घर पहुंच कर दोपहर का खाना खाया.
चाची ने बहुत बढ़िया खाना खिलाया.
दिन कटा और रात हो गयी.
रात का खाना खाने के बाद एक ही रूम में सब सो रहे थे.
चाचा-चाची, साधना, जय और उनके बाद मैं.
मेरी बगल में जगह नहीं थी.
तभी साधना मेरे बाजू में आई और बोली- भैया, मेरे मोबाइल की सैटिंग कर दो.
मैं लेट कर ही मोबाइल की सैटिंग करने लगा.
साधना भी मेरे बगल में लेट गयी और देखने लगी.
वह मेरे बदन से चिपक गयी थी.
उसकी गर्मी मुझे महसूस होने लगी थी.
मेरा लंड खड़ा हो गया और वह चद्दर में से दिख रहा था.
मैं जय की तरफ मुड़ा और सैटिंग करने लगा.
साधना मेरी पीठ से सट गयी.
उसकी चूचियां मेरी पीठ से रगड़ खाने लगीं और मेरी हालत खराब होने लगी.
मैं फिर से सीधा हो गया और पीठ के बल चित लेट गया.
साधना ने मेरे पैरों पर अपना पैर रख दिया.
मैंने साधना की तरफ देखा पर वह नॉर्मल थी, बस मोबाइल में देख रही थी.
करीब करीब 30 मिनट तक मैं सैटिंग करता रहा.
साथ मेरा लंड भी खड़ा रहा.
आखिर में मैंने मोबाइल उसे दिया और कहा- ले हो गया.
वह मुड़ी तो उसकी पीठ मेरी तरफ थी.
मैं उठा और बाथरूम जाकर आया.
मैंने देखा तो सब सो रहे थे.
मैं फिर अपनी जागह चला गया और साधना के पीछे सो गया.
वह मोबाइल में ही लगी थी.
मैंने पूछा- हो गया ना!
वह हां बोली और फिर मोबाइल में देखने लगी.
मैं भी उसकी तरफ मुड़ गया.
मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा.
अब मैं उसके पीछे से चिपक गया.
उसने कोई हरकत नहीं की, वह मोबाइल में व्यस्त थी.
अब मैंने अपना हाथ उसकी कमर पर रखा.
वह अभी भी मोबाइल से जूझ रही थी.
उसने टी-शर्ट पहनी थी.
मैंने उसकी टी-शर्ट को थोड़ा सा ऊपर किया और उसकी नाजुक नंगी कमर पर हाथ रख लिया.
अब धीरे धीरे मैं उसकी कमर को सहलाने लगा.
मेरा लंड तो अभी भी तनतनाया हुआ खड़ा था.
मैं थोड़ा और आगे को सरक गया.
अब मेरा लंड उसकी पीछे वाली दरार में घुसने की कोशिश कर रहा था.
तभी उसने अपना पिछवाड़ा हिलाया तो लंड सीधे दरार में फंस गया.
मैं पहले थोड़ा डर गया था, पर बाद में आश्वस्त हो गया था कि साधना ने मेरे लंड की दस्तक पर लंड को अपने दरार में समायोजित कर लिया है.
मतलब उसने खुद मेरा रास्ता साफ कर दिया था.
मैंने ऊपर उठ कर सब पर नजर मारी, सब सो रहे थे.
मैंने फिर उसकी टी-शर्ट को थोड़ा और ऊपर कर दिया और अपना हाथ उसके पेट पर चलाने लगा.
वह जरा कसमसाई, फिर शांत हो गयी.
मैंने अपनी गर्म सांसें उसकी गर्दन पर छोड़ने लगा.
उसने अपनी गर्दन की नसें टाईट कर लीं.
वह देख तो मोबाइल रही थी, पर उसका ध्यान मेरी हरकतों पर था.
मैंने अब अपनी टांग उसके ऊपर डाली, वह शांत थी.
तब मैंने हाथ से उसके लहंगे की डोरी टटोली और उसकी गांठ खोल दी.
वह कुछ नहीं बोली.
तो मैंने अपना हाथ उसके लहंगे में डाल दिया.
वह अभी भी मेरी हरकतों को नजरअंदाज करती हुई मोबाइल में देखती रही.
शायद वह मेरी अगली हरकत का इंतजार कर रही थी.
उसने लहंगे के अन्दर चड्डी पहन रखी थी.
मैं उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा.
अब उसकी आंखें बंद हो गईं.
मैं समझ गया कि अब साधना गर्म हो चुकी है.
मैंने अपना दूसरा हाथ उसके चूचे पर रख दिया और उस दबाने लगा.
उसकी कामुक सिसकारियां निकलनी चालू हो गईं.
मैंने उसके कान में कहा- आवाज मत करो, कोई जाग जाएगा.
उसने हां में सर हिलाया.
मैं उसकी चूची को दबाने लगा और चूत को सहलाने लगा.
कुछ देर बाद मैंने उसकी चड्डी के अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी चूत को दाने को दो उंगलियों की चिमटी में लेकर मसलने लगा.
वह ‘अम्म्म अम्म्म …’ करती रही.
कुछ देर बाद मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा.
इस हरकत से मानो उसके अन्दर भूचाल आ गया था.
उसने मेरे हाथ को कसके पकड़ लिया.
पर मेरी उंगली और दूध पर हाथ बदस्तूर चलते रहे थे.
चूत से हल्का हल्का पानी रिसने लगा था जो इस बात का परिचायक था कि चूत को मजा आ रहा है और वह चुदासी हो रही है.
अब मैंने उसका चेहरा अपनी ओर करके उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा.
वह भी साथ देने लगी.
मैंने अपनी जुबान उसके मुँह में दे दी.
उसने मेरी जुबान का अपने मुँह में स्वागत करते हुए अपनी जुबान से चूसने लगी.
अब मुझसे रहा नहीं गया.
मैंने अपनी चड्डी खोल दी और अपने लंड को उसके हाथ में दे दिया.
जैसे ही उसने मेरे लंड को हाथ लगाया, उसने झट से अपना हाथ ऐसे खींच लिया, जैसे कोई बिजली का झटका लगा हो.
शायद वह डर गयी थी.
मैंने फिर से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया.
इस बार उसने हाथ नहीं खींचा.
अब धीरे धीरे वह मेरे लंड को आगे पीछे करने लगी.
मैं भी उसकी चूत में और चूची पर अपने हाथ को चलाने लगा.
फिर मैंने उसकी एक टांग उठाकर मोड़ ली और अपने पैरों पर ले ली.
उससे उसकी चूत जरा खुल गयी.
विलेज गर्ल सेक्स की शुरुआत हो गयी.
मैंने अपने लंड को उसके हाथ से पकड़वा कर चूत पर सैट कर लिया लेकिन अन्दर नहीं डाला.
उसकी चूत को मैं अपने लंड के टोपे से रगड़ने लगा.
वह उम्म्म उम्म्म करने लगी.
मैं उसके कान में बोला- पेल दूँ, चिल्लाएगी तो नहीं ना!
उसने अपना मुँह अपने हाथों से ढक लिया पर मोबाइल अभी भी उसके हाथ में था.
ये मोबाइल का ही कमाल था, जो यह चिकनी कमसिन चूत मुझे चोदने मिल रही थी.
मैं आहिस्ता से उसकी चूत में अपना लंड ठांसने लगा.
आहिस्ता आहिस्ता लंड अन्दर जा रहा था.
तभी उसने अपने हाथ पीछे किए और मुझे रोक दिया.
शायद उसे दर्द हो रहा होगा.
मैं भी कुछ देर रुका. मैंने अपना लंड बाहर निकाला, उस पर थूक लगाया और फिर से अन्दर पेलने लगा.
अब की बार थूक की वजह से लंड थोड़ा और अन्दर चला गया.
पर कसावट बहुत थी. उसकी चूत मानो लंड को चबाए जा रही थी.
वह अपने दांतों को दांतों पर रख कर अपने दर्द को दबा रही थी.
मैंने थोड़ा और जोर लगाया तो अबकी बार उसकी सिसकारी निकली.
शायद वह दर्द के मारे कसमसा रही थी.
मैंने सोचा कि इस तरह से तो काम नहीं हो पाएगा और यह चिल्ला दी तो रायता फैल जाएगा.
तब मैंने उसके मुँह को अपने हाथ से बंद किया और उसको पलटी मार कर उस पर चढ़ गया.
मेरी इस हरकत पर मेरा पूरा वजन उस पर आ गया और लंड अन्दर घुसता चला गया.
उसकी आंख से आंसू आ गए.
वह छटपटा रही थी लेकिन मेरे वजन के कारण उसकी छटपटाहट कुछ काम नहीं कर रही थी.
मैं कुछ देर ऐसे ही रुका रहा और मैंने मुंडी घुमा कर सब लोगों पर नजर मारी, तो चाचा चाची सो रहे थे.
मैं उनकी कमसिन बेटी की बुर को उनके बगल में ही लेट कर पेल रहा था.
मुझे बड़ा मस्त लग रहा था.
ऐसा लग रहा था मानो मैं किसी की पर्सनल मुर्गी को उसके बाजू में पकड़ कर हलाल कर रहा हूँ.
मैंने फिर से पेलना चालू किया और लंड आगे पीछे करने लगा.
उसको अभी भी दर्द हो रहा था, पर वह सहन कर रही थी. जैसे वह मोबाइल का रिटर्न गिफ्ट दे रही थी.
कुछ देर बाद चूत में चिकनाई आ गई और मेरा लंड अब आराम से आगे पीछे होने लगा.
उस विलेज गर्ल को सेक्स में दर्द और मजा साथ साथ आने लगा.
कुछ ही क्षणों में उसकी नसें टाईट हुईं और उसने मोबाइल को अपनी मुट्ठी में जोर से दबा लिया.
आह की हल्की सी आवाज के साथ वह झड़ने लगी.
मैं अभी भी उसको चोदे जा रहा था.
अब तो चूत में भरपूर चिकनाई हो गई थी तो लौड़े को सटासट आने जाने में गजब की मस्ती चढ़ रही थी.
मैं वापस से एक साइड हुआ और साइड से उसकी चूत पेलने लगा.
इस बार मैं दूसरी साइड हुआ था तो बाकी सब लोग सोए हुए हम दोनों को ही दिख रहे थे.
मेरे धक्के जारी थे. साथ ही उसके दोनों चूचों को दबाना चालू था.
अब मैंने उसके दूसरे पैर को मोड़ कर अपने ऊपर ले लिया.
एक टांग सीधी थी और दूसरी टांग मुड़ी हुई थी.
मैं उसको धकापेल चोदे जा रहा था.
इस पोजीशन में वह फिर से झड़ने लगी.
अब मेरा भी रस निकलने को हो गया था तो मैंने अपना लंड बाहर खींच लिया और उसकी जांघों पर अपना वीर्य गिरा दिया.
मेरा वीर्य उसकी गांड के ऊपर से होते हुए बहने लगा.
मैं उससे बोला- जाओ बाथरूम में और धोकर आ जाओ.
वह तुरंत उठी और लहंगा पकड़ कर बाथरूम की ओर भागी.
कुछ देर बाद वह वापस आ गयी.
पर मुझसे शर्मा रही थी.
मोबाइल उठाने के लिए झुकी, तो मैंने उसको पकड़ कर खींचा और कहा- यहीं सो जा.
वह बोली- मुझे शर्म आ रही है.
मैंने उसको उठने नहीं दिया. उसने भी फिर से उठने का प्रयास नहीं किया.
मैं उठकर बाथरूम में गया और साफ होकर आ गया.
आकर देखा तो साधना वहीं थी, शायद सोने का नाटक कर रही थी.
मैं फिर से उसके पीछे चला गया और उसको अपनी बांहों में भर लिया.
मैं उससे बोला- साधना, आय लव यू!
पर वह कुछ नहीं बोली.
मैं कुछ बोलता, उसके पहले चाची की हलचल हुई, तो मैं उलटी दिशा में मुँह करके सोने का नाटक करने लगा.
कुछ देर में चाची उठीं. उन्होंने सबका जायजा लिया और बाथरूम में चली गईं.
कुछ देर वे फिर से वापस आई और उन्होंने साधना को उठाने का प्रयास किया.
चाची बोलीं- साधना, अपनी जगह पर चलो!
पर साधना सोने का नाटक करती रही.
आखिरकार चाची बिना कुछ किए अपनी जगह पर जाकर सो गईं.
कुछ देर बाद मैं फिर से मुड़ा और साधना से बोला- क्या मैं एक बार और करूँ, मेरा दिल नहीं भरा!
तो वह हम्म कर गयी.
उसने मुझे देखा और बोली- नींद नहीं आयी क्या?
मैं बोला- तुमने मेरी नींद उड़ा दी.
अबकी बार उसकी दोनों जांघों के बीच में बैठ कर मैंने उसे करीब 40 मिनट तक पेला.
उसमें वह 2 बार झड़ी.
मैंने अपना माल उसके पेट पर निकाला और उसकी नाभि भर गयी.
सुबह तक मैंने उसे सोने नहीं दिया.
उस रात मैंने उसे 3 बार चोदा.
फिर सुबह होने से पहले मैं उससे बोला कि अपनी जगह पर चली जाओ.
वह चली गयी.