नमस्कार मेरा नाम सारिका है। मेरे 3 बच्चे हैं, जिनमें से तीसरा बच्चा अभी 5 साल का है।
शादी के बाद मेरी जिन्दगी में नाम मात्र का सम्भोग और रतिक्रिया रह गई थी। दूसरे बच्चे के बाद तो स्थिति और भी खराब हो गई है इसलिए मुझे जब मौका मिला, तो मैंने दूसरों के साथ सम्भोग कर लिया।
यh इसलिए मुमकिन हुआ, क्योंकि मैं उड़ीसा में थी और मेरे पति काम पर चले जाते थे। उसी दौरान मुझे मौका मिल जाया करता था। उड़ीसा में मैं 13 साल रही और इस दौरान मैंने अपने पति के अलावा 4 और लोगों के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाए जिनमें से अमर के साथ लम्बे समय तक सहवास किया।
बाकी में से एक के साथ 2 साल तक, एक के साथ 7 महीने और एक के साथ 3 दिन तक शारीरिक सम्बन्ध रखे, पर मेरे लिए मुसीबत तब हो गई, जब पति का तबादला झारखण्ड हो गया।
मेरे पति ने मुझे बच्चों के साथ गांव मे रहने को कहा क्योंकि रांची से एक या दो दिन में घर आ-जा सकते थे।
उनका आना मेरी रात्रि के अकेलेपन को दूर नहीं करता था।
मेरी उमर अब 39 वर्ष की होने को थी और पता नहीं क्यों, मेरी काम वासना और भी ज्यादा होने लगी थी।
उसी बीच पति ने बच्चों के लिए एक कंप्यूटर खरीदा। मेरा एक भतीजा आया हुआ था, तो उसने मुझे इंटरनेट पर बात करना सिखा दिया।
फ़िर मेरी एक सहेली जिसका नाम सुधा है, जो बैंगलोर में रहती है, उससे मैं बात करने लगी।
बच्चे जब स्कूल चले जाते, तो हम दोनों खूब लिख-लिख कर बातें करते।
हम बचपन की सहेलियाँ हैं इसलिए हम खुल कर बातें करते थे। इसलिए मैंने उसे ये सब बातें बता दीं।
उसने मुझे बताया कि शायद मैं रजोनिवृति की तरफ़ जा रही हूँ इसलिए मुझे काम की इच्छा अधिक हो रही है। रजोनिवृति 45 से 50 के बीच हो जाता है, पर मेरी उमर 39 साल ही थी।
मैं और मेरे पति के घरवाले एक और बच्चा चाहते थे क्योंकि दो लड़के थे और हम एक लड़की चाहते थे पर पति का सहयोग नहीं मिल रहा था।
मैंने पति से बात भी की कि अगर बच्चा चाहिए तो जल्दी करना होगा क्योंकि ये उमर बच्चे पैदा करने के हिसाब से स्त्री के लिए खतरनाक होता है।
पर पति ने कह दिया कि इसमें ज्यादा जोर नहीं देना है, अगर हुआ तो ठीक और नहीं हुआ तो कोई बात नहीं और जरुरी नहीं कि बच्ची ही पैदा हो।
तब मैंने यह बात अपनी सहेली को बताई।
हम यूँ ही कुछ दिन ऐसे ही बातें करते रहे। फ़िर एक दिन उसने मुझे बताया कि अगर ऐसी बात है, तो किसी का वीर्य ले लो।
मुझे यह बात समझ नहीं आई, तब उसने मुझे बताया कि जैसे ब्लड-बैंक होता है, वैसे ही वीर्य बैंक होता है जहाँ से किसी मर्द का वीर्य चिकित्सक सुनिश्चित कर के देता है कि बच्चा कैसा होगा, फ़िमेल होगा या मेल होगा, इस तरह अधिक गुंजायश के साथ आपकी योनि में कृत्रिम रूप से गर्भ धारण करवाते हैं।
मुझे यह तरकीब अच्छी लगी, पर पति को नहीं तो फ़िर मैंने उम्मीद करना ही बन्द कर दिया।
तभी एक दिन सहेली से बात करते हुए हम अपने सम्भोग के बारे में बात करने लगे।
उसने मुझे बताया कि बैंगलोर जैसे शहरों में सम्भोग बड़ी बात नहीं है, वहाँ आसानी से कोई भी किसी के साथ सेक्स कर सकता है क्योंकि वहाँ लोग आपस में काफी व्यस्त रहते हैं।
किसी को दूसरों के जिन्दगी में झाँकने का समय ही नहीं है। इसलिए लोग छुप कर कहीं भी किसी के साथ सम्भोग कर लेते हैं।
तभी उसने मुझे अपना राज बताया कि उसके पति काम के सिलसिले में पार्टियों में जाते हैं वहाँ तरह-तरह के लोगों से उसकी मुलाकात करवाते हैं इसलिए उसकी दोस्ती बहुत से मर्दों के साथ है और उनमें से कुछ लोगों के साथ अक्सर बाहर घूमने-फ़िरने जाती है तथा उनके साथ सम्भोग भी करती है।
इसके अलावा अगर उसे किसी दूसरे मर्द से सम्भोग करना हो तो उसका भी इन्तजाम हो जाता है।
क्योंकि ये लोग आपस में एक-दूसरे को जानते हैं इसलिए अगर इनमें से कोई साथी बदलना चाहे, तो बदल लेते हैं।
खैर.. यह तो रही उसकी बात, अब मैं अपने पर आती हूँ, इन सारी बातों को जानने के बाद मेरी सहेली ने मुझे एक तरकीब बताई।
उसने मुझसे कहा कि नेट पर देखो, बहुत से मर्द मिल सकते हैं जो सम्भोग करना चाहते हैं और सब कुछ राज रखते हैं।
पहले तो मैंने नखरे दिखाए, तब उसने कहा कि ऐसा पहली बार तो नहीं कि पराये मर्द से सम्भोग करोगी।
तब मैंने भी ‘हाँ’ कर दी, पर मुसीबत यह थी कि अब पहले की तरह मैं आजाद नहीं थी। यहाँ हर कोई मुझे जानता था, मैं किसी दूसरे मर्द से मिली, तो मेरी बदनामी होती, इसलिए मैंने मना कर दिया।
पर कुछ दिनों के बाद उसने मुझसे कहा- अगर मैं कुछ दिनों के लिए अपने पिता के घर चली जाऊँ तो काम बन सकता है।
मुझे भी पिताजी से मिले काफ़ी समय हो चुका था, सो मेरे लिए यह आसान था। तब मैंने अपनी सहेली से बात की, “कैसे होगा ये सब और किसके साथ..!”
तब उसने मुझे बताया कि उसका एक समाज सेवा केंद्र में एक दोस्त है, जो यह कर सकता है। वो दोनों हफ़्ते में एक दिन मिलते हैं। और सम्भोग भी करते हैं।
मैं उसको सुनती रही।
उसने आगे बताया- उसका भी किसी दूसरी औरत के साथ सम्भोग का मन है, इसलिए तुमसे यह बात कही। संयोग की बात यह है कि वो इस बार हमारे गांव आना चाह रहे हैं क्योंकि वो एक किताब लिख रहे हैं, जो भारत के गांवों पर है इसलिए कुछ दिन यहीं रहेंगे।
तब हमने भी समय तय कर लिया, दो हफ़्ते के बाद मेरी सहेली और उसका दोस्त आ गए मैं भी पति से कह कर पिता के घर चली गई।
बच्चों के स्कूल की वजह से उनको घर पर ही रहने दिया उनकी बड़ी माँ के साथ।
मेरे दिल में अब एक ही चीज थी कि वो कैसा होगा, क्या उसके साथ सब कुछ सहज होगा या नहीं, क्योंकि ये पहली बार था जब मैं बिना किसी को जाने सम्भोग के लिए राजी थी।
मैं पहले दिन पिताज़ी के साथ ही रही, क्योंकि बहुत दिनों के बाद मिली थी। घर पर भाई और भाभी थे, जो रात होते ही अपने कमरों में चले जाते थे।
क्योंकि गाँवों में लोग जल्दी सो जाते थे, पर पिताजी उस दिन मुझसे करीब 10 बजे तक बातें करते रहे, तो उस दिन देर से सोये।
अगले दिन मेरी सहेली अपने दोस्त के साथ मुझसे मिलने आई, उसने मुझसे मुलाकात करवाई, उसका नाम विजय था।
कद काफी लम्बा करीब 6 फिट से ज्यादा, काफी गोरा, चौड़ा सीना, मजबूत बाजू देख कर लगता नहीं था कि उम्र 54 की होगी।
बाकी मेरे घरवालों से भी मिलवाया। मैंने उनको नास्ता पानी दिया फ़िर इधर-उधर की बातें करने लगे।
कुछ देर बाद विजय ने कहा- मुझे गाँव देखना है।
इस पर मेरी सहेली ने मुझे साथ चलने को कहा, मैंने मना किया पर मेरी भाभी और भाई के कहने पर कि मेहमान हैं वो.. मैं चलने को तैयार हो गई।
जाते समय भाभी ने कहा- खाना हमारे घर पर ही खाना।
मैंने साड़ी पहन रखी थी, पर मेरी सहेली ने सलवार-कमीज। रास्ते में हम गाँव वालों से मिलते गए और सबको बताया कि वो एक समाजसेवक हैं और हमारे गाँव को देखने आए है। गाँव वालों और मेरे घरवालों को बात-व्यवहार से मुझे अब यकीन हो चला था कि हमारे साथ घूमने-फ़िरने से किसी को हम पर शक नहीं होने वाला था।
पर मेरे दिमाग में यह ख्याल था कि कहीं ये लोग मुझे अभी सम्भोग के लिए तो साथ नहीं ले जा रहे, पर मैं शर्म के मारे कुछ नहीं कह रही थी।
फ़िर सुधा ने विजय से कहा- नदी किनारे चलते हैं।
इस पर विजय बहुत खुश हुआ और अपना कैमरा निकाल कर इधर-उधर की तस्वीरें लेने लगा।
मैं बता दूँ कि हमारे गाँव की नदी चट्टानों वाली है। हम जब नदी के पास पहुँचे तो विजय रुक गया और कहा- मुझे पेशाब लगी है।
यह सुन मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ़ कर लिया।
उसके पेशाब करने की जब आवाज आई तो मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो हैरान रह गई। वो बस एक हाथ मुझसे दूर था और अपना लिंग बाहर निकाले पेशाब कर रहा था और मेरी सहेली उसको देख कर अपने गाँव के बारे में बता रही थी। वो उससे ऐसे बात कर रही थी जैसे वो पेशाब नहीं कर रहा, बल्कि यूँ ही खड़ा है।
तभी उन दोनों ने मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुराए और फ़िर उसने अपना लिंग हिला कर पेशाब की आखिरी बूँद गिराई और लिंग अन्दर कर लिया और हम चलने लगे।
उसी दौरान मैंने उसका लिंग देखा। पेशाब के दौरान उसने अपने लिंग के ऊपर के चमड़े को खींच लिया था, जिससे उसका सुपारा लाल और गोल दिख रहा था।
मैं अब यह सोचने पर मजबूर हो गई कि आखिर इसका ‘ये’ उत्तेजित होने पर कितना विशाल हो जाता होगा।
वे लोग आपस में बातें करते जा रहे थे। मैं ज्यादा कुछ नहीं बोल रही थी, मेरे दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। तभी हम नदी के किनारे पहुँच गए। अब हम उसको अपने बचपन की कहानियाँ सुनाने लगे।
मेरी सहेली ने तभी उसको बताया- हम लोग बचपन में इस नदी में नंगी होकर भी नहाती थी।
इस पर विजय ने कहा- कितना मजा आएगा अगर अभी तुम दोनों नंगी होकर मेरे सामने नहाओ…हाहा…हाहा…! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सुधा भी हँसने लगी, पर मैं तो शर्म से कुछ नहीं बोली।
अब विजय मेरी तरफ़ देखता हुआ बोला- सारिका तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम अगर कुछ अपना ध्यान रखो तो और भी सुन्दर दिखोगी।
मैंने कहा- इस उम्र में अब क्या ध्यान रखना.. कौन है.. जो अब मुझे देखेगा !
तब सुधा ने मुझसे कहा- क्या जरूरी है कि हम दूसरों के लिए ही अपना ख्याल रखें, तुम बिल्कुल गँवारों की तरह बातें करती हो, लोग अपना ख्याल खुद के लिए भी रखते हैं !
विजय- देखो सारिका, तुममें अभी बहुत कुछ है, तुम्हारी खूबसूरती तो लाखों मर्दों को पागल कर देगी !
मेरी सहेली- हाँ.. बस अपना ये पेट अन्दर कर लो तो !”
यह कह कर वो लोग हँसने लगे, पर मुझे ये अजीब लगा क्योंकि ऐसा मुझे पहले किसी ने नहीं कहा था।
फ़िर उन लोगों ने मुझसे माफ़ी माँगी और कहा कि बस मजाक कर रहे थे।
मैं भी उनकी बातों को ज्यादा दिमाग में न लेते हुए बातें करने लगी। इधर-उधर की बातें करते काफी समय हो चुका था, तो मैंने वापस चलने को कहा।
तब विजय ने कहा- कुछ देर और रुकते हैं.. काफ़ी रोमाँटिक मौसम है।
फ़िर बात चलने लगी कि खुले में सेक्स करने का अलग ही मजा होता है।
विजय ने कहा- अगर मुझे ऐसी जगह मिले तो मैं घर के बिस्तर पर नहीं बल्कि यहीं खुले में सेक्स करूँगा !
तब मेरी सहेली ने कहा- सोचते क्या हो, सारिका तो यहीं है, कर लो इसके साथ !
तब मैंने शर्माते हुए कहा- पागल है क्या तू.. जो मन में आता है बक देती है !
उसने कहा- इसमें शर्माना क्या.. तुम दोनों को मिलवाया ही इसीलिए है !
तब विजय मेरी तरफ़ मुस्कुराते हुए देखने लगा। उसकी मुस्कुराहट में वासना झलक रही थी और मेरा सिर शर्म से झुक गया।
अब मेरी सहेली ने कहा- मौका अच्छा है.. मैं पहरेदारी करूँगी.. तुम दोनों मजे करो।
पर मैं सिर झुकाये थी, तब विजय मेरे पास आया और उसने मेरी कमर पर हाथ रख कर, मुझे चूम लिया।
मेरा पूरा बदन सिहर गया। जब मेरा कोई विरोध नहीं देखा तो उसने मेरी कमर को कस लिया और मेरे मुँह से मुँह लगा कर मुझे चूमने लगा।
मुझे तो जैसे होश ही नहीं रहा था।
पर कुछ देर बाद मैंने उससे खुद को आजाद कराया और कहा- यह जगह सही नहीं है, कहीं और करेंगे।
पर विजय ने जोर दिया- सुधा देख रही है, कोई आएगा तो हमें कह देगी !
पर मैंने उसको मना कर दिया।
तब मेरी सहेली ने कहा- रहने दो, अगर वो नहीं चाहती यहाँ.. तो कहीं और करना.. अभी अपने पास कुछ दिन भरपूर समय है।
विजय ने कहा- मेरा अब बहुत मन कर रहा है, मैं अभी सेक्स करना चाहता हूँ !
पर मैंने साफ़ मना कर दिया।
इस पर विजय ने कहा कि अब वो सुधा के साथ करेगा। इसलिए हम वहाँ से चल कर एक ऐसी जगह गए जहाँ छुपा जा सकता था।
मेरी सहेली ने मुझसे कहा- यहीं पास में रहो और अगर कोई आए तो बता देना।
अब मेरी सहेली ने अपना पजामे का नाड़ा खोला और उसे नीचे सरका कर बैठ गई। मैंने सोचा ये कौन सा तरीका है, फ़िर देखा कि वो पेशाब कर रही है और वहीं विजय अपनी पतलून नीचे करके लिंग बाहर निकाल कर अपने हाथ से हिला रहा था। मैंने जैसा देखा था अब उसका लिंग वैसा नहीं था।
अब वह काफी सख्त और लम्बा हो चुका था, करीब 8 इन्च लम्बा।
मैं हैरान थी, उसके लिंग के आकार को देख कर और अब मुझे भी कुछ होने लगा था, पर मैंने खुद पर काबू किया।
सुधा पेशाब कर रही थी, तब विजय ने झुक कर हाथ से उसके पेशाब को उसकी योनि में फ़ैला दिया। मुझे ये देख कुछ अजीब लगा पर मैं खामोशी से देख रही थी।
अब विजय ने अपने लिंग को मेरी सहेली के मुँह के आगे किया, तो उसने पहले उसके लिंग को अच्छे से चूमा, फ़िर मुँह में भर कर चूसने लगी।
विजय उसके बालों को हटा कर उसके मुख में अपना लिंग अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद सुधा खड़ी हो गई और विजय ने उसको आगे की तरफ झुकने को कहा। फ़िर विजय ने झुक कर उसकी योनि को कुछ देर प्यार किया, इस दौरान सुधा भी गर्म हो चुकी थी।
कुछ देर के मुख-मैथुन के बाद विजय सीधा हो गया, पर मेरी सहेली उसी तरह एक पत्थर के सहारे झुकी रही।
विजय ने उसके दोनों पैरों को फ़ैला दिया, फ़िर अपने लिंग पर थूक लगा कर अच्छे से फ़ैला दिया और उसकी योनि में अपना लिंग लगा दिया, कुछ देर लिंग से योनि को रगड़ने के बाद धक्का दिया, लिंग अन्दर योनि में चला गया और मेरी सहेली के मुँह से एक मादक आवाज निकली- म्म्म्म्म्स्स्स्स्स्ष्ह्ह्ह्ह् !
विजय ने अब पीछे से उसके दोनों स्तनों को दबोचा और धक्के लगाने लगा।
वो लगातार 15-20 धक्के लगाता तेजी में फ़िर उसकी योनि में पूरी ताकत से पूरा लिंग घुसा देता और अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगता।
सुधा भी सिसकारी लेते हुए अपने विशाल कूल्हों को उसी तरह घुमाते हुए उसका साथ देती। उनकी कामुकता धक्कों के साथ और अधिक होती जा रही थी।
अब वे लोग आपस में बातें कर रहे थे।
सुधा कह रही थी- विजय ऊपर और ऊपर हाँ.. वही… वही.. एक बार और जानू प्लीज़ एक और जोर से… आह !
विजय भी उसकी कहने के अनुसार धक्के लगा रहा था, उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं। वो हाँफ़ रहा था, पर इससे उसके धक्कों में कोई बदलाव नहीं आ रहा था।
वो तो मस्ती में उसे धक्के मार रहा था और सुधा भी उसका साथ दे रही थी।
अब विजय ने उसको कहा- चलो कुतिया बन जाओ !
तब सुधा पूरी तरह जमीन पर झुक गई और दोनों हाथ जमीन पर रख दिए।
विजय अब उसके ऊपर चला गया और उसके कमर के दोनों तरफ़ अपने पैर फ़ैला कर झुक गया और लिंग को उसकी योनि में घुसा दिया और सम्भोग करने लगा।
दोनों काफी गर्म हो चुके थे। इस बार दोनों इस तरह मेरे सामने थे कि उनके कूल्हे मेरे सामने थे। मुझे विजय का लिंग उसकी योनि में साफ़ साफ़ घुसता निकलता दिख रहा था।
अब तो उसकी योनि से चिपचिपा पानी भी दिख रहा था जो उसकी जाँघों से बहता हुआ नीचे जा रहा था।
दोनों के मुँह से अब सिसकारियाँ निकलनी तेज़ हो गई थीं।
मेरी सहेली बार-बार कह रही थी- जानू सीधे-सीधे बुर में.. ह्ह्ह्ह्ह्म और अन्दर !
करीब 30 मिनट के इस खेल के साथ विजय 10-12 जोरदार धक्कों के साथ शांत हो गया और उसके ऊपर ही हाँफता रहा, फ़िर अलगहुआ।
जब उससे अलग हुआ तो उसकी योनि से विजय का वीर्य बह निकला, जिसे बाद में उसने साफ़ किया और पजामा पहन लिया। अब हम वापस आने लगे।
करीब 30 मिनट के इस खेल के साथ विजय 10-12 जोरदार धक्कों के साथ शांत हो गया और उसके ऊपर ही हाँफता रहा, फ़िर अलग हुआ।
जब उससे अलग हुआ तो उसकी योनि से विजय का वीर्य बह निकला, जिसे बाद में उसने साफ़ किया और पजामा पहन लिया। अब हम वापस आने लगे।
अब हम अपने रास्ते पर थे, दोपहर हो चुकी थी, कुछ ही समय में मैं उनसे खुल कर बातें करने लगी।
उन्होंने मुझसे पूछा- क्या तुम्हें हम दोनों की कामक्रिया देख कर कुछ नहीं हुआ?
तब मैंने उनको बताया- शायद ही कोई होगा जिसको कुछ नहीं होगा, पर मैं खुद पर काबू कर लेती हूँ।
तब विजय ने कहा- सारिका, तुम्हारा नंगा जिस्म देखने को मैं बेताब हूँ !
मैंने कहा- जल्द ही हम मौका निकाल लेंगे।
तब मेरी सहेली ने कहा- आज रात को सब हो जाएगा, तुम लोगों के लिए मैंने पूरा इन्तजाम कर दिया है।
विजय ने कहा- सारिका अगर तुम कुछ दिखा दो तो मजा आ जाएगा।
मैंने कहा- सब्र करो.. रात को सब दिखा दूँगी।
इस पर मेरी सहेली ने कहा- दिखा दो ना.. यहाँ कोई नहीं है, अभी कम से कम चूत ही दिखा दो।
मैंने चूत शब्द सुन कर उसकी तरफ़ देखा और कहा- क्या कहती हो !
तो उसने कहा- इसमें शर्माना क्या ! हम बच्चे नहीं है और जब कर सकते हैं तो कहने में क्या बुराई है !
विजय भी जिद करने लगा तो मैंने ‘हाँ’ कह दिया।
फ़िर हम एक पेड़ के पीछे चले गए। पहले तो मुझे शर्म आ रही थी, पर विजय के जोर देने पर मैंने अपनी साड़ी ऊपर की और पैन्टी नीचे सरका दी। वो मेरी योनि को गौर से देखने लगा। मुझे शर्म आ रही थी, पर फ़िर भी मैं वैसे ही दिखाती रही।
उसने मुझसे कहा- काफी बाल हैं.. क्या तुम साफ़ नहीं करती?
मैंने शर्माते हुए कहा- करती हूँ.. पर कुछ दिनों से ध्यान नहीं दे रही, अब कर लूँगी !
तब उसने कहा- जरूरत नहीं… बाल बहुत सुन्दर लग रहे, मुझे बालों वाली चूत अच्छी लगती है। मेरे ख्याल से चूत में बाल होने से लगता है कि कोई जवान औरत है।
मैं उसे देख कर मुस्कुराई।
उसने मेरे पास आकर मेरी योनि को छुआ और बालों को सहलाया और कहा- कितनी मुलायम और फूली हुई है !
तब मेरी सहेली भी वहाँ आ गई और कहा- कितना समय लगा रहे हो ! चलो घर में सब इन्तजार कर रहे होंगे !
विजय ने दो मिनट रुकने को कहा और मुझे मेरे पैर फ़ैलाने को कहा और वो नीचे झुक कर मेरी योनि को हाथों से फ़ैला कर देखने लगा और तारीफ़ करने लगा।
उसने कहा- मैं इसे चखना चाहूँगा !
और अपना मुँह लगा दिया।
मैं सहम गई और कहा- यह क्या कर रहे हो?
उसने अपनी जुबान अन्दर घुसा दी, फ़िर मुझसे कहा- कितनी गर्म, मुलायम और नमकीन है !
मेरी सहेली ने तब कहा- अब रात भर तुम चूसते रहना.. फ़िलहाल चलो, देर हो रही है।
तब विजय ने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए कहा- मैं तुम्हारा यह खूबसूरत जिस्म चखने के लिए बेताब हूँ !
मैंने उसे मुस्कुराते हुए जवाब दिया- ठीक है.. आज रात जो मर्जी कर लेना !
फ़िर हम जाने के लिए तैयार हुए।
मैंने कहा- रुको, मैं जरा पेशाब कर लूँ !
इस पर विजय ने कहा- खड़े हो कर करो, मैं देखना चाहता हूँ कि तुम्हारी पेशाब की धार कैसी निकलती है?
मैंने कुछ संकोच किया तो मेरी सहेली ने बताया- विजय को ये सब बातें बहुत उत्तेजक लगती हैं।
तो मैंने वैसे ही पेशाब करना शुरु कर दिया।
अचानक उसने हाथ आगे किया और मेरे पेशाब को हाथ में लेकर सूंघने लगा और बोल पड़ा- कितनी मादक खुशबू है इसकी !
यह मेरे लिए अजीब था, पर उसे सब कुछ करने दिया।
सुधा ने मुझसे कहा- आज रात तुम सेक्स के बारे में और भी बहुत कुछ जान जाओगी।
फ़िर यही सब बातें करते हुए हम घर चले आए और खाना खा कर वे लोग अपने घर चले गए, अब रात का इन्तजार था।
रात हम सब खाना खाकर सोने चले गए अपने कमरे में।
करीब 10 बजे मेरी सहेली ने मुझे फ़ोन करके छ्त पर बुलाया, क्योंकि उसका और मेरा घर साथ में है। हम आसानी से एक-दूसरे की छत पर आ-जा सकते हैं।
मैंने पूरी तैयारी कर ली थी, मैंने जानबूझ कर नाईट-ड्रेस पहना था ताकि अगर कोई परेशानी हुई तो जल्दी से पहन कर निकल सकूँ।
मैं छत पर गई, तो वो लोग पहले से वहीं थे और मेरा इंतजार कर रहे थे।
मेरे आते ही उन लोगों ने कहा- यहीं छत पर सब कुछ होगा।
पर मुझे अपने इज्जत आबरू का ख्याल था, मैंने साफ कह दिया- नहीं !
तब विजय ने कहा- खुले में सेक्स का मजा अलग होता है।
पर मैंने साफ मना कर दिया।
तब मेरी सहेली ने मुझसे कहा- तब सामने वाले गोदाम में चलो, वहाँ कोई परेशानी नहीं है।
वो जगह मुझे ठीक लगी, इसलिए हम वहाँ चले गए। अन्दर हल्का उजाला था, पर सब कुछ साफ दिख रहा था।
हम कुछ देर बातें करने लगे।
करीब 10.30 बज गए थे, तो मेरी सहेली ने कहा- तुम दोनों अब मजे करो, मैं सोने जाती हूँ।
और वो चली गई।
जाते-जाते उसने ऐसा कहा कि मेरे होश उड़ गए।
उसने कहा- सारिका अच्छे से चुदवाना, विजय मास्टर है चोदने में !
मैंने शर्म के मारे सर झुका लिया।
उसके जाते ही विजय ने दरवाजा बंद कर दिया और मेरे पास आ गया।
उसने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए कहा- दिन भर तुम्हारी याद में बैचैन रहा हूँ !
और उसने मुझे पकड़ लिया और अपनी बांहों में भर कर मुझे चूम लिया।
मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गई, पर मैंने कोई विरोध नहीं किया।
अब उसने मुझसे कहा- तुम फ्रेंच किस जानती हो?
मैंने कहा- हाँ !
तो उसने कहा- कभी किया है?
मैं अनजान बनती हुई बोली- नहीं.. कभी नहीं किया.. बस फिल्मों में देखा है।
उसने कहा- फिर आज करो मेरे साथ।
उसने मुझे बताया- हम दोनों पहले एक-दूसरे के होंठों को चूसते हुए चुम्बन करेंगे फिर जुबान को !
अब उसने मेरी कमर को पकड़ा और मैंने उसके गले में हाथ डाल दिया और पकड़ लिया।
फिर उसने अपना मुँह मेरे मुँह से लगा दिया और मेरे होंठों को चूसने लगा, कुछ देर बाद मैंने भी चूसना शुरू कर दिया।
मैंने महसूस किया कि विजय अपनी कमर को मेरी कमर से दबा रहा है और अपने लिंग को मेरी योनि से रगड़ रहा है।
उसका कठोर लिंग मुझे कपड़ों के ऊपर से ही महसूस हो रहा था।
हम दोनों अब गर्म होते जा रहे थे, अब हमने एक-दूसरे की जुबान को चूसना शुरू कर दिया था, साथ ही वो अपना लिंग मेरी योनि में रगड़ रहा था।
अब मेरे अन्दर की चिंगारी और तेज़ होने लगी थी, मैं भी अपनी कमर को हरकत में लाकर उसकी मदद करने लगी।
उसकी लम्बाई काफी थी इसलिए उसे झुकना पड़ रहा था।
अब उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया और मेरी जाँघों को फ़ैलाने की कोशिश करने लगा। मैंने भी उसकी मदद करते हुए अपनी टाँगें फैला दीं, इससे वो आसानी से अपना लिंग मेरी योनि में रगड़ने लगा।
काफी देर के ‘फ्रेंच-किस’ के बाद वो अब मेरे गालों, गले, सीने को चूमते और चूसते हुए नीचे मेरी योनि के पास आ गया। उसने मेरी नाईट-ड्रेस को ऊपर किया और मेरी पैन्टी को नीचे सरका दिया। फिर एक प्यारा सा चुम्बन धर दिया।
मैं सर से लेकर पांव तक सिहर गई।
वो नीचे बैठ गया और मुझे खड़े रहने को कहा और मेरी टाँगों को फैला दिया। अब उसने मेरी योनि को प्यार करना शुरू कर दिया। पहले तो उसने बड़े प्यार से उसे चूमा फिर एक उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा, मुझे बहुत मजा आने लगा।
अब उसने अपना मुँह लगा कर चाटना शुरू कर दिया।
यह मेरे लिए एक अलग सा अनुभव था क्योंकि उसकी जुबान कुछ अलग तरह से ही खिलवाड़ कर रही थी।
मेरे पाँव काँपने लगे, मुझसे अब खड़े रहा नहीं जा रहा था, मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपनी योनि में दबाना शुरू कर दिया।
मेरी योनि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और उसके थूक और मेरी योनि का रस मिल कर मेरी जाँघों से बहने लगा था।
उसने मुझे बुरी तरह से गर्म कर दिया था। मेरे दिल में अब बस यही था कि कब वो मुझे, मेरे बदन को अपने लिंग से भरेगा।
मेरी मादक सिसकारियाँ और हरकतों को देख उसने मुझे एक चावल की बोरी के ऊपर बिठा दिया। मेरी पैंटी निकाल दी और अपना शर्ट और पजामा निकाल खुद चड्डी में आ गया। फिर उसने मेरी नाईट ड्रेस निकल दी। अब मैं सिर्फ ब्रा में थी।
उसने मेरे वक्ष को देख कर पूछा- सारिका, तुम्हारे स्तनों का साइज़ क्या है?
मैंने उत्तर दिया- 36D !
यह सुन उसने ख़ुशी से कहा- क्या खूबसूरत दूद्दू हैं.. मुझे दिखाओ, मैं इन्हें चखना चाहता हूँ !
और उसने मेरी ब्रा निकाल दी। अब मैं पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी। उसने मेरे दोनों स्तनों को दोनों हाथों से पकड़ा फिर उन्हें गौर से देखते बोला- कितने गोल, मुलायम और बड़े है तुम्हारे दूद्दू !
फिर उन्हें सहलाते हुए खेलते हुए मेरी चूचुकों को मसलने लगा। उसका इस तरह से शब्दों का प्रयोग मुझे अजीब लग रहा था। फिर वह अपना मुँह लगा उन्हें बारी-बारी से चूसने लगा।
मुझे भी पूरी मस्ती चढ़ गई थी। मैं भी पूरा मजा लेने लगी। एकाएक मेरा हाथ नीचे चला गया और उसके लिंग को चड्डी के ऊपर से टटोलने लगी।
यह देख उसने अपनी चड्डी निकाल दी और मुझे अपना लिंग थमा दिया। उसका लिंग इतना मोटा था कि मेरी मुठ्ठी में नहीं समा रहा था। मैं जोश में आकर उसका लिंग पूरे जोर से दबा कर मसलने लगी।
कुछ देर यूँ ही मेरे स्तनों के साथ खेलने, चूसने और मुझे चूमने-चाटने के बाद वो खड़ा हो गया। उसने अपना लिंग मेरे मुँह के सामने रख दिया।
मैं इशारा समझ गई, पर मुझे थोड़ा संकोच हो रहा था।
इस पर उसने मुझसे कहा- प्लीज, मेरा लंड चूसो इसमें संकोच कैसा ! चुदाई में कुछ गन्दा या बुरा नहीं होता !
पर मेरा दिल नहीं मान रहा था। तब उसने मुझे समझाना शुरू किया कि सम्भोग में स्त्री और पुरुष का जिस्म भोगने के लिए होता है, इसमें यह नहीं सोचना चाहिए कि कुछ गन्दा या गलत है, हर चीज़ का मजा लेना चाहिए।
बहुत मनाने पर मैंने उसके लिंग को चूमा, फिर उसे चूसने लगी।
उसके लिंग से एक अलग सी गंध आ रही थी। मुझे अब थोड़ा सहज लगने लगा तो मैं चूसती चली गई।
काफी देर बाद उसने मुझसे कहा- तुम जल्द ठंडा होना चाहती हो या ज्यादा देर तक मजा लेना चाहती हो?
मैंने उत्तर दिया- तुम्हें जैसी मर्ज़ी करो, पर सुबह होने से पहले सब खत्म करके मुझे अपने कमरे में जाना होगा !
उसने कहा- चिंता मत करो.. सब हो जाएगा और आज तुम्हें जितना मजा आने वाला है, उतना कभी नहीं आया होगा !
उसने कहा- तुम सिर्फ चुदाई चाहती हो या पूरा मजा?
उसके बार-बार इस तरह के शब्द मुझे अजीब लग रहे थे, पर मैंने कहा- मुझे पूरा मजा चाहिए !
उसने कहा- कोशिश पूरी रहेगी !
मैंने कहा- मैं 5 रात तुम्हारे साथ हूँ और अगर दिन में कभी मौका मिला तो भी हम करेंगे !
उसने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ कहा और इधर-उधर देखने लगा। गोदाम में लेटने की कोई व्यवस्था नहीं थी, इसलिए या तो हम खड़े या बैठ कर कर ही चुदाई सकते थे।
तब उसने मुझसे कहा- तुम्हें कौन सी पोजीशन पसंद है !
मैंने कहा- कोई भी.. बस थोड़ा आरामदायक हो, पर लेट कर ज्यादा अच्छा होगा !
अब उसने मेरी बात का ख्याल रखते हुए लेटने की व्यवस्था करने लगा। उसने 3 चावल की बोरियों को साथ में रख कर बिस्तर बना दिया।
मुझे उस पर लिटा दिया। फिर मेरे ऊपर आ गया। उसने मेरी दोनों टाँगों को फैला कर बीच में आ गया। मैंने उसे पकड़ लिया और उसने मुझे।
हम दोनों एक-दूसरे के जिस्मों से खेलने लगे। कभी वो मुझे चूमता, कभी मैं उसे, हम दोनों का जिस्म पूरी तरह से गर्म हो चुका था। तभी मुझे मेरी योनि पर कुछ गर्म सा लगा, मैं समझ गई के उसका लिंग मेरी योनि से रगड़ खा रहा है।
उसने अपना लिंग मेरी योनि में जोर-जोर से रगड़ना शुरू कर दिया और साथ ही मुझे प्यार करने लगा। कभी मेरे स्तनों को दबाता, कभी चूसता, कभी मेरे चूतड़ों को दबाता और सहलाता।
मुझे अब सहन नहीं हो रहा था, मैं अब जल्द से जल्द योनि में उसका लिंग चाहती थी पर वो बस मुझे तड़पाए जा रहा था।
मेरी योनि के पंखुड़ियों के बीच अपने लिंग को रगड़ने में व्यस्त था।
मुझे बहुत मजा आ रहा था, पर मैं अब उसे अपने योनि में चाहती थी, मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और अपनी जाँघों से उसे जकड़ लिया।
तब उसने मुझसे कहा- अभी नहीं सारिका.. थोड़ा और खेलने दो !
मैंने कहा- प्लीज.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता, जल्दी से अपना लिंग अन्दर करो.. मुझे और मत तड़पाओ !
तब उसने कहा- ऐसे नहीं.. कुछ और कहो.. ये लिंग और योनि की भाषा मुझे पसंद नहीं !
तब मैंने थोड़ा संकोच किया, इस पर उसने कहा- बोलो !
तब मैंने उससे कहा- प्लीज अपना लंड मेरी बुर में डालो !
तब उसने कहा- बुर शब्द कितना अच्छा लगता है, पर क्या सिर्फ लंड बुर में डालूँ और कुछ न करूँ?
तब मैंने कहा- प्लीज.. कितना तड़पा रहे हो चोदो न मुझे !ि
उसने कहा- ठीक है.. चलो पहले तुम पेशाब कर लो !
मैंने कहा- मुझे पेशाब नहीं आई है !
उसने कहा- पेशाब कर लो, वरना जल्दी झड़ जाओगी और मैं नहीं चाहता कि तुम मेरा साथ जल्दी छोड़ दो !
तब उसने मुझे छोड़ दिया, मैंने वहीं गोदाम के किनारे बैठ कर पेशाब करने की कोशिश करने लगी, पर उत्तेजना में माँसपेशियाँ इतनी अकड़ हो गई थीं कि पेशाब करना मुश्किल हो रहा था।
तभी विजय मेरे पास आ कर मेरे सामने बैठ गया और कहा- क्या हुआ.. जल्दी करो !
मैंने जवाब दिया- नहीं निकल रहा.. क्या पेशाब करना जरूरी है?
उसने कहा- अगर पेशाब कर लोगी तो तुम काफी देर में झड़ोगी।
मैंने थोड़ा जोर लगाया तो पेशाब निकलने लगा। तभी उसने मेरी योनि पर हाथ लगा कर मेरे पेशाब को योनि पर फैला दिया, फिर अपना हाथ सूंघते हुए कहा- तुम्हारी पेशाब से कितनी अच्छी गंध आ रही है !
मैंने उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और फिर मैं उठ कर चली गई। मैं वापस जा कर लेट गई।
अब वो मेरे पास आकर मुझे चूमने लगा फिर मेरी टांग फैला कर मेरी बुर को चूमा और कहा- आज इस बुर का स्वाद लेकर चोदूँगा तुम्हें !
फिर मेरे ऊपर चढ़ गया। अपने हाथ में थोड़ा थूक लगा कर अपने लंड के सुपाड़े में लगाया और मेरी योनि पर रख थोड़ा रगड़ा। मैं सिसकार गई। अपने लिंग को योनि के छेद पर टिका कर उसने मेरी टांग को अपने चूतड़ पर रख कहा- तुम तैयार हो?
मैं तो पहले से ही तड़प रही थी, सो सर हिला कर ‘हाँ’ में जवाब दिया। अब उसने मुझे कन्धों से पकड़ा और मैंने भी उसे पकड़ लिया। फिर उसने दबाव देना शुरू किया तो उसका सुपाड़ा अन्दर घुस गया, मैं कराह उठी।
मुझे अब हल्का दर्द होने लगा पर मैं बर्दाश्त करती रही।
थोड़ा और जोर लगाने पर उसका लिंग और अन्दर घुस गया।
मेरी सिसकारी और तेज़ हो गई, पर उस पर कोई असर नहीं हुआ और उसने और जोर लगाया।
अब उसने मुझसे कहा- तुम थोड़ा नीचे से जोर लगाओ !
मैंने दर्द को सहते हुए जोर लगाया और उसने भी तो पूरा लिंग मेरी योनि में समा गया। मैं उसके सुपाड़े को अपनी बच्चेदानी में महसूस करने लगी।
उसने मुझे चूमा और कहा- तुम्हारी चूत कितनी कसी हुई है.. कितने दिनों के बाद चुदवा रही हो?
मैंने कहा- तीन महीने के बाद… अब देर मत करो.. चोदो !
उसने कहा- ठीक है, पर कोई परेशानी हो तो कह देना !
मैंने दर्द को सहते हुए जोर लगाया और उसने भी तो पूरा लिंग मेरी योनि में समा गया। मैं उसके सुपाड़े को अपनी बच्चेदानी में महसूस करने लगी।
उसने मुझे चूमा और कहा- तुम्हारी बुर कितनी कसी हुई है.. कितने दिनों के बाद चुदवा रही हो..?
मैंने कहा- तीन महीने के बाद… अब देर मत करो.. चोदो !
उसने कहा- ठीक है, पर कोई परेशानी हो तो कह देना !
मैंने कहा- ठीक है, पर आराम से धीरे-धीरे और सीधे-सीधे घुसाना !
उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा फिर मेरे होंठों से होंठ सटाकर चूमते हुए अपना काम शुरू कर दिया, उसने मुझे धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया।
मुझे भी कुछ समय के बाद सहज लगने लगा तो मैंने भी अपनी कमर उछालाना शुरू कर दिया।
अब मुझे मजा आने लगा, उसने अब अपनी गति तेज़ कर दी, मैं सिसकारियाँ लेने लगी।
मेरी योनि से पानी रिसने लगा, जो उसके लिए काम और आसन करता जा रहा था। उसके धक्कों से मेरी योनि में उसका लिंग इतनी आसानी से जा रहा था कि क्या कहूँ ! मैं तो मस्ती में उसके बाल तो कभी उसके पीठ नोचने लगी।
वो भी कभी मेरे गाल काटता तो कभी चूचुकों को और जोर से दबाता।
हम दोनों कभी एक-दूसरे को देखते, कभी चूमते, चूसते या काटते और वो तेज़ी से मेरी योनि को चोदे जा रहा था।
वो लगातार 15-20 धक्के मारता तेज़ी में फिर 2-4 धक्के के बाद जोर से फिर पूरा लिंग मेरी योनि में घुसा कर जोर से मेरी बच्चेदानी में सुपाड़े को रगड़ने लगता। इस तरह मुझे बहुत मजा आ रहा था।
हम दोनों की साँसें तेज़ हो रही थीं और पसीने से तर होने लगे थे। पर उसका पसीना भी मुझे किसी खुशबूदार फूल की तरह लग रहा था। उसे भी शायद मेरे पसीने की गंध अच्छी लग रही थी।
उसने मुझसे पूछा- कैसा लग रहा है?
मैंने जवाब दिया- बहुत मजा आ रहा है, तुम्हें कैसा लग रहा है?
उसने कहा- मुझे तो बहुत मजा आ रहा है, तुम्हारी बुर इतनी कसी हुई है कि लंड का चमड़ा खिंचा जा रहा है और फूली हुई है तो गद्देदार लग रही है !
उसकी तारीफ़ सुन कर मैं खुश हुई और मुस्कुराते हुए उसका साथ देने लगी।
उसने कहा- कुछ बात करते हुए चुदवाओ तो मजा और भी आएगा !
मैंने कहा- ठीक है !
फिर हम बातें करने लगे और साथ ही वो मुझे चोद रहा था।
उसने कहा- क्या तुम ऐसे ही चुदवाओगी या किसी दूसरे तरीके से भी?
मैंने कहा- तुम्हें जैसा अच्छा लगे चोदो !
तब उसने कहा- मैं धक्के लगाते हुए थक गया हूँ.. क्या तुम ऊपर आना चाहोगी?
तब मैंने कहा- ठीक है !
फिर उसने मुझे पकड़ कर उठाया और अपनी गोद में बिठा लिया। हम दोनों बैठ गए और मैंने उसके गले में हाथ डाल कर उसे पकड़ लिया।
उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ा और कहा- अब तुम चुदवाओ !
अब मैंने भी धक्के लगाने शुरू कर दिए। कुछ देर के बाद मैंने वो किया जिसका उसने कभी सोचा नहीं था। मैंने अमर के साथ जो किया वही किया।
मैं 8 लिखने के अंदाज में अपनी कमर को घुमाना शुरू किया।
उसने तब कहा- तुम तो सच में खिलाड़ी हो कितना मजा आ रहा है करते रहो !
करीब 10 मिनट तक करने के बात मैं भी थक चुकी थी, उसको कहा- अब मैं थक गई हूँ।
तब उसने मुझे नीचे उतार दिया और कहा- चलो अब घोड़ी बन जाओ !
और मैं झुक कर दोनों घुटनों को मोड़ कर अपनी हाथों के बल कुतिया सी बन गई।
उसने पहले तो पीछे से मेरी योनि को चाटा फिर लिंग को योनि पर टिका कर धक्का दिया। लिंग पूरा घुस गया। इस तरह लिंग सीधा मेरी योनि की आगे की दीवार से रगड़ खाने लगी।
मुझे बहुत मजा आने लगा और मैं मस्ती में सिसकारी लेते हुए कहने लगी- हाँ.. ऐसे ही ऐसे चोदो मुझे.. ह्म्म्मम्म आ..हह..स्सस्सस्स !
करीब 10 मिनट तक ऐसे चोदने के बाद मैं अब झड़ने वाली थी। मेरे शरीर की अकड़न देख कर वो समझ गया कि मैं अब झड़ने जा रही हूँ, उसने तुरंत मुझे सीधा लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया, मेरी टाँगों को फैला कर उसने अपने कन्धों पर रख दिया और कहा- तुम्हें अब और ज्यादा मजा आएगा !
उसने लिंग मेरी योनि में घुसा दिया और चोदने लगा, मैं उसके चूतड़ों को कस के पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी। उसकी साँसें मेरी साँसों से तेज़ हो रही थी।
उसने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ !
मैं भी अब और खुद को रोक नहीं सकती थी। बस एक-दो धक्कों में ही मेरा स्खलन हो गया। मैंने उसे अपनी पूरी ताकत से पकड़ लिया।
अब उसकी बारी थी, उसके धक्कों में तेज़ी दुगुनी हो गई और फिर 5-8 जोरदार धक्कों के साथ वो भी झड़ गया।
मैंने महसूस किया कि कुछ गर्म चीज़ मेरे अन्दर पिचकारी की तरह गई और मेरी योनि उसके वीर्य से भर गई।
वो हाँफते हुए मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे ऊपर निढाल हो गया। करीब 5 मिनट हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे।
फिर वो मुझसे अलग हुआ, उसका लिंग सिकुड़ कर आधा हो गया था और मेरी योनि से उसका वीर्य बहने लगा था।
उसके पूरे बदन से पसीना बह रहा था और मेरे सीने और जाँघों के पास योनि के किनारों से भी पसीना बह रहा था। मैंने अपनी पैन्टी से योनि पर वीर्य साफ़ किया।
रात के 12 बज चुके थे। हम दोनों वहीं लेट गए और बातें करने लगे।
उसने मुझसे कहा- मैंने बहुतों के साथ सेक्स किया है और हर औरत में एक अलग ही मजा होता है, पर असली मजा तब आता है जब कोई पूरा साथ दे तुम्हारी तरह!
मैंने भी तब कहा- मुझे सेक्स बहुत पसंद है और मैं उसे पूरा मजा लेना चाहती हूँ, तुम्हारे साथ बहुत मजा आया !
फिर उसने कहा- कहीं तुम्हें कुछ तकलीफ तो नहीं हुई इस दौरान?
मैंने उत्तर दिया- शुरू में लंड अन्दर जाते हुए थोड़ा दर्द हो रहा था, पर इतना तो चलता है !
फिर उसने मुझे मुस्कुराते हुए देखा और मेरे होंठ चूम लिए और कहा- तुम इतने दिनों के बाद चुदवा रही थी और ऊपर से तुम्हारी बुर औरों के मुकाबले थोड़ी छोटी है, इसलिए मुझे कसी हुई लगी। मुझे भी ऐसा लग रहा था कि मेरे लंड का चमड़ा खिंच कर पूरा ऊपर आ जाएगा !
हम काफी देर यूँ ही बातें करते रहे। वो मेरी और मेरे जिस्म की तारीफ़ करता रहा। अब उसने बातें करते हुए फिर से मेरी योनि को सहलाना शुरू कर दिया।
मैंने उससे कहा- अभी मन नहीं भरा क्या !
उसने जवाब दिया- अगर पास में तुम्हारी तरह कोई जवान औरत हो तो भला किसी मर्द का मन भरेगा !
और उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।
मैंने भी अपनी प्रतिक्रिया दिखाई और उसका लिंग पकड़ कर हिलाने लगी साथ ही उसे चूमने और चूसने लगी।
उसने मुझसे कहा- सारिका, हम इन 5 दिनों में हर तरह से सेक्स करेंगे और किसी रोज तुम्हारी सहेली को साथ रख कर तीनों मिल कर करेंगे !
मुझे उसकी बातें रोचक लग रही थीं और मैं फिर से गर्म होने लगी थी। उसका लिंग भी अब कड़ा हो गया था।
पर उसने मुझसे कहा चूसने को, मैंने चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर के बाद उसने मुझे अपने ऊपर बुलाया और मेरी कमर उसकी तरफ करके मुझे चूसने को कहा।
तभी मैंने देखा कि मैं इधर उसका लिंग चूस रही थी, उधर वो मेरी योनि में उंगली डाल रहा है और फिर चूस रहा है।
काफी देर के बाद उसने मुझसे कहा- अब तुम खड़ी हो जाओ और दीवार के पास रखी बोरियों के ऊपर एक टांग रख कर खड़ी हो जाओ !
मैंने कहा- क्या करने वाले हो?
उसने कहा- बस तुम खड़ी हो जाओ, तुम्हें और भी मजा आने वाला है !
मैं वहाँ गई, एक टांग उठा कर बोरियों के ऊपर रख दिया, तो मेरी योनि खुल कर सामने आ गई। अब वो मेरे पास अपने लिंग को हाथ से हिलाते हुए आया और लिंग पर थूक लगाया फिर कुछ मेरी योनि पर भी कुछ थूक मला।
अब उसने खड़े होकर लिंग मेरी योनि में घुसाने लगा और मुझसे कहा कि मैं उसे पकड़ लूँ !
मैंने वैसा ही किया।
उसने मेरे दोनों चूतड़ों को पकड़ा और धक्के लगा कर चोदना शुरू कर दिया। इस बार धक्के पहले जैसे ही थे, पर वो मुझे काफी दम लगा कर चोद रहा था।
कुछ ही देर में मेरी सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गईं।
अब उसने मुझसे कहा- अपना पैर नीचे कर लो, पर दोनों टाँगों को फैलाये रखना !
मैंने वैसा ही किया, उसका लिंग अभी भी मेरी योनि के अन्दर ही था।
फिर उसने कहा- अब तुम भी मेरे साथ धक्के मारो !
मैंने भी अब धक्के लगाने शुरू कर दिए, कसम से कितना मजा आ रहा था। वो मुझे चोदने के साथ मेरी स्तनों को दबाता कभी चूसता तो कभी काट लेता।
हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था। वो मुझे उकसा रहा था, बार-बार कह रहा था ‘हाँ.. और जोर से.. और जोर से !’
कुछ देर में तो मेरा पानी ही निकल गया और मेरा जिस्म ढीला पड़ गया, पर वो मुझे अपनी पूरी ताकत से चोद रहा था।
उसने अब मेरी दोनों टाँगों को उठाया और मुझे अपनी गोद में ले उठा लिया।
मैं हैरान हुई कि मेरा इतना वजन होते हुए भी उसने मुझे उठा लिया और मुझे चोदने लगा।
उसने मुझसे कहा- तुमने तो मेरा साथ जल्दी छोड़ दिया !
मैंने कहा- मैं अब भी तुम्हारे साथ हूँ.. तुम जितना देर चाहो चोद सकते हो !
उसने मेरे भारी और मोटे शरीर को काफी देर अपनी गोद में उठा कर मुझे चोदा।
फिर वो मुझे इसी तरह लाकर धीरे से बोरियों के ऊपर लेट गया। मैं उसके ऊपर हो गई और अब मेरा फर्ज बनता था कि उसके लिए कुछ करूँ, तो मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए।
मैं अब दुबारा गर्म होने लगी। उसके सुपारे से अपनी बच्चेदानी को रगड़ने लगी। जब मैं ऐसा करती, तो वो मेरी कमर को पकड़ कर अपनी और खींचता और अपनी कमर उठा देता।
कभी तो जोर का झटका देता, जिससे मेरी चीख निकल जाती और ये शायद उसे और भी उत्तेजित कर रहा था।
तभी उसने मुझसे पूछा- तुम्हें अपनी बच्च्दानी में लंड रगड़ना अच्छा लगता है?
मैंने कहा- हाँ.. बहुत मजा आता है!
उसने कहा- क्या तुम्हें दर्द नहीं होता?
मैंने कहा- होता है, पर मजा इतना आता है कि मैं उस दर्द को भूल जाती हूँ और वैसे भी दर्द में ही असली मजा है !
यह बात सुन कर वो पागल सा हो गया, उसने करवट ली और मेरे ऊपर आ गया।
अब उसने अपना खूंखार रूप ले लिया, उसने मुझे पूरा दम लगा कर चोदना शुरू कर दिया।
मैं अब ‘हाय…हाय’ करने लगी.. और वो मुझे बेरहमी से चोदने लगा और कहने लगा- लो मेरी जान… और लो… मजा आ रहा है ना?
काफी देर मेरे जिस्म को बेरहमी से चूसने, चाटने, काटने, मसलने और चोदने के बाद मैं अब दुबारा झड़ने के लिए तैयार थी।
उधर विजय भी अपना लावा उगलने को बेताब था।
मैंने अपनी कमर उछालना शुरू कर दिया और वो भी जोर के धक्कों से मुझे चोद रहा था। उसका लिंग मेरी योनि में ‘फच..फच’ की आवाज करता तेज़ी से घुस और निकल रहा था।
तभी मेरे बदन में अकड़न सी हुई और मेरा बदन सख्त हो गया। मैंने उसको अपनी पूरी ताकत से अपनी और खींचा और अपनी कमर उठा दी, जैसे मैं उसका लिंग अपनी योनि की गहराई में उतार लेना चाहती हूँ और फिर मैं झड़ गई।
मेरा बदन अब ढीला हो रहा था, पर मैं अब भी उसे अपनी ताकत से पकड़ी हुई थी। वो अभी भी मुझे पूरी ताकत से चोद रहा था, उसका लिंग मुझे और ज्यादा गर्म लग रहा था।
तभी उसकी साँसें तेज़ हो गईं। उसने मेरे होंठों पर अपना होंठ रख चूसने लगा फिर मेरी जुबान को चूसने लगा और 7-8 धक्कों के साथ वो भी झड़ गया और हाँफता हुआ मेरे ऊपर लेट गया।
इस बार मुझे पहले से कही ज्यादा मजा आया और इस बार उसने एक बार भी अपना लिंग मेरी योनि से बाहर नहीं निकाला जब तक कि वो झड़ न गया।
मैं बहुत थक चुकी थी और मैं अब सोना चाहती थी, पर उसने मुझे रोक लिया।
रात के 2 बज गए थे और मुझमें अब हिम्मत नहीं थी कि और खुद को रोक सकूँ। पर उसने मेरी एक न सुनी और मुझे फिर से दो बार चोदा।
उस रात हमने 4 बार चुदाई की, चौथी बार तो करीब 4 बज गए थे। वो मुझे काफी देर से चोद रहा था, पर वो झड़ नहीं रहा था।
तभी मेरी सहेली ने फोन किया- सुबह हो चुकी है, मैं आ रही हूँ, तुम्हें अपने कमरे में छोड़ देती हूँ।
पर विजय मुझे छोड़ने को तैयार नहीं था, बस ‘कुछ देर और.. कुछ देर और..’ कह कर चोदता रहा।
तभी मेरी सहेली मुझे लेने आ गई और हम दोनों उस वक्त भी चुदाई कर रहे थे।
वो हमे देख कर हँसने लगी और कहा- अभी तक तुम दोनों का मन नहीं भरा ! ठीक है कर लो, मैं यही इन्तजार करती हूँ !
मुझे उसके सामने शर्म आ रही थी, पर मैं खुद को आज़ाद भी नहीं कर पा रही थी।
कुछ देर बाद हम दोनों फिर से झड़ गए। मैंने जल्दी से अपनी योनि को साफ़ किया कपड़े पहने और चली गई।
सुधा हँसते हुए बोली- काफी प्यासी लग रही हो, सुबह पता चलेगा रात की मस्ती का !
मैं शर्माते हुए जाने लगी।
अपने कमरे में जाते ही मैं कब सो गई पता ही नहीं चला और सुबह देर तक सोती रही।