दुबई में मिली देसी प्यासी चूत- 4

हम दोनों एक लेस्बियन सेक्स मूवी देख रही थी और हम दोनों में वासना भड़कने लगी थी.तभी मैंने शुरुआत करते हुए अपना एक हाथ निकिता की जांघ पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगी.निकिता ने भी अपना एक हाथ मेरे पेट पर रखा और सहलाने लगी.अब सब कुछ बर्दाश्त के बाहर हो रहा था.मोबाइल को एक तरफ रख कर निकिता ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए.हम दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगीं.ये इस तरह से हम दोनों का पहला ही संगम था.कब हम दोनों ने एक दूसरी के कपड़े उतार दिए; दोनों को ही पता न था हम दोनों पूरी तरह नंगी हो गई.निकिता के 34 इंच के बूब्स बहुत टाइट लग रहे थे और 36 की गांड भी बहुत कमाल लग रही थी.हालांकि मैं भी कुछ कम नहीं थी.अब निकिता मेरे निप्पल चूसने लगी और मुझे मस्ती चढ़ने लगी- निकिता, ओह यार … बहुत मज़ा आ रहा है … अम्मह … ओह माय गॉड!निकिता मेरे पेट और नाभि को चाटने लगी और मुझे गुदगुदी होने लगी.फिर उसने अचानक से अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी और मैं एकदम से सिटपिटा उठी.मैं सिसकारियां भरने लगी और मेरा बदन मचलने लगा.थोड़ी देर तक उसने मेरी चूत चाटी और फिर अपनी जीभ मेरी चूत में घुसा दी.मुझे अपनी चूत में उसकी जीभ से रगड़वाने में बहुत मजा आ रहा था- आह साली 69 में आ जा!तुरंत ही हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गईं.हम दोनों एक दूसरी की चूत चाट रही थी और दोनों ही एक दूसरी की गांड में उंगली भी कर रही थीं.हम काफी देर तक एक दूसरे को चाटती रहीं और इसी बीच हम दोनों दो दो बार झड़ भी चुकी थीं.काफी देर तक ऐसा करने के बाद हम दोनों झड़ गईं और थक भी गई थीं.फिर निकिता और मैं दोनों लेट गईं.मैं- निकिता, तू तो इन चीजों में तो बहुत एक्सपीरियंस्ड लगती है!निकिता- अरे, कॉलेज में सारी लड़कियां ऐसे ही किया करती थीं.मैं- लगता है तूने कॉलेज में पूरे मजे लिए हैं!निकिता बोली- कोई बात नहीं, आज से ये मजे तुझे भी मिला करेंगे.यह कह कर वह जोर जोर से चूमने लगी.निकिता ने मुझे एक बार धक्का देकर हटा दिया लेकिन पलटकर दोबारा से मुझे चूमना शुरू कर दिया.हम दोनों सहेलियां नंगी एक दूसरी को बेतहाशा चूमी जा रही थीं.हम दोनों का थूक एक दूसरे के मुँह में जा रहा था लेकिन ऐसा करने में मजा भी बहुत आ रहा था.निकिता और मैं एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगी होकर खड़ी हो गईं.निकिता- संजना, चल आज मैं तुझे जन्नत की सैर कराती हूं.इतना कहकर निकिता ने फिर से मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया और मैं मस्ती में इधर उधर मचलने लगी.निकिता तो ऐसे चूत चाट रही थी, जैसे ऐसा करने में उसे पता नहीं कितना तजुर्बा हो.फिर निकिता मेरे ऊपर आई और उसने मेरे बूब्स को चूसना शुरू कर दिया. मैंने भी निकिता के बूब्स को चूसना शुरू कर दिया.अब हम दोनों पूरी कामुकता में लीन हो चुकी थीं और एक दूसरे की चूत चाटने लगी पड़ी थीं.हम दोनों फिर एक बार 69 की पोजीशन में थीं.फिर हमने एक दूसरे को थोड़ी देर की चूमा.निकिता ने बीच में उठकर पलंग के नीचे रखे अपने बैग में एक दो तरफा प्लास्टिक का लंड निकाला.थोड़ी देर उसको चूसने के बाद अपनी चूत पर रखा और अपने पैरों को कैंची की तरह बनाते हुए उसका एक सिरा मेरी चूत पर लगा दिया.हम दोनों ने अपनी अपनी चूत से चूत सटा दी और वह लंड हमारे दोनों की चूत में आधा-आधा घुस गया.निकिता ने मेरे दोनों पैर पकड़ लिए और मैंने उसके दोनों पैर पकड़ लिए.इस तरह हम दोनों एक दूसरे को खींचने लगीं और आगे पीछे करने लगीं.हम अपने आप ही आगे पीछे हो रही थी और चुदाई के मजे ले रही थीं.दोनों ही सेक्स भरी आवाज निकाल रही थीं और रह रह कर अपने अपने बूब्स को मसल रही थीं.फिर निकिता ने अलग होते हुए उस प्लास्टिक के लंड को दोनों की चूत से निकाल लिया और जो सिरा उसकी चूत में था, उसे मेरे मुँह में दे दिया और दूसरा खुद के मुँह में लेकर चूसने लगी.दोनों ही चूत का नमकीन पानी हम दोनों बड़ी वासना से चाट रही थीं.फिर उस प्लास्टिक के लौड़े को एक तरफ फेंक कर हम दोनों ने अपनी अपनी चूत एक दूसरे के मुँह के आगे रख दी.मैंने उसकी चूत पर जीभ को रखा तो मुझे बहुत अच्छा लगा और उसकी चूत जोर-जोर से चाटने लगी.मैं उसकी चूत में जीभ को अन्दर भी डालने लगी.वह भी मेरे साथ ऐसा ही करने लगी और हम दोनों एक दूसरे के मजे लेने लगीं.फिर थोड़ी देर के बाद निकिता झड़ गई और मैंने उसका सारा पानी पी लिया.मैं भी अब झड़ने वाली थी और जैसे ही मैं झड़ी, निकिता मेरी चूत किसी कुतिया की तरह चाटने लगी और सारा पानी चट कर गई.अब हम दोनों थोड़ी देर के लिए आराम से लेट गई थीं.निकिता- कैसा लगा संजना मजा आया कि नहीं!यह कहती हुई वह मेरे ऊपर आ गई और मुझे किस करने लगी.हम दोनों ने अपनी अपनी चूत मिला ली और कैंची बनाकर एक दूसरे को झटके देने लगीं.ऐसा करने से हम दोनों को परम सुख मिल रहा था और हम दोनों ‘उम्ह … आह्ह …’ की आवाज निकाल रही थीं.यही करती हुई हम दोनों एक बार फिर से झड़ गईं.इस तरह काफी देर एक दूसरे के मजे लेने के बाद भी हमारा मन अभी नहीं भरा था.हम दोनों काफी देर तक ऐसा ही करती रहीं.फिर एक दूसरी की चूत में उंगली की और जब तक हम दोनों दोबारा नहीं झड़ गईं, उंगली करती रहीं और एक दूसरे को चाटती और चूमती रहीं.झड़ने के बाद हम दोनों को एक दूसरी को चूमने में अजीब सा सुख मिल रहा था.फिर थकान भी दो बोतल शराब के नशे जितना हो गई थी.तो हम दोनों एक दूसरी की बांहों में बांहें डाल कर नंगी ही सो गईं.यह हमारा पहल समागम था.अगले दिन सुबह निकिता बाथरूम में गयी और नहाने लगी.वह कुछ देर बाद नहा कर बाहर आई.उसने कहा- संजना, अब तू जा और नहा ले.मैं भी फ्रेश होकर आई और मैंने लाल रंगकी टी-शर्ट पहनी और लाल लिपस्टिक लगाई थी.निकिता भी उस दिन मैक्सी में मस्त लग रही थी.मैं और निकिता हॉस्टल के हॉल में सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगीं.कुछ देर तक मैं निकिता के साथ टीवी देखती रही और फिर मुझे नींद आने लगी तो मैं जाकर अपने रूम में लेट गयी.थोड़ी देर बाद निकिता भी रूम में आई और मेरे पास लेट गयी.मैं- क्या हुआ?तो वह बोली- कुछ नहीं यार, बेचैनी हो रही है.वह कसमसाती हुई लेट गयी.उसने मेरी टी-शर्ट के अन्दर हाथ डाला और मेरे पेट को सहलाती हुई धीरे से अपने हाथ को मेरे स्तन पर ले गयी और मेरे निप्पल को उंगली से मसलने लगी.मैं कुछ देर तक तो कुछ नहीं बोली क्योंकि मुझे भी अच्छा लग रहा था.कुछ देर बाद निकिता ने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिए और मेरे होंठों को चूसने लगी.होंठ चूसने के साथ साथ वह मेरे गोल गोल स्तनों को भी मसलती जा रही थी.उसने जल्दी ही मेरे होंठों की सारी लिपस्टिक को चूस लिया था.मैं भी उसके होंठों को अपनी होंठों से दबा दबा कर चूसने लगी.कुछ ही देर में हम दोनों गर्म हो गईं और गर्ल गर्ल Xxx करने में एक दूसरी का साथ देने लगीं.वह ऐसे ही मेरी होंठों को 5 मिनट तक चूसती रही और उसने मेरी टी-शर्ट निकाल दी.फिर वह मेरे एक मम्मे को मुँह में रख कर चूसने लगी.मैं गनगना उठी और उसके सर को मैंने अपने दूध पर दबा लिया.तो वह मेरे दूध को मुँह में रख कर खींचती हुई चूसने लगी.मैं- आह सीई सीई … आह चूस ले साली रंडी आह उई मां.वह मेरे निप्पल को अपने होंठों से दबा दबा कर खींच कर चूस रही थी और दूसरे मम्मे को अपने हाथ में पकड़ कर दबा रही थी.मेरे गोल और चिकने मम्मों को वह अपने हाथ से पकड़ पकड़ कर मसल रही थी.फिर निकिता अपने कपड़े निकालने लगी.एक ही मिनट में वह ब्रा और पैंटी में आ गयी.उनके दोनों मम्मे ब्रा के अन्दर से साफ दिख रहे थे.रात को तो बराबर पता नहीं चला पर अभी देखने से पक्का हो गया कि उसके बूब्स मेरे बूब्स से बहुत बड़े थे.उसके बड़े काले निप्पल ब्रा के ऊपर उठे हुए थे और लग रहा था कि अब ये ब्रा को फाड़ कर बाहर निकल आएंगे.मैं उसके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही दबाती हुई अपने मुँह में रख कर चूसने लगी.फिर मैं उसके एक निप्पल को मुँह में दांतों से दबा कर खींच खींच कर चूसने लगी.निकिता ने स्वयं ही ब्रा की हुक खोल दी. उसने जैसे ही ब्रा की हुक खोली, वैसे ही उसके मम्मे उछल कर बाहर आ गए.उसके दूध बहुत ही मस्त थे.मैं उसके एक मम्मे को अपने मुँह में रख कर चूसने लगी. उसका दूध बहुत बड़ा था तो मैं उसके दूध को पूरा अपने मुँह में नहीं ले पा रही थी तो अब मैं उसके निप्पल को अपने होंठों से खींचती हुई चूसने लगी.निकिता अपने मुँह से गर्म सांसें लेती हुई व कामुक आवाजों के साथ ‘ऊह ऊह … आह्ह्ह उई सीई … हां … और जोर से चूस ले कुतिया उई आह.’ चीखने लगी थी.उसकी इन मादक सिसकारियों की वजह से मेरे अन्दर भी वासना की आग और भड़कने लगी.मैं उसके एक दूध को अपने मुँह से चूसती हुई उसकी नर्म मुलायम चूत को भी सहलाने लगी.मैं उसकी चूत को कुछ देर तक ऐसे ही सहलाती रही.फिर निकिता ने अपनी टांगों को फैला दिया और मैं वासना के चलते उसकी चूत में अपना मुँह को घुसा कर चाटने लगी.उसने मेरे सर को अपनी चूत में घुसेड़ लिया था तो मैं उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपने होंठों से पकड़ पकड़ कर खींचने लगी.निकिता कामुक सिसकारियां लेती हुई कसमसाने लगी- ई ई ओह्ह … उई … उह्ह!उसने गांड को उठा कर चूत को और फैलाने की कोशिश की तो मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ को भी घुसा दिया.अब मैं उसकी चूत की पंखुडियां को अपनी उंगलियों से फैला कर जीभ को अन्दर तक घुसा कर चाटने लगी.चूत को ऐसे ही जीभ से चाटने के साथ साथ मैं उसकी चूत में अपनी बीच वाली उंगली को घुसेड़ कर जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगी.अब निकिता मदहोश करने वाली आवाजें करने लगी और मैं सेक्स के नशे में बेसुध उसकी चूत को जोर जोर से चाट रही थी.निकिता से अपनी वासना संभाले नहीं संभल रही थी. वह अब अपने एक निप्पल को अपने मुँह में रख कर चूसने की कोशिश करने लगी.इधर मैं उसकी चूत में जोर जोर से उंगली को अन्दर बाहर करती हुई चाटने लगी.निकिता- अह ह्ह्ह ह्ह्ह हां … चोद दे मुझे साली रांड आआहवह यह सब कहती हुई अपनी चूत को आगे पीछे करने लगी और साथ में अपनी चूत को अपने हाथ से सहलाने भी लगी.लड़की के द्वारा लड़की की चूत चाटने से वासना का सैलाब कितनी जल्दी अपने चरम पर आ जाता है, यह उस वक्त देखने को मिल रहा था.कुछ ही पलों बाद निकिता ने बहुत ही फुर्ती से बेड से उठ कर मेरे मुँह पर अपनी चूत के मुँह को सटा दिया.अब वह अपनी चूत जोर जोर से रगड़ने के साथ साथ उसे अपने हाथ से भी रगड़ने लगी.कुछ ही देर में उसकी चूत से गर्म पानी की धार निकल पड़ी.मैं वासना के वशीभूत वह सारा पानी पी गयी थी. उसकी चूत के पानी का नमकीन स्वाद व खट्टा सा था.झड़ने के बाद उसने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरे ऊपर लेट गयी.वह मेरे चूचे के निप्पल को पकड़ कर अपने मुँह से जोर जोर से खींचती हुई को चूसने लगी.अब सिसकारियां लेने की बारी मेरी थी.मैं ‘ऊह आह … इस्स … उई आआह …’ करती हुई सिसकारियां ले रही थी.वह मेरी चूत में अपने मुँह को घुसा कर जगह बनाने लगी. मैंने उसे अपनी चूत में घुसेड़ लेने के नजरिए से खींचा तो वह मेरी चूत में अपनी जीभ को घुसा कर अन्दर बाहर करने लगी.अब मैं बेबाक होकर सिसकारियां लिए जा रही थी.‘ऊ ऊ … सी सी …’इन्हीं सिसकियों के साथ मैं अपने बूब्स को मसलने लगी.वह मेरी चूत के दोनों पंखुड़ियों को फैला कर जोर जोर से अपनी जीभ को अन्दर बाहर करने लगी, साथ में मेरी चूत को अपने होंठों से पकड़ पकड़ कर खींचने लगी.इससे मेरे जिस्म में आग सी लग गयी और मैं वासना की आग में जलने लगी.निकिता मेरी चूत में अपनी दो उंगलियों को डाल कर जोर जोर से हिलाने लगी, तो मैं ‘उई … हां हां … आआह …’ करती हुई अपने निप्पलों को मसलती हुई चूत चुसाने लगी.मुझसे रहा नहीं जा रहा था.मैं निकिता का सर पकड़ कर चूत पर दबाने लगी और वह मेरी चूत में अपनी उंगलियों को जोर जोर से हिला रही थी.इससे मेरी चूत से कुछ ही देर में गर्म पानी की धार निकल पड़ी.वह एक मंजी हुई खिलाड़ी की तरह मेरी चूत का सारा पानी गटक गयी और मेरी चूत को चाट चाट कर साफ कर दिया.थोड़ी देर बाद तब निकिता बोली- तेरी आग देख कर लगता है की अब तुम्हें लंड की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है!मैंने कहा कि मुझ अकेली को नहीं, हम दोनों को लंड की ज़रूरत है.उसके बाद भी काफी दिनों तक हम दोनों एक दूसरी की चूत चूसती और चाटती रहीं, पर मुझे मेरा पहला लंड विवाह के बाद मेरे पतिदेव का ही मिला.यह बोल कर संजना और रुचि दोनों मेरी गोद में बैठ गईं.अब तक काफी आराम हो चुका था तो फिर वही चुदाई का सिलसिला चल पड़ा.यह सिलसिला लगातार दो वर्षों तक ऐसे ही चलता रहा.संजना और रुचि को मैंने उनके फ्लैट के हर कोने में चोदा.संजना को तो मैंने दिन में, गाड़ी में, लिफ्ट में, ऑफिस के स्टोर में, जहां मौका मिला, चोद दिया था.आज भी मेरे पास चूतें चुदने आ जाती हैं,