Thursday, November 21, 2024
Hindi Midnight Stories

बहन की चुदाई देखी गली के लड़के से

दोस्ती, मैं राजकुमार हूं
मेरे मम्मी पापा जॉब करते हैं, तो घर पर मैं और मेरी दो बहनें ही रह जाती हैं.

बहन की अंतरावासना कहानी उस समय की है जब मैं स्कूल में पढ़ता था.

उस दिन मैं स्कूल से घर आया तो गेट खुला हुआ था.
जबकि मेरे घर का दरवाजा अक्सर बंद रहता है.

मैंने सोचा कि आज मम्मी अपनी जॉब से जल्दी घर वापस आ गई हैं.

जब मैंने देखा कि गेट खुला हुआ है, तो मैं खुश हो गया कि मम्मी अन्दर होंगी.
मैं उन्हें आवाज लगाने ही वाला था कि एक अजीब सी आवाज आई.

वह आवाज सुनकर मैं थोड़ा आगे आया तो देखा कि कमरे में से ‘उह … आह …’ की आवाज आ रही थी.
मैं हैरान रह गया और मैंने सोचा कि कहीं मम्मी पापा दोनों ही तो काम पर नहीं लगे हैं!

मैंने चुपचाप अपने कमरे में बैग रखा और मम्मी के कमरे की तरफ आ गया. उनके कमरे की खिड़की हल्की सी खुली हुई थी, मैं वहीं से झांकने लगा.

मेरे पैरों के नीचे से एकदम से जमीन खिसक गई और मन रोमांचित हो उठा.

मेरी आंखों के सामने मेरी दीदी चुद रही थीं.
मोहल्ले का ही एक काला तगड़ा लड़का उनके ऊपर चढ़ा हुआ था और उनकी चूत में बहुत तेज तेज अपना लंड पेल रहा था.

मुझे पहले तो गुस्सा बहुत आया, पर अन्दर से एक रोमांच भी भर रहा था.
मैं चुपचाप उनकी चुदाई देखता रहा.

दीदी की चूत एकदम गुलाबी थी और वह लड़का, जिसका नाम सौरभ था … वह एकदम काला था लेकिन उसका लंड बहुत मोटा नजर आ रहा था.

मैं देखकर हैरान था कि मेरी दीदी इस काले लड़के से कैसे चुद सकती हैं.
मेरी दीदी की गांड का साइज 38 है और चूची 36 की हैं. कमर एकदम पतली है जो 30 इंच के आसपास की होगी.

उनकी गांड बहुत ही सुंदर दिखती है, जब वह चलती हैं … तो लगता है कोई अप्सरा जमीन पर आ गई है.

परंतु आज उन दोनों को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई राक्षस किसी सुंदर परी के ऊपर चढ़ा हुआ है और वह परी आराम से उसे चढ़ने दे रही है.

दीदी की छोटी सी चूत में उसका मूसल सा लंड बार-बार अन्दर बाहर हो रहा था.

उन दोनों के झटकों से पूरा बेड चरमरा आ रहा था.
ऐसा लग रहा था जैसे कहीं पलंग अभी टूट ही ना जाए.

उसने मेरी दीदी की गांड के नीचे तकिया लगा रखा था जिससे दीदी के चूतड़ ऊपर को उठे हुए थे और लंड के झटके भी पूरे अन्दर तक जा रहे थे.

दीदी का चेहरा देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह अभी रो देंगी.
लेकिन अगले झटके पर फिर से आह की आवाज के साथ दीदी पूरा लंड अन्दर ले लेतीं.

अन्दर का नजारा बहुत ही रोमांचक था. मेरा मन कर रहा था कि मैं अन्दर आराम से बैठ कर अपनी दीदी को चुदती हुई देखूं.

दीदी बीच-बीच में हल्की सी चीख भी मार रही थीं.
मेरी दीदी की टांगें ऊपर उठी हुई थीं जिस वजह से मुझे दीदी की गांड का छेद भी साफ नजर आ रहा था जो बहुत ही सुंदर दिखाई दे रहा था.

थोड़ी देर बाद उस लड़के सौरभ ने अपना लंड बाहर निकाला और दीदी को घोड़ी बना दिया.
अब उसने फिर से अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया.

फच्च फच्च पिट्ट पिट्ट की आवाज कमरे में गूंज रही थी और मेरी दीदी घोड़ी बनी हुई थीं.
लंड के हर झटके पर उनकी ‘उह … आह …’ की आवाज मधुर संगीत पैदा कर रही थी.

उस सांड जैसे लड़के सौरभ ने दीदी को फिर से सीधा किया और झट से लंड पेल कर झटके लगाने लगा.

मुझे यह देखकर बहुत ही मजा आ रहा था.
करीब दस मिनट तक यही बहन की अंतरावासना का नंगा नाच चलता रहा.

दस मिनट बाद दीदी और जोर से चीखने लगीं और सौरभ के सीने से लिपट गईं.

वह भी पूरी ताकत से तेज झटके लगाने लगा.
उसने दीदी के होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और तेज तेज चूसने लगा.

दीदी उससे पूरी चिपक गईं और एक हल्की सी चीख के साथ वे दोनों झड़ गए.

थोड़ी देर सौरभ मेरी दीदी के ऊपर ही पड़ा रहा और बाद में दीदी को एक हल्की सी किस देकर वह उनके ऊपर से उठ गया.
मेरी दीदी जल्दी से उठीं और उन्होंने अपनी चूत की तरफ देखा, जो लंड के वीर्य से पूरी भरी हुई थी और वीर्य उनकी चूत से बाहर बहने को हो रहा था.

उन्होंने एक कपड़े से बाहर आ रहे वीर्य को साफ करना शुरू किया और अपनी पैंटी पहनने लगीं.

कपड़े पहनते हुए वे दोनों धीरे-धीरे बातें कर रहे थे.
दीदी अपने दूध सहलाती हुई कह रही थीं- आज तो तुमने बहुत देर तक मेरी चूत को बजाया है, अब राज आने वाला है … तुम जल्दी से चले जाओ!

सौरभ बोला- आ जाने दो, वह भी देख लेगा कि उसकी बहन अपने जीजा से चुद रही है.
वह यह कहकर हंस दिया.

मेरी दीदी भी हल्की सी मुस्कुरा दीं और बोलीं- मजाक छोड़ो, जल्दी से कपड़े पहनो और जाओ. बहन और भाई दोनों आने वाले हैं. अगर उन्होंने तुम्हें यहां देख लिया तो पता नहीं क्या सोचेंगे!
वह बोला- ठीक है मेरी जान!

वह जल्दी जल्दी कपड़े पहनने लगा.

मेरी नजर उसके लंड पर थी जो बहुत ही मोटा था और बड़ा भी करीब 8 इंच का होगा.
उसने कहा- मैं कल फिर से आऊंगा और मेरे साथ सुनील भी आने को कह रहा था.

दीदी ने कहा- वह साला गांड मांगता है, मैं नहीं दे सकती. उससे कहना कि पीछे से करने को ना कहे वरना मैं तुमसे भी नहीं मिलूंगी … और कल थोड़ा जल्दी आना. इस समय स्कूल की छुट्टी हो जाती है. यदि बहन भाई दोनों आ गए, तो परेशानी हो जाएगी.
उसने कहा- ठीक है, मैं 10:00 बजे आ जाऊंगा. तुम तैयार रहना.

दीदी ने कहा- अगली बार आओ, तो कंडोम लेकर आना … ऐसे में मुझे डर लगता है … और सुनील को बोल देना कि वीडियो ज्यादा ना बनाया करे, अगर लीक हो गई तो मुसीबत आ जाएगी.
उसने कहा- ठीक है, मैं बोल दूंगा. वैसे भी वह वीडियो में तुम्हारा चेहरा तो लेता ही नहीं है, तो लीक हो भी जाएगी तो भी कोई दिक्कत नहीं है.

दीदी ने कहा- जैसी तुम्हारी मर्जी लेकिन जब आओ तो कंडोम जरूर लाना.
उसने कहा- कोई बात नहीं, अगर कुछ होगा तो मैं देख लूंगा.
दीदी बोलीं- नहीं, कंडोम ही लेकर आना.
उसने कहा- ठीक है.

वह अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गया था और जाने लगा था.
उसको बाहर आते देख कर मैंने जल्दी से अपना बैग उठाया और बाहर की तरफ भाग गया.

मैं यह सब सुनकर हैरान था कि दीदी इतनी बड़ी चुदक्कड़ हैं कि दो दो लंड से चुदवाती हैं.
मैं करीब 5 मिनट बाद आया तो देखा कि गेट बंद है.

मैंने गेट खटखटाया तो थोड़ी देर में दीदी बाहर आईं.
उनके होंठ बहुत ही खूबसूरत दिख रहे थे.

मैंने ऐसा रिएक्ट किया कि जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं है, जो थोड़ी देर पहले हो रहा था.

दीदी ने कहा- सोनम नहीं आई?
तो मैंने कहा- आ रही होगी, मैं आगे आगे जल्दी आ गया. वह अपनी सहेली के साथ बात करती हुई आती है. मैं उसके साथ धीरे-धीरे नहीं चल सकता.

दीदी बोलीं- कोई बात नहीं. तू मुँह हाथ धो ले, मैं तेरे लिए खाना लगाती हूं.
दीदी के चेहरे पर अजीब सा सुकून था.

मैंने भी सोच लिया था कि कल दीदी की दो लंड से होने वाली चुदाई को जरूर देखूँगा.
उस रात को मुझे नींद ही नहीं आ रही थी.

बार बार दीदी की चूत से सौरभ के लंड से टपकने को तैयार वीर्य ही नजर आ रहा था.
मेरी दीदी की चूत चुदने के बाद कितनी सुंदर लग रही थीं.

उनकी चूत से सफेद मलाई जैसा वीर्य बिल्कुल आधी छिली हुई लीची जैसी लग रहा था.
वह दृश्य बिल्कुल ऐसे लग रहा था, जैसे गुलाबी रंग की लीची का छिलका आधा छील कर उसके अन्दर से सफ़ेद गूदे को निकलने को रेडी हो.

ठीक वैसा ही सीन दिख रहा था.
दीदी की गुलाबी चूत में से टपकने को आतुर सफेद वीर्य चूत के छेद से बाहर झांक रहा था.
न जाने किस तरह से दीदी ने दम लगाया कि उनकी चूत से वह सफेद वीर्य एक पिचकारी की शक्ल में बाहर को फिंका.

फिर उन्होंने कपड़े से उस वीर्य को समेट लिया.

वही दृश्य याद करके मेरा लंड तनने लगा था.
मैंने अपने लौड़े को सहलाया और दीदी की चुदाई को अपनी यादों में अंकित करने लगा.

सौरभ का काला और मोटा लंड मेरी दीदी की चूत में एकदम गसा और फंसा हुआ था.
वह जैसे ही अपने लंड को चूत के अन्दर पेलता, तो ऐसा लगता कि किसी गुदाज फल में काले रंग का लोहे का सरिया पेल रहा हो.

फिर जैसे ही उसका मोटा लंड मेरी दीदी की गुलाबी चूत से बाहर निकलता, तो उसके लंड पर चूत की मलाई साथ चिपक कर बाहर आ जाती.

उस वक्त सौरभ का मोटा लंड किसी चौकोबार के जैसे लग रहा था जिसे चूत के होंठों ने चूस कर उसकी मलाई को निकाल दिया हो.

सच में मेरी बहन की चूत चुदाई का वह सीन कितना मादक था.

यही सब सोच सोच कर मेरे लंड ने मुझे हाथों को आदेश दे दिया कि उसकी मालिश की जाए.

मैं दीदी के चूचे याद करता हुआ अपने लंड की मुठ मारने लगा.

अपनी बहन की चुदाई के बाद की वह आखिरी पिक्चर मेरे दिमाग से हट ही नहीं रही थी जब सौरभ ने कल अपने दोस्त को साथ लाने के लिए कहा और दीदी ने हंस कर हां कह दिया.

कल मेरी दीदी की दो लंड से चुदाई होनी है, यही सोच कर मेरे हाथों ने लंड की गर्दन को मरोड़ना शुरू कर दिया और लंड ने अपनी उल्टी से मेरे हाथ को खराब करना शुरू कर दिया.

मैंने अपने पास रखे एक पेपर नैपकिन से लंड के मुँह को दबा दिया और उसका सारा वीर्य निकल गया.

वीर्य पतन के उपरांत मुझे एकदम से नशा सा छा गया और मैंने आंख बंद कर लीं.
कब नींद के आगोश में मैं समाता चला गया, कुछ होश ही न रहा.

सुबह अपनी बहन के उठाने पर मैं उठा.
सोनम मुझे उठा रही थी- चलो उठो, स्कूल नहीं जाना है क्या?

मैंने आंखें खोलीं और उसी पल मुझे कल का सारा वाकिया वापस याद आ गया.
मैंने सोनम से कह दिया- तुम चली जाओ, मैं बाद में आता हूँ.

उस वक्त तक मम्मी पापा अपनी जॉब पर जा चुके थे और मेरी दीदी किचन में कोई गाना गुनगुनाती हुई काम कर रही थीं.

उनकी मस्ती बता रही थी कि आज दीदी को दो लंड से चुदवाने की खुशी हो रही है.

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