दोस्तो, मेरी दीदी का नाम कमलप्रीत कौर है.
वे मुझसे उम्र में 9 साल बड़ी हैं और शादीशुदा हैं.
हमारा गांव अमृतसर से करीब 92 किलोमीटर दूर है. दीदी और हमारे घर में पैसे की कोई कमी नहीं है.
हम दोनों के घर पास पास ही हैं वे अपने घर में जीजू के साथ रहती हैं और उनका इकलौता बेटा बंगलोर में पढ़ता है.
दीदी बहुत सेक्सी हैं. उन्हें देख कर मेरा बहुत मन करता था कि उन्हें चोद दूँ.
मैं आज अपनी भाई बहन का सेक्स लव कहानी लिख रहा हूँ जो एकदम सच है.
एक दिन पापा मम्मी बाहर गए थे तो दीदी मेरे घर में ही आ गई थीं और उनका खाना व रुकना यहीं था.
उनके घर से जीजू भी मेरे मम्मी पापा के साथ गए थे.
हम दोनों ही घर में अकेले थे.
मैंने खाने में एक सेक्स पावर बढ़ाने वाली गोली मिला दी और दीदी को खाना खिला दिया.
उस रात वासना से दीदी की हालत खराब होने लगी थी.
वे हॉल में बैठी टीवी देख रही थीं और टीवी पर एक सेक्सी डांस चल रहा था.
उसमें एक इंग्लिश डांसर अपने दूध दिखाती हुई तो गांड दिखाती हुई नाच रही थी.
दीदी से रहा न गया और वे अपनी नाइटी ऊपर उठा कर अपनी जांघ खुजाने लगीं.
मैं भी उधर ही बैठा था. मैंने सीन देखा तो समझ गया कि भट्टी गर्म होने लगी है.
कुछ देर बाद मैंने कहा- क्या हुआ दीदी कुछ दिक्कत है क्या?
दीदी नशीली आंखों से मेरी तरफ देखती हुई बोलीं- हां यार, आज बड़ा मन हो रहा है सेक्स करने का … और तेरे जीजू बाहर चले गए हैं.
मैं चुप रहा.
वे फिर से बोलीं- चल तू आज मेरी मालिश कर दे.
मैंने मन में सोचा कि चुदने का मन है दीदी तो साफ कहो न कि आज चोद दे, मालिश का बहाना क्यों कर रही हो.
मैंने कहा- हां ठीक है, कपड़े उतार कर करूँ या ऐसे ही?
दीदी हंस कर बोलीं- तेरा भी मन है क्या?
मैंने लंड सहलाते हुए कहा- हां है तो.
बस मैंने यह कहा ही था कि दीदी ने एक उंगली के इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और मैं उनके पास जाकर बैठ गया.
दीदी ने मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया और हम दोनों का लिप किस शुरू हो गया.
कुछ ही देर में हम दोनों के बीच घमासान शुरू हो गया.
उस रात मैंने दीदी को पटक पटक कर दो बार चोदा और उसके साथ ही नंगा सो गया.
उस दिन हम दोनों भाई बहन में सेक्स होने के बाद हमारे बीच लाज की दीवार गिर गई थी और अब जब भी जीजू घर में नहीं होते तो जीजू का रोल मैं ही अदा करता.
हालांकि दीदी के साथ अब तक ऐसा करने का सिर्फ तीन बार ही मौका मिला था.
सामान्य स्थिति में मेरी उनके साथ छेड़छाड़ करने की भी हिम्मत नहीं होती थी.
उस दिन दीदी को अपने 8 साल के बेटे को ट्रेन से लेने पंजाब से बंगलोर जाना था.
उनकी ट्रेन रात को दस बजे थी तो दीदी ने मेरे घर पर कॉल किया और मम्मी से बोलीं- शुभ को बोलो कि वह मेरे साथ बंगलोर चले. मैं अकेली जा रही हूँ और ट्रेन में अकेले सफ़र करना मुझे सही नहीं लग रहा है.
मम्मी ने मुझसे जाने के लिए बोल दिया.
मैं समझ गया कि अब दीदी के साथ ट्रेन में घपाघप करने का मौका मिलेगा.
हालांकि दीदी चाहतीं तो प्लेन से भी जा सकती थीं लेकिन उन्होंने मुझे साथ लेकर चलने का प्लान बनाया है.
इसका मतलब साफ था कि वे मुझसे चुदवाती हुई जाना चाहती थीं.
अब बात सिर्फ इतनी सी थी कि वे मेरे साथ ट्रेन में चुदवाना चाहती थीं या उनका कुछ और प्रोग्राम था.
मैंने दीदी को फोन लगाया और पूछा- कितने दिन का प्रोग्राम है दीदी … मैं उसी हिसाब से कपड़े रख लूँ?
दीदी बोलीं- पाँच दिन के हिसाब से तैयारी कर ले.
मैं और मेरी बड़ी दीदी कमलप्रीत कौर रेलवे स्टेशन पर आ गए.
रात 10 बजे की ट्रेन थी.
हम लोग अमृतसर स्टेशन पर 9 बजे ही पहुंच गए थे.
ट्रेन सही समय पर लग भी गई थी और हम दोनों ट्रेन में चढ़ भी गए थे.
हम दोनों ट्रेन के चलने का इंतजार कर रहे थे.
लेकिन दस की जगह ग्यारह बज गए, ट्रेन अभी चलने का नाम ही नहीं ले रही थी.
फिर कुछ टाइम बाद घोषणा हुई कि आज ट्रेन किसी वजह से कैंसिल कर दी गई है.
मैंने जाकर जानकारी की तो मालूम हुआ कि जो यात्री सफर करना चाहते हैं, उनके लिए कल सुबह की ट्रेन में व्यवस्था कर दी गई है.
और जो नहीं जाना चाहते हैं, उनके टिकट का सारा पैसा वापस किया जा रहा है.
मैंने जाकर दीदी को यह बताया तो दीदी ने कहा- अरे अब क्या करें, सुबह वाली ट्रेन तो 12 बजे की है.
हम लोगों का घर भी 92 किलोमीटर दूर था, तो वापस जाना और आना किसी लिहाज से सही नहीं था.
तो हम दोनों स्टेशन के बाहर आ गए.
आप सबको पता ही है कि स्टेशन या बस स्टैन्ड के बाहर होटल वाले घूमते रहते हैं.
जैसे ही हम दोनों बाहर आए, होटल में रूम दिलाने वाले पूछने लगे कि भैया रूम ले लो … सस्ते में मिल जाएगा.
एक ने मेरी दीदी को अपना कार्ड थमा दिया.
दीदी ने कार्ड मेरी तरफ बढ़ा दिया.
मैंने देखा तो वह ओयो होटल वाला कार्ड था.
मेरी हंसी छूट गई और दीदी भी हंस दीं.
हम दोनों ने आंखों ही आंखों में बात की और हम दोनों के बीच चुदाई का मामला तय हो गया.
अब हम दोनों आगे चल दिए.
ओयो होटल वाला मेरे पीछे आया और बोला- भैया, फुल सिक्योर्ड रूम है, सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी हमारी है.
मैंने उससे थोड़ा ज़ोर से कहा- नहीं चाहिए भाई, क्यों तंग कर रहे हो?
वह हट गया और हम लोग आगे चले गए.
कुछ दूर चलने के बाद दीदी ने कहा- कमरा तो लेना ही पड़ेगा!
मैंने कहा- हां ठीक है, अभी ले लेंगे.
फिर मैंने ऑटो किया और उसे उसी ओयो होटल का नाम बता कर चलने का कह दिया.
हमारी ऑटो चल दी.
स्टेशन से होटल दूर था.
दीदी ने कहा- अब रुकना ही है तो कुछ पार्टी का इंतजाम ही कर ले.
मैंने उनकी बात समझते हुए पूछा- कौन सा ब्रांड ले लूँ?
वे बोलीं- कोई हार्ड वाली व्हिस्की ले ले.
मैंने ऑटो वाले से किसी शराब की दुकान के सामने ऑटो रोकने का कहा.
वह बोला- साब इतनी रात को दुकान नहीं खुली होगी. आप कहें तो किसी नाइट क्लब में से दारू ले लूँ?
मैंने हां कह दिया.
कुछ देर बाद एक नाइट क्लब के सामने ऑटो रोक कर ड्राइवर ने कहा- आप जाएंगे या मैं ले आऊं?
मैंने उसे हजार रुपए दिए और कहा- तू ही ले आ.
वह अन्दर गया और रॉयल स्टैग की बोतल ले आया.
उसने मुझे बोतल दी और एक पुड़िया पकड़ाते हुए बोला- मस्ती बढ़ाने वाली दवा है, रात को जरूरत पड़े तो ले लेना!
यह कह कर उसने आंख दबा दी.
मैंने पुड़िया जेब में रख ली.
दोस्तो, मुझे मालूम था कि यह दवा सेक्स में उत्तेजना बढ़ाने वाली है और खास तौर पर गांड चुदाई में बड़ी कारगर साबित होती है.
उसी वक्त मेरे मन में सैट हो गया था कि आज दीदी की गांड भी मारनी है.
अब हमारी ऑटो होटल की तरफ बढ़ गई.
कुछ देर बाद एक अच्छे से ओयो होटल के सामने उसने ऑटो रोक दी.
मैं अन्दर गया और कमरे की जानकारी करके बाहर आ गया.
दीदी को बताया कि होटल सही है चलो इसी में रुक जाते हैं.
हम दोनों कमरे में आ गए.
मेरा मूड दीदी को देख कर बेईमान हो रहा था.
मैंने दीदी की तरफ देखा तो उन्होंने अंगड़ाई ली और बोलीं- सोच क्या रहा है … चल बोतल खोल न!
तब मैंने झट से कमरे का दरवाजा बन्द किया और अपने बैग से खाने का सामान निकाल कर सामने रखा और दारू के पैग बना कर मजा लेना शुरू किया.
मैंने दीदी के साथ चीयर्स किया और हम दोनों गटगट करके पहला पैग एक सांस में ही खाली कर गए.
“असी पंजाबी हैंगे … दारू भी बल्ले बल्ले पींदे हैंगे …”
उस दिन हम दोनों ने चार चार पैग डकारे और मैंने दीदी को अपने लौड़े पर बैठने का इशारा कर दिया.
दीदी ने कपड़े उतार कर फेंके और ब्रा पैंटी में ही मेरी गोदी में आ गईं.
मैंने भी दीदी की चूचियों को नंगी किया और उनके दूध से दारू टपकाते हुए दारू पीनी शुरू कर दी.
वे भी मस्ती से अपने दूध को मेरे मुँह में दे रही थीं और हम दोनों मदहोशी में सेक्स से पहले का मजा ले रहे थे.
कुछ देर बाद दीदी ने कहा- चल अब नंगा हो जा … और लंड चुसवा ले!
मैंने दीदी के सामने खड़े होकर अपना लंड उनके मुँह में दे दिया और दीदी प्यार से मेरे लौड़े को चूसने लगीं.
तब मैंने दीदी से कहा- सच बताना दीदी … तुम्हारा चुदने का प्रोग्राम पहले से ही था न?
वे हंस पड़ीं और बोलीं- सब कुछ मालूम करके चोदेगा क्या?
मैंने कहा- हां तभी तो चुदाई का सही मजा आएगा.
दीदी बोलीं- अब जाना तो है ही, मस्ती लेते हुए जाने में क्या हर्ज है.
मैंने कहा- ट्रेन में कैसे होता?
वे बोलीं- फर्स्ट एसी वाले कूपे में दो बर्थ वाला कूपा बुक करवाया था मैंने!
मैंने कहा- और अब ट्रेन बदल गई है … कहीं ट्रेन में चार बर्थ वाला कूपा मिला तो?
वे हंस कर बोलीं- तो टिकट कैंसल करवा दूँगी और अपन वापस होटल में ही मस्ती करेंगे. शाम की फ्लाईट से मैं बंगलोर चली जाऊंगी और तू वापस घर चले जाना.
मैं बोला- तो मैं ऊपर वाले से दुआ करता हूँ कि दो बर्थ वाला कूपा ही मिल जाए.
यह सुनकर दीदी जोर से हंस पड़ीं.
फिर मैंने दीदी से पूछा- पहले खाना खाना है या लंड?
वे हंस कर बोलीं- लंड पहले खाऊंगी.
मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चुत चाट कर छेद को चिकना किया और लंड पेल कर धकापेल चालू कर दी.
उनकी चूचियों को मसलते हुए मैंने दीदी से पूछा- दीदी, कभी जीजा ने गांड भी मारी है आपकी?
वे फट से बोलीं- न मैंने खुद नहीं मारने दी. उन्होंने तो बहुत बार कहा, पर मैं राजी ही न हुई!
मैं चुप हो गया और लंड को आगे पीछे करते हुए चुत चोदता रहा.
फिर दीदी ने कहा- एक बात बता … वह ऑटो वाले ने तुझे दारू के साथ कुछ और भी दिया था, वह क्या था?
मैंने सर पटक लिया कि अब दीदी को वह दवा भी नहीं खिला पाऊंगा.
फिर दीदी कहने लगीं- क्या सोच रहे हो … मजा नहीं आ रहा है क्या?
मैंने उनके एक दूध को दबाते हुए कहा- अरे मैं आपकी गांड मारने की सोच रहा था मगर आपने तो मना ही कर दिया है.
दीदी ने कहा- हां मुझे मालूम है कि वह दवाई भी गांड मारने के लिए ही होती है न, तेरा जीजा लाया था एक बार … और कह रहा था कि इसको ले लेने से दर्द नहीं होगा. पर मैंने मना कर दिया था.
मैं अब दीदी की बात ध्यान से सुनने लगा था कि शायद कुछ काम बन जाए.
तभी दीदी ने मुझसे हटने को कहा और वे सीधी तभी दीदी ने मुझसे हटने को कहा और वे सीधी होकर बोलीं- चल आज दवा लेकर देखती हूँ.
मेरी खुशी का ठिकाना ही न रहा.
मैंने झट से उस पुड़िया को निकाला और एक तगड़ा पैग बना कर दीदी को गिलास थमा दिया.
दूसरा पैग मैंने अपना बनाया और हम दोनों ने दारू पीते हुए गांड चुदाई की बात करना शुरू कर दी.
दीदी बोलीं- कभी किसी की गांड मारी है अब तक?
मैंने झूठ कहा- नहीं … मैंने तो आपके सिवा अब तक किसी की चूत भी नहीं चोदी है.
यह सुनकर दीदी खुश हो गईं और बोलीं- चल आज तुझे गांड मारने का मौका दे देती हूँ. पर साले ज्यादा दर्द हुआ तो नहीं मारने दूँगी.
मैंने भी मन में सोचा कि एक बार लंड आपकी गांड में घुसने तो दो दीदी … उसके बाद की तो मैंने जानी … मां चोद दूंगा आपकी गांड की.
कुछ देर बाद मैंने वापस लंड चुसवा कर खड़ा किया और दीदी की दोनों टांगें उठा कर उनके ऊपर ही कर दीं.
दीदी की गांड में मैंने थूका और छेद को उंगली से चिकना किया, तो दीदी ने कुछ नहीं कहा.
मैं समझ गया कि दवा ने अपना काम कर दिया है और अब दीदी की गांड में कितना भी मोटा लवड़ा पेल दिया जाए, इन्हें झांट असर नहीं होगा.
मैंने लंड का सुपारा गांड के छेद में सैट किया और ठेल दिया.
दीदी ने हल्की सी आह की आवाज निकाली और लौड़े को गड़प कर गईं.
कमाल की दवा थी साली.
फिर दीदी ने ही बताया कि यह दवा कुंवारी लड़कियों की सील पैक चूत फाड़ने के लिए स्कूल आदि के बाहर बहुत ज्यादा बिकती है.
मैंने कुछ नहीं कहा और सोचा कि मां चुदाए ज्ञान … पहले तो बहन जी की गांड मारने का सुख लिया जाए.
करीब आधा घंटा तक लगातार गांड बजाने के बाद मैं दीदी की गांड में ही झड़ गया.
उसके बाद तो दीदी ने मुझसे सारी रात में अपनी चुत की जगह गांड ही मरवाई.
सुबह चार बजे हम दोनों सो गए.
दस बजे दीदी और मैं उठे और स्टेशन आए.
चार्ट देखा तो दो बर्थ वाला कूपा ही मिला था.
दीदी खुश हो गईं और मैं तो खुशी से पागल ही हो गया था.
दोस्तो, दीदी को बंगलोर तक के रास्ते में मैंने किस तरह से चुदाई की और उन्हें एक और दूसरे लंड से भी चुदवा दिया.