दोस्तो जैसा कि मैं पहले ही कह चुका हूँ मुझे कहानी लिखने का एबीसी भी नही पता हाँ पर नेट से आपके लिए कई अच्छी कहानियाँ ज़रूर पोस्ट कर दूँगा जिन्हें पढ़ कर आपको आनंद आएगा . दोस्तो इसी शृंखला में ये तीसरी कहानी स्टार्ट कर रहा हूँ
आशा है आप अपना साथ बनाए रखेंगे .
हमेशा की तरहा आज भी कुणाल अपने दोस्त जय के साथ दिल्ली के एक पब में बैठा बियर पी रहा था की अचानक उसे एक आवाज़ सुनाई दी..
“कामिनी…..ओ कामिनी……कम ओंन…..लेट्स प्ले वन मोर गेम ….”
ये एक ऐसा नाम था, जिसके साथ कुणाल का बचपन से ही एक अलग ही तरह का लगाव था…
इसलिए खुद ब खुद उसकी नज़रें उसी तरफ घूम गयी जहाँ से उस ‘कामिनी’ को बुलाया जा रहा था…
वो क्लब के डांस फ्लोर पर अपनी एक और फ्रेंड के साथ नाच रही थी.
एक पिंक कलर की सिंगल ड्रेस कयामत लग रही थी…
एकदम दूध से नहाई हुई…
मांसल जांघे…
भरी हुई छातियाँ…
और सबसे ख़ास बात, उसका आलिआ भट्ट जैसा छोटा सा क्यूट सा फेस.
जिसे देखकर वो एक बार फिर से ‘अपनी’ कामिनी के ख़यालो में डूब गया..
वो भी ऐसी ही लगती थी.
कामिनी उसके बचपन की साथी…
उसके हर दुख दर्द का इलाज…
उसकी जिंदगी का पहला प्यार
वो उसकी सब कुछ थी…
आज भी उसके साथ बिताए हर पल याद थे कुणाल को…
हालाँकि वो दोनो ही उस वक़्त 14 साल के थे , यानी 10 साल पुरानी बात थी ये…
उन दिनों उन दोनो की नादान मोहब्बत को परवान चढ़ना शुरू ही हुआ था की उसके पिता का ट्रान्स्फर कलकत्ता हो गया…
उसके बाद उसकी कोई खबर नही आई..
कुणाल भी ग्रॅजुयेशन के बाद दिल्ली शिफ्ट हो गया, जहाँ से उसने कंप्यूटर इंजिनियरिंग की, और आज वो नेहरू प्लेस की मल्टिनॅशनल कंपनी में आई टी मैनेजर था.
और हर वीकेंड की तरह आज भी वो अपने दोस्त के साथ बियर पीने पब में आया था, जहां उसे ये कामिनी दिखाई दी.
उसे देखकर वो ये तो समझ ही गया की ये उसकी वाली कामिनी नही है, वो इतनी गोरी नही थी…
और ना ही उसका चेहरा उससे मिलता जुलता था.
पर एक बार उसे देखकर वो अपनी वाली कामिनी को भूल जरूर गया था.
इतनी खूबसूरत लड़की शायद ही उसने देखी थी दिल्ली आने के बाद..
वो तितली की तरह उड़ती हुई उसके करीब से निकल गयी और सीधा जाकर अपने सहेलियो के बीच बैठ गयी..
वो शायद कॉलेज के लड़के-लड़कियो का कोई ग्रूप था…
बीच में एक बड़ा सा केक भी रखा था, यानी वो किसी का बर्थडे सेलेब्रेट करने आए थे वहां ..
करीब 10 लोगो का ग्रूप था..
लड़के लड़किया सब बियर और दारू पी रहे थे.
कुणाल को उस लड़की की तरफ घूर कर देखते हुए उसका दोस्त जय बोला : “भाई…आज सूरज कौनसी दिशा से निकला था जो तू ऐसे काम कर रहा है…आज से पहले तो मैने तुझे कभी भी किसी लड़की की तरफ देखते हुए नही देखा…फिर आज क्या हुआ..तू जानता है क्या उस लड़की को…”
निखल ने सिर हिला कर मना कर दिया..
और बोला : “नही यार…पर उसे देखकर किसी की याद आ गयी…”
जय :”अब ये मत बोलियो की तेरी वो गाँव वाली गर्लफ्रेंड की याद आ गयी…यार, तेरी वो स्टोरी सुन सुनकर तो मैं पक चुका हूँ.”
कुणाल ने हंसते हुए अपना ग्लास खाली किया और बोला : “हाँ, याद तो उसी की आई है पर इसे देखकर पता नही क्यों कुछ-2 हो रहा है दिल में …”
जय : “अबे साले …ये लड़की तो मेनका निकली, इसने तो हमारे विश्वामित्र की तपस्या भी भंग कर दी है…अब तो पता लगाना ही पड़ेगा की ये कौन है…”
इतना कहकर जय ने भी अपने ग्लास का बॉटम उप किया और उठकर उनकी तरफ चल दिया..
पर कुणाल की नज़रें तो कामिनी पर ही जमी हुई थी…
जो सबके बीच जाकर बैठ गयी अपनी ‘गेम’ खेलने.
गेम, यानी ताश के पत्तो का खेल चल रहा था वहां.
4 लड़कियो के बीच चल रहा था वो खेल.
और उनकी गेम भी बड़ी सिंपल सी थी…
चारो के सामने 1-1 पत्ता फेंक दिया गया और सभी ने अपनी पॉकेट से 500 का एक नोट निकाल कर बीच में रख दिया..
और जिसका पत्ता बड़ा हुआ, वो गेम जीत जाएगा…
कुणाल को ये सब देखने में भी बड़ा इंटेरेस्ट आ रहा था..
सभी ने एक-2 करके अपना पत्ता सीधा किया…
पहली लड़की के पास 2 नंबर था…
दूसरी के पास 5 और तीसरी के पास बादशाह…
सभी की नज़रें कामिनी की तरफ थी, जो अपने पत्ते को सीधा करते हुए ऐसे इतरा रही थी जैसे बहुत बड़ी खिलाड़ी हो..
या फिर उसे पता हो की उसके पास सबसे बड़ा पत्ता ही आया है…
और हुआ भी ऐसा ही..
उसके पास इक्का था…
वो देखते ही कामिनी के साथ-2 उसकी फ्रेंड्स भी चिल्ला पड़ी…
पूरे पब में सिर्फ़ उन्ही की आवाज़ें गूँज रही थी…
कामिनी ने ठहाका लगाते हुए 500 के चारो नोट उठा कर अपनी जेब में रख लिए..
सभी तालियां बजा रहे थे…
और उनके बीच कुणाल भी था, जो उसकी जीत पर किसी छोटे बच्चे की तरह दूर बैठा हुआ ताली बजा रहा था…
और उसे देखकर मुस्कुराए जा रहा था..
और ठीक उसी वक़्त कामिनी की नज़रें सीधा उसके उपर आई…
दोनो की नज़रें मिली और उस पल सब कुछ थम सा गया…
इतनी दूर बैठी होने के बावजूद एक नशा सा था उसकी आँखो में…
पर एक सवाल भी था उनमे की ‘जीती तो मैं हूँ , तुम क्यो ताली बजा रहे हो मिस्टर ?’
कुणाल ने अपनी नज़रें घुमा ली पर कुछ ही देर में फिर से वही देखने लगा..
कामिनी अपनी सहेली के कान में कुछ बोली और उसकी सहेली भी कुणाल की तरफ देखकर हँसने लगी…
फिर दूसरी लड़कियो के कहने पर फिर से गेम स्टार्ट हो गया..
वहां इस बार एक अलग ही लेवल का गेम स्टार्ट हो चुका था..
उनमे से एक लड़की ने कामिनी से कहा : “यार कामिनी, ये पैसे-वैसे का खेल बहुत हो गया…चल ना, वो डेयरिंग वाली गेम खेलते है…”
कामिनी : “ओहो….उस दिन जैसी, जो तेरे घर पर खेली थी…सोच ले, यहाँ वो काम करेगी तो तेरा एमएमएस बन कर पूरी दिल्ली में घूम जाएगा…हा हा..”
उसकी सहेली, जिसका नाम रजनी था, वो बोली : “ओहो…लगता है किसी को अपने उपर कुछ ज़्यादा ही ओवर कॉनफिडेंस है…लेट्स प्ले…मै भी देखती हूँ की तेरी किस्मत तेरा कब तक साथ देती है…”
इतना कहकर उसने फिर से चार पत्ते निकालकर सभी के सामने फेंक दिए..
कुणाल को समझ नही आ रहा था की ये कैसी गेम होगी अब..
क्योंकि इस बार किसी ने भी पैसे बीच में नही रखे थे…
और इस बार बाजी पलट ही गयी..
क्योंकि पहली ही लड़की रजनी ने जब अपना पत्ता उठाया तो वो खुशी से चिल्ला पड़ी…
उसके पास हुकुम का इक्का आया था…
जाहिर था, उससे बड़ा पत्ता तो किसी के पास हो ही नही सकता था..
फिर भी बाकी सबने अपने पत्ते देखे…
और बुरा सा मुँह बनाते हुए नीचे फेंक दिए..
कामिनी के पास 7 नंबर आया था.
उसका चेहरा देखने लायक था..
शायद उसे हार पसंद नही थी..
और फिर उसकी दोस्त रजनी ने मेरी तरफ इशारा करके पता नही उसके कान में क्या कहा की वो आँखे तरेर कर उसे घूरने लगी…
पर उसकी सहेली ने सिर्फ़ यही बात कही “रूल इस रूल….तूने भी मेरे साथ लास्ट टाइम ऐसा ही किया था”
कामिनी मुँह में कुछ बड़बड़ाती हुई सी उठ खड़ी हुई और सीधा कुणाल की तरफ आने लगी…
कुणाल के तो दिल की धड़कन ही बढ़ गयी जब वो एकदम उसके सामने आकर खड़ी हुई…
उसका भोला सा चेहरा देखकर …
काली और गहरी आँखे देखकर …
और सबसे ख़ास बात उसके होंठ देखकर …
जो इतने फूले हुए थे जैसे उनमे जेल्ली भरी हुई हो…
और अचानक वो हुआ, जिसकी कुणाल ने सपनो में भी कल्पना नही की थी..
कामिनी ने आगे बढ़कर कुणाल के चेहरे को पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठो पर टीका दिए और उन्हे चूम लिया…
कुणाल का तो पूरा शरीर सुन्न सा पड़ गया ….
उसे लगा था की शायद उसे कुछ बोलने का या कोई ऐसी हरकत करने की डेयरिंग दी गयी होगी जो दूसरो की नज़रो में अनुचित है…
पर ये…
एक किस्स….
और वो भी एक अंजान इंसान के साथ…
ऐसी डेयरिंग का तो शायद ही कोई मुकाबला हो…
देने वाले को भी मानना पड़ेगा और उस डेयरिंग को पूरा करने वाले को भी..
करीब 10 सेकेंड की उस स्मूच में कुणाल ने उसके बदन की सारी खुश्बू को अपने अंदर उतार लिया…
और शायद ऐसा ही कुछ कामिनी के साथ भी हुआ था…
कुणाल ने अपनी बॉडी अच्छे से बना रखी थी, और हायजेनिक होने की वजह से उसके बदन से हमेशा एक मेस्कुलर टाइप की खुश्बू आती रहती थी…
जिसकी वजह से उसके ऑफीस की भी कई लड़कियां उसके आगे पीछे घूमती रहती थी,
पर उसने आज तक किसी को भी भाव नही दिया था..
कामिनी का तो पता नही पर कुणाल की लाइफ का ये पहला किस्स था…
पहला , यानी जवान होने के बाद..
आज से पहले उसने सिर्फ़ कामिनी को ही चूमा था..
और वो भी सिर्फ़ एक ही बार.
और इत्तेफ़ाक़ तो देखो,
आज भी जब वो किस्स कर रहा है तो वो भी कामिनी ही है..
और इस कामिनी का तो बुरा हाल हो गया कुणाल को स्मूच करके..
उसके नर्म मुलायम होंठ, उपर से उसकी छाती और बदन से आ रही भीनी खुश्बू उसे पागल सा कर रही थी..
आज से पहले भी उसने कई लड़को को किस्स किया था पर ऐसा उसे आज तक फील नही हुआ था..
हालाँकि उसने उन किस्सस को आगे नही बढ़ने दिया था पर आज ना जाने क्यो इस इंसान को किस्स करके वो उसके साथ सब कुछ करने को तैयार थी..
वो तो किस्स करती ही रहती अगर पीछे से उसके दोस्तो और क्लब में मौजूद दूसरे लोगो ने हू-हू करके उनका ध्यान ना आकर्षित किया होता..
बेचारी ने नज़रे चुराते हुए वो किस्स तोड़ दी…
और फिर अपने होंठो पर स्माइल लाते हुए उसने अपना हाथ कुणाल की तरफ बड़ा दिया और बोली : “हाय माई नेम इस कामिनी…एन्ड आई एम् सॉरी अबाउट ऑल दिस … वैसे तो मुझे पता है की आपको इस बात का बुरा नही लगा होगा..पर ये मैंने मेरी एक सहेली के कहने पर किया था…यो नो वो हमारी गेम चल रही थी…थेटस वाई..”
कुणाल बेचारा क्या बोलता…
वो तो बेकार में माफी माँग रही थी…
उसे तो खुद ही कामिनी को थेंक्स बोलना चाहिए था..
पर उसने सिर्फ़ ‘इट्स ओके’ कहकर अपनी बात ख़त्म कर दी..
कामिनी की आँखो में एक अंनबूझी सी प्यास सॉफ देखी जा सकती थी..
पर कुणाल को इस वक़्त कुछ समझ में नही आ रहा था की वो क्या करे..
इसलिए उसने अपना चेहरा बार काउंटर की तरफ घुमा लिया और एक और बियर लेकर उसे पीने लगा..
इसी बीच उसका दोस्त जय भी वापिस आ गया..
और उसके कान में बोला : “अबे साले …तेरी तो किस्मत ही तुझपर मेहरबान है…बैठे-2 हीरो बन गया तू तो…”
और अपनी ही बात पर वो खुद ही हँसने लगा..
थोड़ी देर में कुणाल की नज़रें जब दूसरी टेबल पर गयी तो कामिनी को अपनी ही तरफ देखते पाया..
एक अजीब सी कशिश थी उसकी आँखो में…
जैसे कुछ कहना चाह रही हो वो..
और ये बात कुणाल को परेशान कर रही थी…
क्योंकि एक बार फिर से उसके जहन में अपनी वाली कामिनी के साथ बिताए पल उजागर होने लगे थे..
और वो एक बार फिर से 10 साल पीछे पहुँच गया..
वो एक बार फिर से 10 साल पीछे पहुँच गया..
जहां वो हर रोज स्कूल से आते हुए बाहर खड़ा होकर उसका इंतजार करता था..
उसे अपनी साइकल पर बिठाकर वो रोज उसके घर छोड़ता, जो उसके घर से करीब 10 किलोमीटर दूर था…
और फिर वापिस अपने घर आता..
और ऐसे ही एक दिन जब घनघोर बारिश की वजाह से वो रास्ते में एक पुराने बस स्टॅंड के नीचे खड़े थे तो उसने अपने दिल की बात उसे बोल ही दी..
कामिनी को भी शायद इसी बात का इंतजार था शायद पिछले 3 सालो से…
उसने भी उसे गले लगाकर अपने प्यार का इज़हार कर दिया था..
और उस दिन कुणाल ने कामिनी के नन्हे होंठो को जी भरकर चूमा था…
बाहर घनघोर बारिश हो रही थी और इन दोनो के बारिश से भीगे जिस्मो में एक तूफान उठ रहा था…
पर उम्र की नादानी ही ऐसी थी की उन्हे ये नही पता था की उस आग को कैसे बुझाना है..
इसलिए एक दूसरे के होंठो और अर्धविक्सित अंगो को मसलकर ही वो काम चलाते रहे..
हालाँकि उस दिन के बाद उन्हे वैसा कुछ करने का मौका नही मिला,
पर दोनो के बीच फुल टू प्यार की पींगे ज़रूर बढ़ती रही थी दोनो के बीच..
और फिर अगले ही महीने उसके पापा का ट्रान्स्फर कोलकत्ता हो गया…
जहां जाने के बाद उसकी कोई खबर नही आई…
और उसके बाद का हर दिन और रात कुणाल ने अपनी कामिनी के बारे में सोचकर ही निकाली थी.
अचानक उसके दोस्त जय ने उसे झंझोड़ा : “ओये हीरो….ओ हेलो…कहाँ खो गया भाई…घर नही चलना क्या…12 बज रहे है भाई…चल…सब जा चुके है..”
कुणाल ने झत्ट से गर्दन घुमा कर दूसरी टेबल पर देखा, वहां कोई नही था…
इन्फेक्ट पूरे पब में सिर्फ़ वही दोनो बैठे थे अब…
अपनी जिंदगी के बारे में सोचकर पता नही कितना टाइम वो सपने देखता रहा था फिर से…
अगले दिन ऑफीस जाना भी ज़रूरी था…
इसलिए जल्दी से पेमेंट करके दोनो बाहर आ गये…
जय ने अपनी बाइक निकाली और वहां से निकल गया…
कुणाल के पास कार थी, और जैसे ही वो कार के करीब पहुँचा उसे कुछ ही दूरी पर कामिनी खड़ी हुई दिखाई दी.
जिसे देखकर एक बार फिर से उसके दिल की धड़कन बढ़ सी गयी..
और वो सोचने लगा की इतनी रात को वो यहाँ अकेले में क्या कर रही है..
और वो भी उसकी कार के पास खड़ी होकर..
खैर, धड़कते दिल से वो अपनी कार की तरफ चल दिया..
और अंदर ही अंदर ना जाने क्यो उसे ये महसूस हो रहा था की आज कुछ होकर रहेगा उसके साथ.
कुणाल जब उसके करीब पहुँचा तो कामिनी ने मुस्कुराते हुए एक बार फिर से अपना हाथ आगे बढ़ाया और बड़ी ही सैक्सी आवाज़ में बोली : “हाय ….कामिनी अगेन….”
कुणाल ने भी बड़े प्यार से उसका हाथ अपने हाथो में ले लिया….
और अचानक कामिनी उसके करीब आई और उसके गले से लग गयी..
कुणाल के लिए ये एकदम अजीब सा था..
क्योंकि आज से पहले इतनी खूबसूरत लड़की ने उसके साथ ऐसी हरकत नही की थी.
पर जो भी उसके साथ हो रहा था, वो उसे अच्छा भी बहुत लग रहा था…
कामिनी के जिस्म से महंगे परफ्यूम की महक आ रही थी और साथ ही जो दारू उसने पी थी उसकी स्मेल भी आ रही थी…नशे में तो वो थी ही पर इतना भी नही की अपने बुरे भले का ख्याल ना रख सके.
कामिनी ने कुणाल के कान में फुसफुसा कर कहा : “मुझे जो चीज़ पसंद आती है उसके बारे में मैं खुल कर बोल देती हू…एंड आई लाइक द वे यू किस्ड मी टुडे…”
कुणाल के पूरे शरीर में झुरजुरी सी दौड़ गयी…
अंधेरी रात में इस तरह से खुल्ले में खड़ी होकर ये कितनी बेशर्मी से उसे ये बात कह रही थी…
और वो भी तब जब वो पहली बार ही उससे मिली थी..
और फिर वो हुआ जिसकी कुणाल को आशंका हो रही थी….
कामिनी ने एक बार फिर से उसके होंठो पर अपने नर्म होंठ रखे और उन्हे चूसना शुरू कर दिया..
और इस बार तो उन्हे देखने और रोकने वाला भी कोई नही था, इसलिए हर सेकेंड उनकी किस्स और गाड़ी होती चली गयी…
कुणाल के हाथ कामिनी के पूरे शरीर को खंगालने लगे…
उसकी पीठ से फिसलते हुए जब उसके हाथ कामिनी के कुल्हो पर पहुँचे तो वो भी अपनी चूत वाले हिस्से को उसके लंड पर दबाकर थोड़ी और आगे हो गयी…
कुणाल ने उसके मांसल चूतड़ों को जी भरकर दबाया…
और फिर एक हाथ उपर करके जब उसने कामिनी का मुम्मा दबाया तो वो बिफर ही गयी…
अपनी मुँह से गीली लार बाहर फेंकते हुए उसने कुणाल को कार मे घसीटा और पिछली सीट पर लेटते हुए उसे अपने उपर खींच लिया…
कुणाल को तो विश्वास ही नही हो पा रहा था की पहली ही मुलाकात में उसके साथ ये सब हो रहा है…
ऐसी खूबसूरत लड़की जो हाथ लगाने से भी मैली हो जाए, वो अस्त व्यस्त हालत में उसकी कार की पिछली सीट पर लेटी हुई थी…
अंधेरा काफ़ी था इसलिए किसी और का वहां आकर उनका शो देखने का सवाल ही पैदा नही होता था.
कामिनी ने अपनी ड्रेस के स्ट्रेप्स नीचे करके अपने बूब्स उसके सामने नंगे कर दिए…
ये वो नज़ारा था जिसकी कल्पना मात्र से ही कई लंडो का पानी निकल सकता था…
उसके दूध जैसे मम्मों को देखकर कुणाल ने एक मिनट भी नही लगाया उन्हे पकड़ने में …
कामिनी के उपर लेटते हुए उसने उसकी ब्रेस्ट को पकड़ा और उसे मुँह में लेकर ज़ोर-2 से चूसना शुरू कर दिया…
ऐसा लग रहा था जैसे कच्चा नारियल खा रहा है वो…
जितना कठोर था उतना ही मीठा भी…
जगह कम थी…
इसलिए जितना हो सकता था उन दोनो ने एक दूसरे के साथ उतना मज़ा लूटा उस कार में …
और जब दोनो उस छोटी सी जगह में हाथ पैर मारते हुए थक से गये तो कामिनी ने उसके कान में फुसफुसा कर कहा : “लेट्स गो टू योर प्लेस….”
ये शायद कामिनी के वो शब्द थे, जिन्हे कुणाल एक्सपेक्ट नही कर रहा था…
यहां तक तो ठीक था, पर इस सीमा से आगे बढ़ने में उसकी भी फट्ट रही थी…
पर उसे मना करने का भी मन नही कर रहा था उसका…
इसलिए मन ही मन में कुछ सोचकर उसने हामी भर दी और दोनो कुणाल के घर की तरफ निकल पड़े..
कुणाल एक मल्टिस्टोरी बिल्डिंग में 10वी मंज़िल पर रहता था…
लिफ्ट से उपर जाते हुए भी कामिनी ने उसे ज़ोर से किस्स किया…
ये तो कुणाल की भी फेंटसी थी की ऐसे लिफ्ट में वो किसी को किस्स करे…
और लगभग एक दूसरे के होंठ चूसते हुए वो फ्लॅट तक पहुँचे…
कुणाल ने जल्दी से अपनी जेब से चाभी निकाली और दरवाजा खोल दिया…
अंदर घुसने के साथ ही दोनो के कपड़े इधर उधर उछालने शुरू हो गये…
कुणाल के दरवाजा बंद करने तक तो कामिनी ने अपने सारे कपड़े निकाल कर एक तरफ फेंक दिए थे और अब वो पूरी नंगी होकर उसके सामने खड़ी थी…
उपर से आ रही रोशनी मे उसका दूध जैसा बदन कमाल का लग रहा था…
एकदम अँग्रेजन लग रही थी वो…
चिकनी चूत …फूले हुए मम्मे , निकली हुई गांड और मांसल जांघे….
एकदम पर्फेक्ट फिगर था उसका..
कुणाल ने भी अपने बचे खुचे कपड़े निकाल फेंके और वो भी आदमजात में आ गया…
उसका लंड भी 8 इंच लंबा और करीब 4 इंच मोटाई लिए हुए था…
एक चूत में जाने के लिए पर्फेक्ट साइज था उसका…
और उसके लंड को देखते ही कामिनी ने उसे बेड पर धक्का दिया और खुद उसकी टाँगो के बीच बैठकर उसे चूसने लगी…
ऐसा लग रहा था जैसे बरसो की प्यासी चुड़ैल को मटन कबाब का टुकड़ा मिल गया है…
उपर से नीचे तक वो उसे अपनी लार से गीला करती हुई चूस रही थी और मुँह में लेकर ज़ोर-2 से आइस्क्रीम की तरह चूस भी रही थी.
लंड के साथ-2 वो उसकी गोटियो को भी मुँह मे लेकर उनका स्वाद ले रही थी….
कुणाल को तो जैसे कुछ होश ही नही था…
वो अपनी आँखे बंद करके उस लंड चुसाई का मज़ा लेने लगा…
और जल्द ही उसके लंड को अच्छी तरह से चूसने के बाद वो मछली की तरह फिसलती हुई उपर आई और उसके होंठो को एक बार फिर से मुँह में लेकर चूसने लगी..
कुणाल के दोनो हाथ उसके शरीर पर उपर से नीचे तक फिसल रहे थे…
एकदम रेशम का एहसास हो रहा था उसे , इतना चिकना कोई कैसे हो सकता है भला.
और फिर कुणाल ने उसके कुल्हो को पकड़ कर उपर की तरफ खींचना शुरू कर दिया…
और तब तक खींचता रहा जब तक उसकी चूत कुणाल के चेहरे के उपर आकर नही रुक गयी…
कामिनी की चूत में से निकल रही भीनी खुश्बू का एहसास उसे किसी और ही दुनिया में ले गया…
ऐसा लग रहा था जैसे हज़ारों – लाखों गुलाब के फूलों को पीसकर उसकी चूत की दीवारों के पीछे चुनवा दिया गया है…
अब तो उसे उस दीवार के पीछे छिपी उस खुश्बू की तह तक जाना ही था…
इसलिए उसने ढपाक करके उसकी चूत को अपने चेहरे पर पटका और उसे ज़ोर-2 से चूसने लगा..
”आआआआआआआआआआआआआअहह…..ओह…. मे…..गोद……….. उम्म्म्ममममममममममममममममम ……….आई लाइक इट…….”
उसकी चूत की परतें इतनी कसावट लिए हुए थी जैसे आज से पहले उन्हे किसी ने छुआ भी ना हो…
कुणाल ने बड़ी मुश्किल से अपनी जीभ को उस कसी हुई चूत के अंदर डाला…
और उसे ऐसा एहसास हुआ जैसे उसने गन्ने की मशीन में अपनी जीभ डाल दी है…
वो अपनी चूत के मसल्स से उसकी जीभ को ऐसे मसल रही थी जैसे उसका रस निकाल कर अपने अंदर ले जाना चाहती हो…
और उसे अच्छी तरह से गीला करने के बाद कुणाल ने उसे फिर से नीचे धकेलना शुरू कर दिया…
और जब कुणाल के लंड का सुपाड़ा उसकी चूत से टकराया तो उसने अपनी हिरनी जैसी आँखो को उसकी आँखो में डालते हुए धीरे से कहा : “प्लीज़ धीरे करना…इट्स माय फर्स्ट टाइम..”
ये सुनते ही कुणाल को एक बहुत जोरदार झटका लगा…
कुणाल ने तो उसका पहनावा देखकर..
उसकी अभी तक की गयी हरकतें देखकर एक धारणा सी बना ली थी की ये एक चालू किस्म की लड़की है…
जो शायद उसके जैसे लड़को को फंसाकर इस तरह के मज़े लूटा करती है…
ऐसा उसने अपने दोस्त जय से ही सुना था..
और आज ये सब जब उसके साथ हो रहा था तो उसे यही लग रहा था की आज उसकी किस्मत खुल गयी है…
इसी बहाने वो भी अपनी पहली चुदाई कर सकेगा..
पर कामिनी की इस एक बात ने तो पूरा खेल ही बदल कर रख दिया था..पर ये वक़्त इन सब बातों को पूछने का नहीं था इसलिए उसने भी उसकी आँखो में देखते हुए कहा : “एंड बिलीव मी..आई एम् ऑल्सो वर्जिन ….मेरा भी ये पहली बार है…”
कुणाल की बात सुनकर उसे भी उतना ही अचंभा हुआ जितना कुणाल को हुआ था…
और इसी तरह एक दूसरे की आँखो में देखते हुए, कुणाल ने अपना लंड उसकी चूत पर लगाकर उसे नीचे की तरफ धकेला..
और उसे पहले झटके में ही विश्वास हो गया की वो सही कह रही थी…
कुणाल का लंड उसकी चूत में फंसकर ही रह गया…
उपर से उसकी चीख ने उसे रुके रहने पर मजबूर कर दिया…
”आआआआआआआआआआआआअहह……….मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईई….”
कुणाल का मन हुआ की वो उसे छोड़ दे, पर कामिनी ने खुद हिम्मत करके अपना शरीर नीचे धकेला और अगले 2-3 झटकों में कुणाल का मेरठिया लंड उसकी चूत के अंदर तक घुस चुका था..
कुणाल की लाइफ का सबसे हसीन पल था…
और शायद कामिनी की भी..
दोनो के चेहरे पर एक अजीब सी खुशी देखी जा सकती थी…
कामिनी ने नीचे झुककर उसे चूम लिया…
स्मूच लिया और फिर अपनी कमर हिलाते हुए ज़ोर-2 से कुणाल के लंड से चुदवाने लगी…
और उसके बाद तो कुणाल भी नही रुका…कभी उसे नीचे लिटाकर तो कभी घोड़ी बनाकर उसने भी उसके रसमलाई जैसे चूतड़ों को पकड़कर नीचे से ऐसे-2 झटके मारे की बेचारी के पूरे शरीर के पुर्ज़े हिल गये…
और अंत में आकर जब वो झड़ने के करीब पहुँचा तो कामिनी ने चिल्लाते हुए कहा : “प्लीज़ कम इनसाइड मी ….आई वॉंट टू फील इट…माय फर्स्ट टाइम….इनसाइड मी …..”
और कुणाल के लिए भी ये पल एक यादगार बनकर रह गया जब उसके लंड ने ढेर सारा रस कामिनी की कुँवारी चूत में निकाला….
ऐसा रेशमी एहसास तो उसे आज तक नही मिला था..
लंड बाहर निकालकर उसने देखा की ढेर सारा खून भी उस रस में शामिल था…
जो कामिनी के कुंवारेपन का सबूत था.
दोनो बाथरूम में गये और अच्छे से एक दूसरे के अंगो को सॉफ किया..
करीब आधे घंटे बाद कामिनी के नंगे जिस्म को अपनी बाहों मे लेकर अपने बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ था
अब उसे अपने दिल में उठ रहे उन सभी सवालों के जवाब लेने थे जो उसे काफी समय से परेशान कर रहे थे
कुणाल : “मुझे एक बात समझ नही आ रही कामिनी…तुम मुझसे आज ही मिली हो….और पहली ही बार में तुमने अपने आप को मेरे सुपुर्द कर दिया…अपनी वर्जिनिटी मुझे सौंप दी”
कामिनी ने मुस्कुराते हुए उसे देखा और बोली : “किसने कहा की मैं तुमसे आज ही मिली हूँ …. मैने तो तुम्हे अक्सर उस बार में देखा है…एक कोने में आकर बैठ जाते हो अपने दोस्त के साथ और चुपचाप बियर पीकर निकल जाते हो….कभी ये देखने की कोशिश भी नही की की कोई तुम्हे भी देख रहा है…और सच कहूं मुझे तो तुम्हे देखकर पहली बार में ही लव हो गया था…मेरी सहेली है ना रजनी , वो जो मेरे साथ कार्ड गेम खेल रही थी, ये उसी का आइडिया था…उसके बर्थडे पर हमने शोर मचाकर तुम्हारा ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया….मुझे अपनी खूबसूरती का एहसास है और इतना कॉन्फिडेंस तो है ही की एक बार जो मुझे देख ले तो अपनी नज़रें मुझसे दूर नही रख सकता…इसलिए तुमने जब मुझे देखा तो बार-2 देखने लगे…और फिर हमने वो गेम प्लान की ताकि तुम्हे किस्स करके मैं रिझा सकूँ …”
इतना कहकर वो चुप हो गयी..
कुणाल का चेहरा देखने लायक था उसके बाद…
यानी वो जिसे अभी तक इत्तेफ़ाक़ समझ रहा था वो उसकी सोची समझी चाल थी…
पर जो भी थी, उसे इस बात का ज़रा भी बुरा नही लग रहा था…
आख़िर एक लड़की ने अपनी भावना को व्यक्त करने का जो तरीका सही समझा उसने वो वही किया…
इस बात से साबित होता है की वो कितने खुले विचारो की है..
कामिनी : “और सच कहूं ..तुम्हे देखने से पहले मैने अपने आप को किसी से टच भी नही करवाया था…एक दो लड़कों ने गुस्ताख़ी की थी, पर उनके हाथ तोड़कर रख दिए थे मैने…उसके बाद किसी की हिम्मत नही हुई थी मुझसे पंगा लेने की…इनफॅक्ट मैने तो पहली बार किस्स भी आज ही किया…”
कुणाल ये सब सुनकर हैरान हो रहा था…
उसने तो उसे मन में चालू और ना जाने क्या-2 सोच लिया था…
और ये कामिनी तो अपने पहली नज़र के प्यार के लिए ये सब कर रही थी…
कुणाल : “पर…ये ये मेरे साथ ही क्यों…और ये फकिंग…इसकी क्या ज़रूरत थी…और वो भी पहली ही बार में …”
कामिनी : “मैने तो मन में तुम्हे अपना सब कुछ मान लिया है..इनफॅक्ट मैं तो तुमसे शादी भी करना चाहती हूँ ..पर … ये तुमपर डिपेंड करता है…मैं कोई दबाव नही बना रही तुमपर…और रही बात इस फकिंग की तो ये भी मैने आज गेम में हारकर ही करवाई है…तुम्हे याद है वो डेयरिंग वाली गेम …जिसमें आज मैं हार गयी थी…वो इसलिए ही थी की मैं हारने के बाद तुमसे फकिंग करवाउंगी …”
कुणाल हैरान रह गया…
की कैसे सिर्फ़ एक गेम के लिए उसने अपनी चूत की बाजी लगा दी …
हालाँकि इसके पीछे उसका प्यार भी शामिल था, पर कोई लड़की अपना कुँवारापन भला कैसे दाँव पर लगा सकती है…
इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता था की ये जुआ उसकी लाइफ में कितना महत्व रखता है…
कामिनी ने उसके चेहरे के भाव पड़ लिए और बोली : “तुम इस बात को लेकर इतना परेशान मत हो जाओ….हमे एक दूसरे को सोचने और समझने के लिए अभी पूरी लाइफ पड़ी है….लेकिन आज जो मौका हमे मिला है पहले उसका अच्छे से इस्तेमाल तो कर ले…”
इतना कहते हुए उसने एक बार फिर से कुणाल के लंड को अपनी गिरफ़्त में लेकर उसे चूसना शुरू कर दिया…
और कुणाल अपनी आँखे बंद करके कराहते हुए यही सोचने लगा की एक ही रात में इस लड़की ने उसके दिमाग़ के सारे फ्यूज़ उड़ा कर रख दिए है…
आगे पता नहीं और क्या-2 देखने को मिलेगा..
रात भर कामिनी वहीं रही…
और पूरी रात वो एक दूसरे के नंगे जिस्मों का आनंद लेते रहे…
जब मन करता चुदाई शुरू कर देते और जब मन करता सकिंग.
सुबह एक साथ नहाते हुए भी जोरदार चुदाई की उन्होने…
कामिनी को दीवार के सहारे खड़ा करके बाथरूम में उसकी चूत मारते हुए जब कुणाल ने उसकी बाहर निकली हुई गांड को देखा तो उसने उसे पकड़ कर ज़ोर से भींच दिया…
उसकी हमेशा से यही फेंटसी रही थी की ऐसी भरे कूल्हे वाली लड़की को वो नंगा करके चोदे और मौका मिले तो उसकी गांड भी मारे
कुणाल ने अपनी उंगली जैसे ही उसकी गांड के छेद पर लगाई वो उछल पड़ी और बोली : “ओये मिस्टर….इतनी जल्दी क्या है वो दूसरा दरवाजा खोलने की…पहले जी भरकर इस दरवाजे के तो मज़े ले लो…”
कुणाल मुस्कुरा दिया…
यानी कामिनी को कोई प्राब्लम नही थी अपनी गांड मरवाने में भी…
ऐसी मस्त गांड मारने में कितना मज़ा आएगा, ये सोचते हुए वो और ज़ोर लगाकर उसकी चूत का बेंड बजाने लगा..
नहा धोकर दोनो बाहर आए, कपड़े पहने और कामिनी ने दोनो के लिए नाश्ता बनाया जो सच में काफ़ी स्वादिष्ट था..
कुणाल को तो उसकी हर अदा पर उससे प्यार होता जा रहा था.उसने तभी डिसाईड कर लिया की वो शादी करने के लिए हर लिहाज से परफेक्ट है, इसलिए उसने भी अपनी तरफ से हाँ कर दी.
ऑफीस जाते हुए उसने कामिनी को उसके घर छोड़ दिया…
रास्ते में उसने बताया की वो जयपुर की रहने वाली है और दिल्ली में एमबीए करने आई हुई है…
उसकी सहेली रजनी मिज़ोरम की रहने वाली है और दोनों ने एक फ्लॅट लिया हुआ था जहा वो मिलकर रहती थी.
शाम को फिर से मिलने का वादा करके कुणाल वहां से निकल आया.
दिन भर उन दोनो की मोबाइल पर बात भी होती रही…
शाम होते-2 एक जोरदार चुदाई का प्रोग्राम पहले से ही बन चुका था इसलिए ऑफीस से निकलते ही वो सीधा उसके घर पहुँच गया..
पर वो इस बात से अंजान था की एक के बाद दूसरे दिन भी उसे अपनी लाइफ का एक बहुत बड़ा झटका मिलने वाला है..
कामिनी के घर का दरवाजा खुला हुआ मिला उसे…
कामिनी को आवाज़ देता हुआ वो दरवाजा धकेल कर अंदर आ गया पर उसे कामिनी नही दिखी…
अंदर वाले बेडरूम से कुछ आवाज़ें आ रही थी जिनका पीछा करते हुए वो वहां पहुँचा…
और जैसे ही वो अंदर पहुँचा, उधर का नज़ारा देखकर उसकी आँखे फटी रह गयी.
कामिनी पूरी नंगी होकर बेड पर लेटी हुई थी..
उसके दोनो हाथ पलंग से बँधे थे और उसकी आँखो पर पट्टी थी.
और उसकी टाँगो के बीच एक दूसरी लड़की थी जो उसकी चूत को किसी सॉफ्टी की तरह चूस रही थी.
कुणाल को समझते देर नही लगी की वो रजनी है.
कुणाल के मुँह से सिर्फ़ यही निकला : “वॉट…वॉट द फ़क्क इस गोयिंग ओंन…”
उसकी आवाज़ सुनकर रजनी बड़े प्यार से उसकी तरफ पलटी और मुस्कुराते हुए बोली : “अब ये भी तुम्हे बताना पड़ेगा की क्या चल रहा है यहाँ….हे हे..”
कामिनी के तो हाथ बँधे थे और आँखो पर भी पट्टी थी..
पर कुणाल के आने का एहसास उसे भी हो चुका था और मज़े की बात ये थी की रजनी की तरह वो भी एकदम निश्चिंत थी…इस तरहा से पकड़े जाने का डर उसमे भी दिखाई नही दे रहा था.
वो बोली : “कुणाल डार्लिंग….आई थॉट हमारे रीलेशन में सब क्लियर होना चाहिए…इसलिए तुम्हे मैं अपना ये सीक्रेट भी शेयर कर रही हूँ …आई एम बाईसेक्सुअल ….मुझे लड़के भी पसंद है और लड़किया भी…और यही दिखाने के लिए मैने तुम्हे आज यहां बुलाया है…अगर तुम्हे ये पसंद है तो ठीक वर्ना चॉयस इस योर्स…”
इतना कहकर उसने इशारा करके फिर से रजनी को अपनी चूत चाटने को कहा.
और बेचारा कुणाल , हक्का बक्का सा होकर उन दोनो का ये कारनामा देख रहा था..
वैसे उसे भी लेसबीएन सैक्स वाली गंदी मूवीस देखने का शोंक था…
पर वो उसे अपनी पहली गर्लफ्रेंड या यूँ कहलो की होने वाली पत्नी के द्वारा ही देखने को मिल जाएगी ये तो उसने सोचा भी नही था…
और ये सब दिखाने के लिए कामिनी ने पहले से ही दरवाजा खोल कर रखा था उसके लिए…
ताकि वो आए और कामिनी का ये चेहरा भी देख सके..
कितनी आसानी से कामिनी ने अपनी लाइफ का ये सच उसके सामने ला दिया था.
कुणाल ने सोचा की इसमे कोई बुराई तो है नही…
क्योंकि जब वो उससे चुदवा रही थी तो वो पूरी तरह से मज़े ले रही थी और अब अपनी सहेली के साथ भी वो उसी अंदाज में मज़े ले रही है जैसे कल रात भर उससे लिए थे…
इसलिए उसने सोचा की जब उसे मिलने वाले मज़े में कोई कमी नही थी तो उसे तो कोई प्राब्लम होनी ही नही चाहिए…
क्योंकि ये लेस्बियन वाला खेल तो उसे भी पसंद था.
इसी बहाने एक और नंगी लड़की भी तो देखने को मिल रही थी..और उसमे होने वाली संभावनाओं को सोचकर वो मन ही मन खुश होने लगा.
इस बात का ख़याल आते ही उसका ध्यान रजनी की तरफ गया जो इस वक़्त पूरी नंगी थी…
और वो अपनी फेली हुई गांड उठा कर किसी बकरी की तरह कामिनी की चूत की घांस खा रही थी..
कुणाल को एक और शॉक तब लगा जब उसने टेबल पर ताश के पत्ते बिखरे देखे..
जिससे सॉफ जाहिर था की वहां कोई गेम भी चल रही थी…
और फिर कुणाल का दिमाग़ ठनका …
कही ये सब भी कामिनी गेम की खातिर तो नही कर रही …
जैसा की उसने कल पब में किया था और हारने के बाद अपनी चूत मरवा बैठी थी…
ऐसा ही कोई खेल शायद अभी कुछ देर पहले उनके बीच चल रहा था…
एक लड़की को ताश के खेल के ज़रिए मस्ती लूटने का इतना चस्का हो सकता है ये कुणाल को आज ही पता चला..
कुणाल चुपचाप बैठकर उनका खेल देखने लगा और इस बार उसका सारा ध्यान रजनी की तरफ था…
जो अपनी पहाड़ी गांड मटका कर उसकी गर्लफ्रेंड का दूध पी रही थी….
दूध पीने के बाद उसने कामिनी के हाथ और आँखो की पट्टी खोल दी और फिर वो दोनो एक गहरी स्मूच में डूब गयी…
कामिनी के मुक़ाबले रजनी के बूब्स थोड़े छोटे थे…
होंठ एकदम रसीले..जैसे ज़्यादातर नॉर्थ ईस्ट की लड़कियो के होते है…
बदन पूरा कसावट लिए हुए था उसका और चूत एकदम सफाचत और कड़क..
कुणाल उसे देखकर ये जानने की कोशिश करने लगा की ये चुदी हुई है या नही…
पर बेचारा ये नही जानता था की दुनिया का ऐसा कोई भी इंसान या मशीन नही है जो ये बता सके की ये चूत पहले चुद चुकी है या नही..
कुणाल को रजनी की तरफ़ घूरता हुआ देखकर कामिनी बोली : “तुम्हे ये पसंद आ रही है तो आ जाओ…थोड़ा एंजाय कर लोगे तो मुझे बुरा नही लगेगा…”
बात तो उसने बड़ी लुभावनी की थी पर उसे डर लग रहा था की कहीं ये उसको परखने की चाल ना हो…
इसलिए वो कुछ नही बोला और अपनी नज़रें कामिनी पर लगाकर उसे ताड़ने लगा…
उसे देखते-2 कुणाल ने अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया और जल्द ही वो पूरा अकड़ कर खड़ा हो गया…
पेंट में रखने में जब उसे दिक्कत हुई तो उसने जीप खोलकर उसे बाहर निकाल लिया..
इसी बीच रजनी ने अपनी चूत को कामिनी के मुँह पर रखकर उसपर कूदना शुरू कर दिया था…
और कामिनी की नुकीली जीभ का ही कमाल था की वो जल्द ही झड़ने के कगार पर पहुँच गयी..
और ज़ोर-2 से चिल्लाते हुए उसके चेहरे पर अपनी चूत से निकली क्रीम निकाल दी.
और एक तरफ लुढ़क कर गहरी साँसे लेने लगी..
कामिनी ने इशारा करके कुणाल को उपर बुलाया…
वो तो कब से इसी पल का इंतजार कर रहा था…
उसने तुरंत अपने कपड़े उतारे और नंगा होकर पलंग पर कूद गया…
कुणाल की नज़रें रजनी के चेहरे पर भी थी जो उसके लंड को देखकर अपने होंठो पर जीभ फेर रही थी..
कामिनी के रसीले होंठो को उसने ज़ोर-2 से चूसना शुरू कर दिया, उसके होंठ और चेहरे पर रजनी की चूत का रस अभी तक लगा हुआ था, जिसे चाटने में उसे एक अलग ही तरह का रोमांच महसूस हो रहा था…
कुणाल ने उसे उपर से नीचे तक चूस डाला…
ख़ासकर उसकी चूत को, जिसमें अपना लंड पेलकर उसने पहले के मुक़ाबले थोड़ा ढीला कर दिया था….
उसे देखते ही एक बार फिर से उसका लंड ज़ोर मारने लगा और कुणाल ने उसे घोड़ी बनाकर अपना लंड उसकी चूत पर टीका दिया…
वो अपना लंड अंदर डालने ही वाला था की लगभग तभी रजनी उठकर बैठी और उसने कुणाल का लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया…
ये उसके लिए जितना हैरानी भरा था कामिनी के लिए नही था..
शायद दोनो में पहले से ही डिसाईड हो चुका था की वो भी इस खेल का हिस्सा बनेगी…
एक सहेली अपने बाय्फ्रेंड को उसके साथ बाँटे तो इससे अच्छी बात भला और क्या हो सकती है…
यानी कुछ देर पहले जो कामिनी ने रजनी के साथ मज़े लेने की बात कही थी वो उसके बारे में सीरियस थी….
वो बेकार में लल्लू की तरह इतनी देर तक ऐसे ही बैठा रहा.