चिकने जवान लड़के के लंड का मजा

वैसे तो मेरी कॉलोनी वाले आस-पास की डेयरी से खुद ही दूध ले आया करते हैं पर फिर भी कुछ लोगों ने मासिक आधार पर दूध घर पर लेना तय कर रखा था. जिसकी वजह से कॉलोनी में बहुत सारे दूधिये दूध देने आते हैं.

कोई साइकिल पर आता था, कोई बाइक पर, कोई गाड़ी में दूध का छोटा टैंकर ले कर आता था.

बाइक पर आने वाले दूधिये कई थे.
इनमें से ही एक दूधिया मोहन मेरे घर के सामने वाले घर में सुबह शाम दोनों टाइम दूध देने आता था.

सुबह वह जिस समय आता था, उस समय या तो मैं छत पर मॉर्निंग वाक कर रहा होता था … या घर के बाहर आवारा गायों के लिए हरा चारा और पानी रख रहा होता था.

छत पर टहलते हुए जब भी मैं उसे आता हुआ देखता तो टहलना रोक कर उसी को देखता रहता था.
मैं उसको तब तक देखता रहता था, जब तक वह दूध देकर चला नहीं जाता था.

वह पास के गांव का एक गबरू जवान सा लड़का है.
जवान इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि वह अपनी पूरी कद-काठी ले चुका है.
उसके चौड़े कंधे, सख्त बाजू, चौड़ी कलाइयां, बाहर की ओर निकली हुई छाती, बिना बनियान के पतली सी शर्ट से बाहर उभरते उसके निप्पल, पतली सी नायलॉन की ट्रेक सूट में झलकती हुई उसकी भरी भरी मोटी जांघें और एकदम सटीक साइज़ के गोल गोल उसके चूतड़ … ये सब उसे जवान कहलवाने के लिए काफी थे.

लड़का इस वजह से कहा क्योंकि उसके चेहरे पर मूछों के नाम पर रोएं ही आए थे.

कभी छाती के बटन खुले होते थे तो उसकी कोरी मखनिया छाती साफ झलकती थी.
वह दूध देता था तो उसकी गोरी उंगलियां एकदम मुलायम सी दिखती थीं. उसकी हथेलियों में अभी तक वह गांव के मर्दों वाला रूखापन, कड़कपन नहीं आया था.

खैर … एक बार जब मैं सड़क पर खड़े खड़े ही उसे ताड़ रहा था, तो उसने भी मुझे देख लिया.

वह पूछने लगा- आपको दूध चाहिए क्या?
मैंने कहा- अभी तो मैंने डेयरी वाले को एडवांस में पेमेंट कर रखा है. वह पूरा हो जाए, तो अगली बार से तुमसे ले लूंगा.

ये हमारा छोटा सा वार्तालाप था जिसके बाद जब भी हमारी नजरें टकरातीं, हम दोनों एक दूसरे को छोटी सी एक स्माइल पास कर देते थे.

इसी बीच कभी कभार हमारी और बातें भी हुईं जिससे पता चला कि वह अभी सिर्फ 19 साल का ही है पर जेब खर्च के लिए अपने ही घर का दूध बेचने आ जाता है.
पहले उसके पापा आते थे, फिर जब उसने जेब खर्च मांगना शुरू किया तो पापा ने बदले में उसे ये काम थमा दिया.

उसे OTT प्लेटफॉर्म्स पर वेब सीरीज, शॉर्ट मूवीज देखना बहुत पसंद था, जिसके सब्सक्रिप्शन के लिए … और फ़ोन पर हाई स्पीड इन्टरनेट के रिचार्ज के लिए उसे पॉकेट मनी की जरूरत पड़ती थी.

फिर भी कभी कभार जब रिचार्ज खत्म हो जाता या OTT का सब्सक्रिप्शन ड्यू हो जाता और पॉकेट मनी आने में टाइम होता था, तो वह मन मसोस कर रह जाता था.

एक दिन इसी तरह की बातों बातों में मैंने उससे कहा- यदि ऐसा हो जाए, तो उस टाइम मेरे घर आ जाया करो क्योंकि मेरे पास हाई स्पीड इन्टरनेट है और मोबाइल की जगह बड़े टीवी पर भी वेब सीरीज देख सकते हैं.

वह खुश हो गया और ‘अबकी बार जरूरत पड़ी, तो आऊंगा.’ बोल कर चला गया.

उसके मासूम से चेहरे पर बचपने वाली ख़ुशी देख कर मेरा मन कभी अन्दर ही अन्दर गुदगुदा गया.

ठरकी दिमाग अपने आप ही अलग अलग किस्से सोचने लगा कि वह आएगा तो उससे कैसे बात करूंगा, क्या बात करूंगा, कैसे मौका ढूंढ कर उसे अपने से चिपकाऊंगा.

खैर … इस बात को कई दिन बीत गए. वह वेब सीरीज देखने मेरे घर कभी नहीं आया.
जबकि वह दूध देने रोजाना सुबह शाम सामने वालों के घर आता था.

इस वजह से दिन प्रति दिन मेरे मन में उमंगें बढ़ती जा रही थीं और अब मेरी ठरक खीज में बदलने लगी थी.
उसी खीज के चलते एक शनिवार रात मैं अकेले ही दारू पी रहा था कि डोर बेल बजी.

डोर खोलने का बिल्कुल भी मन नहीं था, फिर भी उठना ही पड़ा.

गेट पर गया तो देखा कि वही था.
मुझे देखते ही वह बोला- इतनी देर कैसे लगा दी गेट खोलने में … देखो मैं क्या लाया हूँ आपके लिए … अपने दोनों के लिए!

उसके हाथ में घर की बनी रोटियां और चटपटी कैरी की सब्जी थी.
एकदम बच्चों के जैसे उतावला सा वह बिना रुके बोले जा रहा था.

बहुत खुश था वह … एग्जाम में अच्छे नंबर्स से पास हुआ था और इसलिए अपनी ख़ुशी को मेरे साथ बड़े स्क्रीन पर वेब सीरीज देखते हुए, पार्टी की तरह सेलिब्रेट करना चाह रहा था.

एक तो दारू का नशा, उस पर उसकी ये मासूम सी बातें … मुझे पागल किए जा रही थीं.
जी कर रहा था कि गेट बंद करते ही उसे बांहों में भरूं और बस चूमता चला जाऊं. पर वह सब इतनी जल्दी संभव नहीं था.

फिर मैंने उसे अन्दर बुलाया, गेट बंद किया और हॉल में ले गया.
जहां दारू से भरा मेरा गिलास रखा था और टीवी पर किसी OTT प्लेटफार्म की एक हॉट वेब सीरीज का कोई सीन पॉज हुआ दिख रहा था.

शुक्र था कि कोई हॉट सीन या किस सीन नहीं था, वरना बेकार में शर्मिंदगी उठानी पड़ जाती.

वह बोला- आज आपकी पसंद की नहीं, मेरी पसंद की वेब सीरीज चलाएंगे. पर पहले ये घर का गर्मागर्म खाना खाएंगे.
यह कहते हुए उसने गमछे में लिपटी रोटियां और स्टील के कटोरदान में रखी सब्जी खोल कर टेबल पर रख दी.
पर उसे क्या पता था कि आज तो मेरा मन उसके गर्मागर्म और करारे कुंवारे जिस्म को खाने का हो रहा था.

मैं अन्दर से 2-3 प्लेट्स, कटोरियां और एक और कांच का गिलास ले आया और टेबल पर खाने के साथ रख दिए.
कांच का गिलास देख कर उसे जमीन पर रखा मेरा दारू का गिलास भी दिखा.

वह बोला- आप दारू पीते हो क्या?
मैंने कहां- हां, कभी कभी … क्यों तुम नहीं पीते क्या? मैं तो ये दूसरा गिलास तुम्हारे लिए ही लाया हूँ.

वह बोला- नहीं, मैं दारू नहीं पीता, पर आज थोड़ी सी दारू चखने का मन है. एक्चुअली आपका गिलास देख कर मेरे मन में भी जिज्ञासा बढ़ गयी है. क्या मैं आपके ही गिलास से थोड़ी सी शराब पी कर देख लूं?

मैंने कहा- हां, पी लो. पर ज्यादा पीनी है, तो फिर अपने गिलास में अलग से पीना पड़ेगा.

उसकी बात सुन कर मेरे मन में एक साथ कई लड्डू फूटने लगे थे.
गिलास के बहाने ही सही, मुझे इसके नाजुक गुलाबी होंठ चूमने का मौका तो मिलेगा.

जिस जगह से ये गिलास को मुँह लगाएगा, मैं भी वहीं से पियूँगा. क्या पता दारू पीकर ये लुड़क जाए और मैं नींद में ही इसे किस कर पाऊं.
इसकी मखमली देसी छाती को छू पाऊं, इसके रसभरे गन्ने को सहला पाऊं.

कहीं दारू ने इस पर ज्यादा असर नहीं किया … ये लुड़का नहीं और बस टल्ली हो गया या उत्तेजित हो गया तो खुद ही कहीं मेरे साथ मजा ना करने लगे.
कहीं ये खुद ही तो पूरा प्लान बना कर नहीं आया?

मेरे दिमाग ने ऐसे दसियों ख्याली पुलाव खुद ब खुद पका लिए थे.

‘किस सोच में डूब गए … बताओ ना, दारू कैसे पीते हैं?’

उसने बॉक्सर्स पहनी भालू जैसे बालों से भरी मेरी मोटी मोटी जांघों को लगभग मसलते हुए मुझे झिंझोड़ा.

‘कुछ नहीं … ऐसे गिलास उठा, होंठों को लगा और चाय जैसा छोटा सा सिप ले. थोड़ी देर मुँह में उसे टेस्ट कर और गटक जा.’
यह कहते हुए मैंने उसके कंधे पर अपना हाथ रख कर उसे करीब खींचा और अपना गिलास उसके मुलायम होंठों पर लगा दिया.

उसने अपने पतले पतले होंठ खोले और हिचकिचाते हुए धीरे से एक छोटा सा सिप खींचा.

मेरा हाथ अभी भी उसके कंधे पर ही था. अब वह मेरे इतने नजदीक था कि मेरी राईट टांग, उसकी लेफ्ट टांग से पूरी सटी हुई थी.
पर जहां मेरी टांगें जांघों के नीचे एकदम नंगी थीं, उसकी टांगें अभी भी टिपिकल नायलॉन के ट्रेक पैन्ट्स में कैद थीं.

शराब का वह छोटा सा सिप अभी भी उसके मुँह में था और शराब का ये कसैला सा स्वाद अभी उसके लिए नया था, तो जाहिर था कि उसके मासूम से चेहरे पर अलग अलग एक्सप्रेशंस आ रहे थे.
उसके ये भाव मुझे और मदहोश किए जा रहे थे.

‘बहुत हुआ टेस्टिंग टेस्टिंग, अब इसे गटक जाओ.’
उसके कंधे पर रखे मेरे हाथ से मैंने उसके गाल को हल्का सा सहलाते हुए कहा.
इस पर उसने मुँह बनाते हुए शराब के घूँट को हलक से नीचे उतार लिया और एकदम से सर को जोर से झटका, जैसे उसे कोई करंट लगा हो.

‘कैसा लगा?’ मैंने 2 शब्दों में उससे पूछा.
‘अजीब सा टेस्ट है, अजीब सी फीलिंग हो रही है … हल्का हल्का सर घूम रहा है.’
वह थोड़ा सा हकलाते हुए बोला.

मैं जोर से हंस पड़ा.

मैंने कहा- क्या बकवास है, ऐसे थोड़ी होता है कि शराब का घूँट अन्दर और नशा हो गया … थोड़ा टाइम लगता है. तुम ओवर-रियेक्ट कर रहे हो. सिर्फ टेस्ट का बोलो … टेस्ट कैसा लगा?

‘टेस्ट तो ओके ओके है, अजीब भी लग रहा है. थोड़ी और पियूं क्या? तब शायद अच्छा लगे?’ उसने पूछा.

‘पी, जितना पीना है. पर एकदम से नहीं … रुक रुक कर पीना … और हां, अपने गिलास से ही पीना, ताकि समझ रहे कि कितनी पी है.’ यह कहते हुए मैंने उसका एक नार्मल से हल्का पैग बना दिया.

वैसे तो मैं ख्याली पुलाव बहुत पका रहा था, पर अन्दर ही अन्दर कहीं मैं नहीं चाहता था कि मैं उसके नशे में होने का फायदा उठाऊं.
इसीलिए मैंने उसका हल्का सा पैग बनाया था और उसे धीरे धीरे पीने की हिदायत भी दी.

इसी के साथ अन्दर से उसके लिए अपने एक फ्रेश बॉक्सर लाने चला गया.

मेरे सभी बॉक्सर्स उसको फिट ही आने थे क्योंकि उसकी कमर वैसे तो पतली थी पर उसकी गांड इतनी मस्त गोल थी और उसकी जांघें इतनी गठीली और सुडौल थीं कि मेरे बॉक्सर्स उसको या तो एकदम फिट आते या फंसते हुए आ जाते.

खैर … एक लाइट कलर का बॉक्सर और एक सिंथेटिक की पतली सी चुस्त सी टी-शर्ट लेकर जब मैं हॉल में पहुंचा, तो देखा वह अपने मोबाइल पर कोई वीडियो देख रहा था.

मेरे पहुंचते ही उसने हड़बड़ा कर वह वीडियो बंद कर दिया.
शायद वह कोई इरोटिक वीडियो था क्योंकि हॉल की मद्धिम लाइट में भी उसके नायलॉन ट्रेक पैन्ट में से जबरदस्त हिचकोले खाता हुआ उसका लंड साफ दिख रहा था.

उसकी उम्र ही ऐसी थी कि जरा सा इरोटिक सीन भी सामने आ जाए तो शरीर में उत्तेजना आसमान छूने लगती है.

नायलॉन के कपड़ों की दिक्कत भी यही है कि शरीर के हर अंग का हर कटाव साफ़ झलकने लगता है.
इस दशा में उसके लंड की पूरी लम्बाई, पूरी मोटाई साफ़ समझ आ रही थी.
समझ आ रहा था कि लड़के को इसके मां बाप ने भर भर कर दूध दही मक्खन खिलाया है और लड़के ने या तो अभी मुठ मारना ही शुरू नहीं किया है या लड़का बहुत ही जरूरत पड़ने पर मुठ मारता है.

गौर से देखा तो लंड के छोर पर उसकी ट्रेक पैन्ट पर एक छोटा सा धब्बा भी आ गया था जो शायद उसके प्री-कम का धब्बा था.

‘तुम भी चेंज कर लो, अनकम्फ़र्टेबल लग रहा होगा तुमको!’
मैंने उसे बॉक्सर और टी-शर्ट देते हुए कहा.

‘नहीं नहीं, ऐसे ही ठीक है.’ वह झिझकते और शर्माते हुए बोला.

‘अरे ऐसे कैसे ठीक है, तुम्हारे कपड़ों पर अगर दारू गिर गयी, तो घर पर तुम्हारी मम्मी को सब समझ आ जाएगा.’ मैंने उसे बहाने से कपड़े चेंज करने के लिए तैयार किया.

‘ये भी ठीक है.’ कहते हुए उसने मुझसे कपड़े लिए और बाथरूम में जाने लगा.

‘लड़की है क्या. .. इधर ही चेंज कर ले ना … बाथरूम की लाइट खराब है, कहीं टकरा गया तो चोट लग जाएगी.’ कहते हुए मैंने उसे मजाक में डांट लगाई.

‘मैंने पैन्ट के नीचे कुछ नहीं पहना है.’ उसने शर्माते हुए कहा.
‘तो क्या हुआ, इधर भी लाइट कम ही है. कुछ नहीं दिखेगा … ज्यादा है तो दीवार की ओर मुँह कर ले.’ मैंने कहा.

पर मुझे पता था कि टीवी की लाइट्स उसके शरीर पर पड़ेगी तो बहुत कुछ दिखेगा.

उसने दीवार की ओर मुँह फेरा और झिझकते हुए पहले शर्ट उतारी, फिर ट्रेक पैन्ट को नीचे खिसका दिया.

मेरा अंदाजा सही था. टीवी की लाइट्स में जब मैंने उसकी कमर, चूतड़ और उसकी जांघों का पिछला हिस्सा देखा तो मेरे होश ही उड़ गए.
उसकी गोरी पीठ एकदम साफ़ सुथरी थी. उसके कसे हुए चूतड़ों पर अभी तक बालों का एक रेशा भी नहीं आया था. उसकी बड़ी बड़ी जांघें, एक दूसरे से सटी जा रही थीं.

फिर उसने जब एक पैर उठा कर बॉक्सर में डाला, तो मुझे उसके मोटे मोटे आंडों की परछाई दिखी.
शायद, बचपन से अब तक का खाया हुआ घी मक्खन इन्हीं आंडों में जमा था कि उसके दोनों आंड किसी छोटे साइज़ के संतरे के जैसे दिख रहे थे.

उसका लंड शायद अभी भी खड़ा ही था, नहीं तो उसके लंड की लम्बाई के हिसाब से आंडों के साथ साथ, उसके लंड की परछाई भी दिख जानी चाहिए थी और वह भी कम से कम आधी जांघों तक.

सच में, वह मुझ पर जुल्म पर जुल्म किए जा रहा था और मैं उफ़ तक नहीं कर पा रहा था.

खैर … मिनट भर में उसने मेरी टी-शर्ट और बॉक्सर को पहन लिया था, पर ये एक मिनट मेरे लिए बहुत लम्बा और बेहद जानलेवा गुजरा था.
कैसे बताऊं कि किस तरह मैंने मेरे बॉक्सर में उठ रहे तूफ़ान को रोक रखा था.

मेरी टी-शर्ट तो उसे सही आ रही थी, पर मेरे बॉक्सर उसके बदन पर फटने को तैयार था.
बॉक्सर कमर पर से ढीला सा था, जो इलास्टिक की वजह से काम चलाऊ हो गया था. पर उसकी सुडौल गठीली सी गांड और मोटी मोटी मजबूत जांघें मेरे बॉक्सर में समा नहीं पा रही थीं.

फिर जैसे ही वह घूमा, मुझे दिखा कि अब तक सॉफ्ट हो चुका उसका मूसल सा लंड बॉक्सर की फ्रंट ओपनिंग में से हल्का हल्का झांक रहा था.

वह ओपनिंग इतनी छोटी थी कि उसे पता ही नहीं चला.
पर कमरे की हल्की रोशनी में उसका गोरा-चिट्टा लंड उस छोटी सी ओपनिंग से भी मुझे साफ़ दिख रहा था.

पता नहीं दारू का असर था या इस दूधिए के कमसिन बदन का नशा … मेरा गला पूरा सूख गया था.

‘ज़रा वह पानी की बोतल पास करना.’
मैंने उसके पीछे पड़ी पानी की बोतल के लिए उससे कहा.

वह पानी की बोतल उठाने के लिए झुका तो हल्का सा लड़खड़ा गया और संभलते संभलते भी मेरी गोदी में ही गिर पड़ा.
उसका मुलायम बदन मेरी छाती मेरी जांघों से क्या टकराया, मेरे तो अंग अंग में बिजली सी दौड़ गयी.

उसे संभालते संभालते मेरे हाथ कुछ सेकण्ड्स के लिए उसकी भरी भरी छाती को छू गए.

वह तुरंत उठा और मेरे साइड में बैठ गया.

अब मैंने टीवी पर एक नार्मल सी अमेरिकन वेब सीरीज लगा दी और हम दोनों अपने अपने गिलास से सिप कर करके दारू पीने लगे.

हम दोनों के बीच कॉमन सी बातचीत होने लगी.
कुछ मैं पूछता, कुछ वह पूछता.
पर उसकी आवाज़ से और उसके लहजे से लग रहा था कि अब उसको चढ़ने लगी है.

फिर टीवी पर लीड एक्टर्स के बीच एक हॉट सीन आया.
उसने कौतूहल जताते हुए मुझसे पूछा- एक बात बताओ भैया … ऐसे सीन करते हुए अगर ये एक्टर्स वाकई में गर्म हो जाएं, तो क्या होता है?

मुझे पता था कि बिना दारू के नशे के वह ये बात मुझसे कतई नहीं पूछ सकता था.

‘ऐसा होता तो नहीं है. ये लोग बहुत प्रोफेशनल होते हैं … और एक ही सीन को इतनी बार करते हैं कि इनके शरीर में वह उत्तेजना ही नहीं आती. फिर भी अगर मेल एक्टर ज्यादा ही गर्म हो जाए और उसका ‘वह.’ कैमरा में साफ़ दिखने लगे, तो वे लोग थोड़ा सा ब्रेक ले लेते हैं.’ मैंने समझाया.

‘मतलब, ब्रेक लेकर हिला कर वापस आ जाते हैं क्या?’ उसने फिर मुझे चौंकाते हुए कहा.
वह नशे के कारण इतना खुल गया था कि मुझे उम्मीद भी नहीं थी.

‘अरे नहीं, तेरी उम्र के लड़कों को होता है कि अगर लंड खड़ा हो गया तो मुठ मारे बिना या चोदे बिना ठंडक नहीं मिलती है. इन लोगों का ये है कि थोड़ी देर दिमाग डाइवर्ट करो तो लौड़ा खुद बैठ जाता है.’ मैंने जानबूझ कर उससे खुले शब्दों में लंड लौड़ा कहा और उसकी नंगी मखमली जांघ पर हाथ रख दिया.

मैं उसका रिएक्शन देखना चाहता था कि वह मेरे इन नंगे नंगे शब्दों पर क्या बोलता है, कैसे रियेक्ट करता है.

पर शायद वह इतना बहक चुका था कि ना तो उसने ये नोटिस किया कि मैंने अभी अभी लंड, मुठ, चोदना जैसे शब्द इस्तेमाल किए थे और ना ही अपनी जांघ पर मेरे हाथ रखे होने का भी उसने कोई प्रतिक्रिया जताई थी.
बल्कि उसने अपनी टांगें और चौड़ी करके फैला दी थीं, जैसे मुझे निमंत्रण दे रहा हो कि आओ और मेरे लौड़े को भी मसल दो.

खैर … मैं कतई यह नहीं चाहता था कि कल नशा उतरने के बाद वह ये सोचे कि मैंने नशे की हालत में उसके साथ कुछ गलत किया, इसलिए मैंने खुद ने ही थोड़ी देर बाद अपना हाथ उसकी जांघ से हटा लिया.

अब वेब सीरीज का वह एपिसोड भी खत्म हो गया था और हम दोनों भी ऊंघने लगे थे.
हम दोनों ही वहीं पसर गए और पता नहीं पहले कौन सोया, पर दोनों वहीं सो गए.

रात के एक-डेढ़ बजे मुझे मेरे शरीर पर वजन सा महसूस हुआ, जिससे मेरी नींद खुल गयी.
मैंने देखा कि उसके बदन पर टी-शर्ट नहीं थी, शायद दारू की गर्मी में उसने उतार दी होगी.

मेरे शरीर पर भी टी-शर्ट नहीं थी.
वह मेरी ओर साइड करके मुझसे चिपट कर गहरी नींद में सोया हुआ था.

उसका सीधा हाथ एकदम मेरे लेफ्ट निप्पल पर इस तरह था कि उसके हाथ का पूरा वजन मेरी छाती और पेट पर आ रहा था.

ऐसे ही उसने अपना सीधा पांव मेरे बॉक्सर पर ऊपर तक चढ़ा रखा था.
उसका घुटना मेरे लौड़े पर दबाव बना रहा था और ये दबाव मेरे लौड़े में ब्लड प्रेशर बढ़ाने और उसे सख्त करने के लिए काफी था.

उसका मुँह मेरे मुँह से मुश्किल से एक इंच की दूरी पर था.
मैं उसके होंठों से आ रही गर्म सांसों को अपने खुले होंठों से होते हुए अपने हलक में महसूस कर रहा था.

कुछ उसके मुँह से आती दारू की खुशबू, कुछ उसके बदन की देसी महक, कुछ उसके मुलायम बदन की छुअन और कुछ उसके घुटने का मेरे लौड़े पर दबाव … मेरे लौड़े ने तुरंत असर दिखाना शुरू कर दिया.

मिनट भर में मेरा लौड़ा मेरे बॉक्सर में फुल टाइट हो गया था और अब मेरे सख्त लौड़े पर उसके घुटने का दबाव मुझे दर्द दे रहा था.

मैंने हल्के से उसका घुटना इस तरह नीचे किया कि उसका घुटना अब मेरे गोटों पर था.
पर अब उसका यह प्रेशर झेलने लायक था.

घुटना हटाए 10 सेकंड भी नहीं हुए थे कि उसने फिर से अपना घुटना ऊपर सरकाया और मेरे लौड़े पर रगड़ दिया.

मुझे समझ में नहीं आया कि वह नींद में ये सब कर रहा था या वह जगा हुआ था या नशे में सपने में कुछ देख रहा था, जिसकी वजह से उसकी बॉडी खुद ब खुद ये सब कर रही थी.

तब मुझे लगा कि जो भी हो मुझे उसके नशे की हालत का फायदा नहीं उठाना चाहिए.

मैंने दूसरी ओर करवट लेने के लिए जोर लगाया पर एक तो उसके हाथ और पैर का मेरे शरीर पर वजन … और दूसरा मेरी नशे की हालत.
मैं बड़ी मुश्किल से करवट ले पाया.

अब मैं और वह स्पून पोजीशन में थे.
यानि मेरी नंगी पीठ पूरी तरह से, उसकी कमसिन पर फौलादी छाती और पेट पर टच हो रही थी.
उसका लंड और आंड मेरे चूतड़ों की दरार में घुसे जा रहे थे.
उसकी जांघें मेरी जांघों के पिछले हिस्से को छू रही थीं और उसके पैर, मेरे पैरों पर थे.
उसका चेहरा मेरी गर्दन के पास था और शायद उसके होंठ मेरी गर्दन से मुश्किल से आधा सेंटीमीटर दूर होंगे.

उसके नाक और होंठों से आ रही सांसें मेरी गर्दन और कान पर सनसनी कर रही थीं.
मेरा पूरा नशा गायब हो चुका था, मेरी नींद पूरी तरह से उड़ चुकी थी.

मैंने थोड़ा सा आगे सरक कर हम दोनों के बीच गैप बनाने की कोशिश की तो नींद में ही उसने मुझे फिर से अपनी ओर खींच लिया.

वह नींद में कुछ कुछ बुदबुदा रहा था.
पर पता नहीं क्यों, अब मेरा मन भी बहक जाने का हो रहा था.

मेरा मन कर रहा था कि मैं फिर से करवट लेकर उसकी ओर मुँह करके, उसकी टांगों में अपनी टांगें फंसा कर, उसकी पतली कमर पर अपनी बांहें डाल कर उसके चिपक जाऊं.
पर ये सब करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.

वह लगातार मुझे अपने से चिपकाए और ज्यादा चिपकाए जा रहा था.
अब मुझे उसके निप्पल अपनी पीठ पर चुभ रहे थे.

बदन की गर्मी से उसका लंड भी टाइट होने लगा था और फिर से वह मूसल का सा साइज लेकर मेरे चूतड़ों के बीच में हल्के हल्के झटके मार रहा था.
ये झटके उस तरह के थे जो एक खड़ा लौड़ा खुद ब खुद मारता है … ना कि उस तरह के धक्के थे, जो एक आदमी चोदते हुए मारता है.

वह अभी भी सोया हुआ था और बेहोशी की हालत में ही ये सब किए जा रहा था.
मुझे पक्का मालूम था कि कल ये सब उसे याद भी नहीं रहेगा.

फिर अचानक वह हुआ जो मैं चाह तो रहा था.
पर हो भी जाएगा, उसका मुझे यकीन नहीं था.

उसने करीब करीब जबरन मुझे करवट दिलवा दी और मेरा चेहरा अपनी ओर कर लिया.

अब मुझे भी हिम्मत दिखानी थी.
मैंने जैसे तैसे करके, अपनी टांग उसकी टांग कर चढ़ा दी और अपना हाथ उसकी कमर पर रखते हुए ऐसे छोड़ दिया कि मेरी हथेली उसकी कमर को सहला रही थी.

वह थोड़ा एडजस्ट हुआ और अपनी एक टांग को मेरी टांगों के बीच में ऐसे फंसा दिया कि उसकी जांघ मेरे लौड़े और आंडों को रगड़ रही थी.
मेरी जांघ उसके लौड़े पर रगड़ मार रही थी, उसके हाथ मेरी कमर पर कसे हुए थे.

मैंने आंख खोल कर देखा तो पाया कि वह अभी भी सोया हुआ था.
हमारे चेहरे इतने पास थे कि हमारे होंठ मुश्किल से आधा सेंटीमीटर दूर रहे होंगे.

मैं अगर अपनी जुबान बाहर निकालता तो उसके होंठों की मुलायमियत को टेस्ट कर सकता था.
पर मुझे कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी.

शायद उसके दिमाग में वेब सीरीज वाला हॉट सीन अभी भी दौड़ रहा था.
उसने मुझे सीन के जैसे ही हौले से मेरे होंठों पर किस किया.
उस वेब सीरीज में एक्टर ने एक्ट्रेस को भी ऐसे ही चुंबन किया था.

अब वह अपने होंठों से मेरे होंठों को सहला रहा था.
फिर उसने अपने होंठ खोले और मेरे होंठों को अपने मुँह में ले कर उन्हें हौले हौले चूसने सा लगा.

मैं तो मानो सातवें आसमान पर था.
मेरी टांग अपने आप से उसके लौड़े पर ऊपर नीचे होकर उसे जोर जोर से रगड़ने लगी.

उसने नींद में ही मुझे कस कर जकड़ लिया और जोर जोर से किस करने लगा.

अब उसके मजबूत पर मुलायम हाथ मेरी पीठ को सहला कम, रगड़ ज्यादा रहे थे.
कभी कभी उसकी उंगलियां मेरे बॉक्सर की इलास्टिक के अन्दर घुस कर मेरे चूतड़ों के बीच तक भी पहुंच जा रही थीं.

मेरे हाथ भी कमोवेश यही कर रहे थे पर मेरे हाथों में सहलाना ज्यादा था और रगड़ कम!

मेरे हाथ उसके बॉक्सर के अन्दर तो नहीं गए पर बॉक्सर के ऊपर से ही उसके मुलायम मजबूत बड़े बड़े चूतड़ों को सहला रहे थे.

हमारे मुँह से भी अब वही मूवी वाली कामुक आवाजें आ रही थीं.

फिर मैंने अपना हाथ उसकी कमर और उसके चूतड़ों से हटाते हुए आगे ले लिए.

उसके पेट पर होते हुए बॉक्सर के ऊपर से उसके लोहे से भी ज्यादा सख्त हो चुके लौड़े पर फिराना शुरू कर दिया.
अब उसकी सीत्कार भरी आह आह की आवाज़ें शुरू हो गयी थीं.

उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने बॉक्सर में घुसवा दिया और मेरे हाथ से अपने लौड़े को मसलवाने लगा.
फिर उसने अपना हाथ मेरे बॉक्सर में डाल दिया और मेरे लौड़े को मसलने लगा.

अब मुझे पक्का था कि वह जगा हुआ है.
मैंने आंखें खोलीं तो देखा उसकी आंखें अभी भी ऐसे भिंची हुई थीं जैसे वह सपने में किसी के साथ सेक्स कर रहा हो … और सेक्स की चरम सीमा पर पहुंच चुका हो.

वह मेरे लौड़े को कस कर रगड़े जा रहा था.
उसके होंठ मेरे होंठों को करीब करीब चबा रहे थे; उसकी टांगें मेरी टांगों को रगड़ रगड़ कर छीले जा रही थी.

मैं भी उसी की तरह करते हुए उसे पूरा मजा दे रहा था.
उसका लौड़ा मेरे हाथों में बार बार झटके खाए जा रहा था जो हिंट दे रहा था कि उसका लौड़ा कभी भी फट सकता है और मेरे हाथों में उसका लावा कभी भी उबाल खा सकता है.
यह सोच कर ही मेरे लौड़े ने जवाब दे दिया और बॉक्सर के अन्दर ही उसके हाथों में झड़ गया.

उसके हाथों में मेरा झड़ना था कि उसके सेक्स सुख की चरम सीमा सामने आ गई.

मेरे झड़ने के साथ ही उसके लौड़े ने भी मेरी हथेली में कुछ झटके खाये और बॉक्सर में से होते हुए हम दोनों के पेट के बीच उसके वीर्य की पिचकारियों की झड़ी लग गई.

मैं गिन तो नहीं पाया पर उसके फव्वारे के जैसी फुल फ़ोर्स वाली कई पिचकारियां निकली थीं.

झड़ने के बाद का जो सुकून होता है, वह ठंडी ठंडी सांसों से महसूस होता है.
हम अभी भी वैसे ही चिपके हुए थे.

वह भी अभी वैसे ही सोया हुआ था, पर अब उसके चेहरे पर एक सुकून था.
पर अब हमारे पेट पर उसके वीर्य की चिपचिपाहट मुझे असहज कर रही थी.

करीब 10 मिनट बाद, मैंने हल्के से उसका हाथ मेरे ऊपर से हटाया, उसकी टांगों के बीच से अपनी टांग छुड़ाई और बाथरूम में आ गया.
मैंने अपने आपको ठंडे पानी से साफ़ किया और हॉल में आकर उससे थोड़ी दूर होकर सो गया.

सुबह उठा तो देखा कि अच्छा ख़ासा उजाला हो चुका था.
वह बाथरूम से नहा कर आ गया था.

शायद अपने पेट पर और बॉक्सर पर सूखे अपने वीर्य को देख कर उसे लगा होगा कि उसे स्वप्न दोष हुआ होगा क्योंकि उसने बॉक्सर को पानी में निचोड़ कर साफ़ कर दिया था.

कपड़े पहन कर वह अपना सामान पैक करके अपने फोन पर कुछ देख रहा था.

वह मेरे जागने का इंतजार ही कर रहा था.
मैं जगा तो किचन में जा कर वह हम दोनों के लिए चाय बना कर ले आया और चाय पी कर ‘अब जाता हूँ, फिर मिलेंगे’ बोल कर निकल गया.

उसके व्यवहार में कहीं कुछ ऐसा नहीं झलक रहा था कि वह मेरे से गुस्सा हो या किसी तरह से शर्मिंदा हो.
ना ही उसने ऐसा कोई हिंट दिया कि रात की घटना उसे याद थी.

कमरे में वैसे भी ऐसा कोई सबूत नहीं था कि उसे लगता कि रात को हमारे बीच में रियल सेक्स हुआ था और स्वप्नदोष वाली बात उसका वहम थी.

उस दिन के बाद भी उससे वैसी ही बातचीत होती रही, जैसे पहले होती थी.
हम दुबारा मिल नहीं पाए … पर बातें होती रहीं.

उसकी बातों में कभी भी उस रात का लेश मात्र का भी ज़िक्र नहीं आया.

इन सबके चलते, महीने बाद मुझे यकीन हो ही गया कि उस रात जो हुआ वह उसकी ओर से इंटेंशनल नहीं था, बल्कि नींद में हुआ एक हादसा था.
खैर … मेरे लिए तो वह हादसा भी एक हसीन अनुभव था, जो अरसे तक मेरे जेहन में बसा रहा.