ये बात आज से 9-10 बरश पहले की हैं जब मेरी उमर 20-21 साल की थी. ऊन दिनो मैं बॉम्बे में रहता था. मेरे मकान के बगल में एक नया किरायेदार सुखबिनेर रहने आया. वो किराए के मकान में अकेला रहता था. मेरी हम उमर का था इसलिए हम दोनो में गहरी दोस्ती होगयी. वो मुझ पर अधिक विस्वास रखता था क्योंकि में सरकारी कर्मचारी था और उस से ज़्यादा पड़ा लिखा था. वो एक प्राइवेट फॅक्टरी मे मशीन ऑपरेटर था. उसके परिवार में केवल 4 सदस्य थे. उसकी विधवा मा 41 साल की, विधवा भुवा (यानी की उसकी मा की सॅगी ननद) 35 साल की और उसकी कुवारि बहन 18-19 साल की थी. वे सब उसके गाओं मैं रहकर अपनी खेती बड़ी करते थे.
दीवाली वाकेशन में उसकी मा और बहन मुंबई में 1 महीने के लिए आए हुए थे. डिसेंबर में उसकी मा और बहन वापस गाओं जाने की ज़िद करने लगे. लेकिन काम अत्यधिक होने के कर्ण सुखबिंदर को 2 महीने तक कोई भी च्छुटी नही मिल सकती थी. इसलिए वो टेन्षन मे रहने लगा. वो चाहता था कि किसी का गाओं तक साथ हो तो वो मा और बहन को उसके साथ भेज सकता है. लेकिन किसी का भी साथ नही मिला.
सुखबिंदर को टेन्षन में देख कर मैने पुचछा, क्या बात सुखबिनेर, आज कल तुम ज़्यादा टेन्षन में रहते हो ?
सुखबिंदर: क्या करूँ यार, काम ज़्यादा होने के कारण मेरा ऑफीस मुझे अगले 2 महीने तक छुट्टी नहीं दे रही हैं और इधर मा गाओं जाने की ज़िद कर रही हैं. मैं चाहता हूँ कि अगर कोई गाओं तक किसी का साथ रहे तो मा और बहन अच्छी तरह से गाओं पहुँच जाएगी और मुझे भी चिंता नहीं रहेगी लेकिन गाओं तक का कोई भी साथ नहीं मिल रहा हैं ना ही मुझे छुट्टी मिल रही हैं इसलिए मैं काफ़ी टेन्षन में हूँ.
यार अगर तुम्हे इतराज़ ना हो तो मैं तुम्हारी प्राब्लम हाल कर सकता हूँ और मेरा भी फ़ायदा होज़ायगा.
सुखबिंदर : यार मैं तुमहरा यह आसहान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा आगर तुम मेरी प्राब्लम हाल कर दो तो. लेकिन यार कैसे तुम मेरी प्राब्लम हाल करोगे और कैसे तुमहरा फ़ायदा होगा ?
यार सरकारी दफ़्तर के अनुसार, मुझे साल में 1 महीने की छुट्टी मिलती हैं. अगर मैं छुट्टी लेता हूँ तो मुझे गाओं या कहीं भी जाने का आने जाने का किराया भी मिलता है और एक महीने की पगार भी मिलती. अगर मैं छुट्टी ना लू तो 1 महीने की छुट्टी लप्स हो जाती है और कुच्छ नहीं मिलता हैं.
सुखबिंदर: यार तुम छुट्टी लेकर मा और बहन को गाओं पहुँचा दो इस बहाने तुम मेरा गाओं भी घूम आना.
अगले दिन ही मैने छुट्टी की लिए आवेदन पत्र देदिया और मेरी च्छुटी मंजूर होगयी.
सुखबिंदर चालू टिकेट लेकर हम दोनो को रेलवे स्टेशन पहुँचाने आया. हुँने टीटी को रिक्वेस्ट कर के किसी तरह 2 सीट अरेंज करली. गाड़ी करीब रात 8:40 पर रवाना हुई. रात करीब 10 बजे हमने खाना खाया और गपशुप करने लगे. बहन ने कहा भाया मुझे नींद आरही हैं और वो उपर के बर्त पर सो गयी. कुच्छ देर बाद मा भी नीचे के बर्त पर चदडार औध कर सो गयी और कहा कि तुम अगर सोना चाहते हो तो मेरे पैर के पास सिर रख कर सो जाना. मुझे भी थोड़ी देर बाद नीद आने लगी और मैं उनके पैर के पास सिर रख कर सो गया. सोने से पहले मैने पॅंट खोल कर शॉर्ट पहन लिया. मा अपने बाई तरफ करवट कर के सो गयी. कुच्छ देर बाद मुझे भी नींद आने लगी और मैं भी उनका चदडार ओढ़ कर सोगया. अचानक रात करीब 1:30 मेरी नींद खुली मैने देखा कि मा की सारी कमर के उपर थी और उनकी चूत घने झांतो के बीच च्छूपी थी. उनका हाथ मेरे शॉर्ट पर लंड के करीब था. यह सब देख कर मेरा लंड शॉर्ट के अंदर फड़फड़ने लगा. मैं कुच्छ भी समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ. मैं उठकर पैसाब करने चला गया. जब वापस आया मैं चदडार उठा कर देखा तो अभी तक मा उसी अवस्था मैं सोई थी. मैं भी उनकी तरफ करवट कर के सोगया लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. बार बार मेरी आँखों के सामने उनकी चूत घूम रही थी. थोड़ी देर बाद एक स्टेशन आया वहाँ 5 मिनिट्स तक ट्रेन रुकी थी और मैं विचार कर रहा था कि क्या करूँ.
जैसे ही गाड़ी चली मेरे भाग्य ने साथ दिया और हमारे डिब्बे की लाइट चली गयी मैने सोचा कि भगवान भी मेरा साथ दे रहा हैं. मैने अपना लंड शॉर्ट से निकाल कर लंड के सूपदे की टोपी नीचे सरका कर सूपदे पर ढेर सारा थूक लगा कर सूपदे को चूत के मुख के पास रख कर सोने का नाटक करने लगा. गाड़ी के धक्के के कारण आधा सूपड़ा उनकी चूत मैं चला गया लेकिन मा की तरफ से कोई भी हरकत ना हुई. या तो वो गहरी नींद मैं थी या वो जनभूज़ कर कोई हरकत नही कर रही थी मैं समझ नहीं पाया. गाड़ी के धक्के से केवल सूपदे का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अंदर बाहर हो रहा था. एक बार तो मेरा दिल हुवा कि एक धक्का लगा कर पूरा का पूरा लंड चूत में डाल दूं लेकिन संकोच और डर के कारण मेरी हिमत नहीं हुई. गाड़ी के धक्के से केवल सूपदे का थोडा सा हिस्सा चूत में अंदर बाहर हो रहा था. इस तरह चोदते चोदते मेरे लंड ने ढेर सारा फुवरा उनकी चूत और झांतो के उपर फेक दिया. अब मैं अपना लंड शॉर्ट मैं डाल कर सो गया. करीब सवेरे 7 बजे मा ने उठाया और कहा कि चाइ पीलो और तैयार हो जाओ क्यूंकी 1 घंटे में हमारा स्टेशन आने वाला है. मैं फ्रेश हो कर तैयार होगया. स्टेशन आने तक मा बहन और मैं इधर उधर की बातें करने लगे. करीब 09:30 बजे हम सुखबिंदर के घर पहुँचे. वहाँ पर सुखबिंदर की भुवा ने हमारा स्वागत किया और कहा नो धो कर नाश्ता कर्लो. हम नहा धो कर आँगन मैं बैठ कर नास्टा करने लगे. करीब 11:00 बजे भुवा ने मा से कहा “भाभी जी आप लोग थक गये होंगे, आप आराम कीजिए मैं खेत मैं जा रही हूँ और मैं शाम को लोटूगी. मा ने कहा ठीक हैं और मुझसे बोली अगर तुम आराम करना चाहो तो आराम कर्लो नहीं तो भुवा के साथ जा कर खेत देख लेना. मैने कहा कि मैं आराम नहीं करूँगा क्यूकी मेरी नीद पूरी होगयी हैं, मैं भुवा के साथ खेत चला जाता हूँ वहाँ पर मेरा टाइम पास भी हो जाएगा.
मैं और भुवा खेत की ओर निकल पड़े. रास्ते में हम लोगो ने इधर उधर की काफ़ी बातें की. उनका खेत बहुत बड़ा था खेत की एक कोने मे एक छ्होटा सा मकान भी था. दोपहर होने के कारण आजू बाजू के खेत में कोई भी नही आता. खेत पहुँच कर भुवा काम मैं लग गयी और कहा कि तुम्हे अगर गर्मी लग रही हो तो शर्ट निकाल लो उस मकान में लूँगी भी हैं चाहे तो लूँगी पहन लो और यहाँ आकर मेरी थोड़ी मदद करदो.
मैने मकान में जाकर शर्ट उतार दिया और लूंघी बनियान पहनकर भुवा जी के काम में मदद करने लगा. काम करते करते कभी कभी मेरा हाथ भुवा के चूतर पर टच होता था. कुच्छ देर बाद बुवा से मैने पुछा, भुवा यहाँ कहीं पेसाब करने की जगह हैं ? भुवा बोली कि मकान के पिछे झाड़ियो में जाकर कर्लो. मैं जब पिसाब कर के वापस आया तो देखा भुवा अब भी काम कर रही थी. थोड़ी देर बाद भुवा बोली “आओ अब खाना खाते हैं और थोड़ी देर आराम कर के फिर काम में लग जाते हैं” अब हम खेत के कोने वाले मकान में आकर खाना खाने की तैयारी करने लगे. मैं और भुवा दोनो ने पहले हाथ पैर धोए फिर खाना खाने बैठ गये. भुवा मेरे सामने ही बैठ कर खाना खा रही थी. खाना खाते समय मैने देखा कि मेरे लूँगी ज़रा साइड में हट गयी थी जिस कारण मेरे अंडरवेर से आधा निकला हुवा लंड दिखाई दे रहा था
और भुवा की नज़र बार बार मेरे लंड पर जा रही थी. लेकिन उन्होने कुच्छ नही कहा और बीच बीच मे उसकी नज़र मेरे लंड पर ही जा रही थी. खाना खाने के बाद भुवा बर्तन धोने लगी जब वो झुककर बर्तन धो रही थी तो मुझे उनके बड़े बड़े बूब्स सॉफ नज़र आ रहे थे. उन्होने केवल ब्लाउस पहना हुवा था. बर्तन धोने के बाद उन्होने कमरे मे आकर चटाई बिच्छा दी और बोली “चलो थोड़ी देर आराम करते हैं” मैं चटाई पर आकर लेट गया. भुवा बोली “बेटे आज तो बड़ी गर्मी हैं” कहा कर उन्होने अपनी सारी खोल दी और केवल पेटिकोट और ब्लाउस पहन कर मेरे बगल में आकर उस तरफ करवट कर के लेट गयी.
आचनक मेरी नज़र उनके पेटिकोट पर गयी. उनकी दाहिनी ओर की कमर पर जहाँ पेटिकट का नाडा बँधा था वाहा पर काफ़ी गेप था और गेप से मैसे उनकी कुछ कुछ झांते दिखाई दे रही थी. अब मेरा लंड लूंघी के अंदर हरकत करने लगा. थोड़ी देर बाद भुवा ने करवट बदली तो मैने तुरंत आँखे बंद करके सोने का नाटक करने लगा. थोड़ी देर बाद भुवा उठी और मकान के पिछे चल पड़ी. मैं उत्साह के कारण मकान की खिड़की पर गया.
खिड़की बंद थी लेकिन उसमे एक सुराख था मैने सुराख पर आँख लगाकर देखा तो मकान का पिच्छला भाग सॉफ दिखाई दे रहा था. भुवा वहाँ बैठ कर पेसाब करने लगी पेशाब करने के बाद भुवा थोड़ी देर अपनी चूत सहलाती रही फिर उठकर मकान के अंदर आने लगी. फिर मैं तुरंत ही अपने स्थान पर आकर लेट गया. भुवा जब वापस मकान में आई तो मैं भी उठकर पिच्छली तरफ पेसाब करने चला गया. मैं जान बूझ कर खिड़की की तरफ लंड पकड़ कर पेसाब करने लगा मैने महसूस किया कि खिड़की थोड़ी खुली हुई थी और भुवा की नज़र मेरे लंड पर थी. पेसाब करके जब वापस आया तो देखा भुवा चित लेटी हुई थी. मेरे आने के बाद भुवा बोली बेटे आज मेरी कमर बहुत दुख रही हैं. क्या तुम मेरी कमर की मालिश कर सकते हो ? मैने कहा क्यों नही. उसने कहा ठीक हैं सामने तेल की शीशी पड़ी हैं उसे लाकर मेरी कमर की मालिश कर देना. और फिर वो पेट के बल लेट गयी.
मैं तेल लगा कर उनकी कमर की मालिश करने लगा. वो बोली बेटे थोड़ा नीचे मालिश करो. मैने कहा भुवा थोड़ा पेटिकोट का नाडा ढीला करोगी तो मालिश करने में आसानी होगी और पेटिकोट पर तेल भी नहीं लगेगा. भुवा ने पेटिकोट का नाडा ढीला कर दिया अब मैं उनकी कमर पर मालिश करने लगा. उन्होने और थोडा नीचे मालिश करने को कहा. मैं थोडा नीचे की तरफ मालिश करने लगा. थोड़ी देर मालिश करने के बाद वो बोली बस बेटे और नाडा बंद कर लेट गयी. मैं भी बगल में आकर लेट गया. अब मेरा दिल और दिमाग़ कैसे चोदा जाए यह विचार करने लगा. आधे घंटे के बाद भुवा उठी और सारी पहन कर अपने काम में लग गयी.
शाम को करीब 6 बजे हम घर पहुँचे. घर पहुँचकर मैने कहा मा में बाजार जा रहा हूँ. 1 घंटे बाद आ जाउन्गा यह कहकर मैं बाज़ार की ओर निकल पड़ा रास्ते में मैने सराब की दुकान से बियर की बॉटल्स ले आया. घर आकर हाथ पैर धो कर केवल लूँगी पहन कर दूसरे कमरे में जाकर बियर पीने लगा.
एक घंटे में मैने 4 बॉटल बियर पी ली थी और बियर का नशा हावी होने लगा. इतने मे भुवा ने खाने के लिए आवाज़ लगाई. हम सब साथ बैठ कर खाना खाने लगे. खाना खाने के बाद मैं सिगरटे की दुकान जाकर सिगरटे पीने लगा जब वापस आया तो आँगन मे सब बैठ कर बातें कर रहे थे. मैं भी उनकी बातों मे शामिल होगया और हँसी मज़ाक करने लगा.
बातों बातों में भुवा मा से बोली “भाभी दीनू बेटा अच्छी मालिश करता हैं आज खेत में काम करते करते अचानक मेरी कमर मे दर्द उठा तो इसने अच्छी मालिश की और कुच्छ ही देर में मुझे आराम आगया” मा हंस पड़ी और मेरी तरफ अजीब नज़रों से देखने लगी.
मैं कुच्छ नही कहा और सिर झुका लिया. करीब आधे घंटे के बाद बहन और भुवा सोने चली गयी. मैं और मा इधर उधर की बातें करते रहे. करीब रात 11 बजे मा बोली बेटा आज तो मेरे पैर दुख रहे हैं. क्या तुम मालिश करदोगे.
दीनू :हां क्यूँ नही. लेकिन आप केवल सुखी मालिश कारवाओगी या तेल लगाकर
मा: बेटा अगर तेल लगा कर करोगे तो आसानी होगी और आराम भी मिलेगा
दीनू : ठीक है, लेकिन तेल अगरसरसों का हो तो और भी अच्छा रहेगा और जल्दी आराम मिलेगा.
फिर मा उठ कर अपने कमरे मैं गयी और मुझे भी अपने कमरे में बुला लिया. मैने कहा आप चलिए मैं पेसाब करके आता हूँ. मैं जब पेसाब करके उनके कमरे में गया तो देखा मा अपनी सारी खोल रही थी. मुझे देख कर बोली बेटा तेल के दाग सारी पर ना लगे इसलिए सारी उतार रही हूँ. वो अब केवल ब्लाउस और पेटिकोट में थी और मैं बनियान और लूंघी में था. मा तेल की डिबी मुझे देकर बिस्तर पर सोगयी.
मैं भी उनके पैर के पास बैठ कर उनके पैर से थोड़ा पेटिकोट उपर किया और तेल लगा कर मालिश करने लगा. मा बोली बेटा बड़ा आराम आरहा हैं. ज़रा पींडाली मैं ज़ोर लगा कर मालिश करो. मैं फिर उनका दायां पैर अपने कंधे में रख कर पिंडली में मालिश करने लगा. उनका एक पैर मेरे कंधे पर था और दूसरा नीचे था जिस कारण मुझे उनकी झांते और चूत के दर्शन हो रहे थे क्योनि मा ने अंडर पॅंटी नहीं पहनी थी वैसे भी देहाती लोग ब्रा और पॅंटी नहीं पहनते हैं.
उनकी चूत के दर्शन पाते ही मेरा लंड हरकत करने लगा. मा ने अपना पेटिकोट घुटनो के थोडा उप्पर कर के कहा ज़रा और उपर मालिश करो. मैं अब पिंडली के उपर मालिश करने लगा और उनका पेटिकट घुटनो के थोड़ा उप्पर होने के कारण अब मुझे उनकी चूत सॉफ देखाई दे रही थी इस कारण मेरा लंड फूल कर लोहे की तराहा कड़ा और सख़्त हो गया. और नेकर फाड़ कर बाहर निकलने को बेताब हो रहा था. मैं थोड़ा थोड़ा उपर मालिश करने लगा और मालिश करते करते मेरी उंगलियाँ कभी कभी उनकी जंगो के पास चली जाती थी. जब भी मेरी उंगलियाँ उनके जंगो को स्पर्श करती तो उनके मुँह से हाया हाअ की आवाज़ निकलती थी.
मैने उनकी ओर देखा तो मा की आँखें बंद थी. और बार बार वो अपने होंठों पर अपनी जीब फेर रही थी. मेने सोचा कि मेरी उंगलिओं के स्पर्श से मा को अजीब मज़ा आरहा हैं क्यों ना इस सुनेहरे मौके का फ़ायदा उठाया जाए. मैने मा से कहा मा मेरे हाथ तेल की चिकनाहट के कारण काफ़ी फिसल रहे हैं. यदि आप को अच्छा नहीं लगता है तो मालिश बंद कर दूं ? मा ने कहा कोई बात नहीं मुझे काफ़ी आराम और सुख मिल रहा हैं.
फिर मैं अपने हथेली पर और तेल लगा कर उनके घुटनो के उपर मालिश करने लगा मालिश करते करते अचानक मेरी उंगलियाँ उनकी चूत के इलाक़े के पास टच होने लगी वो आँखें बंद करके केवल आहें भर रही थी मेरी उंगलियाँ उनके पेटिकोट के अंडर चूत तो च्छुने की कोशिश कर रही थी.
अचानक मेरी उंगली नेउनकी चूत तो टच किया मैने थोड़ा घबरा कर अपनी उंगली उनके चूत से हटा ली और उनकी प्रतिक्रिया जान ने के लिए उनके चहरे की ओर देखा लेकिन मा की आँखे बंद थी वो कुच्छ नही बोल रही थी. इधर मेरा लंड सख़्त होकर अंडरवेर के बाहर निकलने को बेताब हो रहा था.
मैने मा से कहा मा मुझे पेसाब लगी हैं, मैं पेसाब करके आता हूँ फिर मालिश करूँगा. मा बोली ठीक है बेटा, वाकई तू बहुत अच्छा मालिश करता है. मन करता है मैं रात भर तुझसे मालिश कर्वाउ. मैं बोला कोई बात नहीं आप जब तक कहोगी मैं मालिश करूँगा यह कह कर मैं पेसाब करने चला गया.
जब पेसाब करके वापस आरहा था तो भुवा के कमरे से मुझे कुछ कुछ आवाज़ सुनाई दी, उत्सुकता से मैने खिड़की की ओर देखा तो वो थोड़ी खुली थी मैने खिड़की से देखा कि भुवा एक दम नंगी सोई थी और अपनी चूत मैं ककड़ी डाल कर ककड़ी को अंदर बाहर कर रही थी और मुँह से हा हाा हाअ की आवाज़ निकल रही थी. यह सीन देख कर मेरा लंड फिर खड़ा होगया. मैने सोचा भुवा की मालिश कल करूँगा आज सुखबिंदर की मा की मालिश करता हूँ क्योंकि तवा गरम है तो रोटी सेक लेनी चाहिए. मैं फिर मा के केमरे में चला गया.
मुझे आया देख कर मा ने कहा बेटा लाइट भूज़ा कर डिम लाइट चालू करदो ताकि मालिश करवाते करवाते अगर मुझे नींद आगयी तो तुम भी मेरे बगल में सो जाना. मैने ट्यूब लाइट बंद करके डिम लाइट चालू करदी जब वापस आया तो मा पेट के बल लेटी थी और उनका पेटिकोट केवल उनकी भारी भारी गांद के उपर था बाकी पैरों का हिस्सा नंगा था बिल्कुल नंगा था.
अब मैं हथेली पर ढेर सारा तेल लगा कर उनके पैरों की मालिश करने लगा पहले पिंडली पर मालिश करता रहा फिर मैं धीरे धीरे घुटनो के उपर झंगो के पास चुट्टर के नीचे मालिश करता रहा. पेटिकोट चूतर पर होने से मुझे उनकी झांते और गांद का च्छेद नज़र आरहा था. अब मैने हिम्मत कर के धीरे धीरे उनका पेटिकोट कमर तक उपर कर्दिया मा कुच्छ नहीं बोली और उनकी आँखे बंद थी.
मैने सोचा शायद उनको नींद आगयी होगी. अब उनकी गांद और चूत के बाल मुझे सॉफ सॉफ नज़र आरहे थे. मैं हिम्मत करके तेल से भरी हुई उंगली उनकी गांद के छेद के उपर लगा ने लगा वो कुच्छ नहीं बोली मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. मेरा अंगूठा उनकी चूत की फांको को टच कर रहा था और अंगूठे की बगल की उंगली उनकी गांद के छेद को सहला रही थी. यह सब हरकत करते करते मेरा लंड टाइट होगया और चूत में घुसने के लिया बेताब हो गया.
इतने में मा ने कहा कि बेटा मेरी कमर पर भी मालिश करदो तो मैं उठकर पहले चुपके से मेरा अंडरवेर निकाल कर उनकी कमर पर मालिश करने लगा. थोड़ी देर बाद मैं मा से कहा कि मा तेल से आप का ब्लाउस खराब होज़ायगा. क्या आप अपने ब्लाउस को थोड़ा उपर उठा सकती हो ? यह सुनकर मा ने अपने ब्लाउस के बटन खोलते हुए ब्लाउस को उपर उठा दिया.
मैं फिर मालिश करने लगा मालिश करते करते कभी कभी मेरी हथेली साइड से उनके बूब्स तो छु जाती थी. उनकी कोई भी प्रतिक्रिया ना देख कर मैने उनसे कहा मा अब आप सीधी सोजाए मैं अब आप की स्पेशल तरीके से मालिश करना चाहता हूँ. मा करवट बदल कर सीधी होगयी मैने देखा अब भी उनकी आँखे बंद थी और उनके ब्लाउस के सारे बटन खुले थे और उनकी चूंची सॉफ झलक रही थी. उनकी चूंची काफ़ी बरी बरी थी और साँसों से साथ उठती बैठती उनकी मस्त रसेली चूंची साफ साफ दिख रही थी.
मा की अपनी सुरीली और नशीली धीमी आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी, “बेटा अब तुम थक गये होंगे इन्हा आओ ना.” और मेरे पास ही लेट जाओ ना. पहले तो मैं हिचकिचाया क्यों कि मैने केवल लूंघी पहनी थी और लूंघी के अंदर मेरा लंड चूत के लिए तड़प रहा था वो मेरी परेशानी ताड़ गयी और बोले, “कोई बात नही, तुम अपनी बनियान उतार दो और रोज जैसे सोते हो वैसे ही मेरे पास सो जाओ. शरमाओ मत. आओ ना.”
मुझे अपने कान पर यकीन नही हो रहा था. मैं बनियान उतार कर उनके पास लेट गया. जिस बदन को कभी मैं निहारता था आज मैं उसी के पास लेटा हुआ था. मा का अधनंगा शरीर मेरे बिल्कुल पास था. मैं ऐसे लेटा था कि उनकी चूंची बिल्कुल नंगी दिखाई दे रही थी, क्या हसीन नज़ारा था. तब मा बोली, “इतने महीने से मालिश करवाई हूँ इसलिया काफ़ी आराम मिला है.
फिर उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर धीरे से खींच कर अपनी उभरी हुए चूंची पर रख दिया और मैं कुछ नही बोल पाया लेकिन अपना हाथ उनके चूंची पर रखा रहने दिया. मुझे यहाँ कुछ खुजा रहा है, ज़रा सहलाओ ना.” मैने उनकी चूंची को सहलाना शुरू किया. और कभी कभी ज़ोर ज़ोर से उनकी चूंची को रगरना शुरू कर दिया. मेरी हथेली की रगर पा कर मा के निपल करे हो गये.
अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ घुमा कर बोली, “बेटा मेरा ब्लाउस खोल दो और ठीक से सहलाओ.” मैने काँपते हुए हाथों से मा का ब्लाउस खोल दिया और उन्होने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया. मेरे दोनो हाथो को अपनी नंगी छाती पर ल गा कर वो बोली, “थोड़ा कस कर दबाओ ना.” मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया और जोश मे आकर उनकी रसीली चूंची से जम कर खेलने लगा. क्या बरी बरी चूंचिया थी.
करी करी चूंची और लूंबे लूंबे निपल. पहली बार मैं किसी औरत की चूंची को छु रहा था. मा को भी मुझसे अपनी चूंची की मालिश करवाने मे मज़ा अराहा था. मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था और लूँगी से बाहर निकल आया.
मेरा 9” का लंड पूरे जोश मे आ गया था. मा की चूंची मसल्ते मसल्ते हुए मैं उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और मेरा लंड उनकी जाँघो मे रगर मारने लगा था. अब उन्होने कहा बेटा तुम्हारा तो लोहे समान होगया है और इसके स्पर्श से लगता है की काफ़ी लंबा और मोटा होगा हैक्या मैं हाथ लगा कर देखूं? उन्होने पूछा और मेरे जबाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसको टटोलने लगी. अपनी मुट्ठी मेरे लंड पर कस के बंद कर ली और बोले, “बापरे, बहुत करक है.”
वो मेरी तरफ घूमी और अपना हाथ मेरी लूंघी मे घुसा कर मेरे फार-फ़राते हुए लंडको पकड़ ल्लिया. लंड को कस कर पकड़े हुए वो अपना हाथ लंड की जर तक ले गयी जिससे सुपरा बाहर आगेया. सुपरे की साइज़ और आकार देख कर वो बहुत हैरान हो गयी.
“बेटा कहाँ छुपा रखा था इतने दिन ऐसा तो मेने अपनी जिंदगी मैं नहीं देखा है उन्होने पूछा. मैने कहा, “यही तो था तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान नही दिया. यदि आप ट्रेन मैं गहरी नींद नहीं होती तो शायद आप देख लेती क्योंकि ट्रेन में रात को मेरा सूपड़ा आप की चूत तो रगड़ रहा था. मा बोली “मुझे क्या पता था कि तुम्हारा इतना बरा लॉरा होगा ? ये मैं सोच भी नही सकती थी.”
मुझे उनकी बिंदास बोली पर अस्चर्य हुआ जब उन्होने “लॉरा” कहा और साथ ही मे बरा मज़ा आया. वो मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर खीच रही थी और कस कर दबा रही थी. फिर मा ने अपना पेटिकोट अपनी कमर के उपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जाँघो के बीच ले कर रगड़ने लगी. वो मेरी तरफ कारबट ले कर लेट गयी ताक़ि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके.
उनकी चूंची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था. अचानक उन्होने अपनी एक चूंची मेरे मुँह मे थेल्ते हुए कहा, “चूसो इनको मुँह मे लेकर.” मैने उनकी लेफ्ट चूंची कोअपने मुँह मे भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. थोरे देर के लिए मैने उनकी चूंची को मुँह से निकाला और बोला, “मैं तुम्हारे ब्लाउस मे कसी चूंची को देखता था और हैरान होता था.
इनको छूने की बहुत इक्च्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हे मुँह मे लेकर चुसू और इनका रस पीऊँ. पर डरता था पता नही तुम क्या सोचो और कन्ही मुझसे नाराज़ ना हो जाओ. तुम नही जानती कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कल रात से कितना परेशान किया है?” “अक्च्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो; मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहे वैसा ही करो” मा ने कहा. फिर क्या था, मा की हरी झंडी पाकर मैं टूट परा मा की चूंची पर.
मेरी जीभ उनके करे निपल को महसूस कर रही थी. मैने अपनी जीभ मा के उठे हुए करे निपल पर घुमाया. मैने दोनो अनारो को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हे चूस रहा था. मैं ऐसे कस कर चूंचीओ को दबा रहा था जैसे की उनका पूरा का पूरा रस निचोर लूँगा. मा भी पूरा साथ दे रही थी. उनके मुहह से “ओह! ओह! आह! सी सी, की आवाज़ निकल रही थी. मुझसे पूरी तरह से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मारोर रही थी.
उन्होने अपनी लेफ्ट टांग को मेरी राइट टांग के उपर चढ़ा दी और मेरे लंड को अपनी जाघो के बीच रख लिया. मुझे उनकी जाँघो के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ. एह उनकी झांतों से भरी हुई चूत थी. मेरे लंड का सुपरा उनकी झांतो मे घूम रहा था. मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था. मैं मा से बोला, “मा मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे मे नही हूँ, प्लीज़ मुझे बताओ मैं क्या करू?” मा बोली, “तुमने कभी किसी को चोदा है आज तक?” मैने बोला, “नही.” कितने दुख की बात है. कोई भी औरत इसे देख कर कैसे मना कर सकती है.
मैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए चूंची मसलता रहा. उन्होने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली, “अपनी दोस्त की मा को चोदोगे?
“क्क्क क्यों नही” मैं बड़ी मुस्किल से कह पाया. मेरा गला सुख रहा था. वो बड़े मादक अंदाज़ मे मुस्कुरा दी और मेरे लंड को आज़ाद करते हुए बोली, “ठीक है, लगता है अपने अनाड़ी बेटे को मुझे ही सब कुछ सीखाना परेगा. चलो अपनी लूंघी निकाल कर पूरे नंगे हो जाओ.” मैने अपनी लूँगी खोल कर साइड में फेक दिया. मैं अपने तने हुए लंड को लेकर नंग धारंग मा के सामने खरा था.
मा अपने रसीले होटो को अपने दन्तो मे दबा कर देखती रही और अपने पेटिकोट का नारा खींच कर ढीला कर दिया. “तुम भी इसे उतार कर नंगी हो जाओ” कहते हुए मैने उनके पेटिकोट को खींचा. मा नेअपने चूतर उपर कर दिए जिससे की पेटिकोट उनकी टाँगो से उतर कर अलग हो गया. अब वो पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित पड़ी हुई थी. उन्होने अपनी टाँगो को फैला दिया और मुझे रेशमी झांतो के जंगल के बीच छुपी हुई उनकी रसीली गुलाबी चूत का नज़ारा देखने को मिला.
नाइट लॅंप की हल्की रोशनी मे चमकते हुए नंगे जिस्म को को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लंड मारे खुशी के झूमने लगा. मा ने अब मुझसे अपने उपर चढ़ने को कहा. मैं तुरंत उनके उपर लेट गया और उनकी चूंची को दबाते हुए उनके रसीले होन्ट चूसने लगा. मा ने भी मुझे कस कर अपने आलिंगन मे कस कर जाकड़ लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुँह मे अपनी जीभ डाल दी . हाई क्या स्वदिस्त और रसीली जीभ थी. मैं भी उनकी जीभ को ज़ोर शोर से चूसने लगा. हमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ हल्के मे था और फिर पूरे जोश के साथ.कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर मैं अपने होन्ट उनके नाज़ुक गाल्लों पर रगर रगर कर चूमने लगा.
फिर मा ने मेरी पीठ पर से हाथ उपर ला कर मेरा सर पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ कर्दिया. मैं अपने होंठ उनके होंटो से उनकी तोड़ी पर लाया और कंधो को चूमता हुआ चूंची पर पहुँचा. मैं एक बार फिर उनकी चूंची को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा.
उन्होने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमारी टाँगे एक-दूसरे से दूर हो गयी. अपने राइट हाथ से वो मेरा लंड पकड़ कर उसे मुट्ठी मे बाँध कर सहलाने लगी और अपने लेफ्ट हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकड़ कर अपनी टाँगो के बीच ले गयी. जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुँचा उन्होने अपनी चूत के दाने को उपर से रगड़ दिया.
समझदार को इशारा काफ़ी था. मैं उनके चूंची को चूस्ता हुआ उनकी चूत को रगड़ने लगा. “बेटा अपनी उंगली अंदर डालो ना?” कहते हुए मा ने मेरी उंगली अपनी चूत के मुँह पर दबा दी. मैने अपनी उंगली उनकी चूत की दरार मे घुसा दी और वो पूरी तरह अंदर चली गयी. जैसे जैसे मैं उनकी चूत के अंदर उंगली अंदर बाहर कर रहा था मेरा मज़ा बढ़ता जा रहा था .
जैसे ही मेरा उंगली उनके चूत के दाने से टकराया उन्होने ज़ोर से सिसकारी ले कर अपनी जाँघो को कस कर बंद कर लिया और चूतर उठा उठा कर मेरे हाथ को चोदने लगी.
कुच्छ देर बाद उनकी चूत से पानी बह रहा था. थोरी देर तक ऐसे ही मज़ा लेने के बाद मैने अपनी उंगली उनकी चूत से बाहर निकाल लिया और सीधा हो कर उनके उपर लेट गया. उन्होने अपनी टाँगे फैला दी और मेरे फरफ़रते हुए लंड को पकड़ कर सुपरा चूत के मुहाने पर रख लिया. उनकी झांतो का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था, फिर मा ने कहा “अब अपना लॉरा मेरी बुर मे घुसाओ, प्यार से घुसेरना नही तो मुझे दर्द होगा, अहह!” मैं नौसीखिया था इसीलिए शुरू शुरू मे मुझे अपना लंड उनकी टाइट चूत मे घुसाने मे काफ़ी परेशानी हुई. मैने जब ज़ोर लगा कर लंड अंदर डालना चाहा तो उन्हे दर्द भी हुआ. लेकिन पहले से उंगली से चुदवा कर उनकी चूत काफ़ी गीली हो गयी थी.
फिर मा अपने हाथ से लंड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थी और रास्ता मिलते ही मेरा एक ही धक्के मे सुपरा अंदर चला गया. इससे पहले की मा संभले , मैने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड मक्खन जैसी चूत की जन्नत मे दाखिल हो गया. मा चिल्लइ, “उईईइ ईईईईईई ईईईई माआआ उहुहुहह ओह बता, ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नही, हाई! बरा जालिम है तुम्हारा लंड. मार ही डाला मुझे तुमने दीनू.” मैने सोचा लगता है मा को काफ़ी दर्द हो रहा है.
पहेली बार जो इतना मोटा और लंबा लंड उनके बुर मे घुसा था. मैं अपना लंड उनकी चूत मे घुसा कर चुप चाप पड़ा था. मा की चूत फदाक रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लौरे को मसल रही थी. उनकी उठी उठी चूंचिया काफ़ी तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी. मैने हाथ बढ़ा कर दोनो चूंची को पकाद लिया और मुँह मे लेकर चूसने लगा. थोड़ी देर बाद मा को कुछ राहत मिली और उन्होने कमर हिलानी शुरू कर दी और मुझसे बोली, “बेटा शुरू करो, चोदो मुझे. लेलो मज़ा जवानी का मेरे राज्ज्ज्जा,” और अपनी गंद हिलाने लगी.
मैं थोडा अनारी. समझ नहीं पाया कि कैसे शुरू करूँ. पहले अपनी कमर उपर किया तो लंड चूत से बाहर आ गया. फिर जब नीचे किया तो ठीक निशाने पर नही बैठा और मा की चूत को रगदता हुआ नीचे फिसल कर गंद मे जाकर फँस गया. मैने दो तीन धक्के लगाया पर लंड चूत मे वापस जाने की बजाय फिसल कर गंद मे चला जाता. मा से रहा नही गया और तिलमिला कर ताना देती हुई बोली, “ अनारी से चुदवाना चूत का सत्यानाश करवाना होता है, अरे मेरे भोले दीनू बेटे ज़रा ठीक से निशाना लगा कर अंदर डालो नही तो चूत के उपर लॉरा रगर रगर कर झार जाऊगे.” मैं बोला, “ अपने इस अनारी बेटे को कुछ सिख़ाओ, जिंदगी भर तुम्हे अपना गुरु मानूँगा और जब चाहोगी मेरे लंड की दक्षिणा दूँगा.”
मा लंबी सांस लेती हुए बोली, “हाँ बेटे, मुझे ही कुछ करना होगा नही तो और मेरा हाथ अपनी चूंची पर से हटाया और मेरे लंड पर रखती हुई बोली, “इससे पकड़ कर मेरी चूत के मुँह पर रखो और लगाओ धक्का ज़ोर से.” मैने वैसे ही किया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर चला गया. फिर वो बोली, “अब लंड को बाहर निकालो, लेकिन पूरा नही. सुपरा अंदर ही रहने देना और फिर दोबारा पूरा लंड अंदर पेल देना, बस इसी तरह से करते रहो.”
मैने वैसे ही करना शुरू किया और मेरा लंड धीरे धीरे उनकी चूत मे अंदर-बाहर होने लगा. फिर मा ने स्पीड बढ़ा कर करने को कहा. मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा. मा को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब देने लगी. लेकिन ज़यादा स्पीड होने से बार बार मेरा लंड बाहर निकल जाता. इससे चुदाई का सिलसिला टूट जाता.
आख़िर मा से रहा नही गया और करवट ले कर मुझे अपने उपर से उतार दिया और मुझको चित लेटा कर मेरे उपर चढ़ गयी.
अपनी जाँघो को फैला कर बगल कर के अपने गद्देदार चूतर रखकर बैठ गयी. उनकी चूत मेरे लंड पर थी और हाथसे मेरी कमर को पकड़े हुए थी और बोली, “मैं दिखाती हूँ कि कैसे चोद्ते है,” और मेरे उपर लेट कर धक्का लगाया. मेरा लंड घाप से चूत के अंदर दाखिल हो गया. मा ने अपनी रसीली चूंची मेरी छाती पर रगर्ते हुए अपने गुलाबी होन्ट मेरे होन्ट पर रख दिए और मेरे मुँह मे जीभ डाल दी.
फिर उन्होने मज़े से कमर हिला हिला कर शॉट लगाना शुरू किया. बड़े कस कस कर शॉट लगा रही थी. चूत मेरे लंड को अपने मे समाए हुए तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी. मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत मे पहुँच गया हूँ. अब पोज़िशन उल्टी हो गयी थी. मा मानो मर्द थी जो कि अपनी मसूका को कस कस कर चोद रहा था. जैसे जैसे मा की मस्ती बढ़ रही थी उनके शॉट भी तेज़ होते जा रहे थे.
अब वो मेरे उपर मेरे कंधो को पकड़ कर घुटने के बल बैठ गयी और ज़ोर ज़ोर से कमर हिला कर लंड को तेज़ी से अंदर-बाहर लेने लगी. उनका सारा बदन हिल रहा था और साँसे तेज़ तेज़ चल रही थी. मा की चूंचीआ तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी. मुझसे रहा नही गया और हाथ बढ़ा कर दोनो चूंची को पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा.
मा एक साधे हुए खिलाड़ी की तरह कमान अपने हाथो मे लिए हुए कस कस कर शॉट लगा रही थी. जैसे जैसे वो झरने के करीब आ रही थी उनकी रफ़्तार बढ़ती जा रही थी. कमरे मे फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी. जब उनकी सांस फूल गयी तो खुद नीचे आकर मुझे अपने उपर खीच लिया और टाँगो को फैला कर उपर उठा लिया और बोली, “मैं थक गयी मेरे राज्ज्ज्जा, अब तुम मोर्चा सम्भालो.”मैं झट उनकी जाँघो के बीच बैठ गया और निशाना लगा कर झटके से लंड चूत के अंदर डाल दिया और उनके उपर लेट कर दनादन शॉट लगाने लगा.
मा ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जाकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से चूतर उठा उठा कर चुदाई मे साथ देने लगी. मैं भी अब उतना अनारी नही रहा और उनकी चूंची को मसल्ते हुए दनादन शॉट लगा रहा था. पूरा कमरा हमारी चुदाई की आवाज़ से गूँज उठा था. मा अपनी कमर हिला कर चूतर उठा उठा कर चुदवा रही थी और बोले जा रही थी, “आह आअहह उनह ऊओह ऊऊहह हाआआं हययाआयी मीईरए राज्ज्जज्जा, माआआअर गाययययययए रीईए, ललल्ल्ल्ल्ल चूऊओद रे चूऊओद. उईईईईईई मीईईरीईई माआअ, फ़ाआआअत गाआआईई रीईई आआआज तो मेरी चूत. मीईएरा तो दम निकककककल दिया तुउउउउने तूऊ आआज. बारयाआया जाआअलीएम हाआऐरे तुउउउंहाआआरा लौरा, मैं भी बोल रहा था, “लीईए मेरिइई रनीई, लीई लीईए मेरा लॉरा अप्नीईइ चूत मीईए. बारयाआया तरपेयययययया है तूने मुझे. ले ले, ले मेरिइई राआआआआनि यह लंड आब्ब्ब्बब तेरा शाइयियी है. अहह! उहह क्या जन्नत का मज़ाआअ सिखाया तूने.
मैं तो तेरा गुलाम हू गयाआ.”मा गंद उछाल उछाल कर मेरा लंड अपनी चूत मे ले रही थी और मैं भी पूरे जोश के साथ उनकी चुन्चिओ को मसल मसल कर अपने गहरे दोस्त की मा की गहरी चुदाई कर रहा था.
मा मुझको ललकार कर कहती, लगाओ शॉट मेरे राजा”, और मैं जवाब देता, “यह ले मेरी रानी, ले ले अपनी चूत मे”. “ज़रा और ज़ोर से सरकाओ अपना लंड मेरी चूत मे मेरे राजा”, “यह ले मेरी रानी, यह लंड तो तेरे लिए ही है.” “देखो राज्ज्ज्जा मेरी चूत तो तेरे लंड की दीवानी हो गयी, और ज़ोर से और ज़ोर से आआईईईई मेरे राज्ज्जज्ज्ज्जा. मैं गइईईईई रीई,” कहते हुए मा ने मुझको कस कर अपनी बाहों मे जाकड़ लिया और उनकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया.
अब तक मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला, “मैं भी अयाआआ मेरी जाआअन,” और मेने भी अपना लंड का पानी छोड़ दिया और मैं हाफ्ते हुए उनकी चूंची पर सिर रख कर कस के चिपक कर लेट गया. यह मेरी पहली चुदाई थी. इसीलिए मुझे काफ़ी थकान महसूस हो रही थी. मैं मा के सीने पर सर रख कर सो गया. वो भी एक हाथ से मेरे सिर को धीरे धीरे से सहलाते हुए दूसरे हाथ से मेरी पीठ सहला रही थी
कुछ देर बाद होश आया तो मैने उनके रसीले होंठो का चुंबन लेकर उन्हे जगाया. मा ने करवट लेकर मुझे अपने उपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों मे कस कर कान मे फूस-फूसा कर बोली, “बेटा तुमने और तुम्हारे मोटे लंबे लंड नेतो कमाल कर दिया, क्या गजब का ताक़त है तुम्हारे लंड मे.” मैने उत्तर दिया, “कमाल तो आपने कर दिया है , आजतक तो मुझे मालूम ही नही था कि अपने लंड को इस्तेमाल कैसे करना है.
यह तो आपकी मेहेरबानी है जो कि आज मेरे लंड को आपकी चूत की सेवा करने का मौका मिला.” अबतक मेरा लंड उनकी चूत के बाहर झांतो के जंगल मे रगर मार रहा था. मा ने अपनी मुलायम हथेलिओं मे मेरा लंड को पकड़ कर सहलाना शुरू किया. उनकी उंगली मेरे आंडो से खेल रही थी. उनकी नाज़ुक उँगलिओ का स्पर्श पाकर मेरा लंड भी जाग गया और एक अंगराई लेकर मा की चूत पर ठोकर मारने लगा. मा ने कस कर मेरे लंड को क़ैद कर लिया और बोली, “बहुत जान है तुम्हारे लंड मे, देखो फिर से फड़-फादाने लगा, अब मैं इसको नहीं छोड़ूँगी.”
हम दोनो अगल बगल लेटे हुए थे. मा ने मुझको चित लेटा दिया, और मेरी टांग पर अपनी टांग चढ़ा कर लंड को हाथ से उमेठेने लगी. साथ ही साथ अपनी कमर हिलाते हुए अपनी झांट और चूत मेरी जाँघ पर रगर्ने लगी. उनकी चूत पिछली चुदाई से अभीतक गीली थी और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाए हुए था. अब मुझसे रहा नही गया और करवट लेकर मा की तरफ मुँह करके लेट गया. उनकी चूंची को मुँह मे दबा कर चूस्ते हुए अपनी उंगली चूत मे घुसा कर सहलाने लगा. उन्होने एक सिसकारी लेकर मुझे कस कर चिप्टा लिया और ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाते हुए मेरी उंगली से चुदवाने लगी. अपने हाथ से मेरे लंड को कस कर ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रही थी.
मेरा लंड पूरे जोश मे आकर लोहे की तरह सख़्त हो गया था. अब मा की हद से ज़्यादा बेताबी बढ़ गयी थी और खुद चित हो कर मुझे अपने उपर खीच लिया. मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखती हुई बोली, “आओ मेरे राजा, सेकेंड राउंड हो जाए.”मैने झट कमर उठा कर धक्का दिया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया. मा चिल्ला उठी और बोली, “जीओ मेरे राजा, क्या शॉट मारा है अब मेरे सिखाए हुए तरीके से शॉट पर शॉट मारो और फार दो मेरी चूत को.”
मा का आदेश पा-कर मैं दूने जोश मे आ गया और उनकी चूंची को पकड़ कर हुमच हुमच कर मा की चूत मे लंड पेलने लगा. उंगली की चुदाई से उनकी की चूत गीली हो गयी थी और मेरा लंड सतसट अंदर-बाहर हो रहा था. वो भी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब पूरे जोश के साथ दे रही थी.
मा ने दोनो हाथो से मेरी कमर को पकड़ रखा था और ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत मे लंड घुस्वा रही थी. वो मुझे इतना उठाती थी कि बस लंड का सुपरा अंदर रहता और फिर ज़ोर नीचे खिचति हुई घाप से लंड चूत मे घुस्वा लेती थी. पूरे कमरे मे हमारी सांस और घपा-घाप, फ़च-फ़च की आवाज़ गूँज रही थी. जब हम दोनो की ताल से ताल मिल गयी तब मा ने अपने हाथ नीचे लाकर मेरे चूतर को पकड़ लिया और कस कस कर दबोचते हुए मज़ा लेने लगी. कुछ देर बाद मा ने कहा, “आओ एक नया आसान सिखाती हूँ,” और मुझे अपने उपर से हटा कर किनारे कर दिया. मेरा लंड ‘पक’ की आवाज़ साथ बाहर निकल आया.
मैं चित लेटा हुआ था और मेरा लंड पूरे जोश के साथ सीधा खरा था. मा उठ कर घुटनो और हथेलिओं पर मेरे बगल मे बैठ गयी. मैं लंड को हाथ मे पकड़ कर उनकी हरकत देखता रहा. मा ने मेरा लंड पर से हाथ हटा कर मुझे खींचते हुए कहा, “ऐसे पड़े पड़े क्या देख रहे हो, चलो अब उठ कर पीछे से मेरी चूत मे अपना लंड को घुसाओ.” मैं भी उठ कर उनके के पीछे आकर घुटने के बल बैठ गया और लंड को हाथ से पकड़ कर उनकी चूत पर रगर्ने लगा.
क्या मस्त गोल गोल गद्दे दार गंद थी. मा ने जाँघ को फैला कर अपने चूतर उपर को उठा दिए जिससे कि उनकी रसीली चूत साफ नज़र आने लगी. उनका का इशारा समझ कर मैने लंड का सुपरा उनकी चूत पर रख कर धक्का दिया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया.
मा ने एक सिसकारी भर कर अपनी गंद पीछे कर के मेरी जाँघ से चिपका दी. मैं भी मा की पीठ से चिपक कर लेट गया और बगल से हाथ डाल कर उनकी दोनो चुची को पकड़ कर मसल्ने लगा. वो भी मस्ती मे धीरे धीरे चूतर को आगे-पीछे करके मज़े लेने लगी. उनके मुलायम चूतर मेरी मस्ती को दोगुना कर रहे थे. मेरा लंड उनकी रसीली चूत मे आराम से आगे-पीछे हो रहा था.
कुछ देर तक चुदाई का मज़ा लेने के बाद मा बोली, “चलो राज्ज्जा अब आगे उठा कर शॉट लगाओ, अब रहा नही जाता.” मैं उठा कर सीधा हो गया और मा के चूतर को दोनो हाथों से कस कर पकड़ कर चूत मे हमला शुरू कर दिया. जैसा कि मा ने सिखाया था मैं पूरा लंड धीरे से बाहर निकाल कर ज़ोर से अंदर कर देता.
शुरू मे तो मैने धीरे धीरे किया लेकिन जोश बढता गया और धक्को की रफ़्तार बढ़ती गयी. धक्का लगाते समय मैं मा के चूतर को कस के अपनी ओर खीच लेता ताकि शॉट तगरा परे. मा भी उसी रफ़्तार से अपने चूतर को आगे-पीछे कर रही थी. हम दोनो की साँसे तेज हो गयी थी. मा की मस्ती पूरे परवान पर थी.
नंगे जिस्म जब आपस मे टकराते तो घाप-घाप की आवाज़ आती. काफ़ी देर तक मैं उन्हे कमर पकड़ धक्का लगाता रहा. जब हालत बेकाबू होने लगी तब मा को फिर से चित लेटा कर उन पर सवार हो गया और चुदाई का दौर चालू रखा. हम दोनो ही पसीने से लथपथ हो गये थे पर कोइ भी रुकने का नाम नही ले रहा था.
तभी मा ने मुझे कस कर जाकड़ लिया और अपनी टाँगे मेरे चूतर पर रख दिया और कस कर ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाते हुए चिपक कर झार गयी. उनके झरने के बाद मैं भी भाभी की चूंची को मसल्ते हुए झार गया और हाफ्ते हुए उनके उपर लेट गया. हम दोनो की साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी और हम दोनो काफ़ी देर तक एक-दूसरे से चिपक कर पड़े रहे.
कुछ देर बाद मा बोली, “ बता कैसी लगी हमारी चूत की चुदाई?” मैं बोला, “हाई मेरा मन करता है कि जिंदगी भर इसी तरह से तुम्हारी चूत मे लंड डाले पड़ा रहूं.” मा बोली“जब तक तुम यहा हो, यह चूत तुम्हारी है, जैसे मर्ज़ी हो मज़े लो, अब थोरे देर आराम करतें है.” “नही मा, कम से कम एक बार और हो जाए.
देखो मेरा लंड अभी भी बेकरार है.” मा ने मेरे लंड को पकड़ कर कहा, “यह तो ऐसे रहेगा ही, चूत की खुसबु जो मिल गयी है. पर देखो रात के तीन बज गये है, अगर सुबह टाइम से नही उठें तो तुम्हारी भुवा को शक गाएगा. अभी तो सारा दिन सामने है और आगे के इतने दिन हमारे है. जी भर कर मस्ती लेना.
मेरा कहा मनोगे तो रोज नया स्वाद चखाउन्गि.” मा का कहना मान कर मैने भी जीद छोड़ दी और मा भी करवट ले कर लेट गयी और मुझे अपने से सटा लिया. मैने भी उनकी गंद की दरार मे लंड फँसा कर चूंचीओ को दोनो हाथों मे पकड़ लिया और मा के कंधे को चूमता हुआ लेट गया.
नींद कब आई इसका पता ही नही चला.
सुबह जब अलार्म बजा तो मैने समय देखा, सुबह के सात बज रहे थी. मा ने मुस्कुरा कर देखा और एक गरमा-गरम चुंबन मेरे होटो पर जड़ दिया. मैने भी मा को जाकड़ कर उनके चुंबन का जोरदार का जवाब दिया. फिर मा उठ कर अपने रोज के काम काज मे लग गयी. वो बहुत खुश थी.
मैं उठ कर नहा धोकर फ्रेश होकर आँगन मैं बैठ कर नास्टा करने लगा. तभीभुवा आगयी. और बोली बेटा खेत चलोगे ? मैने कहा क्यों नहीं और रात वाला उनका ककड़ी से चोदने का सीन मेरी आँखों के सामने नाचने लगा. इतने मे सुमन (दोस्त की बहन) बोली मैं भी तुम्हारे साथ खेत मैं चलूंगी. और हम तीनो खेत की ओर चल पड़े. रास्ते मैं जब हम एक खेत के पास से गुजर रहे थे तो देखा कि उस खेत मैं ककाडियाँ उगी हुई थी.
मैने ककड़ियों को देखते हुवे भुवा से कहा “भुवा देखो इस खेत वाले ने तो ककाडियाँ उगाई हैं. और ककाड़ियों मैं काफ़ी गून होते हैं” भुवा लंबी सांस भरती हुई बोली “हां बेटा ककाड़ियों से काफ़ी फ़ायदा होता हैं और कई कामो में इसका उपयोग किया जाता हैं, जैसे सलाद में, सुबजियों में, कच्ची ककड़ी खाने के लिए भी इसका उपलोग किया जाता हैं” मैं बोला “हां भुवा, इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है” इसतरह की बातें करते करते हम लोंग अपने खेत में पहुँच गये. वहाँ जाकर मैं मकान मैं गया और लूंघी और बनियान पहन कर वापस भुवा के पास आगेया.
भुआ खेत मैं काम कर रही थी और सुमन (दोस्त की बहन) उनके काम मैं मदद कर रही थी. मैने देखा भुवा की सारी घुटनो के उपर थी और सुमन स्कर्ट और ब्लाउस पहने हुवे थी. मैं भी लूंघी उँची करके (मद्रासी स्टाइल में) उनके साथ काम में मदद करने लगा.
जब सुमन झुकर काम करती तो मुझे उसकी चड्डी देखाई देती थी. हम लोग करीब 1 या 1:30 घंटे काम करते रहे फिर मैने भुवा से कहा भुवा मैं थोडा आराम करना चाहता हूँ तो भुवा बोली ठीक हैं और मैं खेत के मकान में आकर आराम करने लगा.
कुच्छ देर बाद कमरे मैं सुमन आई और कहने लगी दीनू भैया आप वहाँ बैठ जाइए क्यों कि कमरे मैं झारू मारनी हैं. और मैं कमरे के एक कोने मैं बैठ गया. और वो कमरे मैं झारू मारने लगी. झारू मारते समय जब सुमन झुकी तो फिर मुझे उसकी चड्डी दिखाई देने लगी. और उसकी चुदाई के ख़यालों मैं खो गया. थोड़ी देर बाद फिर वो बोली “भैया ज़रा पैर हटा लो झारू देनी है.”
मैं चौंक कर हक़ीकत की दुनिया मे वापस आया. देखा सुमन कमर पर हाथ रखे मेरे पास खरी है. मैं खरा हो गया और वो फिर झुक कर झारू लगाने लगी. मुझे फिर उसकी चड्डी दिखाई देने लगी. आज से पहले मैने उस पर धान नही दिया था.. पर आज की बात ही कुछ और ही थी. रात मा से चुदाई की ट्रैनिंग पाकर एक ही रात मे मेरा नज़रिया बदल गया था. अब मैं हर औरत को चुदाई की नज़र से देखना चाहता था. जब वो झारू लगा रही थी तो मैं उसके सामने आकर खड़ा होगया अब मुझे उसके ब्लाउस से उसकी चूंची साफ दिखाई दे रही थी. मेरा लंड फॅन-फ़ना गया. रात वाली मा जैसी चूंची मेरे दिमाग़ के सामने घूमने लगी.
तभी सुमन की नज़र मुझ पर पड़ी. मुझे एकटक घूरता पाकर उसने एक दबी सी मुस्कान दी और अपना ब्लाउस ठीक कर चुन्चिओ को ब्लाउस के अंदर छुपा लिया. अब वो मेरी तरफ पीठ कर के झारू लगा रही थी. उसके चूतर तो और भी मस्त थे. मैं मन ही मन सोचने लगा कि इसकी गंद मे लंड घुसा कर चूंची को मसल्ते हुए चोदने मे कितना मज़ा आएगा. बेखायाली मे मेरा हाथ मेरे तननाए हुए लंड पर पहुँच गया और मैं लूंघी के उपर से ही सुपारे को मसल्ने लगा. तभी सुमन अपना काम पूरा कर के पलटी और मेरे हरकत देख कर मुँह पर हाथ रख कर हँसती हुई बाहर चली गयी.
थोड़ी देर बाद भुवा और सुमन हाथ पैर धोकर आए और मुझे कहा कि चलो दीनू बेटे खाना ख़ालो. अब हम तीनो खाना खाने बैठ गये. भुवा मेरे सामने बैठी थी और सुमन मेरे लेफ्ट साइड की ओर बैठी थी. सुमन पालती मारकर बैठी थी और भुवा पैर पसारे बैठी थी. खाना खाते समय मैने कहा भुवा आज खाना तो जाएकेदार बना है. भुवा ने कहा मैने तुम्हारे लिए खास बनाया हैं. तुम यहाँ जितने दिन रहोगे गाओं का खाना खा खाकर और मोटे होजाओगे. मैं हंस पड़ा और कहा अगर ज़्यादा मोटा होऊँगा तो मुस्किल हो जाए गी.
भुवा आंड सुमन हंस पड़ी. थोड़ी देर बाद भुवा ने कहा सुमन तुम खाना खा कर खेत मैं खाद डाल आना. मैं थोड़ा आराम करूँगी. हम सब ने खाना खाया सुमन बर्तन धो कर खेत मैं खाद डालने लगी. मैं और भुवा चटाई बिच्छा कर आराम करने लगे.
मुझे नींद नहीं आरही थी. आज मैं भुवा या सुमन को चोदने का विचार बना रहा था. विचार करते करते कब नींद आगयी पता ही नहीं चला. जब मेरी नींद खुली तो शाम के करीब 5 बज रहे थे. मैने देखा कि मेरा मोटा लंड लंड तन कर खड़ा था और लूंघी से बाहर निकल कर मुझे सलामी दे रहा था. इतने में भुवा कमरे मैं आई मैने झट से आँखे बंद कर ली. थोड़ी देर बाद थोड़ी आँख खोल कर देखा कि भुवा की नज़र मेरे खड़े हुवे मोटे लंड पर टिकी थी.
हैरत भरी निगाहों से मेर लंबे और मोटे लंड को देख रही थी. कुच्छ देर बाद उन्होने आवाज़ दे कर कहा “दीनू बेटा उठ जाओ अब घर चलना है” मैने कहा ठीक है और उठकर बैठ गया मेरा लंड अब भी लूँगी से बाहर था. भुवा मेरी ओर देखते हुवे बोली “दीनू बेटा क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा था क्या ? मैं मुस्किल से कहा नहीं तो भुवा, क्यों क्या हुवा. वो बोली नीचे तो देखो क्या दिख रहा हैं.
जब मैने नीचे देखा तो मेरा लंड लूँगी से निकला हुआ था. मैं शरम से लाल हो कर अपना लंड अंडरवेर मैं छुपा लिया. ऐसा करते समय भुवा हंस रही थी. हम करीब 6:30 बजे घर पहुँचे. रास्ते भर कोई भी बात चीत नहीं हुई. घर आकर मैने कहा कि मैं बाज़ार होके आता हूँ और फिर बाज़ार जाकर 1 व्हिस्की की बॉटल ले आया.
जब घर पहुँचा तो रात के 9 बज रहे थे.मुझे आया देख कर भुवा ने आवाज़ दी बेटा आकर खाना ख़ालो मैं बोला भुवा अभी भूक नहीं हैं थोड़ी देर बाद खा लूँगा. फिर मैने पुछा मा और सुमन कहाँ हैं (क्योंकि मा और सुमन ना तो रसोई घर में थे नहीं आगन में थे) भुवा ने कहा कि हमारे रिस्तेदार के यहाँ आज रात भर भजन और कीर्तन हैं इसलिए भाभी और सुमन रिस्तेदार के यहाँ गये हैं और सुबह 5-6 बजे लोटेंगे.
मैने कहा “ठीक हैं भुवा, अगर आप बुरा ना मानो तो क्या मैं थोड़ी विश्की पी सकता हूँ ? भाभी बोली “ठीक हैं तुम आँगन में बैठो मैं वहीं खाना लेकर आती हूँ. मैं आँगन में बैठ कर विशकी पीने लगा. करीब आधे घंटे बादभुवा खाना लेकर आई तब तक मैं 3-4 पेग पी चुक्का था और मुझे थोडा विशकी का नशा होने लगा था.
भुवा और मैं खाना खाने के बाद, भुवा के कमरे में आ गये. मैने पॅंट को शर्ट निकाल कर लूँगी और बनियान पहन ली. भुवा ने भी सारी खोल कर केवल नाइटी पहनी हुई थी. जब भुवा खड़ी होकर पानी लाने गयी तो मुझे उनकी पारदर्शी नाइटी से उनका सरीर दिखाई दिया. उन्होने नाइटी के अंदर ना तो ब्लाउस पहना था नहीं पेटिकोट पहना था इसलिए लाइट की रोसनी के कारण उनका जिस्म नाइटी से झलक रहा था. जब वो पानी लेकर वापस आई. हम बैठ कर बातें करने लगे.
भुवा: दीनू क्या तुम सहर में कसरत करते हो ?
दीनू: हां भुवा रोज सुबहा उठकर कसरत करता हूँ.
भूवजि: इसलिए तुम्हारा एक एक अंग काफ़ी तगड़ा और तंदूरस्त हैं. क्या तुम अपने बदन पर तेल लगा कर मालिश करते हो खास तोर पर सरीर के निचले हिसें पर ?
दीनू: मैं हर रोज़ अपने बदन पर सरसों का तेल लगा कर खूब मालिश करता हूँ.
भुवा: हां आज मैने तुम्हारे सरीर के अलावा अंदर का अंग भी दोपहर को देखा था वाकई काफ़ी मोटा लंबा और तंदूरस्त है. हर मर्द का इस तरह का नहीं होता हैं.
भुवा की बात सुन कर मैं शरम के मारे लाल हो गया. पूरे मकान मैं हम दोनो अकेले थे. और इसतरह की बातें कर रहे थे.
मैने भी भुवा की से कहा. भुवा आप भी बहुत सुंदर हो और आपका बदन भी सुडोल है.
भुवा: दीनू मुझे ताड़ के झाड़ पर मत चढ़ाओ. तुमने तो अभी मेरा बदन पूरी तरह देखा ही कहाँ हैं. मैने बोला आप ने तो मुझे दिखाया ही नहीं और मेरे सरीर के निचले हिस्से का दर्शन भी कर लिया. इतना सुनते ही वो झट बोली मुझे कहाँ अच्छी तरह कहाँ तुम्हारे दर्शन हुए. चलो एक शर्त पर तुम्हे मेरे अंदुरूनी भाग दिखा दूँगी अगर तुम मुझे अपना दिखाओगे तो ?
मैने झट से लूँगी से लंड निकाल कर उन्हे दिखा दिया. भुवा ने भी अपने वादे के अनुसार नाइटी उपर कर के अपनी चूत दिखा दी और मुस्कराती बोली राजा बेटा खुश हो अब. हाई जालिम चूत थी. चूत देखते ही मेरा लंड तन कर फरफारने लगा. कुछ देर तक मेरे लंड की ओर देखने के बाद भुवा मेरे पास आई और झट से मेरी लूँगी खोल दी.
फिर खड़े होकर अपनी नाइटी भी उतार दी और नंगी हो गयी. फिर मुझे कुर्सी से उठ कर पलंग पर बैठने को कहा. जब मैं पलंग पर बैठ कर भुवा की मस्त रसीली चूंची को देख रहा था तो मारे मस्ती के मेरा लंड छत की ओर मुँह उठाए उनकी चूत को सलामी देरहा था.
भुवा मेरी जाँघो के बीच बैठ कर दोनो हाथों से मेरे लौरे को सहलाने लगी. कुछ देर यूँही सहलाने के बाद अचानक भाभी ने अपना सर नीचे झुकाया और अपने रसीले होंटो से मेरे सुपारे को चूम कर उसको मुँह मे भर लिया. मैं एकदम चौंक गया. मैने सपने मे भी नही सोचा था कि ऐसा होगा.
“भुवा ये क्या कर रही हो. मेरा लंड तुमने मुँह मे क्यों ले लिया है.” “चूसने के लिए और किस लिए? तुम आराम से बैठे रहो और बस लंड चुसाइ का मज़ा लो. एक बार चुस्वा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे.” भुवा मेरे लंड को लॉलिपोप की तरह मुँह ले लेकर चूसने लगी.मैं बता नही सकता हूँ कि लंड चुसवाने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था. भुवा के रसीले होन्ट मेरे लंड को रगर रहे थे.
फिर भुवा ने अपने होन्ट गोल कर के मेरा पूरा लंड अपने मुँह मे लेलिया और मेरे आंडो को हथेली से सहलाते हुए सिर उपर नीचे करना शुरू कर दिया मानो वो मुँह से ही मेरा लंड को चोद रही हो. धीरे-धीरे मैने भी अपनी कमर हिला कर भुवा के मुँह को चोदना शुरू कर दिया. मैं तो मानो सातवें आसमान पर था.
बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी. थोरी ही देर मे लगा कि मेरा लंड अब पानी छोड़ देगा. मैं किसी तरह अपने उपर काबू कर के बोला, “भूवजिीइईईईई मेरा पानी छूटने वाला है.” भुवा ने मेरे बातों का कुछ ध्यान नही दिया बाल्की अपने हाथो से मेरे चूतर को जाकड़ कर और तेज़ी से सिर उपर-नीचे करना शुरू कर दिया. मैं भी उनके सिर को कस कर पकड़ कर और तेज़ी से लंड उनके मुँह मे पेलने लगा.
कुछ ही देर बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और भुवा गतगत करके पूरे पानी पी गयी. सुबह से काबू मे रखा हुआ मेरा पानी इतना तेज़ी से निकला कि उनके मुँह से बाहर निकल कर उनके तोड़ी पर फैल गया. कुछ बूंदे तो टपक कर उनकी चूंची पर भी जा गिरी. झरने के बाद मेने अपना लंड निकाल कर भुवा के गाल्लो पर रगड़ दिया. क्या खूबसूरत नज़ारा था. मेरा वीर्य भुवा के मुँह गाल होन्ट और रसीली चूंची पर चमक रहा था.
भुवा ने अपनी गुलाबी जीभ अपने होटो पर फिरा कर वान्हा लगा वीर्य चाता और फिर अपनी हथेली से अपनी चूंची को मसल्ते हुए पूछा, “क्यों दीनू बेटा मज़ा आया लंड चुसवाने मे?” मैं बोला “बहुत मज़ा आया भुवा, तुमने तो एक दूसरी जन्नत की सैर करवा दिया मेरी जान. आज तो मैं तुम्हारा सात जन्मो के लिए गुलाम हो गया. कहो क्या हुक्म है.” भुवा बोली“हुक्म क्या, बस अब तुम्हारी बारी है.”
मैं कहा “क्या मतलब, मैं कुछ समझा नही?” भुवा बोली “मतलब ये कि अब तुम मेरी चूत चॅटो.” एह कहा कर भुवा खड़ी हो गयी और अपनी चूत मेरे चहेरे के पास ले आई. मेरे होन्ट उनकी चूत के होंटो को छूने लगी. भुवा ने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी कमर आगे की और अपनी चूत मेरे नाक पर रगर्ने लगी. मैने भी उनकी चूतर को दोनो हाथो से पकड़ लिया और उनकी गंद सहलाते हुए उनकी रसीली चूत को चूमने लगा.
भुवा की चूत की प्यारी-प्यारी खुसबु मेरे दिमाग़ मे छाने लगी. मैं दीवानो की तरह उनकी चूत और उसके चारो तरफ के इलाक़े को चूमने लगा. बीच-बीच मे मैं अपनी जीभ निकाल कर उनकी रानो को भी चॅट लेता. भुवा मस्ती से भर कर सिसकारी लेते हुए अपनी चूत को फैलाते हुए बोली, “हाई राजा अहह! जीभ से चॅटो ना. अब और मत तरपाओ राजा. मेरी बुर को चॅटो.
डाल दो अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर. अंदर डाल कर जीभ से चोदो.” अब तक उनकी नशीली चूत की खुसबू ने मुझे बुरी तरह से पागल बना दिया था. मैने उनकी चूत पर से मुँह उठाए बिना उन्हे खींच कर पलंग पर बैठा दिया और उनकी जाँघो को फैला कर अपने दोनो कंधों पर रख लिया और फिर आगे बढ़ कर उनकी चूत के होंटो को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. भुवा मस्ती से बड़बड़ाने लगी और अपनी चूतर को और आगे खिसका कर अपनी चूत को मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया.
अब भुवा के चूतर पलंग से बाहर हवा मे झूल रहे थे और उनकी मखमली जांघों का पूरा दबाब मेरे कंधों पर था. मैने अपनी जीभ पूरी की पूरी उनकी चूत मे डाल दी और चूत की अन्द्रुनी दीवालों को जीभ से सहलाने लगा. भुवा मस्ती से तिलमिला उठी और अपने चूतर उठा उठा कर अपनी चूत मेरी जीभ पर दबाने लगी. “हाई राजा, क्या मज़ा आ रहा है.
अब अपनी जीभ को अंदर-बाहर करो नाआअ! चोदो रजाआअ चोदूऊओ! अपनी जीभ से चोदो मुझे. हाई राजा तुम ही तो मेरे असली सैयाँ हो. पहले क्यों नही मिले, अब सारी कसर नीकालूंगी. हाई राजा चोदो मेरी चूत को अपनी जीभ से.” मुझे भी पूरा जोश आ गया और भुवा की चूत मे जल्दी जल्दी जीभ अंदर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगा. भुवा अभी भी ज़ोर-ज़ोर से कमर उठा कर मेरे मुँह को चोद रही थी.