके कि आज रात वो फिर आशा को चोद पाएगा वो बहुत खुश हुआ और रात को आशा केघर जाने का निस्चय कर लिया. वो अपने घर गया और नहा धो कर एक साफ सुथरी धोती और कमीज़ पहन कर करीब 10.00 बजे रात को आशा के घर के पिछवाड़े पहुँच गया. आनंद वहाँ इन्तिजार करने लगा. उसको वहाँ कोई नही दिखा. अंदर एक माटी के तेल का दिया जल रहा था और पिछवाड़े का दरवाजा आधा खुला था लेकिन अंदर से कोई आवाज़ नही सुनाई पड़ रही थी. “आनंद भाई शहाब अंदर आ जाइए,” आनद को आशा की दबी जवान सुनाई दी. आशा अंदर से निकल कर आई वो आनंद को अपने साथ अंदर एक दूसरे कमरे ले गयी. दूसरे कमरे मे ज़मीन पर बहुत साफ सुथरा बिस्तर लगा हुआ था और उसपर दो तकिया भी लगे हुए थे. आनंद ने अपने दोस्त अजीत के बारे मे पूछा. “वो जल्दी सो जाता है और वो जब सोता है तो भूकंप भी उसको जगा नही पाता, मगर फिर भी हम लोगों को चुप चाप रहना चाहिए,” आशा धीरे से आनंद से बोली. फिर आशा माटी के तेल वाला दिया कमरे ले आई और धीरे से दरवाजा बंद कर दिया. आशा आनंद के पास आई और उसको अपने बाहों मे बाँधते हुए बोली, “आज सुबह हम लोगों ने जो कुछ भी किया जल्दी मे किया, फिर भी मुझे बहुत मज़ा आया. अब हम चाहते हैं कि हम तुमसे फिर से वही मज़ा लूटे और तुम मुझे रात भर धीरे धीरे चोदो, क्यों चोदोगे ना?” आनंद ने अपना सर हिला कर हामी भरी और बोला, “मैं भी तुम्हे पूराका पूरा चखना चाहता हूँ, सुबह जो भी हुआ वो बहुत जल्दी जल्दी हुआ”. आनंद ने आशा अपने पास खींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा. उसने आशा के होंठो पर चुम्मा दिया और उसकी ब्लाउस के बटन खोलने लगा. आनंद ने आशा की ब्लाउस और ब्रा उतार कर उसकी साड़ी उतरना शुरू कर दिया. आशा चुप चाप खड़ी हो कर अपनी साड़ी उतरवाने लगी. आनद ने आशा के पेटिकोट का नडा भी खोल दिया और आशा का पेटिकोट उतर कर उसके पैरों का पास गिर गया. अब आशा पूरी तरह से आनंद के सामने नंगी खड़ी थी. आनंद ने तब एक कदम पीछे हाथ कर आशा का नगञा रूप देखने लगा. हालंकी आशा का बदन भरा पूरा था, लेकिन उसका शरीर बहुत ही ठोस था. आशा की चूंची बड़ी बड़ी थी लेकिन लटकी नही थी. चूंची की निपल करीब 1″ लंबी थी और काली थी. . अनद तब धीरे धीरे चल कर आशा के ओईचे गया और आशा के गोल गोल शानदार भारी भारी चूतर और आशा की शानदार जांघों को देखने लगा. “तुम बहुत ही सुंदर हो,” आनद ने फिर से आशा अपने पास खींच लिया और उसको अपनी बाहों मे भर कर चूमने लगा. अब तक आनंद का लंड खड़ा हो चुक्का था और अपने लिए आशा की चूत को चाह रहा था. आशा ने आनंद की बाहों मे खड़े खड़े ही अपनी चूत को आनंद के लंड पर मलने लगी.