मेरा नाम महेंद्र है, मैं पुणे का रहने वाला हूँ।
जब मैं 12वीं में था यह तब की बात है।
मेरे साथ एक लड़की पढ़ती थी, जिसका नाम मानविका है।
वह मुझसे बहुत प्यार करती थी पर मैं उससे प्यार नहीं करता था।
क्योंकि मेरा ध्यान सिर्फ पढ़ाई में था।
वह मुझे बार–बार बोला करती थी– क्या मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती हूँ?
मेरा हर बार एक ही जवाब होता था– नहीं!
फिर जब दिवाली के पहले के परीक्षा हुई।
उस समय हमने काफ़ी समय साथ में बिताए और खूब बातें भी की।
जैसे–जैसे एक दो महीने बीत गये, तब मुझे लगा कि सच में हम एक दूसरे के लिए ही बने हैं!
फिर मैंने भी उसे अपने दिल कि बात बताई और वह पागल लड़की खुशी के मारे मुझसे जोर से लिपट गई।
फिर हम लगातार मिलते रहे और बात आगे बढ़ती रही।
वह दिन भी आ ही गया जिसके बारे में मैंने कभी सोचा तक नहीं था।
उस समय हम दोनों की उम्र 19 साल की होगी, वह वर्जिन थी और मैं भी वर्जिन था।
हुआ ऐसा कि उसकी एक दोस्त के घर वाले कहीं बाहर गये हुए थे।
तो मानविका अपनी दोस्त के घर रहने को गई थी।
तब उसकी दोस्त ने हम दोनों को अपने घर में मिलवाया।
हम मिले, हमने खूब बातें की और थोड़े देर बाद हम एक दूसरे को चूमने लगे।
जब मैंने पहली बार मानविका को चूमा तो क्या मजा आ रहा था!
क्या बताऊं … उसके गुलाबी होंठ, उसकी तेज़ चलती सांसें, मानविका एकदम मादक लग रही थी!
फिर मैंने मानविका के चूची के ऊपर अपना हाथ रखा।
क्या चूची थी उसकी … चूचियों का आकार 34 होगी!
मैं मानविका को चूमते–चूमते उसकी चूची को दबा रहा था।
मानविका एकदम गर्म हो चुकी थी।
मैंने हॉट सेक्स विद क्लासमेट का मन बना लिया था कि आज जो भी हो मानविका की कुंवारी चूत चोदनी है।
धीरे–धीरे करके मैंने मानविका की टीशर्ट निकाल दी और बाद में उसकी ब्रा भी उतार दी।
क्या गजब की चूचियाँ थी मानविका की!
एकदम सफ़ेद!
फिर मैंने मानविका की एक चूची को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगा।
मानविका की चूचियाँ को दबाने और चूसने में जो मजा मिल रहा था … मैं आपको शब्दों में बयां नहीं कर सकता।
वह भी अपनी चूची को मेरे मुंह में डाल कर दबा रही थी और बार–बार चूसने को बोल रही थी।
फिर मैंने मानविका को कहा– मुझे आज तेरी चूत चोदनी है।
पहले तो मानविका घबरा गई और बोली– नहीं दर्द होगा … और वैसे भी मैं अभी कुंवारी हूँ।
तो मैं बोला– कुछ नहीं होगा, उल्टा मजा आयेगा!
तब मानविका मान गई।
जब मैंने मानविका की पैंटी को उतार कर देखा, क्या गजब की चूत थी … यार इसकी!
सफेद रंग और सबसे बड़ी बात एक भी बाल नहीं थी उसकी चूत पर!
एकदम शेव किया हुआ, ऐसी कसी हुई चूत मैंने कभी कहीं नहीं देखी थी।
मैंने मानविका की चूत को जी भर के चाटा।
क्या चूत थी यार … सफेद रंग और उसकी गुलाबी होंठ।
जैसे–जैसे मैं उसकी चूत को चूस रहा था मानविका और गर्म होती जा रही थी और बोल रही थी– चूसो और चूसो … मजा आ रहा है!
फिर मानविका बोली– अब बस भी करो … मेरी चूत में आग लगी है, उसकी प्यास बुझा दो!
तब मैंने सोचा कि ‘लोहा गर्म है हथौड़ा मार देना चाहिए।’
मैंने अपना 7 इंच का काला लंड उसकी चूत के मुंह पर रगड़ना शुरू कर दिया.
मानविका और भी ज्यादा गर्म होने लगी।
फिर उसने मेरे लंड पर अपनी चूत से दबाव बनाया।
तब मैंने और देर करना मुनासिब नहीं समझा और एक धक्का लगाया तो मेरा लंड मानविका की कसी हुई चूत होने की वज़ह से फिसल कर गिर गया।
फिर से मैंने मानविका की चूत के मुंह पर लंड का सुपारा रखा और एक जोरदार धक्का लगाया.
तब जाकर 1 इंच लंड मानविका की चूत के अंदर गया।
तुरंत ही मानविका चीख उठी- ओह माँ … मर गईई … निकालो … निकालो! फ़ाड़ दी मेरी चूत … प्लीज निकाल दो … मुझे नही चूत चुदवाना है!
तब मैंने कहा– थोड़ी देर ही दर्द होगा, बाद में मज़ा ही मज़ा आएगा!
फिर भी मानविका रो और चीख रही थी।
मैंने जब देखा कि मानविका का दर्द कम हुआ तो मैंने और एक जोरदार धक्का लगाया.
तब मेरे लंड का 3–4 इंच हिस्सा उसकी चूत के अंदर गया और वह फिर एक बार चीख उठी।
उसने मेरे हाथों से छुटने की कई नाकाम कोशिश की पर मेरी पकड़ उसके ऊपर भारी पर थी।
मैंने फिर भी मानविका के दर्द को अनदेखा कर एक और धक्का लगाया।
अब मेरा लंड लगभग अंदर घुस गया था।
मानविका रो रही थी और मैं मजा ले कर धक्का लगा रहा था।
फिर मैंने एक अंतिम जोरदार का धक्का लगाया, अब मेरा पूरा का पूरा 7 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया।
फिर मैंने मानविका के होंठों को जोर–जोर से चूमने लगा और उसको मजे देने लगा।
अब मानविका को मजा आने लगा.
तब मैंने धीरे–धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में आगे पीछे करने लगा।
मानविका चीखती और खुश होती!
अब मानविका को और भी मजा आने लगा और वह मुझे बोल रही थी– और जोर से … और जोर से करो … फ़ाड़ दो मेरी चूत को, आह … हूँ … ई … उई मां!
जब मैं उसको चोद रहा था उसकी चूचियाँ जोर–जोर से हिल रही थी जिसके कारण मेरे लंड की ताकत और बढ़ रही थी।
मुझे बहुत मजा आ रहा था उसकी चूची को हिलते हुए देखने में और उसकी गुलाबी होंठ वाली चूत को अपने काले लंड से चोदते हुए!
मानविका को भी बहुत मज़ा आ रहा था!
वह पागल हो रही थी और बार–बार बोल रही थी– और चूसो … मेरी चूची को और फाड़ दो मेरी चूत को!
हम दोनों की चुदाई की सीमा पार हो गई थी और पूरे कमरे में पच–पच की आवाज गूंज रही थी.
मेरा लंड मानविका की चूत को गहराई तक चोद रहा था।
लंड जैसे ही अंदर जाता था और उसके बाद जो मुझे सुख मिलता था, वह कभी भी कहीं नहीं मिल सकता!
‘क्या चीज है मानविका तू!’ ऐसा मैंने मानविका को बोला.
तो वह शरमा गई और बोली– हट बेशर्म कहीं के!
लगभग 15 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद मेरा लंड पानी छोड़ने वाला था।
तब मैंने मानविका से पुछा तो उसने कहा कि ‘चूत के अंदर ही छोड़ दो!’
अब मेरे धक्के पे धक्के लग रहे थे और मैं उसके चूची को हिलते देखते हुए अपने लंड का पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
मैंने अपना लंड मानविका की चूत से अच्छे देर तक निकाला ही नहीं।
मैं अपने लंड के वीर्य का एक भी बूंद बाहर नहीं छोड़ना चाहता था।
करीब 10 मिनट बाद मैंने मेरा लंड मानविका की चूत से निकाल दिया।
सच में बहुत मज़ा आ गया मानविका की कुंवारी चूत को चोदने में!
फिर मैंने मानविका को कहा– आई लव यू!
तब उसने भी मुझे चूमा और बोली– आई लव यू टू!