मेरा नाम मयंक है
मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मैं दिखने में गोरा हूँ, मेरा बदन दिखने में बिल्कुल लड़कियों जैसा है.
मेरी 28 इंच की पतली कमर मस्त लहराती है और उसके नीचे मेरे गोरे गोरे चूतड़ किसी मजबूत लंड की तलाश में रहते हैं.
मेरे घर में मैं, मेरी मॉम डैड रहते हैं. पापा बिजनेस की वजह से ज़्यादातर बाहर ही रहते हैं. मैं और मॉम अकेले रहते हैं.
एक दिन मेरी मॉम के पास उनकी बहन का कॉल आया और उन्होंने बताया कि उनके घर प्रोग्राम है.
मेरी मॉम ने किसी वजह से खुद के आने से मना कर दिया और मुझे जाने को कहा.
मैं भी मान गया.
अगले ही दिन मैं आनन्द विहार बस स्टॉप के लिए निकल गया.
मैं आनन्द विहार पहुँच कर अपनी बस में बैठ गया.
मेरी सीट सबसे पीछे वाली थी.
मैं अपनी सीट पर जाकर बैठ गया.
बस भी 5 मिनट बाद चल पड़ी.
मैं अपने फोन में अन्तर्वासना में एक गे सेक्स स्टोरी पढ़ने लगा.
करीब आधे घंटे बाद बस एक जगह रुकी और वहां से कुछ लोग बस में चढ़ गए.
मेरे पास एक अंकल, जिनकी उम्र करीब 45-50 के करीब थी, वे मेरी सीट के साइड वाली सीट पर आकर बैठ गए.
सबके चढ़ने के बाद बस चलना शुरू हुई.
मैं बैठा बैठा अपना फोन चला रहा था.
तभी उन अंकल ने मुझसे पूछा- बेटा कहां जा रहे हो?
मैंने उन्हें बताया और उनसे पूछा कि आप कहां जा रहे हैं?
तो उन्होंने मुझे बताया.
ऐसे ही हमारी बातें होती रहीं.
शाम का टाइम था, बस हाइवे पर चल रही थी और ठंड बहुत बढ़ गयी थी.
मैंने अपना बैग खोला तो देखा कि मैं चादर लाना भूल गया था.
मैं बस में बैठे बैठे ठंड में काँपने लगा था.
तो अंकल ने मुझे देख कर कहा- बेटा मेरी चादर में आ जाओ.
मैं तुरंत अंकल के साथ उनकी चादर में घुस गया.
अब हम दोनों बैठे बैठे ऐसे ही बात कर रहे थे.
तभी मुझे उनका हाथ अपनी जांघ पर महसूस हुआ.
उस वक्त मैंने लोवर और शर्ट के ऊपर जैकेट पहनी हुई थी.
अंकल के हाथ रखने पर मैंने उनसे कुछ नहीं कहा.
अंकल यह देख थोड़ा आगे बढ़े और उन्होंने मेरी जांघ को सहलाना शुरू कर दिया.
सच कहूँ तो मुझे भी उनका ऐसा करना अच्छा लग रहा था.
वे लगातार मेरी जांघ सहला रहे थे.
तभी बस रुक गई और कन्डक्टर ने बोला- जिसको जो खाना पीना है या फ्रेश होना है, यहां कर लो … इसके बाद बस नहीं रुकेगी.
मैं बस से उतर गया और मेरे पीछे पीछे वे अंकल भी उतर आए.
मैंने जाकर चाय पी ओर मैगी खाई.
उसके बाद मुझे वॉशरूम जाने की जरूरत लग रही थी तो मैं वॉशरूम में आ गया.
वहां देखा तो उधर अंकल पहले से ही खड़े थे और पेशाब कर रहे थे.
मैं उनके बाजू में खड़ा होकर पेशाब करने लगा.
पेशाब करते करते मेरी नज़र उनके लंड पर गयी.
उफ्फ़ दोस्तो … इतनी बड़ी उम्र में भी उनका लंड एकदम टाइट था और बहुत लंबा था.
मेरी तो मानो नज़र ही नहीं हट रही थी.
अंकल ने भी मुझे अपना लंड घूरते हुए देख लिया था.
उन्होंने मुझे देख कर स्माइल की तो मैंने भी स्माइल कर दी.
इतने में हमारी बस का हॉर्न बजा, तो हम दोनों जल्दी से बस में आ गए.
हम दोनों अपनी अपनी सीट पर बैठ कर वापिस एक चादर में आ गए.
उसी वक्त मेरे फ़ोन पर मॉम का कॉल आने लगा तो मैंने अपनी मॉम से बात की और फोन चलाने लगा.
थोड़ी देर बाद अंकल ने कहा- दिल्ली में तो ठंड काफ़ी हो गयी है!
मैंने ‘जी बहुत …’ कह कर उन्हें जवाब दिया.
हम दोनों ऐसे ही बातें करने लगे.
इधर उधर की बातें करते करते अंकल ने फिर वही किया; उन्होंने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया और सहलाने लगे.
मैंने फोन में टाइम देखा तो रात के दस बज चुके थे.
थोड़ी देर में ही बस की लाइट्स ऑफ हो गईं.
अंकल में मुझसे कहा- अच्छे से चादर ओढ़ लो.
हम दोनों बिल्कुल सट कर बैठे थे और बातें कर रहे थे.
अंकल नॉन स्टॉप मेरी जांघ को सहला रहे थे.
उनके ऐसा करने से मैं धीरे धीरे गर्म होने लगा था.
तभी अचानक अंकल ने चादर के अन्दर से मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया.
दोस्तो, मैं तो एकदम से शॉक रह गया.
अंकल ने अन्दर से अपना लंड बाहर निकाल रखा था. लंड पर हाथ रखते ही वे मुझे देख कर मुस्कुरा दिए.
ठंड बहुत थी तो मैं भी बिना कुछ बोले उनके लंड को सहलाने लगा.
धीरे धीरे उनका लंड पूरा आकार में आ गया.
तभी अंकल चादर के अन्दर घुस गए और मेरी जैकेट खोल कर मेरी शर्ट को उठा कर मेरे निप्पल को चूसने लगे.
मुझे उनके ऐसा करने से मज़ा आने लगा.
मैं उनके लंड को सहलाता हुआ दूसरे हाथ से उनके बालों को सहलाने लगा.
तभी अंकल ने मेरे निप्पल पर दांतों से प्यार से काटना शुरू कर दिया, जिससे मेरी कामुक आवाजें निकलने लगीं ‘सस्शह म्म्म्म म आहह अंकल उफ्फ़.’
अंकल ने दस मिनट तक मेरे निप्पलों को चूसा.
मैं आप लोगों को एक बात बताना भूल गया कि मेरा एक दूध कुछ ज्यादा ही बड़ा व मोटा है, लड़कियों जैसा.
उसको देख कर अंकल पागल हो गए थे और उसी को चूसे जा रहे थे.
कुछ मिनट बाद अंकल ने मुझे भी चादर के अन्दर ले लिया ओर मेरे होंठों को चूसने लगे.
मैं उनका साथ देने लगा.
हम दोनों पूरे मदहोश होकर किस करने लगे ‘उम्म उम्म आह उम्म…’
फिर अंकल रुक कर बैठ गए और मुझे अन्दर घुसा कर मेरा सिर नीचे ले जाने लगे.
मैं समझ गया था कि अंकल क्या चाहते हैं, तो मैं भी नीचे जाने लगा.
नीचे को होकर मैं उनके लंड को मुँह में भर कर चूसने लगा.
उफ्फ़ बहुत ही मोटा लंड था अंकल का …
मैं उनके लंड को लगातार चूसता चला गया और अंकल आह आह करते हुए अपने बदन को अकड़ाते गए.
करीब दस मिनट बाद अंकल जोर से मेरा सिर अन्दर दबाते हुए ‘आहह आह आअ आह.’ करने लगे.
मैं समझ गया और उनके लंड को और जोर जोर से चूसने लगा.
बस एक मिनट बाद ही अंकल मेरे मुँह में झड़ने लगे.
मैं भी उनके लंड से निकला सारा माल पी गया.
अंकल मस्त हो गए और हम दोनों अपने अपने काम में उसी मुद्रा में बने रहे.
उनका लंड मुरझाने लगा था पर मैं अभी भी उसे अपने मुँह में लिए चूस रहा था.
जबकि अंकल ने अपना हाथ मेरे दूध पर लगा दिया और वे मेरे दूध को मसलते हुए सहला रहे थे.
कुछ ही देर में लंड वापस कड़क होने लगा था.
लंड कड़क होते ही अंकल ने तुरंत मुझे सीट पर उल्टा लेटा दिया और मेरा लोवर घुटने तक उतार दिया.
वह पीछे से मेरी गोरी गांड को देखने लगे.
उसके बाद उन्होंने तुरंत अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को फैलाया और छेद में अपनी जीभ की नोक घुसा दी.
मैंने उनकी जीभ का अहसास करते ही एक झुरझुरी सी ली और उसी वक्त अंकल ने जोर जोर से मेरी गांड को चाटना चालू कर दिया.
मैं ‘उम्म आहह ओह फक्क आहह अंकल … मजा आ गया … आहह …’ करने लगा.
अंकल भी पूरे मदहोश होकर मेरी गांड को चाटने में लगे थे.
करीब पाँच मिनट बाद अंकल रुके और उन्होंने अपनी जगह बैठ कर मुझसे पुनः लंड चूसने के लिए इशारा किया.
मैंने भी उनकी तरफ झुक कर उनका लंड अपने मुँह में भर लिया और मस्ती से चूसने लगा.
उनका लंड लगभग कड़क था, बस उसे चिकना करना जरूरी था ताकि वह मेरी गांड में आसानी से घुसता चला जाए.
मैं लंड को चिकना करने के लिए उसे अपने गले के अंतिम छोर तक लेकर जोर जोर से चूसने लगा और उनके लंड के दोनों चौकीदारों की तरह पहरा दे रहे आंडों को भी सहलाता जा रहा था.
इससे अंकल का हथियार जल्दी ही मेरी गांड में घुसने के लिए तैयार हो गया.
अब अंकल ने अपना लंड मेरे मुँह से निकलवाया और उठ कर गोद में आने को कहा.
मैं भी अपनी दोनों टांगें फैला कर उनकी गोद में चढ़ गया.
अंकल ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
हम दोनों ने अपने ऊपर चादर खींच ली.
मुझे अंकल ने अपनी बांहों में भर कर चूमा और मैं उनके लंड को अपनी गांड पर सैट कर दिया.
अंकल ने मेरी आंखों में वासना से देखा और अपनी गांड को ऊपर उठाते हुए एक जोरदार झटका दे मारा.
उनका आधा लंड मेरी गांड को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
मैं- आहह ओह मर गया … आहह अंकल धीरे पेलो … आह फट गई.
अंकल अपना आधा लवड़ा गांड में घुसेड़ कर रुक गए और मेरे होंठों को चूसने लगे.
मैं भी उनका साथ देने लगा.
एक ही मिनट बाद मेरा दर्द कम हुआ तो मैंने गांड को जुंबिश दी.
उसी पल अंकल ने मुझे किस करते हुए जोरदार झटका मार दिया. इस बार उनका पूरा लंड मेरी गांड अन्दर घुसता चला गया.
मेरी तो हालत खराब हो गई थी, मैं कहने लगा- आह हह आह आहह अंकल प्लीज़ निकाल लो … प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है.
पर अंकल नहीं माने और वे मुझे नॉन स्टॉप किस करते रहे.
थोड़ी देर में मेरा दर्द गायब हो गया और मैं गांड को उछालता हुआ उनके लंड का मज़ा लेने लगा.
अंकल भी समझ गए और वे मेरे दोनों चूतड़ों को हाथ से पकड़ कर नीचे से झटके देने लगे.
मैं भी उन्हें कसके पकड़े हुए कराह रहा था- आअहह आहह उफ्फ़ अंकल चोदो मुझे … चोदो मुझे आह!
अंकल भी मस्ती से बोले जा रहे थे- आअ हह आहह आहह बेटा क्या गांड है तेरी … आहह हां चोदूँगा जी भरके … आहह आह!
हम दोनों चुदाई में पूरे मगन थे.
अंकल नीचे से बिना रुके झटके दे रहे थे और मैं गांड को उछाल उछाल कर उनका साथ दे रहा था.
कुछ मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद अंकल ने मुझे वापिस सीट पर लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर एक ही झटके में अपना लंड मेरी गांड में घुसा दिया.
लंड पेल कर वे मेरे ऊपर लेट गए और जोर जोर से आगे पीछे होने लगे.
मैं खिड़की को पकड़ कर उनके लंड का मज़ा लेने लगा- आअ हह आह अंकल उम्मम आह मर गया आह!
अंकल भी पूरे जोश में लगे थे- आहह आहह आहह साले क्या मस्त गांड है तेरी … आज इसे जम कर फाड़ूँगा!
अंकल पूरे जोश में मेरी गांड फाड़ने में लगे रहे.
फिर दस मिनट बाद वे रुक गए और सीट से उठ गए.
मैंने उन्हें देखा, तो उन्होंने मुझे दरवाजे के पास आने को कहा.
मैं खड़ा होकर दरवाजे के पास चला गया.
उस वक्त बस में सब सो रहे थे और पूरा अंधेरा था, किसी को कुछ नहीं दिख रहा था.
अंकल ने मुझे दरवाजे के पास खड़ा करके पोल पकड़ने को कहा और झुका दिया.
मैं भी पोल पकड़ कर झुक गया.
अंकल ने पीछे से मेरी कमर पकड़ी और पूरा लंड घुसा दिया.
मैं कामुक सिसकी लेते हुए ‘सस्स्स्शह फक’ कराहा.
अंकल मेरी कमर पकड़ कर फुल स्पीड में मुझे चोदने लगे.
मुझे अपनी गांड मरवाने में मज़ा आने लगा.
हम दोनों ने 20 मिनट तक वहीं पर चुदाई की और अंकल बिना झड़े अलग होकर सीट पर चले गए.
अब हम दोनों अपनी सीट पर आकर बैठ गए.
कुछ देर बाद अंकल ने मुझे सीट पर घोड़ी बनने को कहा.
मैं भी विंडो को पकड़ सीट पर घोड़ी बन गया.
अंकल ने पीछे से पोजीशन बनाई और मेरी गांड में लंड घुसा दिया.
वे पूरे जोश में मुझे चोदने लगे.
मैं आहह आहह की आवाजें करता हुआ मज़ा लेने लगा.
अंकल पूरे मस्त होकर मेरी चुदाई कर रहे थे.
करीब दस मिनट बाद अंकल की स्पीड बढ़ गयी. मैं समझ गया और गांड को आगे पीछे करता हुआ उनका साथ देने लगा.
हम दोनों पूरे जोश में ‘उम्म उम्मम आहह ऑश यससस्स आहह आहह आह’ करने लगे.
और तभी अंकल मेरी गांड में झड़ने लगे.
मुझे उनका गर्म माल गांड में महसूस होने लगा.
अंकल ने अपना सारा माल मेरी गांड में निकाल दिया और मेरे ऊपर लेट कर हम दोनों के ऊपर चादर डाल ली.
लेटे लेटे हुए ही हमें कब नींद आ गई, कुछ पता ही नहीं चला.
मैं गहरी नींद में सो रहा था.
तभी रात के करीब 3:30 बजे मुझे कुछ महसूस हुआ तो मैंने आँख खोल कर देखा.
अंकल मेरी गांड में लंड घुसा कर झटके दे रहे थे.
मैं भी उनका साथ देने लगा.
ऐसे ही अंकल ने मुझे जम कर चोदा और अपने लंड का माल मेरे मुँह में निकाल दिया.
चुदाई के बाद हम दोनों वापस सो गए.
सुबह 8 बजे मैं बस स्टॉप पर पहुँच गया.
मैंने अंकल से उनका नंबर ले लिया और बस से उतर अपनी मौसी के घर के लिए निकल गया.