Thursday, November 21, 2024

ये कहानी ज़मीर मलिक के परिवार के बारे में है जो ईस्ट दिल्ली में रहते हैं। ज़मीर मलिक 50 साल का है और पेशे से स्कूल का टीचर है। उसकी बीवी साजिदा मलिक है जो अपने घर की और पूरे परिवार की देखभाल करती है। साजिदा के पिता ने उसकी 19 साल की उम्र में ही शादी करा दी थी। इतने कम उम्र में शादी होने के बाद भी उनकी शादी शुदा जिंदगी अच्छी है। अपनी पहली बच्ची का नाम उनको वीणा रखका और कुछ साल बाद उनको दो और बच्चे हुए जिनका नाम उनको सानिया और शिराज रखका। वीणा कॉलेज के आखिरी साल में है…. सानिया डिस्टेंस से अपने कॉलेज की पढ़ाई कर रही है लेकिन फिर भी उसको क्लास के लिए हर दिन जाना शुरू हो गया है और शिराज फिल्हाल स्कूल में पढ़ रहा है मगर ऐसा स्कूल जिसमें सिर्फ लड़के दिखते हैं। .. रोज़ की तरह सुबह ज़मीर 6 बजे उठके दौड़ने चला गया। कुछ देर बाद साजिदा बिस्तार से सोके उठी और किचन में जाके सुबह का नाश्ता बनने लगी। जब तक ज़मीर दौड़के आया साजिदा ने शिराज और सानिया दोनों को उठाया और जल्दी से तैयार होके नाश्ता करने को कहा। शिराज हमेंशा की तरह सानिया से लड़का झगरके बाथरूम में पहले घुस गया। सानिया ज़ोर से दरवाज़े को पीटने लगी….इन दोनों के बीच में कुत्ते बिली जैसी लड़ई होती रहती थी..किसी ना किसी बात पर हमेशा होती रहती थी और कभी कभी हाथ पै भी….जैसे की सुबह कभी सानिया टॉयलेट जल्दी चली जाती थी तो कभी शिराज और दोनों एक दूसरे को सताने के लिए बहुत समय लगाते थे…थोड़ी देर बाद दोनों अच्छी तरह से तैयार होके टाइम से खाना खाने के लिए आ गए। देखते ही देखते घर खाली हो गया। ज़मीर सानिया को स्कूटर पे ले गया ताकि वो उसको क्लास के लिए छोड़ दे और फिर स्कूल चले जाए और शिराज अपना स्कूल चला गया बस से। सानिया को भी जल्दी जाना था क्योंकि आज उसका एग्जाम था… साजिदा को थोड़ी देर के लिए राहत मिली तो वो आराम करने चली गई। जब उसकी आंख खुली तब 8:10 बजे वो जल्दी भागी वीणा के कमरे में उसको उठाने के लिए। जब तक वो पूछी वहा वीणा पहले ही तैयार हो चुकी थी कॉलेज जाने के लिए। साजिदा उसके पास गई और उसके माथे को हल्के से चूमा और खाने के लिए बोला। खाने के बाद वीणा भी अपना कॉलेज बैग उठाके मेट्रो पकड़ने के लिए चली गई। साजिदा अकेले कमरे में बैठके अपनी बेटी के बारे में सोचने लगी.. उसको वीणा पे बहुत नाज था और वो चाहती थी कि वीणा अपनी पढ़ाई पूरी करके अपनी जिंदगी जिए जो वो खुद नहीं कर पाई थी

दूसरी ओर वीणा आनंद विहार स्टेशन पहुँची और जब तक प्लेटफार्म पे पहुँची ट्रेन चली गई थी। अगली ट्रेन 4 मिनट में थी तो वीणा लड़कियों के डिब्बे की लाइन में जाके खड़ी हो गई। कुछ कदम दूर ही एक गार्ड था जोकी लंबा चौड़ा था और वीणा को देख जा रहा था। वीणा ने उसको नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की मगर वो चलके उसके पास आने लगा। तभी मेट्रो आने की आवाज आई और वीणा झट से जाके हमसे बैठ गई। यूएस गार्ड ने तो उसको डराया ही दिया था मगर आज वो बहुत खुश थी क्योंकि उसके बॉयफ्रेंड अमन और उसके रिश्ते को 6 महीने हो गए थे और वो सीधा उसके घर जाने का सोच रही थी इसीलिये तो उसने अपनी पसंदीदा नीली जींस और काली टी-शर्ट ब्लैक हाई हील्स के साथ पहननी थी। वो ट्रेन में अपनी पहली मुलाकात के बारे में सोचने लगी जब वो दोनो मेट्रो में ही मिले थे। वीणा अपनी सहेलियों के साथ थी और अमन अपने दोस्तों के साथ। वीणा को पहली झलक में अमन से प्यार हो गया था। फिर वो सोचने लगी जब पहली बार अमन के घर गई थी और कैसे अमन ने उसको अपनी बाहों में लेके प्यार किया था। उस दोपहर का एक-एक पल वो कभी नहीं भूल सकती जब वो दोनों पहली बार हमबिस्टार हुए थे। वीणा आज भी अपने अमन को सौपने जा रही थी और तभी उसने पर्पल ब्रा और पैंटी पहनी थी जो कि अमन का सबसे पसंदीदा रंग है। वीणा लक्ष्मी नगर स्टेशन पर उतारी और अमन के घर जाने लगी। अमन आकाश गंगा अपार्टमेंट में रहता था अपने मां बाप के साथ मगर उसके मां-बाप सुबह काम के लिए जाते थे और शाम को ही लौटते थे… वीणा ने घर की घंटी बजाई और कुछ सेकंड का इंतजार किया। थोड़ी देर फिर से घंटी बजाई तो दरवाजा खुला और अमन के चेहरे का रंग ही उतर गया था वीणा को देखके। वीणा ने अमन को देखा कहा अरे दरवाजा तो खोलो. अमन ने ना चाहते हुए भी दरवाजा खोला और वीणा घर के अंदर आके उससे लिपट गई। तभी कमरे में से एक लड़की की आवाज आई “अमन कौन आया है”।. वीणा अमन से दूर हो गई और उसके बेडरूम में चली गई। बिस्तर पे रजाई ओर के उसकी सबसे अच्छी सहेली नेहा लेती हुई थी। नेहा वीणा को देखके घबरा गई और कुछ बोलनी पाई। वीणा की आंखों में आंसू आ गए और वो घर से बाहर चली गई। वीणा अपने आपको रोक नहीं पाई और सीडियो पे बैठके रोने लगी। अमन सीडियो तक आया उसको चुप कराने के लिए और गुस्से में आके उसने अमन को वहीं चाटा लगा दिया और वाहा से चली गई…

पूरे रास्ते उसका ध्यान अमन पे था जिसने उसको धोखा दिया मगर उससे ज़्यादा उसे अपनी सहेली नेहा पे गुस्सा आ रहा था….वो नेहा को सब कुछ बताती थी और उसपे हद से ज़्यादा भरोसा करती थी मगर उसको अंदाज़ा भी नहीं था की वो कभी ऐसा कर सकती है… यहीं सोचते सोचते वो अंजाने में जाके मेट्रो के सामान्य डिब्बे के अंदर चली गई। इतना शोर सुनके उसका ध्यान भटका और देखा कि पूरे डिब्बे में लड़के/आदमी थे। और उसके अगले डिब्बे में भी लड़के ही दिख रहे थे। वो सोच में पढ़ गयी कि अब लड़कियो के डिब्बे में जा भी नहीं सकती। वीणा पोल को पकड़के बीच में खड़ी होगी। उसने अपना ध्यान भटकाने के लिए ईयरफोन लगाए और गाने सुनने लग गए। अगले स्टेशन पर जब ट्रेन रुकी तो और लोग उसमें चढ़ गए और वीणा सबके बीच पिस गई। गाने सुनने के कारण वीणा के सर में दर्द हो रहा था तो उसने गाने सुने बंद कर दिए लेकिन ईयर फोन कान से नहीं निकले। वीणा डोनो गेट के बीच में पोल पकडके खड़ी हुई थी और पोल का सहारा लेने के लिए कई लोग थे। वीणा को लगे जा रहा था कि ये लड़का/आदमी जरूर मेरे हाथ को छूना चाहेगा और इसी वजह से उसने पोल को सबसे ऊपर से पकड़ा। इस गलती की वजह से अंजाने में वीणा की टी-शर्ट थोड़ी ऊपर होगी और उसकी पतली कमर का नजारा दिखने लगी। सब लोगो की अंजाने में या जानके नज़र वीणा की कमर पे ही जा रही थी। अगला स्टेशन प्रीत विहार था और स्टेशन पर जब गाड़ी रुकने वाली थी तभी लोग उतरने के लिए दरवाजे की तरफ बढ़ने लगे। वीणा घबरा गई और आपको संभालने लगी। 2-3 लोगो से उसका बदन छुआ फिर उसको किसी का हाथ गांड के ऊपर मेहसूस हुआ और दूसरे दूसरे हाथ में ही उसकी नंगी कमर को सेहराता हुआ दूसरा हाथ। वीणा ने जल्दी से अपना शर्ट नीचे कारी और घबराके खादी हो गई। उसने पूरी कोशिश की कि उसकी घबराहट किसी और को दिखे ना। प्रीत विहार पे जितने लोग उतरे तो उतने चढ़ भी गये। बस एबीबी 2 स्टेशन बचे थे आनंद विहार स्टेशन आने में और वीणा को उसका ही इंतजार था। धक्के के कारण वीणा दूसरे दरवाजे की तरफ हो गई शीशे के बाहर देखने लगी। वो इतनी चिपकी हुई थी दरवाजे से कि मानो कभी कभी मेट्रो के झटके के कारण उसके मोमन और शीशे के बीच में चुम्बन हो रहा हो। पर अचानक बड़ी तेज़ ब्रेक की आवाज़ आई और झटके से मेट्रो रुक गई। इसी मौके का फैदा उठाके एक 15-16 साल के बच्चे ने वीणा की गाना डी को छूने का मजा उठाया। वीणा ने आपको संभाला और तभी घोषणा हुई “जरूरी सूचना कुछ तकनीकी खराबी की वजह से मेट्रो का सफर रोका गया है। हमें खेद है और जल्द ही इस समाधान को ठीक कर दिया जाएगा।” मेट्रो पूरी बंद हो चुकी थी हल्का सा अंधेरा भी छा गया था और एसी भी बंद हो गया था। वीणा ने अपनी आंखें बंद करके दुआ मांगी कि जल्दी सब ठीक हो जाए। गर्मी और दर्द के कारण वीणा ने अपना कॉलेज बैग अपने जोड़े के पास रख दिया। फिर से घोषणा हुई कि “हम कुछ ही समय में सफर शुरू करेंगे।” वीणा को ये सुनके जान में जान आई। वीना का फोन वाइब्रेट हुआ और उसने अमन का नाम देखा कट करदिया। दो-तीन बारी कॉल आया और हर बारी अमन का कॉल कट कर दिया। मेट्रो भी चलने लगी और वीणा अब फिर आज सुबह के बारे में सोचने लगी। जब ट्रेन आखिरी स्टेशन पर पहुंच गई तब वीणा आराम से उतारी ताकि फिर धक्का मुक्की में न फंसे। थक हारकर वीणा घर पहुची और उसने घंटी बजाई। थोड़ी देर बाद दरवाजा शिराज ने खोला। “ओये तू इतनी जल्दी कैसे आ गया स्कूल से” वीणा ने शिराज से पूछा। शिराज ने कुछ नहीं कहा और सीधा अपने कमरे में गया और दरवाजा बंद कर दिया। “अच्छी बात है आ गई तू वीणा” साजिदा गुस्से में बोली। “क्या हुआ अम्मी” वीणा ने घबराके पूछा। “इस लड़के ने तो हमारा जीना हराम कर रखा है स्कूल से लेटर आया है कि ये कितने दिनों से स्कूल नी जा रहा है। एक परीक्षा भी नहीं दी इस नालायक ने। नजाने कहा किसके साथ रहता होगा।”

ये बोलके साजिदा अपना सर पकड़के सोफ़े पर बैठ गई। वीणा ने अपनी अम्मी को तसली दी और उसको कहा कि वो शिराज से बात करेगी… शिराज की सबसे पसंदीदा बहन वीणा थी.. जितनी लड़ी उसकी सानिया से थी उतना ही प्यार उसका वीणा के साथ था… मगर वीणा के काई बारी दरवाजे खटखटाने पर भी शिराज ने दरवाजा नी खोला। वीणा आज वैसे ही काफी झेल लिया था और अब वो परेशान होके अपने कमरे में चली गई सोने के लिए। 4 बजे तक घर पर सब शांत था फिर घर की घंटी बजी और साजिदा जल्दी से उठे दरवाज़ा खोलने के लिए। ज़मीर और सानिया खड़े थे बहार और ज़मीर कुछ ज्यादा ही गुस्से में था। “कहा है साहब ज़ादे” ज़मीर ने चिल्लाके पूछा साजिदा से। साजिदा ने कहा कि अपने कमरे को बंद करके बैठा हुआ है। ज़मीर ने भी शिराज को उसके हाल पे छोड़ दिया और इंतज़ार किया उसकी बहार निकलने का। शाम के 6 बजे थे और वीणा और सानिया दोनों बिस्तार पे सो रहे थे तभी शिराज ने अपने कमरे का दरवाजा खोला और देखा के उसकी अम्मी और पापा दोनों टीवी देख रहे हैं। वो चुप चाप जाके सोफ़े पर बैठ गया। कुछ देर बाद शिराज ने हिम्मत झुटाके पापा कहा और जमीर ने टीवी बैंड करदिया। “बोलो मैं सुन रहा हूँ” ज़मीर ने अपनी भारी आवाज़ में बोला। “मैं मानता हूं कि मैंने स्कूल बंक किया मगर खुदा की कसम मैंने कोई गलत काम नहीं किया। मैं समीर के घर पर रहता हूं हर समय आप चाहे तो पूछ सकता है”। ज़मीर ने कहा “उसकी कोई ज़रूरी नहीं है मैंने समीर से पहले ही बात कर ली थी और मुझे तुम पर भरोसा है कि तुमने कुछ गलत काम नहीं किया होगा। मैं तुम्हारे स्कूल गया था और बहुत गुज़ारिश करने के बाद तुम्हारी प्रिंसिपल ने तुम्हें आखिरी मौका दिया है .मगर मुझे ये बताओ तुमने परीक्षा क्यों नहीं दी और स्कूल क्यों बंक कराया??” “पापा उस स्कूल में सब मेरा मज़ाक उड़ाते हैं और मुझे हर वक़्त परेशान किया जाता है। मुझे उस स्कूल में तरह-तरह के नमो से पुकारा जाता है” ये बोलके शिराज के आँखों में आँसू आ गए। ज़मीर ने समझाया “बेटा इस दुनिया में कई तुम्हारे पे मुश्किलें आएंगी मगर तुम्हें उन्हें भगाना नहीं चाहिए। मेरेलिये तुम फिर से स्कूल जाके देखो। अब तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा”। कई कोशिशों के बाद शिराज ने ज़मीर की बात मान ली और जाके दोनों के गले लग गया। रात तक महौल काफी सुधर गया था। सब अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले गये। वीणा अपने बिस्तर पे अकेली नेहा और अमन के बारे में सोचने लगी। उससे एक पल भी नहीं लगा था कि ये दोनो मिलके उसको इतना भरा धोखा देंगे। तभी उसका मोबाइल बजा और अमन का संदेश आया, कृपया वीणा फोन उठाएं, बहुत जरूरी बात करनी है। वीणा ने काफी देर सोचा और उसको जवाब दिया कि मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी और तुम्हारी आवाज हरगिस नहीं सुननी। अमन ने फिर लिखा कि अगर हमारा प्यार सच्चा है तो कल तुम मुझे अपने कॉलेज के बाहर मिलोगी… मैं इंतजार करूंगा… वीणा ने अमन के संदेश का कोई जवाब नहीं दिया।

अंदर फेंक दिया और बिस्तार पे लेट गया। साजिदा बिस्तार से उठी और कंडोम वापस निकला और बोली “देखो आज संभोग तो नहीं कर सकती मगर मैं तुम्हारे लंड को चूस सकती हूँ”। ज़मीर ने भी सोचा जितना मिल रहा है उसको तो ले लिया जाए और कहा “मगर एक ही शर्त पे तुम्हें मेरा पानी मुँह में लेना होगा”। “जमीर तुम जानते हो ना मैं नहीं कर सकती ये सब” साजिदा गुस्से में बोली। ज़मीर ने साजिदा के माथे को चूमा और कहा कि “मैं ऐसी ही मजाक कर रही थी बेगम… मगर हां तुम्हारे बड़े बड़े गोरे गोरे मोमों पे तो डालूंगा ही” सेजीदा शरमाके बोली “जैसी आपकी मर्जी”… ये बोलके साजिदा ने ज़मीर के पजामे का नरहा खोलके नीचे गिरा दिया। उसने ज़मीन को बिस्तार पे बिठाया और मुस्कुराते हुए उसका कच्चा उतार दिया।

ज़मीर का काला लंड जो इतना चुका था उसको साजिदा ने छुआ और फिर हाथ में ले लिया। 2-3बारी हिलाने के बाद लंड थोड़ा बड़ा हो गया और साजिदा ने कंडोम के पैकेट में से निकला उसे लगा दिया। साजिदा ने हल्के से चूमा लंड को और आहिस्ता आहिस्ता अंदर लिया। ज़मीर ने साजिदा के लंबे बालों को संभाला और अपनी बेगम के मजे लेने लगा। साजिदा अब चुनने लगी थी लंड को और लंड पूरा तरह बड़ा हो गया था। साजिदा का उल्टा हाथ लंड को पकड़ा हुआ था तो ज़मीर ने उसके सीधे हाथ को अपने औरो को सहलाने में लगा दिया। ज़मीर ने साजिदा को बीच में रोका और झटके से उसने वो कुर्ता उतारा फेंका जो उसकी बेगम के बड़े मम्मों को छुपाए हुए थे… साजिदा रात में ब्रा नहीं पहनती थी तो उसके बाद ज़मीर की आँखों के सामने थे.. ज़मीर अब बिस्तर पे लेट गया था और साजिदा बिस्तार पे बैठ कर अपने पति का लंड चुन रही थी… लंड चुनने के साथ-साथ उसके बड़े मोमीन भी हिले जा रहे थे… ज़मीर ने अपने हाथ से एक स्टेन को दबाना शुरू करा और बीच बीच में चूमाओ को मसलना भी… साजिदा अब पूरे नशे में लंड को अपने मुँह के लिए जा रही थी और ज़मीर पूरी तरह गरम हो चूका था कि उसके मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी.. साजिदा ने अपनी पसंद की रफ़्तार तेज़ कर दी। पूरी तेजी से साजिदा लंड को चुनने लगी और जमीर ने “हट जल्दी” कहा और कंडोम को लंड से हटा दिया और अपना वीर्य आधे से ज्यादा साजिदा के मुँह पे जाने दिया। साजिदा गुस्सा होके टॉयलेट में चली गई। ज़मीर मन ही मन मुस्कुराने लगा। फिर उठके कंडोम फेंका और ज़मीन को साफ़ किया। जैसी ही साजिदा बाहर निकली तो ज़मीर ने उसको कुर्ता पहनने को दिया और अपना लंड साफ करने के लिए टॉयलेट चला गया। जब वह बाहर निकला तो पूरे कमरे में अँधेरा था और उसे पता चल गया था कि साजिदा बहुत गुस्से में है। वो भी फिर जाके बिस्तार पे सो गया।

सुबह पूरे घर में शांति छाई हुई थी। साजिदा ज़मीर की तरफ़ देख भी नहीं रही थी। ज़मीर ने उससे बात करने की कोशिश की मगर वो कल रात की वजह से अब भी ज़मीर से ख़फ़ा थी। रोज़ की तरह सानिया क्लासेस के लिए और शिराज स्कूल जाने के लिए उठे और लड़के झगरकर नीचे आ गए। साजिदा ने सबको नाश्ता दिया और घर से बाहर निकाल दिया। इतने दिनों के बाद आज शिराज स्कूल गया और उसे बड़ा अजीब लग रहा था। सब उसे यहीं पूछ रहे थे कि वो इतने दिन क्यों नहीं आया। उसने पीछा छुड़ाने के लिए झूठ मुंह कुछ बोल दिया…कुछ देर बाद सारे लड़के शीला की जवानी गाने के बारे में बात करने लगे.., सब कैटरीना कैफ के गोरे और कांचा जिस्म की तारीफ करने लगे..। उनमें से एक तो बोलने लगा कि सल्लू भाई की किस्मत है जो जब चाहे इसको चोदते होंगे और तभी दूसरा बोला ये भी तो रोल के लिए कुतिया की तरह आती होगी उसके पास… शिराज को भी कैटरीना पसंद थी मगर जिस तरह ये लड़के उसके बारे में बात कर रहा था वो सुनके उसे अच्छा नहीं लग रहा था…. शिराज लड़कियों के मामले में बहुत सीधा था। वो अपनी बहन के अलावा किसी और लड़की से बात भी नहीं कर पता था। ऐसा नहीं था कि उसे ये नहीं पता था कि लंड का असली इस्तमाल कहा जाता है या लड़की के जिस्म में कितने छेद होते हैं…. उसने इधर उधर से थोड़ा बहुत सीख ही लिया था…मगर फिर भी इसको सारे स्कूल के लड़के हिजड़ा बुलाते थे सिवै इसके सबसे अच्छे मित्र समीर के…

खैर किसी तरह शिराज का दिन बीत रहा था उधर दूसरा और ज़मीर स्कूल में पढ़ाई हुई जा रहा था। उसका दिमाग बस सेक्स के बारे में सोच रहा था। वो जानता था कि घर जाके उसको आज कुछ नहीं नसीब होगा और ये बात उसको और खाई जा रही थी। मगर वो याद कर रहा था कि साजिदा के चेहरे पे जब उसने बो वीरया तस्वीर हाये कमाल का नजारा था…. फिर वो स्कूल की लड़कियों को स्कर्ट में देखके और मचले जा रहा था। स्कूल का आखिरी आधा घंटा बच्चा था जो कि हमारा फ्री पीरियड होता था। जमीर समय काटने के लिए क्लास में बैठा कॉपिया चेक कर रहा था। पूरी क्लास में सिर्फ 3 लड़कियां थी और एक लड़का… बाकी सब बच्चे स्कूल में कहीं ना कहीं घूम रहे थे। ये जो 3 लड़कियां थी इनका नाम रंजना, एकता और सिमरन था। सिमरन पूरे स्कूल की टॉपर थी और देखने में बिल्कुल चुहिया जैसी पतली छोटी सी थी। इससे अलग रंजना और एकता थी गोरी, गुबारे जैसे फूली हुई और अपनी छोटी 18 साल की उमर में बम थी। उन दोनों लड़कियो के कई किस्से सुन रख्खे थे जमीर ने… उसका एक मित्र सलीम स्कूल में गणित पढ़ाता था… वो तो एकता के बारे में ये तक कहता था कि मार्क्स के लिए पांडे जी (हिंदी के टीचर) को चोद चुकी हूं है…. नजना इस बात में कितना सच था या नहीं मगर ज़मीर ने खुद रंजना को उसके बीएफ के साथ हाथों में हाथ डाले गले मिलते हुए पकड़ लिया था… खैर जो लड़का अकेला बैठा था उसका नाम आशीष था जिसका कोई भी पसंद था नी करता था क्योंकि वो हर समय अकेला चुपचाप बैठा रहता था। अभी भी वो उल्टे हाथ की ओर बैठा हुआ था और ये तीन बिल्कुल सीधे हाथ की ओर। ज़मीर की भी कुर्सी बीच में नहीं उल्टे हाथ पर थी ताकी वो पंखे की हवा का आनंद ले सके और साथ ही तीन सुंदरियों को तिरछी नज़रों से दर्शन करा सके। पूरी क्लास जमीर को सबसे अच्छे टीचर मानते थे तभी एकता आराम से डेस्क पे बैठके अपनी सहेलियों से बतिया रही थी। ज़मीर ने कॉपी को चेक करते हुए देखा कि एकता की बड़ी मोटी जांगो को देख रहा है जोकी उसकी स्कर्ट में से हल्की हल्की नजर आ रही थी। उसने गौर से देखा तो आशीष अपने लंड को भी सहला रहा था और एकटा को घूरते हुए…. इस दृश्य को देखे ज़मीर का लंड भी जाग चुका था। उसने अपने उल्टे हाथ से अपने लंड को ठीक किया। ज़मीर की नजरें भी एकता की जंगो पे पढ़ रही थी साथ ही साथ रंजना और सिमरन के हंसते चेहरे पर भी। उसे लगा काश वो इन चेहरों पर भी अपना वीरता प्रकट कर सके… फिर अचानक घंटी बच गई और स्कूल की छुट्टी हो गई। ज़मीर ने सब कुछ क्लास की अलमारी में फेंका और ताला लगा के टॉयलेट चला गया। उसने अपने पेंट की ज़िप खोली और अपने लंड को कच्चे से निकाला और उसको सहलाना लग गया। वो बस ध्यान लगा रहा था एकता के जिस्म पर और अपने लंड को आगे हिला रहा था। पूरी तरह खो गया था ज़मीन और अचानक से उसका वीर्य निकला और दूर जाके गिरा। ज़मीर का हाथ भी गंदा हो चुका था फिर भी उसको ऐसा लग रहा था कि वो पूरी तरह से संतुष्ट हो गया है। वो टॉयलेट से निकला और क्लास से अपना बैग लेके घर के लिए रावण हो गया..

आज जमीर को सानिया को क्लासेज से उठाना नहीं जाना था क्योंकि आज क्लासेज देर तक चलनी थी… वो सीधी तेजी से घर क्योंकि वहां से उसको साजिदा के साथ किसी के घर लंच के लिए जाना था…वैसे जब आपने सानिया को पढ़ाया था क्लासेस डेर तक चलनी है तब आपके दिमाग में जरूर गंदे ख्यालात आए होंगे मगर ऐसा नहीं था वो सिर्फ अपने दोस्तों के साथ मर्डर 2 की पिक्चर देखने गई थी… उसके दोस्तों में एक भी लड़का नहीं था सारी लड़की थी….फिलहाल फिल्म ख़तम होने में अभी भी घंटा लगा था… बाकी का तो पता नहीं मगर सानिया गरम हो चुकी इतने सारे सेक्स सीन के बाद… सानिया को इमरान हाशमी इतना भी पसंद नहीं था मगर जिस तरह से वो जैकलीन को मजा दे रहा था वो देखकर तो उसके होश ही उड़ गए… उधर दूसरी ओर जमीर ने साजिदा को घर से उठा लिया था मगर वो अभी उससे बात नहीं कर रही थी… शिराज घर पर अकेला था तो उसने खाना खाया और अपने कमरे में जाके लेट गया…. ये कामरा काफी अब्दा क्योंकि ये आधा सानिया का भी था… आप सोच रहे हैं होंगे कि सानिया वीणा के साथ क्यों नहीं रहती वो इसलिए क्योंकि पहले ये कामरा वीणा और सानिया का ही था मगर वीणा को इधर काफी डरावने सपने आया करते थे जिसकी वजह से ये शिराज के छोटे से कमरे में चली गई और शिराज इस कमरे में आ गया.. शिराज बिस्तार पे अकेला परहा याद कर रहा था कि उसकी क्लास के लड़के नजाने क्या क्या बक रहे थे कैटरीना कैफ के बारे में.. वो एक बात याद करने लगा और उसका लंड भी हिलने लगा… उसको अजीब लगा पहला मगर फिर उसने अपनी आंखें बंद कर ली और कैटरीना कैफ के बारे में सोचने लगा कि कैसे वो उस गाने में कह रही है थी ज़रा ज़रा मुझे छूओ मुझे चूमो मुझे महसूस करो मुझे… ये सोचके उसका लंड बड़ा होन… उसका हाथ अपने आप ही अपने लंड की तरफ बड़ा और उसे खेलने लगा… उसने अपने लंड को शॉर्ट्स में से निकला खुली हवा में मगर फिर अचानक उसका दिमाग में से कैटरीन कैफ की छवि मिट गई और उसकी आपकी वीणा की तसवीर बन गई… उसने उसे मिटाना चाहा मगर उसके ज़ेहन में वीणा नंगी थी और बोल रहा ज़रा ज़रा टच मी फील मी किस मी… शिराज ने घबरा के अपनी आंखें खोली और टॉयलेट गया अपने हाथ धोने के लिए… उसके टॉयलेट में पानी नहीं आ रहा था तो वो अपने अबू अम्मी के टॉयलेट में क्यों गया वो सबसे पास था… उसने डेटोल से अपने हाथ धो लीजिए.. नाल बंद करके जब वो बाहर जाने के लिए तो उसके सामने पड़ी हुई सफैद रंग की वॉशिंग मशीन देखी जो ढांग से बंद नहीं थी… उसने उसका धक्का खोला तो उसमें सबसे ऊपर वही काली टी-शर्ट और जींस थी जो कल वीणा ने पहनी थी… शिराज ने उसपे ध्यान न दिया उसको नीचे दबाने की कोशिश की और तभी उसमें से ब्रा थोड़ी बाहर की ताफ आ गई.. वही पर्पल ब्रा थी शिराज को समझ आ गया था कि ये उसकी आपी की हाय ब्रा है… उसने घबराते हुए मशीन में ढकेला और उसका धक्का लगाके वाहा से चला गया… अब्ब जैसी हाय वो अपने कमरे में जाने लगा तो घर की घंटी बजाई… उसने अपने माथे का पसीना पूछे और दरवाजा खोला ही उसकी आपी वीणा खड़ी थी… वीणा उसको देखकर ही मुस्कुराई और उसने गाल खींच दिए… फिर वो अपने कमरे में चली गई… शिराज को समझ नहीं आ रहा था कि ये सब हो क्या रहा है उसके साथ.. वो भी अपने कमरे में गया और आंखें बंद करके सो गया…

उधर सानिया फिल्म देखकर बाहर निकली तो शाम और रात के बीच का माहौल हो रहा था यानी के हल्का अंधेरा छा गया आसमान पे… सानिया की एक दोस्त ऋचा उसके घर के पास ही रहती थी तो दोनों ने सोचा कि एक ऑटो कर लेते है जल्दी जल्दी जाएँगे… ऑटो की तलाश में दोनों ने 10 मिनट गावा दिए मगर कोई नहीं रुका… उधर साजिदा का कॉल आया सानिया के मोबाइल पर जिससे सानिया और भी ज्यादा घबरा गई… ऋचा समझा दिया कि ऑटो छूट जाती है रिक्शा में ही चलते हैं 10 के 20 मिनट लग जाएंगे मगर पहुंच तो जाएंगे… उन दोनों ने टूरंट एक रिक्शा वाला ढूंढा और उसमें बैठ गए.. रिक्शा वाला काफी अच्छी रफ्तार में चल रहा था और मजे की बात ये थी कि उसकी रिक्शा के पीछे धन्नो लिखा हुआ था… मगर साला जहां सड़क खराब थी वहा भी तेजी से चल रहा था जिस वजह से ऋचा और सानिया की गांड सीट पर ऊपर नीचे होती रही… फिर कहीं रिक्शा रोक दिया उसने और उतार भागने लगा… इसे पहले दोनों पूछती कि वो कह जा रहा है वो तनाव के पास जाके मूटने लगा… ऋचा हस्के बोलके” तो इसलिए ये इतना तेज़ चल रहा था” डोनो लड़कियो ज़ोर से हसने लगी और उनकी हंसी उस रिक्शा वाले ने भी सुन ली… उसकी पसंद की इजाजत साफ कानों तक पहुंच रही थी दोनों लड़कियों के… ऋचा से रुखा नहीं गया और वो हल्के से हंसने लग गई… फिर वो रिक्शा चलाने वापस आया। .उसने आराम से पहले ऋचा को घर छोड़ा और फिर सानिया के घर जाके रुक गया…उसने 30 रुपये मांगे जोकी एक दम सही भाव था…सानिया ने अपना पर्स खोला और उसके पर्स में 50 का नोट था..उसने वो देखा नोट उसको दे दिया.. उस रिक्शा वाले ने अपनी जेब में से पैसे की गड्डी निकाली और सानिया की उंगलियों को छोड़े 20 का नोट थमा दिया… सानिया को याद आया कि साला वाहा मूत रहा था और उन हाथों से मेरी उंगलियों को भी छू लिया… घर पहुंच कर ही सबसे पहले उसने अपने हाथ धोए… उसकी उम्मीद थी कि आज वो बहुत सुनेगी साजिदा से मगर किसी ने उसे कुछ नहीं बोला …

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