Thursday, November 21, 2024
Hindi Midnight Stories

विधवा चाची की चुत की प्यास बुझाई

बाजू वाले घर में मेरी एक चाची जी भी रहती हैं.
वे चाचा जी की असमय मृत्यु हो जाने के कारण विधवा हो गई थीं और हमारे बगल वाले घर में ही रहती थीं.

उस वक्त मेरी उम्र 22 साल थी. मैं बाहर जॉब करता था.

एक दिन मैं अपने घर आया हुआ था.
मैं कुछ समय के लिए घर ही आया था, तो चाची के पास ज्यादा समय बिताता था ताकि मैं उनकी तन्हाई को कम कर सकूँ.
चाची भी मुझे पसंद करती थीं तो वे भी मेरे साथ सहजता से समय बिताती थीं.

उसी दौरान मुझे कुछ संदेह हुआ कि मेरी चाची किसी दूसरे आदमी से अपनी जिस्मानी भूख मिटवाती हैं.
मैं उन पर नजर रखने लगा.

एक दिन मैंने देखा कि चाची ने एक आदमी को घर बुलाया था.
उस वक्त रात के करीब ग्यारह बजे थे.

वह आदमी जैसे ही अन्दर आया, चाची जी उसे अन्दर लेकर अपने कमरे में चली गईं.

मैं छुपते हुए उन दोनों के पीछे गया तो कमरे की बत्ती बन्द थी.
कमरे के अन्दर का कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था.

बस कमरे के बाहर दरवाजे पर कान लगाने से मुझे उन दोनों की चुदाई की आवाजें सुनाई दे रही थीं.

चाची के मुँह से आवाज आ रही थी- आह आह … मजा आ रहा है आह और तेज तेज चोद साले … आह दम नहीं है क्या भोसड़ी के … आह पेल अन्दर तक आह!

दूसरी तरफ वह आदमी आवाज कम कर रहा था और उसकी बस हम्म हम्म की आवाजें ही आ रही थीं.

कुछ समय बाद आवाज आना बन्द हो गई तो मैं समझ गया कि चुदाई खत्म हो गई है.

तभी चाची की गाली की आवाज सुनाई दी- बहन के लंड साले, जब तेरे लंड में दम ही नहीं है तो क्यों अपनी मां चुदवाने इधर आता है!

वह आदमी चुप रहा और कुछ ऐसी सी आवाजें आने लगीं जिससे लगा कि वह बाहर आने वाला है.

मुझे समझ आ गया कि अन्दर उनकी चुदाई पूरी हो गई है और अब जल्द ही वे लोग बाहर आ सकते हैं.

मैं दरवाजे से हट गया.

पहले चाची कमरे से बाहर निकलीं और इधर उधर देखने के बाद उन्होंने अन्दर से उसे आदमी को बाहर जाने का इशारा किया.

वह जल्दी से बाहर निकला और पीछे के रास्ते से बाहर चला गया.
चाची वापस अपने कमरे में चली गईं.

मैं एक तरफ को हट गया और अपनी चाची की चुदास भरी भाषा को सोच कर लंड सहलाने लगा.

उनके मुँह से इतना कामुक भाव सुनने के बाद मुझसे रहा ही नहीं गया.

मैंने बाहर आकर एक तरफ को खड़े होकर अपना लंड निकाल लिया और चाची को याद करके मुठ मारने लगा.

मेरे लंड से पिचकारी छूटी तो कुछ राहत मिली और मैं अपने कमरे में आ गया.

मुझे कुछ समझ नहीं आया कि मैं अब क्या करूँ. मुझे बस चाची की चुदास याद आ रही थी.

उसी रात एक घंटा तक बहुत सोचने के बाद मैंने हिम्मत करके चाची को कॉल किया.

उन्होंने मेरा फोन उठाया और मैंने बेधड़क उनको पूरी बात बता दी कि मैंने कमरे में क्या क्या देखा था.

यह सब सुनकर पहले तो चाची मना करने लगीं और उन्होंने फोन काट दिया.

मैंने दुबारा फोन लगाया तो चाची ने फोन स्विच ऑफ कर दिया था.

उसके बाद सुबह मैंने उनके पास जाकर बात की तो भी वे कुछ नहीं बोलीं.
मैं भी उनसे ज्यादा कुछ नहीं बोला और वहां से चला गया.

अगले दो दिन तक हमारी बात नहीं हुई.

उसके बाद तीसरे दिन मैंने चाची से खुल कर कह दिया- मैं भी आपके साथ एक बार सेक्स करना चाहता हूं.
लेकिन चाची ने मना कर दिया कि ये सही नहीं है.

मैंने कहा- मैं तो घर का हूँ … मुझसे आपको कोई खतरा नहीं होगा. जबकि बाहरी आदमी कभी कुछ बदनामी भी कर सकता है!

इस पर भी चाची कुछ नहीं बोलीं और उधर से अपने कमरे में चली गईं.

मैंने उनके कमरे में जाकर फिर से कहा- चाची, मैंने सुना था कि आप उससे संतुष्ट नहीं हो रही थीं. मुझे आप एक मौका देकर देखो, मैं आपको हर तरह से संतुष्ट कर दूंगा.

यह कहते हुए मैंने अपने लोअर को चड्डी समेत नीचे सरका दिया और चाची को अपना कड़क लंड दिखा दिया.

चाची ने लंड को देखा और नजरें फेर लीं.

मैं समझ गया कि आज लंड देखा है तो कल मुँह में भी ले लेंगी, परसों चूत में भी पेला जा सकता है.

दो दिन बाद चाची ने मुझसे मेरे कमरे में आकर कहा- तुम अभी बगल वाले घर में चलो. मुझे तुमसे कुछ काम है.
मैंने कहा- क्या काम है?

जबाव में वे हल्की सी मुस्कुरा दीं और बोलीं- क्यों डरते हो?
मैंने कहा- डर किस बात का?

चाची मेरे कमरे से बाहर जाती हुई बोलीं- तो ठीक है … अभी मत आना. आज रात को मैं अपने कमरे में तुम्हारा इंतजार करूंगी. आज रात तुम मेरे साथ ही सो जाना.

मैंने उनका हाथ पकड़ कर उनसे ठिठोली की- क्या आज मेरे भाग्य में आपका साथ लिखा है?

वे कुछ नहीं बोलीं और मेरे हाथ से अपना हाथ छुड़ा कर बाहर जाने लगीं.

तभी वे पलट कर बोलीं- रात दस बजे के बाद आना और ध्यान रखना कि मैं विधवा हूँ … मुझ पर किसी तरह का लांछन न लग पाए.

बस फिर क्या था, मैं समझ गया कि आज चाची ने मेरे लंड से चुदना तय कर लिया है.

रात को मैं सबसे बचता बचाता हुआ उनके कमरे में आ गया.

उधर जाकर मैंने उनसे बात की तो वे मुझसे चिपक कर रोने लगीं और मेरे साथ सेक्स करने के लिए अपनी रजामंदी देने लगीं.
मैंने उनके दूध टटोलते हुए कहा- चलो अभी मजा करते हैं.

वे बोलीं- अभी नहीं, आज रात को दो बजे के बाद आ जाना.

उतनी देर में मैंने चाची की चूत को टटोल लिया था. चची की चूत पर झांटों का जंगल था.

मैंने हाथ हटाते हुए कहा- ओके, तब तक रात को सब साफ सफाई कर लेना.

चाची समझ गईं कि मैं उनकी चूत की झांटों की सफाई की बात कह रहा हूँ.
वे हंस दीं और बोलीं- तुम भी कर लेना.

उसके बाद रात को मैं उनके कमरे में चला गया और उनके बाजू में जाकर लेट गया.

उस समय मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि मैं पहली बार किसी औरत के पास लेटा था.

मैं उनको अपनी बांहों में भर कर किस करने लगा.

लेकिन तभी चाची ने केएलपीडी कर दी.

वे कहने लगीं- आज कुछ नहीं हो पाएगा.

मैंने तनिक गुस्से से पूछा- क्यों नहीं हो पाएगा?
वे हंसने लगीं और धीमे से बोलीं- आज मुनिया ने पान चबा लिया है.

मेरी समझ में नहीं आया कि कौन सी मुनिया ने पान चबा लिया है और इस बात से चुत चुदाई का क्या लेना देना है.

मैंने उनकी एक चूची को अपनी हथेली में भरा और जोर से भींचते हुए पूछा- यह क्या ड्रामा है यार … कौन मुनिया ने पान चबा लिया है और उससे मुझे क्या लेना देना है?

चाची ने मेरा हाथ अपनी चूची से हटाते हुए कहा- बिल्कुल अनाड़ी हो क्या? मुनिया मेरी टांगों के बीच की वह खाई है, जिसमें तुम अपने पप्पू को घुसेड़ने के लिए मरे जा रहे हो. आज मेरी मुनिया से खून टपकने लगा है इसलिए अब चार दिन की छुट्टी समझो.

मैं अब जाकर समझा कि चाची की माहवारी शुरू हो गई है.
मुझे हंसी आ गई और मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया.

वे भी मेरी बांहों में सिमट गईं और हम दोनों चुंबन का मजा लेने लगे.

उनकी जीभ मेरे मुँह में अपना रस टपकाने लगी और मैं भी अपनी चाची की चुत की प्यास को उनके मुँह से बुझाने लगा.

उस रात को हम दोनों के बीच कुछ नहीं हुआ.

फिर माहवारी खत्म होने के बाद मैंने चाची से दिन में कहा कि आज तो कव्वाली की रात है!
वे हंस दीं और बोलीं- हां आ जाना गजल सुनाऊंगी!

इस तरह से हम दोनों की चुदाई की बात पक्की हुई.
सेक्सी चाची सेक्स के लिए मान गई थीं.

रात को उन्होंने मुझे अपने पास सोने के लिए बुलाया. कमरे में जाकर हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए और प्यार करने लगे.
मैं पहली बार सेक्स करने जा रहा था.
मुझे चुदाई के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था, बस जो अन्तर्वासना पर पढ़ा था और पोर्न मूवीज में देखा था, वही सब जानकारी थी.

मैं नंगा होकर चाची के ऊपर लेट गया और उनकी चूत में अपना लंड रगड़ने लगा.

चाची बोलीं- क्या तू कपड़ों के ऊपर से ही पेलना जानता है?
मैंने कहा- आप अपने कपड़े उतारो न!

वे बोलीं- तू नहीं उतारेगा?
मैंने- मैंने अपने उतार तो लिए हैं.

वे हंसने लगीं और मुझे हटा कर अपने कपड़े खोलने लगीं.
उन्हें नंगी होने में ज्यादा देर नहीं लगी.

मैं उन्हें लिटा कर फिर से उनके ऊपर चढ़ गया और उनकी चूचियों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा.

उनकी चूचियां मस्त रसीली थीं तो मैं दोनों दूध बारी बारी से मसल रहा था और चूस रहा था.

चाची के मुँह से आह आह की कामुक आहें मेरी उत्तेजना को बढ़ाए जा रही थीं.

कुछ ही देर में मैंने चाची की चुत में अपना लंड सैट किया और पेल दिया.
वे आह करती हुई मेरे लंड का मजा लेने लगीं.

मैं चाची की चुत में धक्के मारने लगा और कुछ ही देर बाद मेरा लंड झड़ गया.

चाची ने हांफते हुए मुझे अपने ऊपर से अलग किया और कुछ देर बाद मैंने चाची को फिर से चोदा.

इस बार मैंने चाची को कुछ ज्यादा ही थका दिया था.

रात को मैं चाची के कमरे से निकल कर अपने कमरे में आ गया.

अब हर रात ऐसा ही होने लगा.

धीरे-धीरे चाची ने मुझे सेक्स करने के बारे में खुल कर सिखाना शुरू कर दिया. मुँह में लेना, चूत चाटना, दूध चूसना और 69 में सेक्स का मजा लेना आदि यह सब मुझे समझ में आने लगा.

मैंने चाची को ब्लू फिल्म दिखा कर भी घोड़ी बना कर, लंड पर झूला झुला कर चोदा.
कई अलग अलग तरीके से उनकी चुदाई की.

चाची भी मुझे अच्छे से साथ देकर चुदाई का पूरा मजा देती थीं.

उसके बाद मैंने चाची की गांड मारने की बात कही तो चाची मान गईं.

अब वे मुझसे दोनों तरफ से चुदवाने लगी थीं.

इस तरह से मुझे अपनी चाची की चुत गांड चोदते हुए आठ साल हो गए हैं. हम दोनों आज भी हफ्ते में दो दिन जरूर चुदाई करते हैं.

मेरी चाची आज भी पूरी जवान लगती हैं जबकि उनकी उम्र अब 42 साल हो गई है.

अब तो चाची ने अपना ऑपरेशन करवा लिया है और वे अब मेरा सारा माल अपनी त में ही ले लेती हैं.

उन्होंने अब सिर्फ मेरे लंड से ही चुदवाना तय कर लिया है. वे किसी बाहर वाले को घास भी नहीं डालती हैं.

वे मुझे भी किसी लड़की के पास जाने नहीं देती हैं.
मेरी चाची में बहुत आग है, जो सिर्फ मैं ही ठंडी करता हूँ.

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