दोस्तो, मेरा नाम सोनू है और मैं रोहतक हरियाणा से हूं.
मैं अब 32 साल का हूं.
मेरा एक दोस्त है, उसका नाम नीरव है.
वह मेरा सबसे अच्छा दोस्त है. मैं अक्सर उसके घर जाता था.
हम ज्यादातर समय उनके घर पर ही खेलते थे.
उसकी मम्मी का नाम सरोज था.
वे बहुत सेक्सी महिला थीं.
दरअसल नीरव के पिता जी का देहावसान हो गया था तो उसकी मां काफी अकेली रह गई थीं.
वह कहते हैं ना कि जब जवानी आने की शुरूआत होती है तो मर्द का औरतों के प्रति आकर्षण बढ़ने लगता है, ठीक वैसा ही मेरे साथ भी हुआ.
मैं अपने दोस्त की मां सरोज से बहुत ज्यादा प्यार करने लगा था.
यह प्यार एक तरफा वाला था.
उस समय तक मुझे सेक्स का इतना ज्ञान नहीं था.
अब यहां मैं आप लोगों को सरोज आंटी के बारे में बता देता हूँ.
सरोज आंटी की उम्र 40 साल थी, वह एक भरी हुई देह की सुन्दर महिला थीं.
उनकी चूचियों का साइज 38 इंच, कमर 34 की और चूतड़ों का साइज करीब 40 इंच का था.
आंटी का रंग खुलता गेहुँआ था.
उनके घर आते जाते पता नहीं कब मैं सरोज आंटी को बहुत ज्यादा पसंद करने लगा, कुछ समझ ही नहीं आया.
अब मैं हर वक्त आंटी के बारे में ही सोचता रहता था कि कैसे उनके पास जाऊं और कैसे उनके शरीर को छू लूँ.
एक दिन हम दोनों आंटी के घर पर खेल रहे थे.
तभी मुझे प्यास लगी तो मैं आंटी के कमरे में चला गया.
वहां कोई नहीं था.
मैंने इधर उधर देखा, पर वहां कोई नहीं दिखाई दिया.
जब मैं कमरे से वापस आया तो मैंने आंटी के बाथरूम से कुछ आवाज सुनी.
शायद सरोज आंटी नहा रही थीं.
उनको नंगी देखने की आशा से मैं बाथरूम के दरवाजे की ओर बढ़ा और गेट के छेद से देखने लगा.
बाथरूम का दरवाजा लकड़ी से बना था, उसमें झांकने के लिए बहुत छेद थे.
जैसे ही मैंने एक छेद से अन्दर देखा, तो मुझे झटका सा लगा.
मैंने देखा कि मेरा प्यार सरोज आंटी नहा रही थीं. वे पूरी नंगी थीं.
उनकी चूचियां मेरे सामने की तरफ थीं जो कि बहुत बड़ी बड़ी और सुडौल थीं.
जब जब आंटी की चूचियों पर पानी पड़ रहा था और चूचियों से बहता हुआ उनके पेट पर आ रहा था तो मुझ पर वासना का भूत सवार होता जा रहा था.
बहते हुए पानी की वजह से आंटी बहुत ही खूबसूरत लग रही थीं.
मेरी नजरों के सामने यह बहुत ही खूबसूरत नजारा चल रहा था.
एक तो मैंने पहले कभी नंगी महिला नहीं देखी थी और दूसरी तरफ वह महिला नंगी नहा रही थी, जिसे मैं बहुत पसंद करता था.
मैं सब कुछ भूल कर सरोज आंटी को ही देखता रहा.
उसके बाद मैंने थोड़ा नीचे देखा, आंटी की सुडौल जांघें मेरी नजरों के सामने आईं.
आंटी की जांघें बहुत ही खूबसूरत लग रही थीं.
तभी अचानक से मेरी प्यारी सरोज आंटी ने अपनी जांघें खोल दीं और उनकी छोटी सी मगर फूली हुई चूत के दर्शन हुए.
चूत के ऊपर बहुत हल्के हल्के भूरे बाल थे.
आंटी की चूत इतनी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी कि मेरा मन तो कर रहा था कि अभी बाथरूम में घुस जाऊं और आंटी की चूत को खा जाऊं.
उन्होंने एक मग पानी लिया और अपनी चूत को थोड़ा सा खोल कर उसे धोना शुरू किया.
जैसे ही सरोज आंटी ने अपनी चूत को खोला, मुझे उसका अन्दर का लाल हिस्सा दिखाई दिया; एक बिल्कुल लाल और छोटा सा छेद दिखने लगा.
मैं बहुत ही आश्चर्य से देखता रहा.
मेरा मन न्यूड आंटी हार्डकोर सेक्स को करने लगा.
यह सब मेरे लिए जिंदगी में बिल्कुल नया था.
मैं बहुत डर गया था.
डर इस बात का था कि कहीं कोई देख ना ले इसलिए मैं वहां से भाग गया.
इसके बाद तो घर जाकर मैं बस यही सोचता रहा कि क्या मैंने कोई सपना तो नहीं देखा.
मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था और अब मेरे मन में बार बार यही आने लगा था कि कैसे भी करके सरोज आंटी को चोदना है.
इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े, बस उन्हें पाना है.
उस दिन के बाद मैं नीरव के घर देर रात तक टीवी देखता रहता था.
एक दिन की बात है, मेरा दोस्त नीरव और उसकी मां सरोज टीवी देखते देखते सो गए थे.
मेरा ध्यान मेरे प्यार सरोज आंटी की तरफ गया.
उस वक्त गर्मी का मौसम था तो वे कमीज और सलवार पहन कर सो रही थीं.
उनका कुर्ता थोड़ा सा ऊपर हो गया था इसलिए मेरी जान सरोज आंटी का गोरा गोरा पेट दिखाई दे रहा था.
मैं कुर्सी से उठा कर आंटी की खाट के पास आ गया.
मैंने सावधानी से आंटी के पेट को छुआ.
उनका पेट मुझे बहुत ही मुलायम सा लगा.
मैंने धीरे धीरे आंटी के पेट को चूमना शुरू कर दिया और अपनी जीभ से चाटने लगा.
सरोज आंटी के शरीर से बहुत ही अच्छी खुशबू आ रही थी.
मुझे सुरूर सा चढ़ने लगा.
मेरा लंड खड़ा होकर आंटी की चूत में घुसने के लिए तैयार हो गया था.
उसके बाद मैं आंटी के चेहरे के पास गया.
मैंने उनके चेहरे और होंठों को चाटना शुरू कर दिया.
यह अद्भुत था.
मैंने उसके माथे को चूमा और उसके बालों को सूंघने लगा.
बालों की खुश्बू ने मेरे होश उड़ा दिए.
मैं अपना लंड पैंट से निकाल कर उनके बालों में रगड़ने लगा.
उसके बाद मैंने अपना लंड आंटी के होंठों पर रख दिया और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा.
मैं सातवें आसमान पर था.
मेरा लंड फटने को हो गया था.
उस वक्त तक मुझे यह होश नहीं था कि आंटी को मेरी इन सब हरकतों का अहसास हो रहा होगा.
मैं बस अपने मद में गाफिल उन्हें चूमता सहलाता जा रहा था.
मैं अब सरोज आंटी की चूचियों पर हाथ भी फिराने लगा था और धीरे धीरे उनके मम्मों को दबा रहा था.
कुछ देर बाद मेरा माल निकलने वाला था. मैंने अपना लंड आंटी के होंठों से हटा लिया.
मेरा वीर्य बहुत तेज गति से और बहुत ज्यादा निकला.
उसमें से कुछ आंटी के बालों और होंठों पर गिर गया.
मैंने आंटी के होंठ चाट कर साफ किए और उसके बाद थोड़ी देर टीवी देख कर आंटी को देखता रहा.
फिर मैं अपने घर आ गया.
घर आने के बाद मैंने अपनी प्यारी जान सरोज आंटी को सोच कर एक बार और मुठ मारी और सो गया.
उसके बाद मेरे सपने और ज्यादा बढ़ने लगे.
पहले सोचता था कि आंटी को कैसे टच करें, अब जब टच कर लिया तो यह कामना मन में आने लगी कि उन्हें कैसे बार बार स्पर्श करें, उन्हें चाटें.
अब वह भी हो गया था बल्कि मैंने आंटी के ऊपर मुठ भी मार ली थी.
इसके बाद अब सिर्फ उनकी चुदाई की बात रह गई थी.
मैं यही सोचने लगा था कि अब आंटी की चुदाई कैसे की जाए.
एक दिन मैंने हिम्मत करके आंटी के पास फोन किया.
मैंने उनको कसम देते हुए कहा- आंटी, मुझे आपसे एक बात कहनी है, आप किसी को बताएंगी तो नहीं?
तो उन्होंने कहा- हां कहो, मैं किसी को नहीं बताऊंगी.
फिर मैंने उनको बताया- आंटी, मैं आपको बहुत पसंद करता हूं.
यह सुनकर एक बार तो वे गुस्सा हुईं और उन्होंने मुझे डांट दिया.
मैंने फिर से कहा- आंटी मैं आपसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूं.
लेकिन इस बार उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
मैंने उनसे पूछा- अभी आपके घर में नीरव है क्या?
उन्होंने बताया- नहीं, घर पर कोई नहीं है.
मैंने उनके घर आने को कहा.
तो उन्होंने जवाब दिया- ठीक है, घर आ जाओ. मैं तुम्हें समझाती हूं कि ये सब ठीक नहीं है.
मैं भाग कर आंटी के घर चला गया.
वे घर पर बिल्कुल अकेली थीं और चारपाई पर लेटी हुई थीं.
मैं बिस्तर पर बैठ गया.
आंटी मुझे देख कर मुस्कुराईं लेकिन उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा.
मैंने अपना हाथ उनके हाथ पर रखा तो मेरी जान सरोज आंटी ने उठना चाहा.
मैंने आंटी का हाथ कसकर पकड़ लिया और उन्हें अपनी तरफ खींच लिया.
पर संतुलन बिगड़ने से वह बिस्तर पर गिर पड़ीं.
मैं भी उनके ऊपर गिर गया.
आंटी के ऊपर लेटकर ऐसा लगा कि जैसे मैं सॉफ्ट गद्दे पर लेट गया हू.
तभी आंटी ने मुझसे छूटने की हल्की सी कोशिश भी की.
पर उनकी यह कोशिश ऐसी थी मानो वे भी मेरे साथ राजी हों.
अब मैं आंटी के ऊपर ही गिरा रहा और उनके होंठों को चूमने लगा.
उन्होंने मुझसे मुँह हटाते हुए कहा- मरवाएगा क्या … हट जल्दी … कोई आ जाएगा! मैंने तुझे बात करने के लिए बुलाया था और तू आते ही चिपक गया.
मैंने आंटी से कहा- मैं आपको बहुत पसंद करता हूं. दिल की गहराई से चाहता हूं.
मेरी इस बात पर वे हल्की सी मुस्कुरा दीं और बोलीं- तुमको मुझमें ऐसा क्या पसंद आया है?
मैंने कहा- आप मुझे सारी की सारी पसंद हो.
उन्होंने फिर से जोर देकर पूछा- कुछ खास बताओ कि क्या पसंद है!
मैंने कहा कि आंटी, मुझे आपकी चूची और चूतड़ बहुत पसंद हैं.
यह कह कर मैंने अपने होंठ आंटी के होंठों पर रख दिए और चूमने लगा.
उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
थोड़ी देर बाद उन्होंने भी साथ देना शुरू कर दिया तो मैं समझ गया कि रास्ता साफ है.
अब मैंने आंटी का कुर्ता ऊपर कर दिया और उनकी गोल गोल चूचियों को सहलाने लगा.
आंटी की चूचियां सफेद ब्रा में कसी हुई थीं. मैंने दोनों चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगा.
आंटी मादक सिसकारियां लेने लगीं.
मैंने उनकी ब्रा को ऊपर कर दिया और नंगी चूचियों को पकड़ लिया.
बहुत ही मुलायम चूचियां थीं.
मैं उनके एक निप्पल को चूसने लगा और साथ साथ दूसरी चूची को दबाने लगा.
वे फुल मस्त हो चुकी थीं.
मैंने धीरे से आंटी की सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार को नीचे खींच दी.
आंटी ने पैंटी नहीं पहनी हुई थी.
मेरे सामने मेरा सपना खुला हुआ था.
आंटी की छोटी सी फूली हुई चूत थी, जिस पर हल्के हल्के रोंए जैसे बाल थे, आंटी की झांटें भूरे रंग की थीं.
मैंने तुरंत उनकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और चूत को चाटने लगा.
चूत की खुशबू मुझे पागल कर रही थी.
मैं आंटी की चूत का दाना मुँह में लेकर चूसने लगा.
आंटी अब तक अपनी आंख बंद करके सिसकारियां ले रही थीं.
उन्होंने तुरंत अपनी आंखें खोल दीं और बोलीं- छिइइ: यह क्या कर रहे हो … यह तो गंदी होती है. इसको नहीं चाटते हैं!
मैंने कहा- आंटी आप बस थोड़ा सब्र करो … फिर कुछ कहना.
मैंने चूत को चाटना जारी रखा.
कुछ ही देर में आंटी टांगें फैलाती हुई बोलीं- आह बहुत मजा आ रहा है … तू मुझे मार कर छोड़ेगा क्या … मैं बेहोश हो जाऊंगी, जिंदगी में इतना मजा कभी नहीं आया. तूने यह सब कहां से सीखा … तू मुझे पहले क्यों नहीं मिला. मैं अपनी सारी जवानी तेरे पर ही लुटा देती … आह आज से तुम ही मेरे पति हो और नीरव के पापा हो … आज के बाद जो भी तू उससे कहेगा, वह वही करेगा. बस तुम मुझे ऐसे ही खुश करते रहना.
थोड़ी सी देर में ही आंटी मजे में चिल्लाने लगीं और तेज तेज आवाज करने लगीं.
मैं तूफान की तरह पलट कर 69 की पोजीशन में आ गया और अपना लंड आंटी के मुँह के पास कर दिया.
मैंने उनसे लंड चूसने को कहा पर आंटी ने ऐसा नहीं किया.
मैंने आंटी की चूत को जोर से चूसना जारी रखा और हल्का सा दांत से काट भी लिया.
आंटी जोर से चिल्लाईं.
जैसे ही उन्होंने अपना मुँह खोला … मैंने अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया और पूरा अन्दर पेल दिया.
आंटी चाह कर भी लंड को मुँह से नहीं निकाल पाईं.
थोड़ी देर बाद आंटी चूत चुसवाती हुई मस्त हो गईं और अपने आप लंड चूसने लगीं.
आंटी ने अपना पानी छोड़ दिया जिसको मैंने चाट चाट कर साफ कर दिया.
लेकिन आंटी ने मेरा लंड चूसना जारी रखा.
थोड़ी ही देर में मेरा भी माल उनके मुँह में ही निकल गया.
मैंने अपना पूरा जोर लगाया और आंटी के मुँह में ही लंड को फंसा कर रखा.
उस वजह से वे मेरा लंड मुँह से नहीं निकाल पाईं और उन्हें मेरा माल पीना पड़ा.
जब मैंने अपना लंड निकाला तो आंटी मुझ पर बहुत गुस्सा हुईं.
उन्होंने कहा- बता नहीं सकता था?
मैंने तुरंत उनको पकड़ा और उनके होंठों को चूमने लगा.
आंटी की चूचियों को दबाने सहलाने लगा.
इससे वे थोड़ा शांत हो गईं. अब मैंने आंटी की टांगों को फैलाया और लंड पेल दिया.
वे आह करके चूत चुदवाने लगीं.