Thursday, November 21, 2024
Hindi Midnight Stories

मेरे जीवन की शुरुआती चुदाइयाँ

मैं विक्रम!

यह कहानी तब की है जब मैं नादाँ था और अपने पड़ोस के लड़कियों के साथ खेला करता था.
क्योंकि मैं उस कॉलोनी में सबसे स्मार्ट लड़का दिखता था तो आपपास की सबी लड़कियां मेरे साथ ही खेलना चाहती थी.

मैं लड़कियों के साथ घर घर वाला खेल रहा था.
उस खेल में मैं अकेला लड़का था और 3 लड़कियां थी अन्नू, रूबी और नैना!
तीनों उम्र में मुझसे 1 से 2 साल बड़ी थी.

उस खेल में मैं अकेला लड़का था इसलिए मैं ही सबका घरवाला बना था.
क्योंकि उस टाइम पर गोविंदा की ‘साजन चले ससुराल’ मूवी बहुत ही फेमस था तो सबने तय किया कि सबका घरवाला मुझे बनना होगा.
फिर मैं भी तैयार हो गया और फिर खेल चालू हो गया.

खेल में काम पर जाना. मेहनत करना और फिर घर जाने पर बीवियों से सेवा करवाना था.
फिर रात होने पर उनके साथ सोना होता था.

लेकिन उस खेल में सबसे अच्छी बात यह थी कि रात होते ही मुझे उनकी चुदाई करनी होती थी.

पर मैं इस खेल में थोड़ा सा कच्चा था … लेकिन लड़कियां काफ़ी हद तक इस खेल को जानती थी.

तो जब रात होती और मैं उसके साथ सोता था तो वे मेरे कपड़े निकाल कर मेरा लंड चूसती.
जिससे मेरा लंड खड़ा हो जाता और फिर मैं भी चोदने के लिए तैयार हो जाता और उनके ऊपर चढ़ कर खूब चोदता था.

उनमें से अन्नू बहुत ही गोरी लड़की थी जो मुझे बहुत पसंद करती थी और वही हमेशा मुझसे पहले चुदाती थी.
और मैं भी उसको बहुत देर तक चोदता था.

उसने अपने मम्मी पापा को शायद सेक्स करते देखा था.
इसलिए वह हमेशा मुझसे अलग अलग तरीके से चोदना सिखाती थी.
वह पहले मुझसे अपनी चूत को चाटने कहती, फिर मेरा लंड को चूसती और फिर अपने दोनों टांगें ऊपर उठा कर मेरा लंड अपने चूत में लेती थी.

हम दोनों जब चुदाई करते थे तो रूबी और नैना छुप छुप कर हमें देखती थी.
उसके बाद वे दोनों भी मुझसे वैसे ही चोदने को बोलती.

और जब भी उनमें से सिर्फ एक मेरे साथ खेलने आती तो वह मुझसे खूब चुदाई करवाती थी.
धीरे धीरे उनकी शादी हो गयी और अब हम लोगों में सेक्स नहीं हो पाता.
लेकिन जब भी उन लड़कियों को देखता हूं तो पुरानी बातों को याद करके मेरा लंड खड़ा हो जाता है.

चलो अब असली कहानी पर आते हैं.

यह उस समय की बात है जब मैं कॉलेज के पहले साल में था.
मैं अपने गांव से दूर रायपुर में किराये के मकान में रहने लगा था.

पूरा दिन कॉलेज में रहने के बाद जब मैं वापस आता था तो मेरा टाइम ही नहीं कटता था.

मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा था और हमेशा अपने क्लास में टॉप में रहता था.

यह बात जब आस पास के छात्रों को पता चली तो उन्होंने मुझसे पढ़ने की इच्छा जताई.
तो मैंने भी सोचा कि चलो इसी बहाने मेरा भी टाइम पास हो जाएगा.

और फिर मैंने उनको पढ़ा़ना आरम्भ कर दिया.
सब बच्चे मिडल की कक्षाओं के थे और गरीब घरों के बच्चे थे.
तो मैंने उनसे फीस ना लेने की सोची.

बच्चे पढ़ाई में काफी कमजोर थे तो मुझे उन पर बहुत मेहनत करनी पड़ी..
तब कहीं जाकर उनके स्तर में थोड़ा सुधार आया.

मैं उन्हें शाम के समय में ही पढ़ाता था तो कभी कभी रात भी हो जाती थी.
कुछ बच्चे पास के घरों के थे, वे आसानी से घर चले जाते थे.
लेकिन कुछ बच्चे दूर के घरों से भी आते थे तो मैं कभी कभी उनको छोड़ने चला जाता था.

एक दिन जब मैं बच्चों को पढ़ा रहा था.
कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था, मुश्किल से 2-3 इंच की ही जगह बची हुई थी.
कि मैंने देखा कि कोई साधारण सी दिखने वाली लड़की दरवाजे से कुछ दूरी पर खड़ी अंदर देखने की कोशिश कर रही थी.

और अनायास मेरी भी नजर बार बार उधर ही जा रही थी.
मुझे यह जानने की तीव्र इच्छा होने लगी थी कि वह कौन है.

फिर मैं बच्चों को काम देने के बाद तेजी से दरवाजे की ओर बढ़ा और देखा कि एक सांवली सी लड़की, जिसकी उम्र 19-20 वर्ष होगी, मेरे सामने खड़ी थी.
वह देखने में उतनी खूबसूरत नहीं थी.
लेकिन उसके शरीर की बनावट किसी अप्सरा से कम नहीं थी.

मेरे अंदर उसे खा जाने की भूख उमड़ने लगी और मेरा लंड लोअर के अंदर से उसकी तरफ जाने के लिए बेकरार होकर खड़ा हो गया.

मैं उसके जिस्म को देख कर आंखें सेक रहा था और खड़े खड़े वहीं पर उसको चोदने के सपने देखने लगा.

मेरा सपना अचानक से तब टूटा जब उसने मुझे नमस्ते कही.

फिर मैंने अपने आपको सम्भालते हुए उससे कहा- आप कौन हो और आपको क्या चाहिए?
उसके जवाब देने के बाद मुझे पता चला कि जिन बच्चों को मैं पढ़ा रहा हूं, उन्हीं में एक लड़का उसका भाई था. जिसका नाम गीतेश था.

मैंने गीतेश से कहा- कोई आपसे मिलने आया है!
तब गीतेश ने बताया कि घर दूर होने के कारण उसकी दीदी हर रोज उनको लेने आती है.

मुझे उसकी बात सुनकर खुशी हुई कि मैं हर रोज उस कामदेवी के दर्शन कर पाऊंगा.

अब हर रोज मैं बच्चों को थोड़ी देर तक पढ़ाने लगा और अंत में उनको सवाल हल करने दे दिया करता था.
और फिर मैं दरवाजे को आधा खोलकर सीधे में कुर्सी लगाकर बैठे उसके आने का इंतजार करता.

जब वह आ जाती मैं उसे ही ताड़ता रहता था.
शायद वह भी यह बात समझ चुकी थी.
इसलिए कुछ समय पहले ही आकर वह मुझे देखती रहती थी.

एक दिन मेरे घर से फोन आया और मुझे गांव बुलाया गया.
मुझे दूसरे दिन सुबह निकलना था.

उस दिन के ट्यूशन खत्म करने के बाद जब वह लड़की बाहर खड़ी थी, तब मैंने सभी बच्चों से कहा- मैं कुछ दिन के लिए अपने गांव जा रहा हूं. किसी को कोई समस्या हो तो आप मुझे काल कर सकते हैं. तो आप सभी मेरा नंबर नोट कर लो.
सभी बच्चे नंबर लिख कर जाने लगे.

तभी मैंने गीतेश को आवाज लगाई.
दरअसल यह आवाज मैंने उसकी दीदी के लिए लगाई थी.

फिर मैंने उसकी दीदी को देखते हुए ही कहा- गीतेश, मेरा नंबर ले लिया ना … जरूरत हो तो काल जरूर लगाना.
गीतेश ने ‘जी सर’ कहा और जाने लगा.

उसकी दीदी शायद मेरे बोलने का मतलब समझ चुकी थी.

दूसरे दिन मैं घर के लिए निकल पड़ा.
वहां पहुंचने के बाद मुझे पता चला कि मेरे बड़ी बहन के लिए एक अच्छा रिश्ता आया था और अब मुझे ही उनके सगाई का सारा काम देखना था.

दो दिन बीत चुके थे कि शाम को किसी अनजान नंबर से कॉल आया.
मैंने काल अटेंड किया तो पता चला कि वह गीतेश की बहन थी.

अब तक हमारे बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी, इस कारण मुझे उसका नाम भी नहीं पता था.
मैंने जब उसको नाम पूछा तो उसने अपना नाम कविता बताया.

इसके पहले कि मैं उनसे कुछ पूछता, वह बोली कि वह मुझे पसंद करती हैं और ‘आई लव यू’ बोल कर फोन काट दिया और मैसेज छोड़ दिया कि वह इसका जवाब मेरे वापस जाने के बाद आमने-सामने चाहती है.
मैं बहुत खुश हुआ कि मुझे कुछ करना ही नहीं पड़ा और चूत का जुगाड़ हो गया.

दूसरे दिन मेरे बहन की सगाई थी.
मेरी बहन की सगाई बहुत अच्छे से हो गई.

पूरे दिन काम करने के बाद रात में मैं कविता को याद करते हुए मुठ मार कर सो गया.

उसके दूसरे दिन सुबह से ही मैं रायपुर के लिए निकल पड़ा और पूरे रास्ते कविता के बारे में सोच रहा था.

मुझे पहुंचते पहुँचते शाम हो चुकी थी.

मैंने फ्रेश होकर कविता को काल किया तो कविता ने बताया कि 2 दिन बाद घर के सभी लोग मामा के घर जा रहे हैं, तभी मैं आपसे मिलूंगी।

तब मैंने दो दिन बहुत मुश्किल से काटे.

फिर आखिर वह दिन आ ही गया जब मैं देसी इंडियन गर्ल कविता को चोदने वाला था.

कविता ने 9 बजे फोन लगा कर बताया कि सब लोग थोड़ी देर में मामा के घर जाने के लिए निकल जायेंगे, फिर वह मेरे कमरे में ही मुझे मिलने आयेगी.

मैंने उसके आने से पहले अपने रूम की थोड़ी सफाई कर ली और बेकरी जाकर कुछ खाने का सामान खरीद लिया.

मैं इंतजार कर रहा था कि अचानक से कविता आ गई.
तब मैं तुरंत अपने रूम से बाहर निकल आया और आप पास का जायजा लिया कि किसी को शक तो नहीं हुआ या आस-पास कोई है तो नहीं!

फिर मैं अपने कमरे में आ गया और दरवाजा बंद कर दिया और कविता पर टूट पड़ा.

हम दोनों एक दूसरे को इस तरह से चूमने चाटने लगे जैसे एक दूसरे को खा जाएंगे.
हमारे शरीर से कब कपड़े अलग कब हुए, हमें अहसास ही नहीं हुआ.

कविता मेरे पूरे बदन से खेल रही थी और मैं उसके बदन से!
वह किसी रंडी की तरह मेरे लंड से खेलने लगी और मुंह में लेकर चूसने लगी ओ एक बच्चे की तरह मेरे लंड को लालीपाप जैसे चूस रही थी.

उसके ऐसा करने से मैं सातवें आसमान में चला गया था और मैं भी उसकी चूत को सहलाने लगा.

थोड़ी ही देर में हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए और 20 मिनट तक हम दोनों इसी पोजीशन में एक दूसरे के साथ चिपके रहे.
फिर चरमसीमा पर पहुँच कर एक दूसरे के मुंह में ही पानी छोड़ दिया जिसे चाट कर साफ़ कर दिया.

थोड़ी ही देर में मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया.
मैं फिर से कविता के ऊपर टूट पड़ा.

इस बार मैं कविता को नीचे लिटा कर दोनों पैरों को फैला कर दोनों टांगों के बीच बैठ गया और अपने लंड को कविता के चूत में सेट करके जोर का धक्का दिया.
मेरा मोटा लंड कविता की चूत को चीरता हुआ आधा लौड़ा चूत में घुस गया.

कविता दर्द में छटपटाने लगी और लन्ड बाहर निकालने की कोशिश करने लगी.
मेरी पकड़ मजबूत होने के कारण उसकी कोशिश कामयाब नहीं हुई.

थोड़ी देर बाद मैंने फिर से एक धक्का लगा दिया और इस बार लंड चूत में पूरा घुस गया.
कविता की हालत गंभीर हो चुकी थी.
उसकी आंखों से आंसू बहने लगे और चूत का पर्दा टूटने के कारण खून भी निकल रहा था.

मैंने धीरे धीरे लंड आगे पीछे करना शुरू किया.
10-15 धक्के के बाद कविता को भी मज़ा आने लगा था और वह चूतड़ उठा उठा कर चूत मरवाने लगी.
उसी के साथ मैंने भी स्पीड बढ़ा दी और कविता की ताबड़तोड़ चूदाई चालू कर दी.

15 मिनट तक लगातार चुदाई के बाद मैंने सारा माल उसकी चूत में ही भर दिया.
और जब उससे अलग हुआ तो वह बेड को देख कर डर गई.
सील टूटने के कारण बहुत सारा खून बेड पर फ़ैल गया था.

कविता को जब इन सबके बारे में बताया तो वह बोली- अब मैं लड़की से औरत बन चुकी हूँ.

इस तरह हम बात ही कर रहे थे कि मेरा लौड़ा खड़ा हो चुका था और कविता समझ गई कि आज तो उसकी जमकर चुदाई होने वाली है.

मैंने कविता को इशारा किया कि अब वो मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे लंड पर बैठ जाए.
कविता खड़ी होकर मेरे ऊपर आ गई और मैं नीचे लेट गया.

वह मेरे लंड पर अपनी चूत सेट कर के बैठ गई और पूरा लंड आसानी से चूत में घुस गया.
अब कविता हॉट सेक्स का मजा लेती हुई उछल उछल कर चूत मरवाने लगी.

उस समय कविता की चूचियां हवा में आम की तरह हिल रही थी जिन्हें मैं हाथों में लेकर दबा दबा कर चूसने लगा.
कविता पूरे जोश में चुदाई करने लगी.

काफी देर तक इसी पोजीशन में चुदाई करने के बाद मैं उसे घोड़ी बना कर देर तक चोदता रहा.

उस दिन हम लोग 4 राउंड में जम कर चुदाई का खेल खेलते रहे.
फिर 5 बजे वह अपने घर चली गई.

दूसरे दिन सुबह उसने फोन करके बताया कि उसके फैमिली वाले आज भी नहीं आयेंगे.

फिर मैंने कविता के घर में जाकर ही उसकी खूब चुदाई की.
मैं 2 साल तक रायपुर में रहा, एक साल मैंने उसकी खूब चुदाई की.

फिर शायद उनके घर वालों को शक हो गया और उसकी शादी करवा दी गई.

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