Thursday, November 21, 2024
Hindi Midnight Stories

मेरी पहली चुदाई भतीजे के साथ

अभी कमसिन कली हूं और मेरे छोटे छोटे चूचे और एकदम कसी हुई नन्हीं सी बुर थी.
मेरा गोरा रंग है और मैं दिखने में काफी सुंदर हूं.

मैं मध्य प्रदेश के मुरैना जिले से हूं.

अभी तक मैं सील पैक माल हुआ करती थी मगर अब मेरी चूत का उद्घाटन हो गया है.
यह शुभ काम करने वाला कोई और नहीं मेरा दूर के रिश्ते में लगता भतीजा अभय था.

यह कहानी मेरी और मेरे भतीजे की है जो मेरी ही उम्र का है.

इस कहानी में मैंने बताया है कि किस तरह उसने रात में सोते समय में मेरी चूत मार ली, मुझे फर्स्ट इन्टरकोर्स का मजा दिया. इस तरह से हमारा रिश्ता बुआ भतीजे की जगह बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड का हो गया.

वह अपने माता पिता के साथ गांव से बाहर एक कस्बे में रहता है और मैं गांव में रहती हूं.

जनवरी का मौसम था.
सर्दी पड़ रही थी.

तभी एक दिन अभय घर आया.
उस समय मेरे घर कोई नहीं था.

उससे बात हुई तो पता लगा कि वह मेरी मम्मी के कहने पर मेरे घर में कुछ दिन रुकने आया है.

सब लोग वृंदावन घूमने के लिए गए हुए थे.
मैं घर पर अकेली थी इसलिए मेरी मां ने अभय को मेरे घर आने के लिए कह दिया था.

इस समय तक मेरे और अभय के बीच चुदाई को लेकर कोई सम्बन्ध या बातचीत नहीं थी.

रात हुई तो मुझे डर लग रहा था क्योंकि मैं अकेली थी.
मैंने अभय को अपने साथ अपने बिस्तर पर सुला लिया था.

रात में सर्दी से बचने के लिए हम दोनों एक ही कम्बल में चिपक कर लेट गए.

रात को उसने मुझे अपने आपसे कुछ ज्यादा ही चिपका लिया.
मैंने उससे इसका कारण पूछा, तो उसने कहा- यह मेरी आदत है. मैं अपने साथ सोने वाले को पकड़ कर सोता हूँ.

मैंने उससे कुछ नहीं कहा.
कुछ देर बाद मेरी नींद लग गई.

रात को मुझे मेरे पीछे कुछ अजीब सा लगा.
मैंने पलट कर देखा तो पाया वह बिना कपड़ों के सो रहा है. उसका लंड एकदम खड़ा था और मेरी पजामी में पीछे से घुसना चाह रहा है.

यह देख कर मुझे अजीब लगा मगर मैं भी यह सही मौका देख कर खुश हो गई.

मैं भी जवान थी और मेरी चुदास भी भड़कने लगी थी.

कुछ देर तक यूं ही उसके लंड की गर्मी का अहसास करने के बाद जब मुझसे न रहा गया तो मैं भी उठ खड़ी हुई और अपने कपड़े उतार दिए.

अब मैं केवल ब्रा और पैंटी में थी और अपने भतीजे से चिपट कर लेट गई.
इस बार मैं उसके सीने से सीना लगा कर लेट गई थी.

वह कड़ियल मर्द था और उसका सख्त सीना मेरे उरोजों को मींज सा रहा था.
उसका नंगा लंड मुझे मेरी पैंटी पर गड़ता सा महसूस होने लगा था.

मैं भी चुत पर कड़क लंड का अहसास पाकर गर्म होने लगी.
उसका लम्बा मोटा लंड था और मेरी बुर में टक्कर मार रहा था.

मैं अपनी पैंटी में छुपी हुई चूत को अभय के लंड पर धीरे धीरे घिसने लगी.
मेरी बुर ने नम होना शुरू कर दिया था और मेरी पैंटी चिपचिपी होने लगी थी.

यह शायद अभय ने समझ लिया था कि मेरी बुर चुदने के लिए तैयार होने लगी है.

थोड़ी ही देर में ही उसका हाथ मेरे चूचों पर आ गया और वह धीरे धीरे मेरे चूचों पर हाथ फेरने लगा.
मैं अपने चूचों पर उसके हाथ का मज़ा लेने लगी.

थोड़ी देर बाद वह मेरे मम्मों को दबाने लगा, जिससे मैं गर्म हो गई.

अब मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया तो वह मुझे किस करने लगा.
‘उम्म्म्मा … उम्ममाह …’

मैं अब तक बहुत गर्म हो चुकी थी और बुर से लगातार रस टपकने लगा था.

तभी उसका एक हाथ मेरी चूत के पास आ गया.
उसने अपनी एक उंगली मेरी पैंटी के बगल से अन्दर की और मेरी चूत में डाल दी.
मुझे हल्का सा दर्द हुआ तो मेरे मुँह से आह निकल गई.

वह ऐसे ही मेरी चूत में उंगली करता रहा और मुझे चूमता रहा.
मैं पानी छोड़ने लगी थी.

उसने मुझसे पूछा- आप पैक माल हो क्या?
मैंने हां में सर हिलाया.

उसने मेरे होंठों पर चुम्मी ली और बोला- अब ऐसे समझो कि हम कोई भी बुआ भतीजे नहीं हैं. बस दो पागल प्रेमी हैं.
मैं बोली- ऐसा क्यों … अगर बुआ भतीजे है तो क्या दिक्कत है?

अभय बोला- दुनिया के लिए हम दोनों बुआ भतीजे हैं. लेकिन अब से तू मेरी जान है … मेरी गर्ल फ्रेंड है.
मैं- हम्म … ऐसा है क्या?
अभय- हां.

मुझे यह सुन कर काफी अच्छा लगा और मैं मुस्कुरा दी.

वह मुझे जोर से गले लगा कर आई लव यू बोलने लगा.

मैं तब तो उससे इसके जवाब में कुछ नहीं बोली.
पर मुझे उसका आई लव यू कहना अच्छा लगा.

उसने भी उस रात कुछ नहीं किया.
बस मेरी बुर में उंगली की और मेरी चुत झाड़ कर अपनी उंगली को चाटने लगा.

मैंने कहा- उंगली क्यों चाट रहे हो?
वह बोला- माल टेस्टी है.

मैं कहना चाहती थी कि बुर का रस टेस्टी लगा रहा है तो सीधे बुर में ही मुँह क्यों नहीं लगा कर चाट ले रहा है.
जब मैं झड़ चुकी तो कुछ ही देर बाद उसने भी अपने लंड की मुठ मारी और माल को अपने कच्छे में ही टपका कर निढाल हो गया.
उस रात इससे अधिक कुछ नहीं हुआ और हम दोनों कपड़े पहन कर एक दूसरे से लिपट कर सो गए.

सुबह भी मैं इस सबके बारे में बहुत सोच रही थी.
तब तक उसने भी पूछ लिया.

अभय- ओहो मैडम जी, कुछ सोचा या फिर मज़े लेकर सो गईं?
मैं धीरे से मुस्कान दी और मैंने कहा- हां सोच लिया है.

अभय- अच्छा जी, फिर तो बताओ क्या सोचा है? अभी तक रात का जवाब तो दिया नहीं है!
मैं- आई लव यू टू.

अभय के चेहरे पर एकदम से मुस्कान आ गई.

मैं बेड पर लेटी हुई थी.
उसने मुझे अपनी ओर खींचा और प्यार करने लगा.

वह कहने लगा कि यदि रात को ही बोल दिया होता, तो रात को ही सिलाई उधेड़ देता.
मैं बस हंस दी.

वह मुझे किस करता हुआ मेरी शर्ट के ऊपर से दोनों चूचे दबाने लगा.

मुझे मजा आने लगा.
मैं भी अब उसको प्यार करने लगी और मैंने उसकी शर्ट खोल दी.

वह ऊपर से नंगा हो गया था.
वह मुझे चिपकाने लगा और चूमने लगा.

कुछ ही पल बाद उसने भी मेरी शर्ट उतार दी.
मैं ब्रा पहने थी … मेरे दोनों दूध बाहर निकलने को मचल रहे थे.

इसी तरह से प्रेमालाप करते हुए हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतारे और अपने बदन एक दूसरे से रगड़ने लगे.

कुछ पल वह अपनी अंडरवियर उतारकर मुझे अपना लंड दिखाने लगा.

मुझे लंड देख कर न जाने क्यों ऐसा लगा कि यही है वह यंत्र जो मेरी जरूरत को पूरा करेगा.

उसने धीरे धीरे मुझे किस करते करते मेरी ब्रा पैंटी कब उतार दी, मुझे पता ही नहीं चला.
मैं बस लंड को निहार रही थी.

अब वह मेरी तरफ देख कर बोला- मेरा बच्चा कितना प्यारा है!

उसके मुँह से ये प्रेम भरे शब्द सुनकर मैं थोड़ा शर्मा गई और अपने हाथों से अपनी चूत ओर चूचे छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी.

उसने एकदम से मेरा हाथ पकड़ा और मुझे लिटा कर कम्बल ओढ़ा लिया.

वह मुझे कम्बल के अन्दर लेकर चूमने लगा.
मैं अपने दोनों हाथों से उसकी पीठ दबाए हुई थी और टांगों से उसके पैर जकड़ी हुई थी.
इसलिए उसका लंड मुझे मेरी चूत पर महसूस हो रहा था.

अब वह मेरे एक चूचे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

मैं आआह … आह की आवाज़ निकालने लगी और सिसकारियां भरने लगी.
इतनी देर में मेरी चूत झड़ चुकी थी.

अब उसने अपना लंड मेरी चूत पर लगा दिया.
मैं कुछ कहती उससे पहले तो उसने लंड अन्दर कर दिया.

उसके लंड का सुपारा मेरी फांकों को चीरता हुआ जैसे ही अन्दर घुसा, मेरी दर्द भरी चीख निकल गई.
मैं दर्द से तड़फ उठी- आआहां … मर गई आआह … आह मेरी फट गई … आआह!

मगर अभी तो बस सुपारा ही बुर में घुसा था.
उसने जरा और दाब दिया तो उसका आधा लंड मेरी बुर को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.

मेरी चूत से खून आने लगा था.
बहुत दर्द हो रहा था.
मेरी आंख से आंसू भी आने लगे थे.

अभय थोड़ा रुका और उसने वापस मेरी चूत में एक और तेज झटका देते हुए पूरा लंड अन्दर पेल दिया.
बस अब क्या था. मेरे तो मानो प्राण ही निकल गए थे.

अभय ने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया था जिससे मैं चिल्ला भी नहीं पाई.

वह कुछ देर रुका और उसने मुझे पुन: पेलना शुरू कर दिया.

कुछ समय के दर्द के बाद अब मैं लंड की रगड़ कर मज़ा लेने लगी.
मैं भी उसका साथ देती हुई ‘ऊ … आह …’ की आवाज निकालने लगी.

वह मेरी चूत को चोदे जा रहा था.
कभी वह मेरे होंठों को चूसता, तो कभी मेरे चूचे चूसने लगता.

वह यह सब बेहद प्यार से कर रहा था.

करीब आधा घंटा चले इस फर्स्ट इन्टरकोर्स का मजा लेने के बाद मैंने पानी छोड़ दिया.
मगर वह अभी भी मेरी चूत चोद रहा था.

करीब दस मिनट बाद वह भी मेरी चूत में झड़ गया.

कुछ देर बाद जब सांसें सामान्य हुईं तो वह उठ खड़ा हुआ और बिस्तर से नीचे खड़े होकर अपने लंड को सहलाने लगा.
मैं उसके कड़क होते लंड को देख रही थी.

वह लौड़े पर हाथ फेरते हुए बोला- चूसोगी?
मैंने साफ इंकार कर दिया.

उसने भी मुझे ज्यादा फोर्स नहीं किया.

मैं काफी थक चुकी थी और लंबी लंबी सांसें ले रही थी.

उसने बिस्तर में झुक कर मुझे अपनी बांहों में भरा और गोद में लेकर बाथरूम की तरफ चल दिया.

उसने मेरी चूत गर्म पानी से साफ की और चाटी भी.

फिर उसने मुझे वापिस लाकर बिस्तर पर लिटा दिया.

मैं कम्बल को केवल अपने मम्मों तक ओढ़ कर लेटी थी और काफी हॉट माल लग रही थी.

अब हम दोनों ने काफी देर तक बातचीत की.

कुछ ही देर में लंड ने फन उठाना शुरू कर दिया और उसका लंड मेरी बुर को प्यार करने लगा.

उसने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर मेरी बुर में पेलना चाहा.
मैंने उसे रोका और कहा- उसने रास्ता देख ली है … उसे खुद ही जाने दो.

वह भी मुस्कुरा दिया और मेरी टांगों को अपनी टांगों से रगड़ कर लंड को बुर में ठेलने की कोशिश करने लगा.
मैं भी बुर खोल कर लंड लेने की कोशिश कर रही थी.

मगर जिस पोजीशन में हम दोनों चुदाई करने की कोशिश कर रहे थे, उस पोजीशन में लंड का बुर में घुस पाना संभव नहीं था.

चुदी हुई बुर होती तब भी एक बार लंड घुस सकता था.
पर अभी तो बुर ने अपना उद्घाटन करवाया था तो कसावट ज्यादा थी.

फिर उसने मेरे ऊपर चढ़ कर बुर को चोदने की कोशिश की तो इस आसन में बुर ने लंड को अपने अन्दर समाहित कर लिया.

जिस वक्त लंड ने बुर में खुद से प्रवेश किया, हम दोनों को बेहद प्रसन्नता हुई कि लंड बुर की दोस्ती पक्की हो गई है.

मुझे दर्द हुआ, पर मैं जल्द ही दर्द भूल कर चुदाई का मजा लेने लगी.
कुछ देर बाद वापस स्खलन हुआ और हम दोनों वैसे ही लंड बुर को फंसाए सो गए.

इस तरह से उस रात हम दोनों ने दो बार सेक्स किया था.

इसके बाद जब वह अपने घर वापस चला गया, तब भी हमारी ऑनलाइन चैट, कॉल पर बात होती.

हम एक दूसरे को अपनी नंगी तस्वीर अभी भी भेजते हैं.

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