एक 22 साल की लड़की, जो पहाड़ों और झीलों के शहर नैनीताल से थी, उसने मुझे मेल किया.
उसने लिखा कि आपकी कहानी बहुत अच्छी थी, मुझे पसंद आई.
मैंने उसे धन्यवाद देते हुए रिप्लाई कर दिया.
बात आई गयी हो गयी.
दूसरे दिन मैंने उसे हैंगआउट पर मैसेज किया तो उसका रिप्लाई आया और बातों का सिलसिला धीरे-धीरे चल पड़ा.
मैंने उसकी फोटो देखनी चाही तो उसने मुझे अपनी फ़ोटो दिखाई.
सच में वह बहुत खूबसूरत लड़की थी.
पहाड़ों की लड़कियां अक्सर थोड़ी सांवली और तीखे नैन नक्श वाली होती हैं.
उसके भी चेहरे का आकर्षण गजब का था.
मैंने उसका नाम पूछा तो उसने तृष्णा बताया.
फिर अचानक 5-6 दिन बाद उसका मैसेज आना बंद हो गया और मैं भी भूल गया.
इस बात को धीरे धीरे दो महीने हो गए.
मैं कभी-कभी मैसेज कर देता कि शायद वह ऑनलाइन होगी.
अचानक एक दिन उसका मैसेज आया.
मैंने उससे नंबर मांगा तो उसने इस शर्त पर दिया कि मैं उसे पहले मैसेज नहीं करूंगा. जब वह फ्री रहेगी तो खुद मैसेज करेगी.
मैंने ओके कह दिया.
अब धीरे धीरे चैटिंग होने लगी लेकिन कभी बात नहीं होती थी.
मैं उसे बता चुका था कि मैं शादीशुदा हूँ.
एक बार मैंने उससे पूछा- नैनीताल घूमने आऊंगा तो मिलोगी?
वह बोली- मैं तुमको पूरा नैनीताल घुमा दूंगी लेकिन सुबह 9 से 4 बजे तक ही रहूंगी. उसके बाद मैं गांव चली जाऊंगी.
मैं थोड़ा उदास हुआ कि इसके साथ एन्जॉय करने का मौका नहीं मिलेगा.
क्योंकि दिन में मेरी पत्नी साथ में रहेगी और रात में ये रुकेगी नहीं.
खैर … मैंने सोचा कि घूमने चलो, चुदाई तो बीवी की भी कर ही लेंगे. वहां पहुंच कर जो होगा, सो जुगाड़ करेंगे.
प्रोग्राम बना और जनवरी में मैं और सोनू रायपुर से ट्रेन पकड़ कर सुबह 9 बजे निजामुद्दीन पहुंच गए.
वहां से उसको मैसेज करके बता दिया कि मैं दिल्ली पहुंच गया हूँ, शाम को नैनीताल पहुंच जाऊंगा. कल का क्या प्लान है?
तृष्णा ने कहा- कल की कल देखेंगे … तुम पहले आराम से आ जाओ.
मेरी पत्नी का नाम सोनल है, प्यार से मैं उसे सोनू बुलाता हूँ.
वैसे तो हम दोनों की अरेंज मैरिज है लेकिन हम दोनों बहुत प्यार करते हैं.
सोनू भरे हुए जिस्म की है, उसका रंग सांवला है … जैसा ज्यादातर भारतीय महिलाओं का होता है.
उसके बूब्स 34 साइज के हो गए हैं. मैंने दबा दबा कर 30 से 34 कर दिए हैं.
अब सोनू की फिगर 34-30-36 की हो गयी है.
शादी के समय उसकी फिगर 30-28-32 की हुआ करती थी.
साफ शब्दों में बोलूं तो सोनू को चोदने में बहुत मज़ा आता है.
आखिरकार हम लोग देर शाम नैनीताल पहुंच गए.
होटल की बुकिंग पहले से थी, यह बात मैंने तृष्णा को बता दी थी.
सफर के कारण थके हुए थे इसलिए शाम को हल्का खाना खाया और एक राउंड सोनू की चुदाई करके हम दोनों नंगे ही सो गए.
वैसे तो घर पर मेरी जल्दी उठने की आदत है लेकिन सफर और चुदाई की थकान के कारण सुबह की सुहानी किरण ने मुझे झझकोरने की हिम्मत नहीं की.
सोनू जल्दी उठ गयी थी और फ्रेश होकर बाल्कनी में चाय की चुस्कियां ले रही थी.
लगभग आठ बजे थे.
तभी अचानक घंटी की आवाज़ ने मेरी नींद में खलल डाला.
जैसे ही सोनू ने दरवाजा खोला, एक 22 साल की लड़की जींस टॉप पहने धड़धड़ा कर दरवाजे को धक्का देती हुई अन्दर आ गयी.
वह माल तो गजब की थी.
लंबाई 5 फुट 2 इंच की और 34 इंच के गोल व टाइट चूचे, कसी हुई गांड, चिपकी हुई जीन्स और वाइट टी-शर्ट, साथ में ब्लैक ओवरकोट पहने एकदम कांटा माल लग रही थी.
‘नमस्कार साहब जी, नमस्कार बीबी जी, मेरा नाम तृष्णा है … पास के गाँव में रहती हूँ. मुझे होटल की तरफ से आपका गाइड बनाया है … इसके लिए आपको एक दिन का 300 और दो दिन का सिर्फ 500 देना होगा.’
वह मेरी तरफ देख कर मुस्कुराती हुई बोली.
मैं तो उसे देख कर पहचान गया था.
मगर अनजान बनते हुए बोला- गाइड का किसने बोला मैनेजर को … हमें जरूरत नहीं है. तुम जा सकती हो!
वह ‘ठीक है.’ बोल कर छोटा सा मुँह बना कर जैसे ही जाने के लिए घूमी तो सोनू ने उसे रोक लिया- रुको जरा.
तब वह रुक गई.
सोनू मुझसे मुखातिब हुई- अरे, रहने दीजिए न … पांच सौ ही तो मांग रही है. हम लोग को दिन भर घुमाएगी, हम लोग की फोटो भी खींच देगी, अच्छे से पूरा नैनीताल घुमाएगी! क्यों घुमाओगी न … क्या नाम बताया तुमने अपना!
‘जी तृष्णा … और हां बीबीजी आपका बैग भी पकड़ लूंगी.’
यह बोलती हुई वह मेरे पैर के पास आ कर बैठ गयी.
मेरी बीवी ने बोला- ठीक है, अभी जाओ … हम लोग रेडी हो जाएंगे … तो बुला लेंगे.
इतने में तृष्णा बोली- नहीं बीबी जी, बाहर गयी मतलब मेरी बुकिंग कैंसिल. आप लोग रेडी हो जाइए, मैं यहीं इंतजार कर लूंगी.
सोनू नहाने जाती हुए मुझको उठ कर तैयार होने का बोल कर चली गयी और यह भूल गयी कि मैं चादर के अन्दर से पूरा नंगा हूँ.
उसके बाथरूम में जाते ही तृष्णा ने लपक कर मेरे लंड को पकड़ लिया और बोली- अरे … तुम तो सुबह से नंगे हो, अभी चुदाई करना है क्या मेरी!
इतना कह कर वह मुझे जोर से किस करने लगी.
फिर उसने पूछा- कैसा लगा मेरा प्लान, अब पूरे दो दिन हम दोनों साथ में रहेंगे. मैंने आपके बगल वाला रूम लिया है. आज और कल की रात हम लोग साथ में रहेंगे.
इतना बोल कर उसने मेरा लंड गप्प से मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
उधर सोनू बाथरूम में नहा रही थी, इधर मैं पसीने से नहाने लगा था.
मेरी गोटियों को सहलाती हुई जिस तरह से वह लंड चूस रही थी, वैसा लंड आज तक किसी ने नहीं चूसा था.
सोनू तो कभी लंड चूसती ही नहीं थी.
तृष्णा पूरे लंड को मुँह में अन्दर तक लेती, फिर पूरे रस को चूस कर बाहर निकालती, फिर पूरा थूक गटक लेती.
वह इतनी स्पीड से मुख मैथुन कर रही थी कि एक बार तो उसके दांत गड़ने से मेरे मुँह से जोर से आवाज़ निकल गयी.
शायद आवाज से या अन्दर सोनू नहा चुकी थी, इस वजह से सोनू के नहाने की आवाज़ आना बंद हो गयी.
मेरी गांड फटी कि अगर उसने देखा तो आज ही तलाक हो जाएगा.
इधर तृष्णा मेरा लंड छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी.
अब मेरी शक्ति जबाब दे गयी और मैंने उसे धक्का देकर साइड कर दिया.
उसने अपना हुलिया ठीक किया और जैसे ही बाल्कनी में गयी.
सोनू ने बाथरूम का दरवाजा खोल कर बाहर आते हुए कहा- अरे यार अभी तक उठे नहीं … जल्दी तैयार हो जाओ न … मुझे भूख भी लगी है.
मैं चादर को लपेटे हुए उठा, तो सोनू को अहसास हुआ कि मैं अब तक क्यों नहीं उठा था.
फिर कुछ देर में हम दोनों तैयार होकर घूमने निकल गए.
दिन भर लोगों से नज़र बचाती हुई कभी वह मुझे टच करती, कभी मैं उसे छूता.
एक दो बार तो ऑटो में ही उसने मेरा लंड दबा दिया.
मैंने भी एक बार उसके बूब्स दबा दिए.
शाम को दस बजे थके हारे होटल पहुंच गए.
ठण्ड ज्यादा थी और सोनू को ज्यादा ठंड सहन नहीं होती है.
वह रजाई ओढ़ कर कांप रही थी.
तो मैंने मैनेजर से बोल कर एक बोतल ओल्ड मोंक की मंगवा ली और रूम में अलाव जलवा लिया.
मैंने दो पैग बनाए, एक अपने लिए और एक सोनू के लिए.
सोनू बोली- ज्यादा रात हो गयी है, तृष्णा को भी ठण्ड लग रही होगी. घर कैसे जाएगी … और सुबह कितने बजे आएगी. जरा फ़ोन लगा कर पूछ लीजिए.
मैंने फ़ोन लगाया तो वह बोली कि रात में होटल में ही रुक जाएगी. होटल वाले रूम देते हैं.
सोनू ने कहा- अच्छा तो तुम यहीं आ जाओ … खाना भी हमारे साथ ही खा लेना!
मैंने देखा है कि लड़कियां आपस में जल्दी घुल-मिल जाती हैं, लेकिन पतियों को ज्यादा नहीं मिलने देतीं.
वह जैसे ही आयी तो हमने खाना आर्डर किया और तृष्णा को भी एक पैग ऑफर किया.
उसने बिना मन के मेरे कहने पर एक पैग मार लिया.
मैंने और सोनू ने एक ही बार में पैग खत्म कर दिए.
सोनू बोली- मैं और नहीं पियूँगी.
तृष्णा को मैंने एक पैग और दिया और दोनों की नज़र से बचा कर उसमें और अपने पैग में जोश वाली गोली मिला दी.
हम दोनों के पैग खत्म करते-करते खाना भी आ गया.
सबने मिल कर खाना खाया और तृष्णा चली गयी.
मुझे तो मालूम था कि मेरी गोली का असर एक घंटा में आराम से होगा लेकिन बीवी नींद के नशे में जल्दी सो जाएगी.
रात को लगभग 12 बज रहे थे, तो मैंने एक लॉन्ग शॉट खेला और बीवी के बगल में लेट गया.
जब मैंने देखा कि वह सो गयी है तो मैं उठ कर तृष्णा के कमरे में आ गया.
कमरे के पास गया तो देखा दरवाजा खुला है.
रात को साढ़े बारह बजे का टाइम हो रहा था.
ठण्ड कड़ाके की पड़ रही थी.
अन्दर जाकर देखा तो कमरे में कोई नहीं था.
बाल्कनी भी खाली मिली.
मुझे लगा कि कहीं गोली का असर ज्यादा तो नहीं हो गया और किसी लड़के के रूम में घुस गई हो.
पर जैसे ही वापस आने लगा तो बाथरूम से कराहने की आवाज़ आयी.
मैंने बाथरूम में जाकर देखा तो वह बाथटब में शॉवर से चूत में पानी डाल-डाल कर अपनी आग ठंडी करने में लगी थी.
मैंने अपने कपड़े उतारे और पीछे से उसको जाकर पकड़ लिया.
बाथटब के गर्म पानी में दोनों सांप के जैसे लिपट गए
हम दोनों में गोली का असर भरपूर हो चुका था.
बाथटब में ही मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी चूत चाटना शुरू कर दिया.
वह पहले से गर्म थी और मेरी चटाई से और उत्तेजित होने लगी.
अपने दोनों हाथों से मैंने उसके दूध दबाना चालू कर दिए ताकि उसकी चूत का पानी ज्यादा निकले.
दो ही मिनट में ही उसकी कमर नाचने लगी और ‘आह … आह मम्म …’ जैसे आवाज निकालती हुई वह मुझे चोदने के लिए बोलने लगी.
मैं पीछे से उसकी चूत में लंड डालने लगा.
मुझे नहीं मालूम था कि वह पहले चुदी है या नहीं.
मैंने उसकी चूत में लंड डाला तो थोड़ा मुश्किल से … लेकिन आराम से लंड अन्दर चला गया.
मैं समझ गया कि लौंडिया चुद चुकी है! लेकिन मेरे को क्या … मुझे तो नया माल चोदने को मिल रहा था.
लंड जैसे जैसे अन्दर बाहर हो रहा था, उसकी चुदवाने की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी.
तृष्णा घोड़ी बनी हुई थक गई थी.
मैं बाथटब में उतर कर नीचे लेट गया और तृष्णा मेरे ऊपर आकर पानी में अठखेलियां करने लगी.
अपनी चूत को लंड में सैट करके बैठ गयी और मेरे सीने में हाथ रख कर कमर हिला हिला कर कूदने लगी.
पहली बार किसी के साथ इस तरह से बाथटब में चुदाई का असीम अनुभव मिल रहा था.
लगभग 20 मिनट तक ऐसी अठखेलियों में वह 2 बार झड़ चुकी थी और मेरा जब निकलने वाला हुआ तो वह गप्प से लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
एक मिनट में मैं भी उसके मुँह में झड़ गया और तृष्णा की तृष्णा पूरी होने लगी.
फिर हम दोनों 10 मिनट तक पानी में ही रहे और एक दूसरे के बदन को सहलाते रहे.
मैं उसके पूरे बदन पर मूतने का मज़ा ले रहा था.
वह भी मेरे ऊपर खड़े होकर मूतने की कोशिश कर रही थी.
फिर नहा कर जैसे ही गर्म पानी से बाहर निकले, ठंड ने हमारी जान ले ली.
ऐसा लग रहा था कि पूरा बदन ठंड में जम जाएगा.
बदन से पानी पौंछ कर दोनों बेड में रजाई में घुस गए और चिपक कर एक दूसरे को सहला कर गर्म करने लगे.
मुझे नहीं मालूम था कि सोनू जाग तो नहीं गयी, सोच कर एक बार देखने गया तो वह बड़े आराम से गर्म रजाई का मज़ा ले रही थी.
मैंने चैक करने के लिए जाकर उसके दूध दबाए तो थोड़ा कुनमुना कर ‘सोने दो …’ कह कर सो गई.
मुझे भरोसा हो गया कि अब ये एक घंटा से पहले उठने वाली नहीं है.
मैं फिर से तृष्णा के पास आ गया और पूरा नंगा होकर उसके बदन से खेलने लगा.
मेरे मन में था कि एक बार उसको बाल्कनी में ले जाकर चोदने का मज़ा लेना चाहिए, लेकिन ठंड ज्यादा थी इसलिए बोला नहीं.
थोड़ी देर तक उसके बदन से चिपक कर उसके बदन से खेलता रहा था.
फिर वह अचानक से पेट के बल लेट गयी और उसकी गांड ऊपर साइड आ गयी.
मुझे गांड में काटने में बड़ा मजा आता है, तो मैं उसके गांड में लंड सटा कर बैठ गया और तृष्णा की पीठ में अपने बालों से गुदगुदी करने लगा.
इससे उसकी उत्तेजित आवाजें निकलने लगीं.
मैंने उसकी पीठ में किस करना चालू कर दिया.
किस करते करते उसकी कमर में, कंधे में … साइड से दूध में गुदगुदी करने लगा.
मैं अपनी उंगलियों को इस तरह से चला रहा था कि उसके बदन के हर हिस्से में सिरहन दौड़ने लगती.
किस करते-करते मैं उसकी कमर पर आ गया और कमर के चारों तरफ किस करते हुए तृष्णा की गांड में थप्पड़ मारने लगा.
वह आह आह की आवाज़ निकालने लगी.
मैं कभी उसकी कमर में चमाट लगाता, कभी उसकी गांड में मारता, तो कभी कमर में साइड में काट लेता.
ये सब उसे उत्तेजित कर रहा था.
फिर मैंने उसकी गांड में काटना शुरू किया.
कभी दोनों पैरों की पिंडलियों की हाथ से सहलाने लगता, तो कभी चूत में उंगली डालने की कोशिश करता.
तृष्णा की हालत खराब होने लगी थी, वह खुद को रोक नहीं पाई और उसकी चूत बह निकली.
मैं भी उसके पैरों को फैला कर चूत का सारा माल चाटने लगा; उसकी चूत में जीभ डाल कर चूत के पानी का मज़ा लेना शुरू कर दिया.
मेरी चूत चटाई से तृष्णा की तृष्णा बढ़ने लगी और वह अपनी कमर उठा कर जोर जोर से आवाज़ें निकालने लगी.
तृष्णा उठी और मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में आ गयी.
उसने अपनी चूत को मेरे मुँह में रख कर मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया.
वह मेरे पूरे लंड को गले तक डालती और जीभ से सहलाती.
अब मेरी हालत खराब होने लगी.
मैं उसकी चूत को ठीक से चाट नहीं पा रहा था और वह लगातार मेरे लंड पर अपना दबाव बना कर रखे हुई थी.
मैंने उसको नीचे किया और उसके मुँह को चोदने लगा.
पांच मिनट तक मुँह चोदने के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया और वह मेरे वीर्य को चाट चाट कर पी गयी.
मैं थक कर उसके बगल में लेट गया.
वह भी थक गई थी, पांच मिनट में उसकी नींद लग गयी.
मैंने उसको उठाया तो मेरे को गले लगा कर लेट गयी और बोली- अब बस … और नहीं कर सकती.
तब मैंने टाइम देखा तो 2 बजे से ज्यादा समय हो गया था.
मैं दस मिनट उसके चूचों से खेला, फिर कपड़े पहन कर अपने कमरे में आ गया.
मेरे लंड में अभी भी चुदाई की मस्ती थी, तो मैं सोनू को सहलाने लगा.
लेकिन वह भी नींद में थी तो कुछ खास रेस्पॉन्स न देख कर मैं भी सो गया.