मेरा नाम पार्थो है और मैं अपने मा बाप का एकलौता बेटा हूँ. मैं २८ साल का हूँ. मैं रोज़ एक्सेर्सिसे करता हूँ और नहाने के पहलेशारेर पर खूब तेल माता हूँ. मेरा तंदुरस्ती इसीलिए काफी अच्चीहाई. मेरा लुंड करीब १०” लुम्बा और करीब ३ ½” मोटा है. पहलेमेरा लुंड का सुपर काफी लाल रंग का था लेकिन अस परोस मी रहनेवालीन के छूट छोड़ छोड़ कर अब मेरा सुपर कला पर गया है. मैं अब तक करीब १० १२ औरतों को छोड़ चूका हूँ. हमारे परोस किऔरतें मुझसे कई बार अपनी छूट चुदा चुकी हैं और जब मौकमिलता है मैं उनकी छूट और गंद मी अपना लुंड पेल कर जम कर्चुदै करता हूँ. अब मेरी शादी हो गयी है और अब परोसिओं कोचोड़ने का मौका बहुत काम मिलता है.मेरे पत्नी का नाम नुपुर है और व्हो एक सुन्दर भरे बदन वाली औरत्हाई. मेरे विफे के चुन्ची का साइज़ ३६क् और चुतर का साइज़ करीब ४०.हमारा परिवार बहुत ही कांसेर्वतिवे है लेकिन शादी के बाद नुपुरको हमारे परिवार का कांसेर्वतिवे रहन सहन अच्छा नही लगा.उसने हमसे इस बारे मी बात कि और मैंने उसे बताई कि हाँ मैं भी इस्तारफ कि रहन सहन से परेशां हूँ, लेकिन मैं कुछ नहे कर सकता.हाँ अगर तुम कुछ कर सकती हो तो तुम्हे हमारी तरफ से खुला चुथई. इसके बाद नुपुर चुप हो गयी और अपना काम मी लग गुई. एक दिन्मै और नुपुर रात को चुदाई कर रहे थे. नुपुर मरे उत्तेजेना केकफी बर्बर रही थी, जैसे हाँ हाँ मेरे रजा छोडो मुझे, और्जोर से छोडो, फार दो आज मेरी छूट को लेकिन अपना लुंड सम्हाल केराखना अभी तो तुम्हे मेरी गंद भी पह्रनी है.मैं नुपुर कि छूट जोर जोर से छोड़ रह था और बर्बर रहता, “चुप चिनल रंडी, पहले अपनी तंगो को और फैला अपनी चूत्धिला कर और मेरा लुंड पुरा का पुरा उंदर घुसने दे, साली कि चोत्त्मे हमेशा ही खुजली रहती है, आज मैं तेरी छूट छोड़ छोड़ कर्भोसरा बना दूंगा. आरे मेरी चुडैल रानी जरा धीरे धीरे bol,जैसे ही तेरे छूट को मेरा लुंड दिखता है बस तू बर्बराने लग्तीहाई, जितना लुंड प्लिवती है उतना ही चिल्लाती है. धीरे धीरे बोल्तेरे ससुर और सास बगल के कमरे मी है, व्हो कई कहेंगे. नुपुर ने मुझको अपनी बाँहों मी भर कर अपनी चुतर उछालते हुए कही, “आरे सास और ससुर मेरा चिल्लाना सुन सुम्झेंगे कि उनका लरका अपनी बीवी किचूत छोड़ रह है और इससे व्हो भी गरमा कर अपनी चुदाई शुरू कर्देंगे. अच्छा ही होगा मेरी सास कि छूट चुदेगी, दिन भर बहुत्बोलती है मन करता है कि उनकी छूट मी किसी कुत्ते का लुंड पिल्वाडून.”मैं बोला “चुप हरामजादी, सास ससुर कि चुदाई कि बात नहीकारते.” नुपुर तुनक कर बोली, “कुओं न बोलूं, क्या तिम्हारे मा बापके छूट और लुंड नही है? क्या उन्होने चुदाई का मज़ा नही लियाहाई, अगर ऐसा है तो तुम सास कि छूट से कैसे निकले? आरे तुम्नाही जानते, तेरे मा और बाप रोज दुपहर को खाना खाने के बाद अप्नेकमरे मी जाकर खूब चुदाई कटते हैं.”तेरे को कैसे मालूम कि मेरा बाप दोपहर को मेरी मा को छोड़ता है,क्या तुने देखा है क्या? आरे देखने कि क्या जरूरत है, तुम्हारी मा भी छूट मी लुंड जाते हो बहुत बर्बरती है और तेरा बापितना जोर जोर से से तेरे मा को छोड़ता है कि पलंग चर्मारानेलाग्ती है. इन आवाज को सुन सुन कर मैं भी अपनी छूट मी अपनी उन्ग्लीदल कर हिलती हूँ. “तू बहुत चिनल औरत है, अपने सास और ससुर्की चुदाई का हिसाब रखती है. मेरे को लगता है कि तू जरूर सेमेरे माबाप कि चुदाई देख चुकी है” मैं नुपुर से बोला. नुपुर तब्बोली, “हाँ मैंने तेरे माबाप कि चुदाई रोज़ देखती हूँ”. “कैसे?”आरे कैसे क्या, जब तेरे मा और बाप दोपहर का खाना खा कर अप्नेबेद्रूम मी जाते है तो मैं उनके कमरे कि खिरकी के पीछे खरीहो जाती हूँ जहन से मुझे उंदर कमरे मी जो हो रही सब कर्वाहिसफ्सफ़ दिक्लाई पार्टी है. तो क्या तू रोज मेरे माबाप कि चुदैदेखती रहती है? और क्या, कबसे? एही करीब दोतीन महीने से.अच्छा अब बोल चिनल रुन्दी जब तेरे सास और ससुर कि चुदाई देख्तीराह्ती है तो क्या उनको मालूम चलता? सास को एह बात मालूम नही, हन्तेरे बाप को मालूम है कि मैं खिरकी से उनकी चुदाई कि ससान देख्राही हूँ. व्हो कैसे? एक दिन मैं रोज कि तरह से अपने सास और ससुर के बेडरूम के खिरकी पीछे खरी थी और उनकी चुदाई देख रही थी कि एकाएक ससुर जी अपना लुंड सास कि छूट मी पेलते पेलते अपना मुँह खिरकी कि तरफ घुमाया. मेरे पास इतना टीम नही था कि मैं चुप जाऊँ और ससुर जी ने हमे खिरकी के बाहर खरे देख लिया. मैं भी क्या करती, मैवान्ही खरी रहे और उनकी चुदाई का ससान देखती रही. ससुर जिहुमे देख कर सिर्फ मुस्कुरा दिया और सास कि तंग हमारी तरफ घुमाकर हमे दिखा दिखा कर अपना लुंड सास कि बुर मी अन्दर बाहर कर्नेलागे. तू पूरी तरह से रुन्दी है, अच्छा अब बोल तुने मेरे बाप कोमेरे मा को कैसे छोड़ते हैं. नुपुर बोली, “एक सफी बात बातों, तेरिमा नंगी होने पर बहुत सेक्सी लगती है और व्हो बहुत हुद्दकरौरत है.” कैसे मालूम?”एकदिन मैं उनकी चुदाई देख रहे थी कि देखी बाबुजी ने ससुमा केसर कपरे उतर दिया और माजी बिल्कुल नंगी हो बाबुजी से लिपत्रही थी और उनका लौरा अपने हाथ मी पाकर कर जोर जोर से मसल्राही थी. बाबुजी एक हाथ से नंगी माजी कि चुन्ची दबा रहती और दुसरे हाथ कि उन्ग्लेओं से माजी कि छूट खोद रहे थी.सास जी जोर जोर से सिसकारी भर रही थी और बोल रही थी, “हैमेरे रजा जल्दी करो, मेरी छूट तुम्हारे लुंड खाने के लिए बहुतातुर है. जल्दी से मुझे बिस्टर पर दल कर अपना लुंड मेरी गर्मी छूट मी पेल दो और मुझे छोडो. बौजी ने कहा, “आरे रुको इतनी भिजल्दी क्या है, जर मुझे तुम्हारा छूट को पहले अपने उंगली सेफिर जीव से छोड़ने दे फिर मैं तेरी छूट मी पाना लुंड डालूँगा.अभी अभी तो कमरे आई हो और अभी से छूट छोड़ने कि बात कह्राही हो? अभी तो पुरा दोपहर पर हुआ है, पार्थो तो अभी ४५घन्ती नही आयेगा और उसके आने के बाद ही चाय मिलेगी.” माजी नेह सब सुन कर बोली, “है तुम्हे मेरी छूट मी उंगली करना है और्चातना है, वो सब बाद मी कर लेना पहले मेरी छूट मी अपना लुन्द्पेलो, मैं बहुत चुदसी हूँ.””ऐसी भी क्या बात है और इतनी जल्दीक्यों है,” बाबुजी ने माजी से बोला.माजी बोली आज सुबह मैं जब सुंदर (हमारे घर का नौकर) कोजगाने के लिए गयी थी तो उसके कमरे मी देखी कि वो अपनी बीवी (सुधा) को पलंग के किनारे उलटी लेटा कर उसकी छूट मी पीछे सीपना लुंड दल कर दाना डान छोड़ रह है. सुधा बोल रहीथी, “जल्दी निकालो नही तो माजी आ गायेंगी और हमे चुदते हेदेख कर क्या कहेंगी.” सुन्दर बोला, “आरे चुप कर और हमे मेज़ लेले कर तेरी छूट छोड़ने दे, अभी हमे बहुत मज़ा आ रह है. अगरिस समय माजी भी आयेंगी तो मैं उनके सामने ही तुझे इसी तरफ्चोद्ता रहूंगा.” उस समय सुन्दर ऎंड सुधा दोनो ही पूरी तरह सेनंगे थे और बगल मी उनका बच्चा लेटा हुआ था. सुंदर अपने दोनोहाथ से सुधा कि दोनो चुन्ची पाकर मसल रह था और अपनी कमार्चाला कर सुधा कि छूट छोड़ रह था. थोरी देर के बाद सुधा बोल्नेलगी, “है जल्दी से पुरा का पुरा लुंड दल कर हमे छोडो, बहुत्माज़ा आ रह है. आने दो माजी को मैं उनके सामने ही अपनी चूत्मर्वौंगी. क्या होगा ज्यादा से ज्यादा माजी गरम हो कर बाबुजी सीप्नी छूट मरवा लेंगी. बस अब जोर जोर से मुझे छोडो.” मैं सुंदर और सुधा कि चुदाई देख कर सुबह से ही गरम हो रही हूँ और मेरिचूत मी बहुत खाज हो रही है. जल्दी से तुम मुझे छोडो, नहीतो मैं अभी जा कर सुंदर से अपनी छूट मर्वाती हूँ.”इन सब बात सुन कर बाबुजी ने कहा, “आरे एह तुमने पहले क्यों नहिबोला, मैं सुबह ही तेरी छूट को छोड़ कर त्र छूट कि गर्मी कोथान्दा कर देता. चल बिस्टर पर लेट कर अपनी तंगो को फैला औरप्नी हाथ से अपनी छूट कि पत्शन को खोल, मैं अभी अपना लुंड तेरिचूत मी डालता हूँ.” फिर बाबुजी ने माजी को पलंग पर दल कर्चित लेटा दिया और उनके पैर अपने कांडों पर रख कर अपना लुन्द्माजी कि छूट मी एक झटके से दल दिया. माजी ओह! ओह! करने लागिऔर अपनी कमर उचल उचल कर बाबुजी का लुंड अपने छूट मी लेने लगी. सास कि गर्मी देख कर ससुरजी ने भी जोर जोर से अपना लुन्दंदर बाहर करने लगे. तब बाबुजी ने कहा, “अरी सुन, जरा मुझीह बता कि सुधा नंगी कैसे लगती है?” माम्जी ने पूछा, “क्योंतुम्हे इससे क्या लेना देना?” बाबुजी बोले, “अरी कुछ नही, मुझेसुधा देखने मी अच्छी लगती है इसीलिए पूछा रह हूँ कि सुधानंगी कैसे लगती है?” “क्या तुम सुधा कि लेना चाहते हो?” माजीने बाबुजी से पूछा. “लेना तो चाहता हूँ, लेकिन क्या वो देगी?बाबुजी ने कहा. “तुम बहुत दिलफेंक हो, अच्छा मैं देखती हूँ किक्य कर सकती हूँ. लेकिन तुम अभी मुझे जम कर छोडो, मैं छूट किखुज्ली से मरी जा रही हूँ” माजी ने बाबुजी से कहा. फिर मैनेनुपुर से पूछा कि एह सब देखने के बाद तू ने क्या किया? तो नुपुर नेकहा कि मैं क्या करता, मैं ने अपनी उंगली से अपनी छूट कि गर्मी निकल दे.दो दिन बाद जब मैं और नुपुर अपने बिस्टर एक दुसरे को चूम रहे ठेतो नुपुर ने कहा, “लगता है बाबुजी हमको बहुत पसंद कर्तेहाई.” “क्या मतलब?” “नही कुछ नही, बाबुजी हम को आजकल घुरघुर कर देखा करते है और मैं जब नहा कर बाथरूम से निकल्तीहूँ तुब वो हमको ऐसे देखते हैं जिसकी हमको अभी पाकर कर्बिस्टर दल कर मेरी छूट कि धुनाई कर देंगे” निपुर बोली. “तुम क्यबक रही हो. तुम्हारा दीमक तो ठीक है?” मैंने नुपुर से कहा.नुपुर मुझसे बोली, “मैं बिल्कुल सही कहा रही हूँ, तेरा बाप मुझेअपने बिस्टर पर लेटना चाहता है. तीख है मैं भी कल से तेरेबप को पटना चालू कर दूंगी, तुम घबराना मत अगर तेरे बप्तेरी बीवी को चोदेगा तो तुम उसकी बीवी को छोड़ लेना और नही तो मेरिमा तो है उसको छोड़ लेना, बस सब हिसाब किताब बराबर.” नुपुर कि एह सब बात सुन कर मैंने कहा, “चिनल तेरी छूट मी बहुत खुजली है,तू अपनी ससुर से छूट मर्वागी? तुझे शरम नही आएगी?और फिर्लोग क्या कहेंगे?” नुपुर बोली, “आरे लोग जब जानेगे तब न कहेंगे?मैं कान्हा सब गाती फिरुंगी कि मैंने अपनी छूट अपनी ससुर सेचुद्वाया? और फिर तुमको भी तो एक दुसरी छूट मिल रही है चोद्नेके लिए. आरे भाई हम सब लोग शादी शुदा तो हैं ही, बस सिर्फ्हुम्लोग अपने अपने छोड़ने के पार्टनर बदलेंगे, हमको एक नया लुन्द्मिलेगा और तुमको एक या हो सकता है दो दो ने छूट मिलेगी और जब्चाहोगे तुम हमे छोड़ लेना, मैं कान्हा मन कर रही हूँ? मैंने कहा, “ठीक है जैसी तेरी मर्जी, लेकिन देख लेना कंही कोइगर्गबर् नो पी”. नुपुर बोली, “आरी कोई गर्बर नही होगा, तेरा बप्तो हमे अपने आंख से रोज़ छोड़ रह है अब उसके लौरे से अपनी चूत्चोद्वंगी.”अगले दिन से नुपुर खूब सज धज कर रहने लगी और बाबुजी केसामने आते ही अपनी पल्लू गिरा कर उनको अपनी चुन्ची कि दिखानेलगी. बाबुजी भी नुपुर कि चुन्ची कि घुर घुर कर देखा कर्तेठे और हमारी आंख बचा कर अपनी लुंड को मसलते रहते थे. मैभी एह सब देख कर गरम होता था और सोचता रहता था कि कब मैं अपनी या सास कि छूट को अपने लुंड का पानी से नहालौंगा. इसी बिच,मेरे मामा के एन्हा से खबर आया कि मामी बीमार हैं तो माजी उन्हेदेखने के लिए दो दिन के लिए अपने भाई के चले गए.तब अगले दिन नुपुर मुझसे बोली, “आज मैं तेरे बाप का लुंड अपने चूत्मे दल्वंगी, तुम कमरे के बाहर से या खिरकी से देखना, लेकिंचिनता मत करना. माजी के आते ही मैं तुम्हे माजी कि छूट दिल्वादुन्गी और नही तो मेरी मा याने तेरे सास तो है ही. मैं उनको तेरेसे चुदवाने के लिए पता लूँगा और वो अपने दामाद के लुंड से अप्निचूत चुदवाने के लिए टायर हो जाएंगी.” मैंने कहा “ठीक है आज्तुम बाबुजी से अपनी छूट कि खुजली मिटा लो मैं दो दिन बाद अपनी माकी छूट कि खुजली मितौंगा.” नुपुर एह सुन कर बहुत खुस हो गयी और मुझको अपनी बांहों मी भर कर खूब चुम्मा दिया और फिर झुक कर्मेरे लुंड को अपनी मुँह ले लिया.मैं भी मरे गर्म के खरे खरे हिनुपुर कि मुँह को छोड़ने लगा. थोरी देर के बाद मैं नुपुर कि मुँह कंदर खलास हो गया तो नुपुर मी सारा का सारा पानी पी गयी और्फिर हम से बोली, “है बहुत मज़ा आया, अब तुम जल्दी से मेरी चूत्य गंद अपने लुंड से छोड़ दो, मैं बहुत गरम हो गयी हूँ.” मैबोला, “गरम हो गयी हो तो जाकर बाबुजी का लुंड अपनी छूट मेपिलवा ले, बाबुजी तेरी छूट कि साड़ी मस्ती झर देंगे.” “आरे क्यों जल रहे हो, दो दिन बाद तुम भी अपनी मा या अपनी सास कि छूट किमास्ती अपने लौरे निकल देना, लेकिन फिलहाल तुम मेरी छूट कि मस्तीझार दो”, नुपुर ने मुझसे कहा. नुपुर कि एह सब बातें सुन सुन कर्मेरा लौरा खरा हो गया था इसलिए मैंने नुपुर को (जो कि पहले सही नंगी थी) बिस्टर पर लेटा कर उसके दोनो पैर अपने कन्धों पर्रख लिया और अपना लुंड का सुपर उसके छूट के मुँह पर लगा दिया.नुपुर अपने छूट पर लुंड का एहसास से ही अपनी कमर उचल कर गैप सेमेरा लुंड अपने छूट के अन्दर कर लिया और मुझसे बोलने लगी, “क्योंतार्पा रहे हो, जल्दी से जोर जोर से धक्के मरो और मेरी छूट किमास्ती झर दो.” मैं भी नुपुर कि दोनो चुन्ची को पाकर कर नुपुरको जोर जोर से छोड़ने लगा. नुपुर भी अपनी कमर उचल उचल कर हमारे धक्को के जबाब दे रही थे और बर्बर रही थी, “है और्तेज, और तेज तेज छोडो मेरे रजा. आज तुम मेरा छूट अपने लुंड केधाक्के से फार डालो, कल से तुम्हे फर्ने के लिए अपने मा या सास किचूत मिलेगी तब उनको भी छोड़ छोड़ कर फरना. ओह! ओह! बहुत मज़ा रह है, ही! आज जब तुम मेरी छूट छोड़ छोड़ कर फार दल रहेहो कल तेरा बाप कया फरेगा, क्या मैं उनसे अपनी गंद फरुन्गी?”हमलोग ऐसे ही एक दुसरे को गली देते हुए अपनी चुदाई पूरी कि.अगले दिन माजी अपने भाई के घर कोई फुच्शन के होने वाघा सेचाली गयी. नुपुर नहाने के बाद कोई ब्लौसे या ब्रा नही पहनी,सिर्फ पेट्तिकोअत और साड़ी लप्पेट कर खाना बनने लगी. खाना बनाते समय नुपुर कि चूची पर से उसकी पल्लू हटने से उसकी चुन्ची सफ्सफ़ दिख रह था और उन चुन्ची को बाबुजी बारे घुर घुर कर देख्राहे थे. नुपुर ने खाना बना कर हमे और बाबुजी को खाना खाने केलिए बुलाया.
भर ले.” नुपुर भी अब झरने के करीब्थी और उसने अपनी चुतर उचल कर बोली, “ला ला मेरे रजा मेरिचूत तू अपने लुंड के पानी से भर दे, एह छूट तो अब तुम दोनो बप्बेते के लौरे के लिए है, तुमलोग जब चाहो इसे अपने पानी से भर्सकते हो, मैं हमेशा एह छूट तुम दोनो के लिए खुली रखूंगी”.इतना सुन कर मैं नुपुर के छूट अन्दर अपना लुंड और ठेल कर दोमिनुते के लिया रुका और मेरा लुंड उसकी छूट के अन्दर उलटी कर दी.नुपुर कि छूट भी मेरे झरने के साथ साथ अपनी पानी चोर दिया. इसके बाद मैं और बाबुजी उसी बिस्टर पर नुपुर को बित्च मी रख करुसकी एक एक चुन्ची अपने अपने मुँह मी भर कर सो गए. सुबह जबंख खुली तो देखा कि बाबुजी का लुंड नुपुर कि छूट मी फंसा था.इसका मतलब था कि नुपुर ने मेरे सो जाने के बाद बाबुजी से फिर्चुद्वाई थी. मैं गौर से नुपुर कि छूट पर देखा तो पाया कि उस्किचूत से अब तक चुदाई का पानी रिस रिस कर बाहर आ रह है औरुसकी गंद के नीचे बिस्तर को गिला कर रह था. मैं नुपुर और्बबुजी को उठाया और बाथरूम मी जाकर सुबह का सारा काम खाताम्कारने के बाद बाहर आया तो पाया कि बाबुजी भी नहा धो कर चाय पीराहे हैं और अख़बार पढ़ रहे हैं. मैं बाबुजी को उनकी कल का वादयद दिलाया तो बोह बोले, “बेटे चिंता मत कर. मैं आज ही जा कराप्नी बीवी को ले आऊंगा और तेरे सामने उसको नंगी करके तुझसे चुद्वाऊंगा.” थोरी देर के बाद बाबुजी गौण मा को लाने और नुपुरापने घर अपनी मा को लाने चली गयी. मैं भी खाना खा कर अप्नेदाफ्तर के लिए रवाना हो गया. मैं दिन भर ऑफिस मी कोई काम नहीक्र सका. हर्बक्त मेरे नको के सामने कल रात का सीन घूम रह ठौर मैं एह सोच सोच कर आज मैं अपनी मा और ससुमा को छोड़ने वालाहूँ मेरे लौरा खरा हो रह था. जैसे तैसे दिन पुरा हुआ और मैघर चला आया.घर आकार मैंने देखा कि नुपुर अपनी मा को ले आई है. मेरी ससुमेक बहुत ही सुन्दर और सुन्दर बदन वाली औरत है. उनकी तिघ्त और्बरी बरी चुन्ची और चल्कता हुआ चूतर देख कर मेरा मन उन्कोअभी छोड़ने को हुआ और मैंने नुपुर से एह कहा. लेकिन नुपुर ने कहे “नही अभी कुछ नही. जो कुछ होगा सुब के सामने होगा औरिस्केलिये तुम बाबुजी और अपनी मा का इन्तिजर करो.” मैं चुप चपप्न खरा लुंड लेके अपने कमरे मी चला आया. थोरी देर के बद्बबुजी और मा अ गए. मा को देख कर मैं समझ गया कि आज माने के पहले ब्यूटी पार्लर हो के आई हैं.मा आज बहुत हिसुन्दर लग रही थी. बाबुजी तब नुपुर से बोले, “क्यों बहु सबकुछ टायर हैं न?” “हाँ बाबुजी, जैसा अपने कहा था मैं वैसा हिसाब बंदोबस्त कर राखी हैं” नुपुर बोली. मा ने बाबुजी और नुपुरसे पुन्ची, “कैसा बंदोबस्त और क्या होना है?” बाबुजी बोले, “तुम्चुप चाप देखती चलो, सब कुछ तीख हो रह है, और जो भी हो रह है वो हमारे परिवार के लिए अच्छा होने वाला है.” मा तब्जोर दे कर बोली, “आरे क्या होने वाला है, एह तो पता चले.” बबुजीना कहा कि आज मैं और पार्थो दोनो एक एक नया शादी करेंगे.” “क्यबक रहे हो? तुम को इस समय कौन अपनी लार्की देगा और घर मी जब्नुपुर मौजूद है तो पार्थो फिर से क्यों एक और शादी करेगा? शादिके लिए लार्की कहाँ है, मुझे कुछ समझ मी नही अ रह hai” माबबुजी से बोली. तब बाबुजी मा से बोले, “तो सुनो मैं आज अपने बहुयानी कि नुपुर से शादी करूँगा और पार्थो आज तुमसे शादी करेगा औरिन बातों का गवाह हमारे समधिन जी रहेंगी”. “आरे मैं दो दिन्घर पर नही थी और तुम लोग ने क्या क्या खिच्री पका रखा है?एह सब क्या बकवास लगा रखा है?” मा बिगार कर बौजी से बोली. बाबुजी ने तब अपना तेवर बदल कर मा से बोले कि, “आरे क्योंखाम्खा हल्ला मचा रही हो, हम जो भी कर रहे है सुब कि भालैके लिए कर रहे हैं. जरा सोचो, जब हम लोग नयी शादी कर्लेंगे तो हम को और पार्थो को नयी छूट मिलेगी छोड़ने लिए और्तुमको और नुपुर को नयी लौरा मिलेगा चुदवाने के लिए. सुबसे मजेकी बात तो एह है कि बात घर कि घर मी रहेगी.” तब नुपुर भी मासे बोली, “सासुजी मन जाईये न, बाबुजी ठीख ही कह रहेन्हें”. “चुप हरामजादी, चिनल कुटी मुझे मालूम है कि तेरे चूत्मे हमेशा लुंड के लिए खुजली रहती है, लेकिन इसका मतलब तो एह्नाहे है कि चुदाई के लिए हमलोग आपस मी अपने आदमी बदल ले?” मानुपुर को बिगार कर बोली. तब मेरे ससुमा अपनी समधिन से बोली, “बहनजी अब आप् मन भी जयेये, देखिए न इस बात पर घर केसभी लोग राजी हैं, और फिर आजकल कि दुनिया मी एह सब चल्ताहाई. हर घर मी एह सब हो रह. अब देखिए न हमारे परोस मी एक्बेंगली फमिली है जिसमे मा बाप और उनके तीन बेटे और दो बेतिंहाई. बेटों और बेटियों कि शादी हो चुकी है. अब उस फमिली मी फ्रीसेक्स चालू है. जब जिस का मन होता है, वो किसी के साथ, कहीं भिऔर किसीके भी सामने छोड़ना शुरू कर देता है. छोड़ने वाला एह नहिदेखता कि जिसकी छूट मी अपना लुंड दल रह है वो उसकी मा, याबहन, या भाभी या साली या बहु है. बस लुंड खरा हुआ नही कि जोभी सामने है उसकी साड़ी उठाई और उसकी छूट मी अपना लुंड पेल देताहाई
चाहे वो उसका माँ, बहन, भाभी, बेटी या बहु क्यों न हो. एह्फ्री सेक्स का सिलसिला उस घर के आदमी ने ही शुरू किया था और अब उन्केबहू के मैके मी और बेटी कि ससुराल मी भी चालू हो गया है.इसीलिए बहनजी मैतो कहती हूँ कि अप जो भी हो रह है होने दे और चुप चाप शामिल हो जाये.” इतना सुब सुन कर मा ने नुपुर सेबोली, “बहु मुझे तो कुछ समझ नही अत, पता नहीं तुम लोगो कोक्य हो गया है. अच्छा ले चल, अपनी मन कि मुराद पूरी कर ले. चलाज तू मुझे भी अपनी तरह चिनल बना दे और मेरी छूट मेरे बेतेके लौरे से चुदने दे.”इतना सुनते ही बाबुजी हंस दिए और बोले चलो आज से इस घर मी भिफ्री सेक्स चालू होने जा रह है. जय हो छूट महारानी और लुन्द्माहराज कि. फिर वो नुपुर के पास आकार खडे हो गए. मेरे ससुमांदर कमरे मी से माला और सिंदूर दानी उठा लाई. बबुजे ने एक मलानुपुर को पहनाया और नुपुर ने भी एक माला बाबुजी को पहनाया. फिर्बबुजी ने नुपुर कि मांग मी सिन्दूर भरा. मेरे ससुमा ने नुपुर को अशिर्बाद देती हुई बोली, “अब तक तू मेरी बेटी थी मगर आज्से तुमेरी समधिन बन गयी है. मैं चाहता हू कि समधी जी तुझ्कोखुब छोड और साल भरके अन्दर तेरे गोदी मेक नन्हा सा बछाकेले.” फिर बाबुजी ने माला मेरे मा को दिया और बोले, “लो एह मलाब अपने बेटे के गले मी दल दो. आज से तेरा बेटा ही तेरा आदमी होगौर तुझको नंगी कर तेरी छूट मी अपना लुंड पेलेगा.” मा एह सुनकर बाबुजी से बोली, “अच्छा है, मैं तो तुम्हारे बुधे लुंड तंग आगई थी अब एक जवान लुंड मुझे चोदेगा और मेरी छूट कि मस्तिझारेगा.” इसके बाद मा ने नुपुर से माला ले कर मेरे गले पहना दियौर मुस्कुरा कर बोली, “अब तक तू मेरा बेटा था लेकिन आज मैं तुझ्कोमाला पहना कर तेरे को अपनी आदमी मानती हूँ और अब चल आदमी बनानेका फ़र्ज़ पुरा कर.” मैंने भी मा कि मांग मी सिन्दूर दल दिया और मा से बोला, “अब आज से तुम मेरी मा नही मेरी पत्नी हो और चलो मेरेबिस्टर पर और हमलोग अपने पतिपतनी का धर्म निभाएँगे.” बबुजीताब बोले, “रुको, रुको अभी नए नए शादी हुए है, तुम लोग अप्नेबरों का पैर छुओ.” एह सुन कर मा और मैंने बाबुजी और नुपुर केपैर छुए और नुपुर ने मा को अशिर्बाद देते हुए बोली, “बहुस्वोभ्ग्यावती बोनो और जल्दी से पुत्रवती बनो.”तब मैंने देखा कि बाबुजी अपने कपरे खोलने लगे और अपने कप्रयूतर कर नुपुर को भी नंगी कर दिया.आज नुपुर अपनी झंते बिल्कुल्सफ़ कर रखी थी, उसकी छूट से हलके हलके रुस निकल रह था औरिस्लिये उसकी छूट बहुत चमक रही थी. मैं भी एह देख कर अप्नेकप्रे उतर दिए और अपनी मा के सामने बिल्कुल नंगा हो गया. मा मेराखारा १०” का लुंड देख कर बोली, “बेटा पार्थो तेरा तो लुंड बहुत्जंदर है. एह तो कोई भी चूड़ी या उन्चिदी छूट कि मस्त चुदाई कर के झर सकता है.” मैं तब अपनी मा के कपरे उतरने शुरू किया.सुबसे पहले मैंने उनकी साड़ी उतर दिया, फिर उनकी ब्लौसे के हूक्ख्लो कर ब्लौसे उनके शारीर से अलग किया. अब मेरी मा मेरे सम्नेसिर्फ़ पेट्तिकोअत और ब्रा पहने खरी थीं. मैं ब्रा के उप्पर से उन्किचुन्ची पाकर पहले हलके हलके से दबाया. चुन्ची पर हाथ पर्तेही मा बोली, “बेटा मेरी चुन्ची को जोर जोर से दबा, इसकी साड़ी दुध्तु आज पी ले, मेरी चुन्ची बहुत दिनों से थिक से मसली नही गयिहाई.” मैं भी मा कि ब्रा खोल कर उनकी एक चुन्ची को जोर जोर दबनेलगा और दुसरी चुन्ची मी मुह लगा कर उसकी निप्प्ले अपने मुन्ह्मे लेकर चूसने लगा. मा अपने चुन्ची दबी और चुसी से गरमा गयीऔर अपने हाथों मी मेरा लौरा पाकर लिया और उसकी सुपर खोलने और्बंद करने लगी. अब मैंने भी मा कि पेट्तिकोअत का नारा खींच करुसको उनकी तंगो से अलग कर दिया. आज मा पेट्तिकोअत के नीचे पैंटी नही पहने हुए थी और उनकी पेट्तिकोअत खुलते ही वो पूरी तरह सेनंगी हो गयी. उनके नंगे होते ही मैं मा को बिस्टर पर चित लेतादिया और उनके उपर चरने लगा.तबतक बाबुजी बोली, “आरे पर्थोरुको, अभी एक काम बाकी है.” “क्या काम”, मैंने बाबुजी सेपुचा. “रुको मैं आ रह हूँ” बाबुजी बोले और चित लेटी नंगी माके पास आ गए. उन्होने मा कि छूट को अपने दोनो हाथ से खोल कर्बोले, “ले बेटा मैं आज नुपुर कि चुदाई कि फ़ीस पुरा कर रह हूँ, लीब तू भी मेरी बीवी कि छूट मी अपना लुंड पेल कर इसको जब चाहे,जैसे चाहे छोड़.” मैं एह सुन कर अपनी नंगी मा पर पेट के लेट गया और दोनो हाथ सयूनकी चुन्ची मसलने लगा और अपनी होतों से उनकी होतों को चुस्नेलगा. अपनी चुन्ची मसले और होंठ चुसी से मेरी मा बहुत गर्मगाये और अपने पैर मेरे दोनो तरफ फैला दिए जिससे कि मेरा लुंड अबुनकी छूट के मुहाने लग गया. मैं धीर से अपनी मा से पूछा, “माब तुमको छोड़ सकता हूँ?” मा ने मेरे छाती मी अपना मुँह चुप कर्शर्मा के बोली, “जाओ मैं नही जानती.तुझे जो भी करना है कर,लेकिन जल्दी कर.” मैं एह सुन कर मा से बोला, “आरे छूट चुद्वानेकी इतनी जल्दी है तो मेरा लुंड को अपनी छूट कि दरवाजे पर रखौर फिर देख अमी कितना जल्दी करता हूँ.” मा ने मेरे लुंड अप्नेनाजुक तों से पाकर कर अपनी छूट पर लगा दिया और मुझको अपने हाथ और पैर से बांध लिया. अब मैं अपनी कमर को उठा कर एक जोर द्र्धक्का मर कर अपना १०” का लुंड मा कि छूट के अन्दर दल दिया. मैस जोर धक्के से तिलमिला उठी और जोर से सिसकारी मर कर हमको और्जोर से जाकर लिया. मैंने मा से पूछा, “मा क्या ज्यादा लग गया है,क्या मैं अपना लुंड बाहर निकल लूँ?” “ख़बरदार, लुंड बाहर मत्निकालना, बस अब छूट मी अपना लुंड पेलते रहो और मेरी छूट का पनिनिकल दे.” मैं भी अब कमर उठा उठा कर अपनी मा कि छूट मी लुन्दंदर बाहर करता रह.मेरी मा अपनी छूट कि चुदाई इस जोरदार चुदाई से बहुत उत्तेजित होगई और बर्बराने लगी, “है! है! देखो देखो सब लोग देखो, कैसेमेरा बेटा मेरी छूट छोड़ छोड़ कर फार रह है. है! इसका लुन्द्कितना बार और मोटा है और छूट को कैसे सुख दे रह है. है!मैं तो मेरे बेटे के लुंड कि दीवानी हो गयी हूँ. आरे बेटा अब इसके बाद मैं तो घर पर कभी भी कपरे नही पहनुगा. गर पर हुमेशानंगी ही रहूंगी जिससे कि तू जब चाहे जैसे चाहे मेरी छूट मापना लुंड दल सकता है. हाँ हाँ और जोर से धक्के मर. पुरा का पुरालुन्द आने दे मेरी छूट मी, दल दल और तेजी से दल. क्या तुझको मेरिचूत मी अपना लुंड पेलने मी मजा अ रह है?” मैं तब अपनी मा किचूत मी अपना लुंड पेलते हुए बोला, “आरे मेरी चुदक्कर मा, तुम्हाराचूत तो पूरी मक्खन कि तरह चिकना है. इसमे लुंड पेलने मी बहुत्माज़ा आ रह है. कितने दिनों से मैं ऐसे ही सुन्दर चिकने छूट कोचोड़ने के लिए आतुर था. आज मेरी मन कि मुराद पूरी हो रही है.क्यों मा, क्या तुमको मेरे लुंड से अपनी छूट मरवाने मी मज़ा आ रहहाई?”मा भी अपनी चूतर उठा उठा कर मेरे धक्के के जवाब देतिजा रही थी और मुझको चूम रही थी, फिर मा ने मुझ्सेपुचा, “क्यों बेटे मेरी छूट छोड़ने मी तुझको मजा आ रह है न?मेरी चुतर पर लेटने से तुझको मज़ा आ रह है कि नही, तुझ्कोताक्लीफ़ तो नही हो रह है?” “आरे नही मा, तकलीफ कैसा? मुझको तुम्हारी छूट मी लुंड दल कर छोड़ने मी बहुत मज़ा आ रह है. अब्मै रोज़ तुम्हारी छूट छोडा करूँगा, तुम चुद्वओगी नहुमसे?” माबोली, “आरे बेटा मैं तो तेरे लुंड कि देवानी हो गए हूँ, अब जब्चाहे जैसे चाहे तू मुझको छोड़ना रोज़ छोड़ना. अच्छा अब बाते बंदकर और मन लगा कर मेरी छूट मर. बहुत मज़ा आ रह है.”उधर बाबुजी ने भी नुपुर को मा के बगल मी लिटा कर उसकी छूट मापना लुंड दल छोड़ रहे थे. नुपुर मेरे और मा कि चुदाई कि बतेंसुं कर मुस्कुरा रहे थी. उसने अपना एक हाथ बारह कर मा कि एक्चुन्ची अपने हथ्ले कर उसकी निप्प्ले को मसल रही थी. नुपुर नेअपनी ससुमा से पूछी, “क्यों ससुमा अपने बेटे लुंड खा कर मस्त होरही हो? इधर मैं भी अपने ससुरजी का लुंड खूब मेज़ से अप्निचूत को खिला रही हूँ. एक साथ एक ही बिस्टर पर बाप बेटे दोनो अपनी बहु और मा कि छूट मी अपनी अपनी लुंड दल कर छोड़ रह है,सही मी बहुत मज़ा अ रह है. ससुमा आप् को मज़ा आ रही न. अबाज से इस घर मी भी फ्री सेक्स चालू हो गया है. एह एक अच्छी बठै. अब हमे इस फ्री सेक्स मी घर के और मेम्बेर्स को शामिल कर लेनाचाहिये. क्यों ससुमा आपका क्या ख्याल है.” मा ने तब अपनी हाथ सेनुपुर कि छूट पर एक हलकी सी चपत जमाते हुए बोली, “सही मेबहू, इस फ्री सेक्स मी बहुत मज़ा है. अब आज से सेक्स के बारे तू जो भिकहेगे मैं सब बात मनुगी. अब हम अपनी बेटी और दामादों को भी इस्फ्री सेक्स मी शामिल कर लेंगे. मुझे तो एह सोच सोच कर मस्ती चर्रही है कि मैं अब अपने दामादों कि लुंड अपने बेतिओं के सामने अप्निचूत मी पिल्वौंगी.” “हाँ मैं भी अब अपने भाई को इन्ह बुला लौन्गीऔर उसका लुंड भी आपकी छूट को खिल्वौंगी” नुपुर मी मेरे मा सेकही. बबुजे तब मुझसे बोले, “बेटा बात बाद मी करना, अभी जो कर रहे हो वो पुरा करो. जल्दी से अपनी मा कि छूट कि मस्ती झारो.मैं तो अब नुपुर को छोड़ते छोड़ते झरने के करीब अ गया हूँ, तेराक्य हल है.” मैं अपनी मा कि बुर मी अपना लुंड धकियाते हेबोला, “बाबुजी मेरा भी मॉल अब गिरने वाला है, क्या मैं मा कि चूटके अन्दर अपना मॉल गिरा सकता हूँ?” “बेटा वो छूट अब तेरे छोड़ने किएलिये है, तेरी मरजी तू कहाँ अपना मॉल गिर्यागा, छूट मी, गंद मी यौसकी मुँह मी. मैं तो अपना मॉल नुपुर कि छूट के नदर ही डालूँगा”बाबुजी अपनी चुदाई रोक कर नुपुर कि चुन्ची को चूसते हुए मुझ्सेबोले. तब मैंने अपनी मा से पूछा, “बोल मेरी चुद्ती मा बोल, कहान्मै अपना मॉल गिरों? क्या तुम्हारी छूट के अन्दर दल दूँ या फिर्बहर निकल कर तेरे पेट के उप्पर चोरून?” मा अपनी कमर उचाल्तेहुए बोली, “आरे बेटा, बीज चाहे जिसका भी हो, जिसका खेत है फसलुसी कि नाम होता है. तू मेरी छूट के अन्दर ही अपना पानी चोर.आरे जब बेटे लुंड अपनी छूट मी पिल्वाया है तो उसका पानी भी छूट कंदर ही लूंगी. मैं तो झरने वाली हूँ अब तू भी अपनी जल्दी जल्दिचोद कर अपना लुंड मेरे छूट के अन्दर झर. मैं अपने बेटे से चूत्चुद्वा कर अपनी पेट मी उसकी बाछा लेना चाहती हूँ.” मैं एह सब्सुं कर अपना लुंड मा कि छूट के जर तक घुसेर दिया और मेरा लुन्द्से पानी निकल कर मा कि छूट भरने लगा. मेरे झरने का साथ हिसाथ मा भी अपनी छूट के पानी से मेरा लुंड को नहला दिया.इंडियन फमिली मी चुदाई (कोन्त्द.)अब तक बाबुजी ऎंड नुपुर ने भी अपनी चुदाई पुरा कर चुके थे.जैसे ही मैं अपना लुंड मा कि छूट से बाहर निकला, नुपुर झट मेरेपस अ गयी और मेरा लुंड, जिसमे से अभी मा और मेरे पानी कमिश्रण छु रह था, पाकर कर मा के मुह मी कागा दिया और बोली, “आरे ससुमा जल्दी अपनी मुह खोलिए और एह अमृत को चाट चाटकर साफ कर दीजिए. एह अमृत बहुत ही कीमती है और इससे स्त्री कसुन्दरता और भी बर्हता है.” मा भी नुपुर के कहने के अनुसर्मेरा लुंड अपने तों से पाकर कर चाट चाट कर साफ कर दिया. ताभुम लोग नंगे ही खाना खाने कि टेबल पर अ गए और खाना खाया.खाना खाने के बाद, मेरी ससुमा, नुपुर कि मा, बोली “हम अब तक तुम्लोगों कि चिदै देख देख कर गरमा गयी हूँ अब कोई एक मेरी चूत्मे अपना दल कर चुदाई करे.” नुपुर अपनी मा से बोली, “अभी नही,तुम्हारी चुदाई तो कल होगी. कल तुम्हारी शादी पार्थो से होगा और तब्तुम अपने आदमी लुंड से अपनी छूट मर्वोगी. अभी तुम हम सब को एक्नंगी डान्स दिखा दो.” मेरे ससूमा अपनी बेटी कि बात मन कर हमसब के अपनी नंगी जिस्म को मोर मोर कर, अपनी गंद और चुन्ची हिलाहिला कर एक फिल्मी गाना के साथ डान्स किया. इसके बाद हम लोग फिर सेबेद्रूम मी चले गए और अपनी अपनी चुदाई कि सेकंड राउंड कितायारी करने लगे. बाबुजी कमरे आते ही नुपुर को अपनी गोदी बैथालिया और उसकी चुन्ची को दोनो तों से मसलन शुरू किया. नुपुर भी पीछे नही थी. उसने भी अपनी हाथों बाबुजी का लुंड पाकर कर्मरोरने लगी.मई भी एह देख कर अपनी मा के पास गया उनको अप्नेपस लिटा कर उनकी चुन्ची से खेलने लगा.थोरी देर बाद मा ने मुझसे बोली, “बेटा ला मैं तेरा लुंड चूस देतिन्हून.” मैं जल्दी से मा कि पैर कि तरफ मुह कर के लेट गया और माकी छूट पर अपना मुह रख दिया. अब मेरी मा मेरा लुंड अपने मुह मेले कर्चुस आरही थी और मैं उसकी छूट को अपनी जीव से चाट रहता. थोरी देर के बाद बाबुजी भी पलंग के किनारे पर बैठ गयेऔर नुपुर ने भी उनका लुंड अपने मुह मी लेकर चूसने लगी. दोनोऔरत लुंड चूसने मी माहिर लग रही थी क्योंकि थोरी देर मी ही हुम्बप बेटे का लुंड खरा हो गया. बाबुजी ने तब नुपुर को पलंग पृथा कर पेट के बल ऐसे लेटा दिया कि उसकी टंगे पलंग के नीचेझूल रहे थी और कमर से उप्पर का हिस्सा पलंग पर था. बबुजीने तब अपना खरा हुआ लुंड नुपुर कि छूट कि छेद पर रख कर एक्धाक्का दिया और अपनी लुंड नुपुर कि छूट मी उतर दिया. नुपुर अपनी छूट मी लुंड घुसते ही बोली, “है! ससुरजी बार मज़ा अ रह है,इस तरीके से तो आपका पुरा पुरा लुंड मेरी छूट मी घुस गया है. अबाप धक्के मर मर कर हमको छोडिये. जरा मेरी ससुमा भी देख लेंकी उनके पति का लुंड कैसे उनकी घर कि बहु कि छूट मी घुस कर्कस कास कर चोदै कर रह है.” एह सुन कर मा बोली, “मुझे तोपहाले से ही मालूम था कि मेरे बेटे कि शादी एक चिनल औरत से होगई है और्चिनल औरत को तो बस लुंड चाहिऐ अपनी छूट कि चुदैके लिए. लुंड कि भूखी चुदासी चिनल औरत एह कभी नही देख्तीकी छोड़ने वाल लुंड किसका है, उसका पति का या अपने ससुर का. चुदा लोबहू अपने ससुर के लुंड से बाद मी न कहना कि ससुमा ने पाने पतिका लुंड नहे दिलवाया.” नुपुर एह सुन कर बोली, “आरे वह मेरिचुदाक्कर ससुमा, अपने बेटे का लुंड अपनी छूट से खा रहे हो और्हुमे ज्ञान दे रही हो. सही सही बताना ससुमा, अब तक कितने लुंड अपनी छूट से खा चुकी हो. हमे तो लगता है आप् कि छूट अब तक्कई लुंड के धक्के झेल चुकी है.” मा बोली, “हरामजादी चिनाल्ससुर छोडी नुपुर भोसरिकी, तहर जा तेरी जुबान अब बहुत चल रहीहाई, मुझसे पूछती है कि मैंने कितना लुंड से अब तक चुद्वाई है.आरे तू अपनी बोल, अब कितने लुंड का पानी अपने छूट और गंद मी भारिराखी है. आरे मैं तो अब तक करीब एक दर्ज़न लुंड अपनी छूट मेपिलवा चुकी हूँ और इनमे से कई ने तो मेरी गंद का मज़ा भी लियाहाई. आज तेरी गंद भी मेरा, नही अब तेरा, मर्द भी चोदेगा. क्या तुवो हलाब्बी लुंड अपने गंद मी पिलवा पायेगी?” “आरे ससुमा, क्योंपरेशन होते हो, एह क्या इससे मोटा और लुम्बा लुंड भी मैं अपने गंदौर छूट मी पिलवा सकती हूँ” नुपुर बोली.अब तक मैं और बाबुजी मा और नुपुर कि बातें सुन रहे थे.