हाँ तब की बात है जब मैं अपने कॉलेज के वार्षिक समारोह में शामिल होकर अपनी गाड़ी खुद ड्राइव करके घर वापस लौट रही थी। फंक्शन के बाद हुई पार्टी में दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए कुछ शराब भी पी ली थे मैंने और शायद उसी नशे का खुमार था कि मेरी कार की स्पीड 70-80 को पार कर गई थी। इसका ख्याल मुझे तब आया जब एक पुलिस जीप ने हॉर्न देकर मेरी कार को रोका। पुलिस जीप में से 25-30 साल का जवान पुलिस इंस्पेक्टर निकला और मेरी कार की साइड वाली खिड़की की तरफ आकर रौब से बोला- “नशे में गाड़ी चल रही है। मालूम नहीं यहां अधिकतम गति सीमा 40 है और तुम 70 की गति पर गाड़ी।” भाग रही हो !” इंस्पेक्टर की रौबीली आवाज से मैं एकदम डर गई और बोली- “गलती हो गई इंस्पेक्टर साहब। आगे से ध्यान से गाड़ी चलाऊंगी।” “कार से बाहर निकलो और अपना ड्राइविंग लाइसेंस दिखाओ” इंस्पेक्टर भी इस हाथ आये सुनहरे मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहता था। मैं ड्राइविंग लाइसेंस अपने पर्स में खोजने लगी लेकिन मिला नहीं शायद में घर पर ही भूल आई थी। मेरी घबराहट और बढ़ गई- “सर, लगता है मेरा लाइसेंस घर पर ही रह गया है” “बाहर आ आजा। तेरी तलाश लेनी पड़ेगी। ” इंस्पेक्टर ने मुझे बाहर निकलने का हुक्म दिया। मैं घबराती हुई कार से बाहर निकल कर खड़ी हो गई। मेरे बदन पर स्किन टाइट व्हाइट टॉप और घुटनों से काफी ऊंची ब्लैक स्कर्ट थी, जिसमें मेरी फिगर ठीक से नजर आ रही थी। इंस्पेक्टर ने मुझे छोड़कर मेरी खूबसूरत फिगर को देखा फिर कड़क आवाज में बोला-“अपने हाथ ऊपर उठाओ और घूम जाओ”
शर्म से मेरा चेहरा लाल हो चुका था लेकिन मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था। मैंने वही किया जो इंस्पेक्टर चाहता था। उसने तलाशी लेने के बहाने मेरे पूरे बदन पर अपने हाथ फिराने शुरू कर दिए। तलाश लेने के बाद उसने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया और मेरे चेहरे को बिल्कुल अपने नजरिए से कर लिया-, “मुंह खोलो अपना” मैंने जैसे ही मुंह खोला, वो बोला, “तुम्हारे मुंह से शराब की महक आ रही है। कहां से आ रही है हो शराब पीकर ? “मैं अब और भी घबरा गई थी-“सर कॉलेज की पार्टी में थोड़ी सी पी ली थी।” “शराब पीकर बिना ड्राइविंग लाइसेंस के कार चलाने के जुर्म में तुम्हें काम से कम दस साल की तो सजा होकर रहेगी” इंस्पेक्टर ने मेरी तरफ देखा और अपनी जेब से हथकड़ी निकालकर मेरे हाथों को पीछे ले जाकर उन्हें बांध दिया। अब मैं बिल्कुल लाचार हूं। गयी. डर के मारे मैं रोने लगी, लेकिन इंस्पेक्टर पर इसका कोई असर नहीं हुआ। वो बोला-अब बाकी की कार्रवाई थाने में होगी। आओ और मेरी जीप में बैठ जाओ।” मेरे हथकड़ी वाले हाथों को पकड़ कर वो मुझे अपनी पुलिस जीप तक ले आए और गाड़ी की उम्र अपने साथ बाली सीट पर बिठा दिया-मेरे हाथ पीछे से हथकड़ी लगाए हुए हाथों को पकड़ कर वो मुझे अपनी पुलिस जीप तक ले आए और गाड़ी की उम्र अपने साथ बाली सीट पर बिठा दिया-मेरे हाथों के पीछे से हथकड़ी पहने हुए हाथों को पकड़ने की वजह से मुझे बैठने में काफी परेशानी हो रही थी। मैंने उसकी तरफ देखकर कहा-” सर, मेरे हाथ खोल दीजिये ना.मुझे बैठने में बहुत परेशानी हो रही है।” इसका सॉल्यूशन इंस्पेक्टर ने कर डाला-मेरी हथकड़ी खोलकर नहीं बल्कि अपनी चालाकी से। इंस्पेक्टर मुझसे बोला- “मेरी तरफ झुक कर मेरी जांघों पर अपना चेहरा टीका लगा सकती हो। इसे तुम्हें कोई देख भी नहीं पाएगा और तुम्हें हथकड़ी लगाकर बैठना भी नहीं पड़ेगा” उसकी बात सुनकर मुझे लगा कि उसकी बात मानते हुए जाने में ही शायद मेरी भलाई है-मैंने उलटे होकर कोशिश करते हुए अपने चेहरे को उस जंग के ऊपर टिकने का प्रयास किया-इंस्पेक्टर ने इस काम में मेरी मदद की और मेरे चेहरे को अपनी दोनो झंघो के बीच में इस तरह से एडजस्ट कर दिया मानो उसके खड़े लंड पर चुम्बन जड़ने के लिए मुझे लिटाया गया हो। जिस स्थिति में मैं उल्टी होकर लेट गई थी, उसमें मेरी छाती की डोनो गोलियाँ थीं, उसकी बायी जाँघ पर चिपक गई थी। बीच बीच में इंस्पेक्टर स्टीयरिंग से अपना हाथ हटा कर कभी मेरी पीठ पर और कभी मेरे नितंबों पर हाथ फिरा देता। गाड़ी चलने लगी तो मेरे हाथ उसकी जांघों और उसके खड़े उबर से रगड़ खाने लगे-वो मेरी मजबूरी का भरपुर मजा ले रहा था-“तुम इसी तरह सहयोग करती रहोगी तो मैं तुम्हारी सजा कुछ काम भी करवा सकती हूं और अगर मेरे हुक्म अगर तमील नहीं है तो बाकी सारी जिंदगी हो सकती है जेल में ही गुजरी पड़े।” “बोलो क्या कहती हो? मेरी बात मंजूर है कि नहीं?” इंस्पेक्टर ने मुझसे सवाल कर डाला। “जी सर” मेरे मुँह से आवाज़ निकली “क्या जी सर.साफ़ साफ़ बोलो” इंस्पेक्टर मुझसे मजे ले रहा था। “जी सर मैं आपके हर हुक्म की तामील करूंगी” मेरे मुँह से निकला।
नहीं.बोलो मैं आपकी सेक्स स्लेव बनने के लिए तैयार हूं।” इंस्पेक्टर के इरादे कुछ और ही मालूम होते हैं। “सर मैं आपकी सेक्स स्लेव बनने के लिए भी तैयार हूं अगर आप मेरी सजा पूरी तरह माफ करा दें।” मुख्य बोली. एक रेडलाइट पर जीप रुक गई तो मैंने देखा कि इंस्पेक्टर ने अपनी पैंट की जिप खोलकर अपने खड़े लंड को बाहर निकाल लिया और मेरे होंठों की तरफ करते हुए बोला-‘इसे छूमो और फिर अपने मुंह में लेकर इसे चाटो।जब तक मैं ना कहूं’ तब तक यह तुम्हारे मुंह के अंदर ही रहना चाहिए। याह तुम्हारा इम्तिहान है कि तुम मेरी सेक्स स्लेव बनी लायक हो भी नहीं।” शर्म और जलालत से मैं दूसरी हुई जा रही थी। इंस्पेक्टर के खड़े लंड में से अजीब तरह की गंध आ रही थी लेकिन मेरे पास उसे छोड़ने के अलावा और दूसरा रास्ता नहीं था। इसके बाद मैंने उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया। “इस पर अपनी जिद फिरो” इंस्पेक्टर को जैसे मुझे अपमानित करने में ज्यादा ही मजा आ रहा था। इंस्पेक्टर के हुक्म की तामील करते हुए मैं उसके खड़े लंड पर अपनी जीभ फिराने लगी। एक जगह सड़क पर शायद गड़बड़ था और उसकी वजह से गाड़ी काफी जोर से उछल गई जिसकी वजह से उसका लंड मेरे मुंह में काफी अंदर तक चला गया और इंस्पेक्टर के मुंह से भी आनंद भरी सिसकारी निकल गई-ये तो तय था कि इंस्पेक्टर अपने हाथ आई चिड़िया को जामकर सेक्सप्लॉइट कर रहा था। कुछ देर बाद जीप एक सुनसान सी जगह पर आकर रुक गई। इंस्पेक्टर ने अचानक अपने खड़े लंड में से एक जोर की पिचकारी छोड़ी और मेरे मुँह में उसका वीर्य-रस भर गया। इससे पहले कि मैं कोई भूल करती, इंस्पेक्टर ने मुझे फटाफट हिदायत दे डाली, “एक भी बूंद गिरनी नहीं चाहिए-सारा का सारा रस पी जाओ।” इंस्पेक्टर ने मुझे अपने भगवान से उठाया और अपनी पैंट की जिप बैंड करके जीप से उतार दिया-”चलो बाहर आ जाओ। पुलिस स्टेशन आ गया है।” मैंने उतरकर देखा तो वहां बोर्ड लगा हुआ था-”विशेष पुलिस पोस्ट-अपराध शाखा। ” मैं उसके पीछे-पीछे थाने में आ गई- “सर यहां और कोई नहीं है। बाकी सबकी छुट्टी हो गई क्या?”
याह स्पेशल चेक पोस्ट बनाया गया है जहां सिर्फ मेरा ही राज है-किसी दूसरे आदमी की यहां कोई जरूरी ही नहीं है क्योंकि दूसरे थानो से भी कुछ खास किस्मत के अपराध यहां पर लाए जाते हैं ताकि मैं उनका अपने तरीके से पूछताछ कर सकूं। इंस्पेक्टर की लाठियों से मेरी राह सही हिम्मत भी जाती रही। अंदर पुलिस स्टेशन का नजारा भी देखने लायक था। पुलिस स्टेशन थाना कम, ड्राइंग रूम ज्यादा लग रहा था। एक टेबल 4 कुर्सी के अलावा एक आरामदेह सोफा सेट भी वहां पड़ा हुआ था। एक अटैच्ड वॉश रूम और एक अतिरिक्त कमरा भी जिसे शायद इंस्पेक्टर ने अपना राम करने के लिए रखा हुआ था क्योंकि वहां पर एक बिस्तर भी पड़ा हुआ था। साइड में ही एक कमरे में सलाखें लगी हुई थी, जिसे जेल की तरह इस्तेमाल किया जाता होगा। हां सब मैंने पहली बार देखा था और मैं बहुत ज्यादा नर्वस हो रही थी। “चलो इधर आकर खड़ी हो जाओ” इंस्पेक्टर ने सोफे पर बैठे हुए कहा। मुख्य इंस्पेक्टर (अमित) के सामने आकर खड़ी हो गई। उसका नाम मुझे टेबल पर रखा, उसकी नेम प्लेट से मालूम पड़ा-जिस पर लिखा था अमित भसीन-इंस्पेक्टर-क्राइम ब्रांच। मेरे डोनो हाथ अभी भी पीछे की तरफ हथकड़ी लगी हुई है। मैंने देखा कि वहां पर एक वीडियो कैमरा लगा हुआ था जिसकी रिकॉर्डिंग हो रही थी। अमित ने मेरी तरफ देखे हुए अपने खड़े हुए लंड को पैंट के ऊपर से ही हाथ फिराया और बोला-, “इधर आओ मेरे करीब” मैं उसके बिल्कुल करीब जेकर खादी हो गइल. “चलो पीछे घूम जाओ” उसने कहा और मैं पीछे घूम गयी। मेरी हथकड़ी खोलते हुए अमित बोला- “फिर से घूमो” और मैं फिर से घूमकर खड़ी हो गई। “अब अपने सारे कपड़े उतार दो और अपना खूबसूरत बदन मुझे दिखाओ” उसने एक हाथ में शराब का ग्लास लेकर अपने होठों से लगाते हुए हुक्म दिया। मैं इस तरह के हुक्म के लिए शायद तैय्यर नहीं थे-इसलिये कुछ सोच विचार मुझे पड़ गया। ‘मेरे पास समय कम है और तुम्हें जेल में 10 साल के लिए बंद करना होगा, मैं ज्यादा समय नहीं लगाऊंगा।’ अमित का एक हाथ अभी भी अपने खड़े लंड को सहलाने में व्यस्त था और दूसरे हाथ में वो शराब का ग्लास लिये हुए था। शर्म और जलालत से मैं जेल जा रही थी। मुझे जेल का दर दिखा कर वो मुझे खरीदे हुए गुलाम से भी गया बीता सालुक कर रहा था। लेकिन मेरे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था इसलिए मैंने ना चाहते हुए भी अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिए .पहले मैंने अपने टॉप के ऊपर वाले डोनो बटन खोल दिए और फिर उसको उतार डाला-अब मेरे ऊपर ही सिर्फ एक लाल ब्रा रह गई थी-इसके बाद मैंने अपना हाथ स्कर्ट की ज़िप की तरफ बढ़ाया और आहिस्ता आहिस्ता स्कर्ट भी मेरे बदन से अलग हो गई-मेरे बदन पर अब सिर्फ ब्रा और पैंटी रह गई।
बस सर, अब और कपड़े मत उतारो मेरे प्लीज़…मुझे बहुत शर्म आ रही है।” मैने अमित से अनुरोध करते हुए कहा। “ठीक है। इधर आकर मेरी भगवान में कुछ देर बैठ जाओ”अमित ने अपनी दोनों तांगे फैलाते हुए कहा।जैसे ही मैं उसकी भगवान में बैठी उसका एक हाथ मेरे सीने की गोलियों से खेलने लगा और दूसरा हाथ मेरी पैंटी के अंदर चला गया। कुछ देर तक वो मेरे बदन से ऐसे ही खेलता रहा। फिर अचानक मुझे अपने भगवान से अलग करते हुए बोला-;”चलो फिर से खड़ी हो जाओ!” उसके हुक्म के मुताबिक मैं फिर से खड़ी हो गई। ब्रा और पैंटी अभी भी मेरे बदन पर मौजूद हैं। ‘अब अपने बाकी के कपड़े भी उतारो और बिल्कुल नंगी हो जाओ।’ इंस्पेक्टर के होठों पर अजीब सी मुस्कान थी। मैंने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथों को पीछे ले जाकर ब्रा के हुक को खोला और ब्रा मेरे हिस्सेदार से अलग हो गई। अपने हाथों से मैंने अपने देखा एक कबूतरों को ढकने की कोशिश भी की लेकिन एकदम अमित की आवाज ने मुझे रोक दिया-“हाथ नीचे” करो और पैंटी भी उतारो।” मेरे हाथ अब अपने बदन के आखिरी कपरे को उतारने में बर्बाद हो गए और कुछ ही पलों में मैं बिल्कुल नंगी होकर अमित के सामने खड़ी हुई थी।अपने एक हाथ को मैंने अपनी दोनों झंझोनों के बीच में ले जाकर अपने नंगेपन को ढकने का नाकाम प्रयास भी किया लेकिन अमित की उम्र मेरी एक ना चली- “दोनों हाथों से अपने कान पकड़ो और 100 बार उठक बैठक लगाओ।” मुझे इस तरह अपमान की जरा भी उम्मीद नहीं थी। मेरे बदन में कोई भी हरकत ना देख, अमित ने शायद मुझे सबक सिखाने के लिए मेरी सजा बढ़ाते हुए कहा-“अब 150 साल की बैठक लगनी पड़ेगी.और देर की तो ये सजा और भी बढ़ सकती है-तुम्हारी 10 साल की सजा काम करने के लिए कुछ और सजा तो देनी ही पड़ेगी।उठक बैठक लगाने पर तुम्हारी 10 साल की सजा घाटकर 8 साल रह जायेगी।चलो शुरू हो जाओ फटाफट !” मैंने बिना किसी देरी के अपना कान पकड़कर उठक बैठक लगनी शुरू कर दी-शर्म और जलालत से मेरे चेहरा लाल हुआ जरूर। “उठक-बैठक गिन्ति भी रहो बोल-बोलकर वर्ना वो गिनती नहीं होगी और तुम्हें ज्यादा उठक-बैठक लगनी पड़ेगी।” अमित के होठों पर बिल्कुल वैसी ही मुस्कान थी जैसे किसी को यौन रूप से अपमानित करना वक्त होता है। अमित के लिए ये नजारा बेहद कामुक था क्योंकि वो एक हाथ में शराब का गिलास थामे उसकी हल्की हल्की चुस्कियां ले रहा था और उसका दूसरा हाथ अपने खड़े हुए ling ko sahlane me vyast tha. जब तक मैं उठक बैठक लगाती रही, अमित अपनी नजरों से मेरे नंगे जवान बदन का रस पीता रहा। जैसे ही मेरी 150 उठक बैठकों की गिनती पूरी हो गई, मेरा एक हाथ अपने आप ही मेरी डोनो टैंगों के बीच चला गया और मेरे योनि प्रदेश तक ढकने की नाकाम कोशिश करने लगा। मेरा दूसरा हाथ अपने सीने को ढकने की नाकाम कोशिश में लग गया। लेकिन अमित के इरादे कुछ और ही थे-वो मेरी तरफ देखकर कहते हैं- “चलो अपने दोनों हाथ पीछे करो और धीरे-धीरे अपनी कमर मटकाती हुई” मेरी तरफ़ आओ।” मैं जैसा हाय अमित के नजदीक पहुंची, उसका एक हाथ मेरी दोनो टंगों के बीच के योनि प्रदेश के मखमली भाग को सहलाने में बर्बाद हो गया-पहली बार किसी मर्द के स्पर्श से मेरे अंदर मानो करंट सा लगा लेकिन मेरे हाथ पीछे बंधे हुए वे और मेरी इसी आशा स्थिति का पूरा फायदा वो उठा रहा था। बीच बीच में वो मेरे चिकने गोल नितंबों को भी थपथपा कर अपना पूरा मनोरंजन कर रहा था। अचानक उसने अपना हाथ योनि पर से हटा दिया और बोला-“अपनी टांग फैलाओ” जैसा ही मैंने अपनी तांगे फैलायी उसने दोबारा मेरे योनि प्रदेश से और जंघों के भीतर के चिकने भाग पर अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया। अपने दूसरे हाथ से वो अभी भी अपने लिंग को पैंट के ऊपर से ही सहलाए जार आहा था जो अब टैंकर टेंट की तरह हो गया था। “चलो घुटनो के बाल बैठ जाओ और मेरी पैंट की ज़िप खोलो” अमित ने मुझे ऑर्डर दिया। मैं घुटनो के बाल बैठ गई और अपने हाथ उसकी पैंट की ज़िप खोलने के लिए जैसे ही बढ़ाए, उसने मुझे रोकते हुए कहा- “हाथों से नहीं अपने मुंह से खोलो मेरी पैंट की ज़िप को।” इससे बढ़कर अपमान शायद किसी लड़की का नहीं हो सकता था लेकिन मैं पूरी तरह से उसके चांगुल में फंस चुकी थी। मैंने काफी कोशिश करने के बाद अपने मुंह और हाथों का इस्तमाल करते हुए उसकी पैंट की ज़िप खोल दी और उसका ताना हुआ लिंग सिर्फ गैलन से तकराय.
अभी तक तुम बिल्कुल ठीक तरह से सहयोग कर रही हो”, अमित ने मेरी तरफ देखा- ”अब अगर तुमने मुझे मेरे लिंग को चाटने और चुनने में भी मुझे खुश कर दिया तो तुम्हारी बाकी की बच्ची 8 साल की सजा, सिर्फ 5 साल हाय रह जायेगी.बोलो मंजूर है?” “हां सर” मेरे मुंह से निकला। “क्या हां सर.साफ-साफ बोल।” अमित ने अपने लिंग का स्पर्श मेरे होठों से करते हुए कहा। “हां सर मैं आपके लिंग को चटकार, चूमकर और चूसकर आपको पूरी तरह से खुश कर दूंगी ताकि मेरी सजा घटकर 5 साल रह जाए।” मेरे मुँह से अपने आप ही यहाँ सब निकल गया। “चलो अब शुरू हो जाओ! “इंस्पेक्टर ने अपनी टांग फैलाई जैसे मेरा काम आसान कर दिया। मैंने जैसे ही अपने होठों से उसके लिंग को ईगल भाग का स्पर्श किया, उसने मेरे गैलन पर हल्की सी चपत लगाते हुए मुझे रोक दिया- “चटने के लिए होठों का नहीं जीभ का इस्तमाल करते हैं। चलो अपनी जीभ निकालो और मेरे पूरे लिंग के ऊपर फिरते हुए इसे चटो।” मैं उसका मतलब समझ गई और उसके हुक्म के मुताबिक उसके लिंग के ऊपर भाग पर अपनी जीभ फिरानी शुरू कर दी। कुछ देर तक वो मेरी जीभ से अपने लिंग की ऐसे ही मसाज करवाकर मजे लेता रहा। “चलो अब इसे अपने मुंह के अंदर करो और फिर से इस पर अपनी जीभ फिराओ।” अमित ने मुझे अगला हुक्म देते हुए कहा। उसे शायद होठों के बजाय जीभ के इस्तेमाल में ज्यादा मजा आ रहा था। मैंने वही किया जो वो चाहता था-मेरी सजा का घाटा उसकी खुशी पर ही निर्भर था। जब मुझे अपनी जीभ फिरते हुए कुछ देर हो गई, तो वो फिर से बोला- “इसे और अंदर तक लेकर चुनना शुरू करो। ध्यान रहे तुम्हारे दांतों का इसे स्पर्श भी नहीं होना चाहिए और बीच-बीच में अपनी जीभ भी फिरती रहना ताकि भरपुर मजा आता रहे।” ऐसा लग रहा था जैसे अमित अपनी किसी फंतासी को पूरा कर्म चाहता था और उसके अंदर के सभी अरमान शब्द बैंकर उसके होठों से बाहर आ रहे थे। मैंने भी अब अपना आदमी बना लिया था कि अमित को पूरी तरह खुश करके अपनी सजा कम करवाकर ही। रहूंगी इसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े। कुछ देर बाद जब अमित पूरी तरह से उत्तेजित हो गया तो बोला- “मेरा वीर्य रस बाहर निकलने बाला है।” ध्यान रहे कि इसकी एक भी बूंद गिरनी नहीं चाहिए और तुम इसे पूरा का पूरा पी जाओगे। अगर एक भी बूंद जमीन पर या कहीं और गिरी तो तुम्हें भी चटकार साफ कर्म होगा।’ अगले ही पल उसके लिंग से एक जोरदार पिचकारी निकली और मेरे पूरे मुँह में उसका वीर्य रस भर गया। मैंने भी उसको जल्दी जल्दी पीने की कोशिश की ताकि उसकी एक भी बूंद कहीं भी गिर न सके। लेकिन ऐसा हुआ नहीं-मेरी लाख कोशिशों के बाबाज़ूद कुछ वीर्य रस की बूंदें इंस्पेक्टर के जूतों पर जा गिरी और अमित ने टूरंट मौके का फायदा उठाया ह्यू मुझे अगला हुक्म सुना डाला- “जूतों को चाट चाट कर साफ करो वरना तुम्हारी सजा कम नहीं होगी।” मैंने अमित की तरफ इस भाव से देखा कि शायद उसे मुझ पर दया आ जाए लेकिन वो अपनी जिद पर कायम था- “अब तुम्हारी जिंदगी से मेरे जूते साफ होने चाहिए….” कोई और रास्ता ना देख मैंने हार मान ली और बिल्कुल उलटी होकर वहीं जमीन पर लेट गई ताकि अपनी जिह्वा को उसके जूतों पर फिराकर उस पर वीर्य रस की बूंदें चटा सकें। जूते चाटने के बाद मैं उठने लगी तो अमित ने लगभाग दांतने वाले अंदाज में कहा- “ठीक से चाटो जूते.जब तक मैं ना कहूं चाटती रहो-नशा करने की कुछ तो सजा मिलनी ही चाहिए तुम्हें।” और मैंने दोबारा से उसके जूते शुरू कर दिये। कुछ देर बाद अमित ने कहा- “चा लब उठ जा और कुछ नाच गाने का प्रोग्राम शुरू कर।” मैं जैसे ही उठाकर खड़ी हुई, अमित ने कमरे में रखे हुए म्यूजिक सिस्टम को चालू करते हुए मुझे हिदायत दी-“इस सीडी में 5 सेक्सी गाने हैं-सभी गानों पर तुझे अपने सेक्सी नंगे बदन को ठीक से थिरकाना है-डांस इतना सेक्सी” होना चाहिए कि मैं खुश होकर हर गाने के साथ तेरी बाकी की सजा भी माफ करता चल जाऊं। अब सिर्फ 5 साल की सजा बाकी है और 5 गानों पर तुझे डांस करना है। समझे? “ “जी सर समझ गई. 5 सेक्सी गांवों पर मुझे डांस कर्मा है जिसे आप खुश हो जाएं….” मेरे मुंह से निकला. “हाँ तुम बिल्कुल ठीक जा रही हो। बस एक बात का ध्यान रहे कि अगर मुझे तुम्हारा डांस पसंद नहीं आया तो वो बाला डांस काउंट नहीं होगा…।” अमित ने मुझे डराने के लिए शायद इसलिए कहा ताकि मैं अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस दे सकूं।
ठीक है सर. मैं बहुत ही सेक्सी डांस करूंगी ताकि आप पूरी तरह खुश होकर मेरी सजा को माफ करते रहें।” मैंने भी मानो उसे चुनौति देते हुए कहा। उधर म्यूजिक सिस्टम पर पहला गाना बजना शुरू हुआ और इधर मेरा सेक्सी नंगा बदन भी संगीत के साथ-साथ थिरकने लगा। मेरा डांस देख कर अमित काफी उत्साहित सा हुआ जरूर आहा था।इसका अंदाज मुझे इसी से हो गया कि उसने शराब की एक और बोतल खोल ली थी और उसका एक हाथ अपने पैंट के ऊपर के उबर पर से हट ही नहीं रहा था-गाना काफी फास्ट म्यूजिक पर चल रहा था इसलिए मेरा शेयरर भी प्रोफेशनल आइटम गर्ल की तरह थिरक रहा था। अचानक गाना और म्यूजिक डोनो बैंड हो गए और उसके साथ ही मुझे भी कुछ पल का मानो ब्रेक मिल गया ” ठीक है। बढ़िया डांस कर लेती हो तुम। अब अगला डांस एक पुराने गाने पर है और इसमें बहुत आहिस्ता आहिस्ता है तुमने अपने बदन को मूव करना है। डांस करते समय तुम्हारा बदन मेरे बिल्कुल नजदीक होना चाहिए ताकि मैं अगर चाहूं तो तुम्हारे खूबसूरत बदन को बीच बीच में सहला भी सकून।” अमित ने लंबी सी हिदायत दे डाली. मैं जान बूझकर उसके एकदम नज़दीक आकर खड़ी हो गई-इतने नज़दीक के मेरे सीने के उबर उसके चेहरे को लगभाग स्पर्श करने लगे। उसने एक हाथ बढ़ा कर म्यूजिक सिस्टम चालू कर दिया और एक बड़ा की पुराना लेकिन लोकप्रिय गाना बजने लगा- “भीगा बदन जलने लगा…….” ये मुझे ध्यान आया कि किसी फिल्म में जीनत अमान के ऊपर फिल्माया गया था। अमित ने खड़े होकर शराब की एक नई बोतल खोल ली थी और हमें से उसने शराब को मेरे बदन पर डालते हुए मुझे शराब से बहुत पहले शुरू कर दिया था। पूरी बोतल खाली होते होते मैं पूरी तरह से शराब में भीग चुकी थी और मेरे बदन अभी भी हमें बेहद सेक्सी गाने की धुनो पर लगतार थिरक रहा था। अमित ने अब मेरे बदन को जगह जगह से छूमना, चटना शुरू कर दिया था और मेरे लिए अपना डांस जारी रखना काफी मुश्किल हो रहा था। गाना खत्म होते होते उसने लगभाग मेरे पूरे बदन को चाट डाला। मेरा अपने ऊपर से कंट्रोल एकदम खतम हो गया लगता था क्योंकि अमित पूरे 5 मिनट तक लग गया, चूमा चाटी से मैं भी ज्यादा उत्साहित हो चुकी थी। अमित अब सोफ़े पर बैठ चुका था लेकिन मेरा नंगा बदन अभी भी उसकी गिरफ़्तारी में था जिसे वो काफी उदरता के साथ सहला-थपथपाता जा रहा था। मेरी दोनो झंघो के बीच का योनि प्रदेश पूरी तरह भीगा हुआ था-अमित ने कुछ देर तक वहां अपने हाथ को फिराया फिर अचानक बोला-‘चलो उसी दीवार से सत्कार खड़ी हो जाओ। नाच गाने का बाकी का प्रोग्राम बाद में होगा। अभी मेरे लिंग को कुछ राहत की जरुरत है।” अमित के इस नए आदेश से मानो मेरे जंघों के बीच से पानी की धारा सी बहने लगी। उसके इस नए हुक्म को सुनकर मुझे अपने स्कूल के दिनों की सजा की याद ताज़ा हो आई। स्कूल में भी मुझे मेरे गणित के शिक्षक मोहित सर मुझे दीवार ऐसे ही सत्कार खड़े होने की वजह से वे-स्कूल में मुझे अपने हाथ भी ऊपर करने होते हैं। मैं दीवार की तरफ मुंह करके दीवार से सत्कार खत्म हो गई और अमित के कहे बिना ही मैंने अपने हाथ भी ऊपर कर लिए। अमित मेरे पीछे आकार मुझसे सत्कार खड़ा हो गया-उसका खड़ा लिंग मेरे नितंबों से टकरा रहा था-कुछ देर तक वो अपने लिंग को मेरे नितंबों पर रगड़ता रहा, फिर अचानक मुझे पकड़कर उसने मेरा मुंह अपनी तरफ कर लिया-मैंने देखा कि उसने अपना लिंग पैंट से बाहर निकला नुआ था और वो पूरी तरह से तनकर एकदम लगभाग 7 इंच का हो गया था। मैंने अपने हाथ ऊपर उठाए हुए थे जिसकी वजह से केवल एके उबर और भी अधिक उबर कर बाहर की तरफ आ गए वे। “चलो अपनी जांघें खोलो” अमित ने मुझे हुक्म दिया और मैं समझ गई कि वो क्या करने जा रहा था-अपने खड़े लिंग को उसने बड़ी सरलता से मेरी योनि के अंदर घुसा दिया और मेरे मखमली बदन को अपने बदन से चिपका लिया।उसके होंथ मेरे होठों से बैठ गए वे जिन्हे वो जी भर कर छूम रहा था। मुझे अपने हाथ ऊपर किये हुए काफी वक्त हो गया था और मुझे उन्हें ऊपर रखने में खासी तकलीफ भी हो रही थी। हाँ सही है कि अमित के लिए मेरा हाँ हाथ ऊपर काके खड़े रहने का दृश्य बेहद कामुक था-लेकिन मेरे लिए अब हाथ को ऊपर करके खड़े रहना लगभाग नामुमकिन सा होता जार अहा था और जब हाथ काफी दर्द करने लगे तो मैंने अपना हाथ नीचे कर लिया।जिस समय मैंने हाथ नीचे किया उस समय तो इंस्पेक्टर ने कुछ नहीं कहा क्योंकि उस समय तो हमारे पर जबरदस्त मस्ती चाहिए हुई थी क्योंकि वो मेरे बदन को मसलने में व्यस्त था.जब उसके उत्तेजना का बांध टूट गया तो मैंने भी उसके बदन को पकड़ लिया क्योंकि मेरे लिए भी यह पहला ही अनुभव था।