मेरा नाम राहुल है और यह नाम बदला हुआ है. मैं 20 साल का हूँ. मेरी कद काठी बहुत अच्छी है और मैं दिखने में भी बहुत आकर्षक हूँ.
हालांकि यह मेरी पहली चुदाई नहीं है, मैं इससे पहले भी एक बार सेक्स कर चुका था.
मैं जवान होते ही सेक्स का बड़ा आदी हो गया था. चूत मिलना इतना आसान नहीं होता है तो बस लड़कियों को देख देख कर मुठ बहुत मार लेता था.
मुठ मारने से मेरे लंड का आकार भी लगभग सात इन्च का हो गया है.
मैं हर समय किसी न किसी को चोदने की सोचता रहता हूँ.
यह कहानी अभी कुछ समय पहले की ही है.
उस समय मैं पढ़ाई के लिए घर से दूर रहता था.
मुझे एक पार्ट टाइम नौकरी की तलाश भी थी क्योंकि घर वालों से पैसे मांगना मुझे अच्छा नहीं लगता था.
जल्दी ही मुझे एक दुकान में अकान्टेन्ट की नौकरी भी मिल गई.
मेरे कॉलेज से दुकान नजदीक होने की वजह से मैं सुबह का खाना वहीं कर लेता था.
मेरे कॉलेज से मुझे दस बजे छुट्टी मिलती थी और कॉलेज से मेरा कमरा दूर था.
इसलिए सिर्फ नाश्ते के लिए कमरे तक जाना मुझे सुविधाजनक नहीं लगता था.
कॉलेज से सीधे दुकान पर ही आ जाता था.
मैं जिस दुकान में काम करता था, उस दुकान के मालिक बहुत अमीर आदमी थे.
मगर वे बहुत उम्र वाले बूढ़े व्यक्ति थे.
उनका बेटा विदेश में रहता था.
सेठ जी की एक बेटी भी थी, उनका नाम पूजा था.
वे 35 साल की रही होंगी.
उनका अपने पति से तलाक हो गया था इसलिए वे अपने पिता जी के साथ ही रहती थीं.
मैं उन्हें पूजा दीदी कह कर बुलाता था जबकि वे मुझसे उम्र में लगभग दुगनी बड़ी थीं.
उनकी बड़ी सी गांड और बड़े बड़े दूध बहुत ही मस्त लगते थे.
वे एक मस्त सेक्सी आंटी सरीखी दिखती थीं.
लेकिन मालकिन थीं तो मजबूरी में उन्हें दीदी कहना पड़ता था.
दीदी के बच्चे उनके पति के साथ ही पढ़ाई करने के लिए विदेश में रहते थे.
इधर वे अकेली ही थीं और अक्सर दुकान में आया करती थीं.
वे मुझसे भी बहुत फ्रेन्ड्ली बात करती थीं.
मुझे उन्हें देखते ही चोदने का मन हो गया था मगर में अभी वहां नया था इसलिए कुछ भी कर पाना संभव नहीं था.
तब भी इतने कम समय में मैं उनसे काफी घुल-मिल गया था.
मैं किसी मौके की तलाश में था.
पर मुझे मौका मिल ही नहीं रहा था क्योंकि दीदी के मां बाप वहीं होते थे और उनसे अकेले में बात ही नहीं हो पाती थी.
उन्हीं दिनों मालिक के बेटे विदेश से आए और उन्होंने मां बाप को कुछ दिनों के लिए विदेश घुमाने ले जाने का प्लान बनाया.
उनका पूरा परिवार घूमने जाने वाला था मगर वे दुकान बन्द करके जाना नहीं चाहते थे.
चूंकि उन दिनों बाजार में बिक्री अधिक होने वाला टाइम था तो उन्होंने सारी जिम्मेदारी मुझे सौंप दी.
अब तक मुझे उनके यहां आए 4 महीने हो चुके थे और उनका मुझ पर भरोसा जम गया था.
उन दिनों मेरा कॉलेज भी बंद था तो मुझे कोई दिक्कत नहीं थी.
जब जाने की सारी तैयारी हो गई, तभी पूजा दीदी की तबियत थोड़ी बिगड़ गई और उन्होंने घूमने जाने से इंकार कर दिया.
उनके मां बाप ने भी उनसे कहा- ठीक है, तुम भी राहुल के साथ यहीं रूक जाओ. उसे खाना भी बाहर खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी … और तुम होगी तो हमें दुकान की भी कोई टेंशन नहीं रहेगी.
दीदी ने भी हां कर दी और वे लोग घूमने चले गए.
उस दिन से मैं दुकान का सारा काम देखने में बिजी हो गया.
अब तो व्यस्तता के चलते और भी कुछ नहीं हो पा रहा था.
लेकिन मैंने उन्हें चोदने का मन बना लिया था.
चार दिन बाद जब मैं दुकान बंद करके घर आया तो पूजा दीदी के बारे में सोचते हुए अपना लंड हिलाने लगा.
मैं पहले भी उनके बारे में सोचते हुए अपना लंड हिलाता था लेकिन इस बार कुछ अलग ही मज़ा आ रहा था.
मुझमें हिम्मत भी आ रही थी कि इस बार तो कुछ भी हो जाए, उन्हें चोदना ही है.
चाहे मुझे उसके बदले अपनी जॉब ही क्यों ना छोड़नी पड़े.
मैं उस रात बहुत सारा पानी निकाल कर सो गया.
अगले दिन सुबह जब मैं उठा तो हल्की हल्की बारिश हो रही थी और आसमान में काले बादल छाए हुए थे.
मैं दुकान गया और सब साफ सफाई करके अपना काम करने लगा.
फिर मैंने सोचा कि पूजा दीदी तो बीमार हैं और अभी तक आई नहीं, कहीं उन्हें कुछ ज्यादा दिक्कत न हो गई हो मतलब तेज बुखार न आ गया हो, तो हॉस्पिटल ले जाना पड़ सकता है.
इसलिए मैंने उन्हें कॉल किया तो घंटी जाती रही.
उन्होंने थोड़ी देर बाद फोन उठाया.
मैं- हैलो दीदी आप ठीक तो है ना … आप अभी तक नहीं आईं तो मैंने सोचा कि कहीं आपकी तबियत और तो नहीं बिगड़ गई है?
पूजा दीदी- नहीं नहीं राहुल, मैं बिलकुल ठीक हूं … और बस दुकान के लिए निकल ही रही हूँ. बाहर बारिश हो रही थी तो मुझे सुबह होने का पता ही नहीं चला. इसलिए थोड़ा ज्यादा सो गई. मैं बस आ रही हूँ.
यह कह कर उन्होंने फोन रख दिया.
उसके दस मिनट बाद वे आईं तो वह थोड़ी भीगी हुई थीं जिसमें वे एक खूबसूरत हसीना लग रही थीं.
उन्होंने सलवार सूट पहना था और अपने बाल खुले छोड़े हुए थे.
उनके भीगे बाल आगे आ गए थे और उनके मम्मों को छू रहे थे.
यह देख कर मेरा लंड जाग उठा और मैंने उसी समय अपने हाथ से उसे जोर से मसल दिया क्योंकि तब मैं अपनी कंप्यूटर टेबल के पीछे बैठा था.
उन्होंने मुझे वह सब करते नहीं देखा.
उन्होंने कहा- मैं भीग गई हूँ और बहुत ठंड भी है, मैं दूध लेकर आई हूं. पहले चाय पीते हैं, ठीक है!
यह सुनते ही मेरी नजर उनके बड़े बड़े चूचों पर चली गई जिनको उनके लहराते बाल बड़ी नजाकत से चूम रहे थे.
मैं उनके बूब्स की तरफ देखते हुए ही बोला- ठीक है, दूध वाली चाय से थोड़ी गर्माहट मिल जाएगी.
उन्होंने यह सुना तो मेरी नजरों को देखकर कहा- लगता है तुम बहुत ठंडे पड़े हुए थे, अब मैं आ गई हूं. मैं तुम्हें गर्म कर दूंगी.
यह कह कर वे अपनी गांड मटकाती हुई किचन की ओर चल दीं.
सेठ जी की दुकान में अन्दर ही एक छोटा सा किचन भी है. उधर एक रूम और बाथरूम आदि सबकी सुविधा है.
दीदी की ऐसी बात सुन कर मेरा लंड मेरी जींस को फाड़ कर बाहर निकलने की कोशिश करने लगा.
थोड़ी देर बाद दीदी चाय लेकर आईं और मेरे सामने झुकती हुई चाय का कप टेबल पर रख दिया.
ऐसा करते वक्त उनकी चूचियों के बीच की घाटी का मुझे मस्त दीदार हो गया.
मैं उनके दूधिया मम्मे देख कर एकदम से सिहर उठा.
उनकी वासना से भरी आंखें मेरी नजरों का पीछा कर रही थीं.
मैंने अचानक से उन्हें देखा तो मैंने झट से उनके मम्मों से नजरें हटा लीं.
उन्होंने भी कुछ नहीं कहा … और न ही अपने मम्मों को छुपाने का कोई जतन किया.
फिर हम दोनों बातें करते हुए चाय पीने लगे.
उन्होंने पूछा- चाय कैसी बनी है?
मैंने कहा- बहुत ज्यादा अच्छी बनी है … लगता है आपका लाया दूध बहुत गाढ़ा था.
इस पर वे हंसती हुई बोलीं- हां वह तो है.
वे फिर से अन्दर चली गईं.
उस वक्त हल्की बारिश हो रही थी तो दुकान में कोई आ नहीं रहा था.
फिर भी मेरा थोड़ा काम था तो मैं वह करने लगा.
कुछ देर बाद दीदी कुछ नाश्ता बना कर ले आईं.
हम दोनों वहीं बैठ कर खाने लगे और इधर उधर की बातें करने लगे.
तभी अचानक से बहुत तेज बारिश शुरु हो गई.
तेज हवा के कारण बारिश का पानी दुकान के अन्दर आ रहा था, तो मैंने दुकान का शटर बंद कर दिया.
तभी मुझे पीछे से पूजा दीदी की चिल्लाने की आवाज आई.
तो मैं दौड़ता हुआ अन्दर गया.
मैंने देखा कि अन्दर बहुत सारा पानी भर गया था और पूजा दीदी उसमें फिसल कर गिर गई थीं और पानी में पूरी भीग गई थीं.
मैं उन्हें उठाने के लिए दौड़ता हुआ गया तो मैं भी फिसल कर उनके ऊपर ही गिर पड़ा.
हम दोनों ही पूरी तरह से भीग गए थे.
मैं उठा और उनको भी उठाया.
मैंने देखा कि पानी के पाइप में कुछ फंसा होने की वजह से वहां पानी भर गया था.
अब हम दोनों ने मिल कर पहले उस फंसी हुई चीज को पाइप से निकाला और पानी साफ किया.
लेकिन उतनी देर में हम दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे और हमारे पास बदलने के लिए दूसरे कपड़े भी नहीं थे.
इतना सब होने के बाद मैंने जब पूजा दीदी को देखा तो उनके सारे कपड़े भीग गए थे और उनकी कुर्ती के अन्दर की ब्रा भी साफ साफ दिख रही थी.
उनके निप्पल भी बहुत कड़क दिख रहे थे और उनके गुलाबी होंठ ठंड से थरथरा रहे थे.
वहां एक तौलिया पड़ा था, मैंने वह तौलिया देकर पूजा दीदी से कहा- आप पूरी भीग गई हैं और आपके कपड़े भी पूरे भीग गए हैं. अगर ज्यादा देर यही कपड़े पहनी रहीं तो आप फिर बीमार पड़ सकती हैं.
उन्होंने कहा- मगर मेरे पास दूसरे कपड़े नहीं हैं.
मैंने कह दिया- अरे आप ये कपड़े उतारकर सुखा लीजिए न … अभी बारिश हो रही है तो दुकान बंद ही है. कोई आएगा भी नहीं, तब तक आप इस तौलिये को पहन सकती हैं.
उन्होंने भी हामी भरते हुए कहा- कि ठीक है, लेकिन तुम भी पूरा भीग गए हो. तुम भी अपने कपड़े उतार दो और सुखा लो … बल्कि पहले इसी तौलिये से तुम अपने आप को पौंछ लो. इसलिए जल्दी करो.
यह कह कर दीदी ने मुझे तौलिया थमा दिया.
अब तक मेरा लंड मेरी पैंट में टनटना रहा था और बाहर निकलने की फिराक में था.
जब मैंने अपनी शर्ट को उतारा और पूजा दीदी की ओर चुपके से देखा.
वे मेरी तरफ़ ही बहुत कामुक आंखों से देख रही थीं.
ऐसा लग रहा था कि वह मेरे लंड को देखने के लिए बेताब हैं.
मैंने भी उनकी तरफ ही मुँह करते हुए अपनी पैंट उतार दी.
मेरा लंड अब सिर्फ मेरी चड्डी में था और बाहर से ही साफ साफ दिख रहा था.
फूले हुए लौड़े को देख कर पूजा दीदी हैरान हो गईं और मुझे देखते ही रह गईं.
मैं भी उन्हें अपना औजार दिखाते हुए अपने पूरे बदन को पौंछने लगा और अपनी चड्डी में हाथ डाल कर अपना लंड सीधा करते हुए दीदी की ओर देखा.
वे मेरे लंड की तरफ ही आंखें गड़ाई हुई थीं.
मैंने उन्हें तौलिया देते हुए कहा- लीजिए अब आपकी बारी!
यह सुनते ही वे ऐसे चौंक गईं जैसे किसी सपने से अचानक उठी हों.
वे मेरे हाथ से तौलिया लेकर हंसती हुई बाथरूम के अन्दर चली गईं.
मेरा मन कर रहा था कि पीछे से जाकर उन्हें दबोच लूँ और अपना 7 इंच मोटा लंड उनकी गांड में घुसा दूँ.
पर मैंने अपने ऊपर काबू किया और चुपके से जाकर बाथरूम के दरवाजे के छोटे से होल से देखने लगा.
वे अन्दर अपने कपड़े उतार रही थीं.
मैं अपना लंड जोर जोर से हिलाने लगा.
उन्होंने अन्दर जाते ही अपनी सलवार और कुर्ती को उतार दिया.
उनका गोरा बदन देख कर मेरे लंड ने अपना पूरा आकार ले लिया.
पूजा दीदी को नंगी देखने का मेरा सपना सच हो रहा था.
उन्हें सिर्फ ब्रा और पैन्टी में देखकर मैं पागल हो गया.
उन्होंने गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी और वह अपने बदन को तौलिया से पौंछ रही थीं.
इतने में ही उन्हें कुछ हुआ, उन्होंने अपनी ब्रा भी उतार दी और अपने मम्मों को अपने दोनों हाथों से दबाने लगीं.
उनके मम्मे ऐसे दिख रहे थे मानो दो मधुमक्खी के छत्ते लटक रहे हो और उनसे शहद टपक रहा हो.
वे जोर जोर से अपने ही बूब्स दबाते हुए अपने ही होंठों को अपने दांतों से काट रही थीं और हल्की हल्की सिसकारियां ले रही थीं.
फिर उन्होंने अपनी पैंटी भी निकाल दी और अपनी चूत में एक उंगली धीरे धीरे डालने लगीं.
उनकी चूत पूरी गीली थी और उसमें कुछ कुछ बाल भी थे.
ऐसा लग रहा था कि उन्होंने कुछ दिन पहले ही चूत की शेविंग की है.
वे अब एक हाथ से न्यूड पुसी Xxx में उंगली कर रही थीं और दूसरे हाथ से अपने बूब्स दबा रही थीं.
साथ ही वे अपनी चूची को उठा कर उसका निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसने और काटने की कोशिश कर रही थीं.
फिर अचानक से वे यह काम तेज तेज करने लगीं और ‘आह … आह … ऊह … ऊह …’ करके कराहने लगीं.
थोड़ी ही देर में उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वे उन्ह उन्ह करती हुई शांत हो गईं.
इधर मैं भी उन्हें देखते हुए अपने लंड को जोर जोर से हिला रहा था और थोड़ी थोड़ी आवाज भी निकाल रहा था.
दीदी के साथ साथ मैं भी झड़ गया और आज मैंने बहुत ही ज्यादा पानी निकाल दिया था.
मैंने बाथरूम के दरवाजे के सामने ही सारा पानी गिरा दिया.
मेरी आंखें मुंद गई थीं और मैं अपने लंड से निकलते पानी का मजा ले रहा था.
तभी दीदी ने दरवाजा खोला और मुझे अन्दर खींच लिया.
मैं उनके इस कदम से एकदम से सकपका गया और उसके बाद वह हुआ, जो मैं उनके लिए सोचता रहता था.
दीदी पूरी नंगी थीं और मैं भी अपनी चड्डी से लंड बाहर निकाले हुए था.
दीदी ने मुझे अपने बदन से चिपका लिया और हम दोनों नाग नागिन के जोड़े के जैसे एक दूसरे के साथ चुम्बन सुख लेने लगे.
कब हम दोनों बाथरूम से बाहर आ गए और बेड पर लेट कर सेक्स का सुख लेने लगे, इसका कोइ अहसास ही नहीं हुआ.
दीदी की चूत में मेरा लंड कड़क होकर घुस गया था और मैं उन्हें दे दनादन चोद रहा था.
दीदी भी न जाने कब से प्यासी चूत को मेरे लौड़े में समा देना चाह रही थीं.
कुछ देर बाद ही हम दोनों का स्खलन हो गया और तूफान निकल जाने के बाद की शांति ने हम दोनों के चेहरों पर मुस्कान ला दी.
उस दिन मैंने दीदी के साथ और दो बार सेक्स किया और अब वे मेरे साथ सहजता से सेक्स का सुख लेने लगी थीं.