मेरी उम्र 20 साल की है.
मेरी शादी कुछ दिन पहले ही हुई थी.
हम लोग एक मेहनत मजदूरी करने वाली जनजाति से हैं.
हमारे यहां शराब और मांस आदि का सेवन सभी लोग करते हैं.
मेरी पहली सुहागरात मेरे ससुर के साथ हुई थी क्योंकि हमारे यहां रिवाज़ है कि पहली रात घर के मुखिया के साथ सोना पड़ता है.
वे जैसा बोलते हैं, वैसे करना पड़ता है.
मेरी शादी हुई और मैं अपने पति के साथ अपनी ससुराल आ गई.
मेरे घर में मेरी सास नहीं हैं, वे मर चुकी हैं.
मेरे ससुर पैसे वाले हैं और मैं गरीब घर की थी इसलिए मैं भी खुशी खुशी शादी करने को राजी हो गई थी.
वहां पर रात को मुझे मेरे ससुर के कमरे में हल्दी वाला दूध देकर ले जाया गया.
वह कमरा सुहागरात के कमरे के जैसे सज़ा हुआ था.
मैं अन्दर गई, दूध को रखा और बेड पर बैठ गई.
तब मैं फर्स्ट नाईट सेक्स के लिए अपने ससुर जी के आने का इंतज़ार करने लगी.
कुछ देर बाद मेरे ससुर जी कमरे में आए और उन्होंने अन्दर से दरवाज़ा बन्द कर दिया.
मेरे ससुर की उम्र 50 साल की रही होगी.
वे दारू पीकर आए हुए थे.
अन्दर आते ही उन्होंने सबसे पहले मेरा घूँघट उठाया.
मैंने कहा- पहले दूध पी लीजिए.
वे बोले- हां, आज तो मैं तुम्हारा दूध पियूंगा!
मैं सोचने लगी कि ये क्या बोल रहे हैं!
कुछ देर बाद उन्होंने मेरी साड़ी का पल्लू नीचे कर दिया.
मैंने गहरे गले का ब्लाउज पहना था. उसमें से मेरे आधे दूध देखते ही वे मानो पागल हो गए.
उन्होंने एक झटके से मेरी साड़ी निकाल दी.
अब मैं उनके सामने ब्लाउज और पेटीकोट में थी.
वे मेरे होंठों को चूसने लगे, काटने लगे, फिर गर्दन पर चूमने लगे.
मेरी चूत भी गीली होती जा रही थी.
कुछ देर बाद उन्होंने मेरा पेटीकोट और ब्लाउज भी फाड़ दिया और उन्हें मेरे जिस्म से अलग कर दिया.
अब मैं अपने ससुर के सामने ब्लैक ब्रा और पैंटी में थी. वे मेरे गोरे बदन को काली ब्रा पैंटी में देखकर पागल हुए जा रहे थे.
अब मेरे ससुर मेरे मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगे और कुछ देर में उन्होंने मेरी ब्रा को भी खींच कर मम्मों से अलग कर दिया.
ब्रा हटने से मेरे दूध आज़ाद हो गए थे और चूचियां हवा में फुदकने लगी थीं.
मेरे ससुर मेरी चूचियों को हाथ से मसलने लगे और उन्हें काटने चूसने लगे.
मेरी चूत पानी छोड़ कर गीली हुई जा रही थी.
कुछ देर बाद उन्होंने मेरी चूत पर हाथ फेरा और उसकी फांक में उंगली करने लगे.
मेरी कामुक जवानी देखकर उनका लंड खड़ा हो गया था.
अब मैंने भी उनके कपड़े निकाल दिए.
ससुर जी नंगे हुए तो मैंने देखा कि उनका लंड काफी बड़ा था.
इतना बड़ा और मोटा लौड़ा देख कर मैं उनसे चुदवाने के लिए मरी जा रही थी.
इधर ससुर जी अपने मुँह से कभी मेरे होंठों को चूसते तो कभी मेरी चूचियों को पीते.
साथ ही साथ वे मेरी चूत में उंगली कर रहे थे.
इस सबसे मैं भी पागल हुई जा रही थी.
मैं बोलने लगी- आआअहह ससुर जी … और पीजिए मेरे दूध आह!
मेरे ससुर इस तरह बोलने से और मदमस्त होकर मेरे दूध काटने पीने लगे.
वे धीरे धीरे मेरी नाभि को चाटने लगे और चूत तक आकर पैंटी को चाटने लगे.
मेरी पैंटी चूत रस से भीगी पड़ी थी.
वे पैंटी के ऊपर से चूत का रस काटने लगे और अगले कुछ पल बाद उन्होंने मेरी पैंटी को भी फाड़ कर अलग कर दिया.
अब मैं उनके सामने बिल्कुल नंगी थी.
ससुर जी मेरी टांगें फैला कर मेरी चूत चाटने लगे.
मुझे भी अपनी चूत चटवाने में मजा आ रहा था और मैं कमर उठा कर अपने ससुर के मुँह से अपनी चूत चुसवा रही थी.
कुछ देर तक चूत चाटने के बाद मैं एकदम पागल हो रही थी.
मैंने कहा- अब और मत तड़पाओ … चोद डालो ससुर जी!
फिर उन्होंने अपना लौड़ा मेरे मुँह में दे दिया.
उनके मोटे लंड से तो में साँस भी नहीं ले पा रही थी.
लेकिन कुछ ही देर बाद मुझे अपने ससुर का लंड चूसने में मज़ा आने लगा था.
मैं ससुर का लंड चूस रही थी.
तभी ससुर ने कमरे में रखी हुई देसी दारू की बोतल से शराब को लौड़े पर टपकाना शुरू कर दिया.
मैं दारू पीती थी, तो मुझे उनके लौड़े से टपकती दारू पीने में मजा आने लगा.
बहुत देर तक मैं लंड चूसती रही और दारू का स्वाद लेती रही.
उसके बाद ससुर जी ने मुझे चुदाई की पोजीशन में लिटाया और मेरी चूत में लंड डालने लगे.
लंड ने चूत में घुसने का रास्ता खीज लिया और सुपारे ने चूत के मुँह पर अपनी पोजीशन सैट कर ली.
मेरे ससुर ने एक ज़बरदस्त झटका मारा और उनका आधा लंड मेरी चूत को फाड़ते हुए अन्दर चला गया.
मैं दर्द से चिल्लाने लगी पर उन्हें कहां सुनाई देने वाला था.
चूंकि मैं भी कुछ दारू की मस्ती में थी तो उनके हैवी लौड़े को झेल गई.
मैं अभी कसमसा ही रही थी कि मेरे ससुर ने फिर से धक्का दे मारा.
इस बार उन्होंने अपना पूरा लंड मेरी चूत में ठांस दिया था.
मेरी चूत फट गई थी और उसमें से रक्त बहने लगा था.
कुछ देर रुक कर ससुर जी मेरी चूत में धक्के देने लगे.
कुछ देर तक तो मुझे उनके लौड़े से चुदवाने में दर्द हुआ.
फिर मज़ा आने लगा.
अब मैं भी अपनी कमर उठा उठा कर सपने ससुर का साथ देने लगी.
वे भी मुझे पूरी ताकत से चोदने लगे.
पूरे कमरे में पच पच की आवाज़ गूंज रही थी.
मैं बोलने लगी- आह ससुर जी और तेज चोदिए … आह मजा आ रहा है.
वे बोलने लगे- साली रंडी, तुझे तो मैं रोज नंगी करके दिन रात चोदूंगा. इसलिए तो तुझे अपने बेटे से शादी करवा के घर लाया हूँ! तेरे ऊपर तो कब से मेरी नजर थी.
मैं भी मस्ती से अपनी गांड उठा उठा कर अपने ससुर से चुद रही थी.
ससुर अपनी ठरक में बके जा रहा था- साली, जब तक तू मेरे बच्चे को पैदा नहीं करेगी, तब तक तू रोज इसी बिस्तर पर नंगी होकर दिन रात मेरे लौड़े से चुदेगी.
उनकी ऐसी बात सुन कर मैं और पागल हुई जा रही थी.
मैंने भी उनको उत्तेजित करते हुए कहा- हां ससुर जी चोदो अपनी इस रंडी को … मां बना दो अपने बच्चे की!
उनके तेज तेज लाने वाले धक्कों से मैं अब तक दो बार झड़ चुकी थी और मेरी चूत चुद चुद कर पूरी लाल हो गई थी.
अब मेरे ससुर जी ने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मुझे पेलने लगे.
मुझे दर्द हो रहा था पर मजा भी आ रहा था.
दूसरी तरफ वे नशे में थे तो कुछ सुनने समझने को तैयार ही नहीं थे.
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बनाए रखा और दारू पिला कर मेरी गांड भी मारी.
अब तो मेरी चूत और गांड एकदम लाल हो गई थी.
ससुर जी बड़े पहलवान किस्म के चोदू थे. वे मुझे धकापेल चोदे ही जा रहे थे.
वे बोल रहे थे- साली रंडी जब तक तू मेरे बच्चों की मां नहीं बनेगी … तब तक दिन रात तू मेरे बिस्तर पर ऐसी ही नंगी रहेगी और ऐसे ही चुदेगी.
फिर ससुर जी मेरी चूत में झड़ गए और उसके बाद उन्होंने मेरे मम्मों को देसी दारू से नहला कर उन्हें खूब चूसा व काटा.
वे मेरे निप्पलों से दारू पीने लगे.
फिर लंड लगा कर मम्मों को चोदने लगे.
मेरे बूब्स भी एकदम लाल हो गए थे.
वे अभी भी मेरे दूध चूसे जा रहे थे.
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे फिर से अपनी कुतिया बनाया और मेरी चूत और गांड मारी.
आधा घंटा तक चोदने के बाद वह मेरी चूत में ही झड़ गए.
उसके बाद उन्होंने मेरे पूरे जिस्म पर अपनी दारू की बोतल से दारू डालकर मुझे चूसने लगे और मेरे अंगों को चाटने लगे.
वे अब तक मेरी चूत में दो बार झड़ चुके थे और अब आराम कर रहे थे.
कुछ देर बाद वे उठे और ग्लास का दूध पीकर मुझे कमरे के एक एक कोने में ले जाकर मेरी चुदाई करने लगे.
उन्होंने मुझे सोफा, मेज, बेड हर जगह चोदा और हर बार मुझे बुरी तरह से ठोका.
मैं दर्द के मारे चल और उठ नहीं पा रही थी.
रात भर अपने ससुर से चुदवाने के बाद हम दोनों सो गए.
सुबह जब मैं उठी तो ससुर जी भी उठ गए.
वे मुझे अपनी गोद में लेकर बाथरूम में ले गए और वहां पर फुव्वारे के नीचे मुझे खड़ी करके मेरी चूत और गांड मारी.
ससुर जी ने मुझे दीवार से सटा कर अपने लंड के ऊपर बैठा कर खूब पेला.
मुझे भी घोड़ी बन कर चुदवाने में मजा आ रहा था.
मैं मीठे मजे से चिल्ला रही थी.
अब वे मुझे नहला कर कमरे में लाए और बिस्तर पर पटक दिया.
फिर अपने कपड़े पहन कर ससुर जी बाहर चले गए.
मेरी इतनी ज्यादा ठुकाई हुई थी कि मैं सही से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी.
मैं बेड पर ही नंगी पड़ी थी.
कुछ देर बाद ससुर जी वापस कमरे में आए और बोले कि तुम्हारे पति को काम आ गया है, वह वापस अपने काम पर चला गया है.
मेरी ससुराल में मेरे पति और ससुर ही थे.
पति तो बाहर चले गए थे और ससुर मेरी ले रहे थे.
शादी के एक महीने हो गए थे.
मेरी चूत बुरी तरह फट गई थी.
ससुर जी मुझे दिन रात ठोकते रहते हैं, वे मुझे पूरे घर में कहीं भी पकड़ कर चोद देते हैं.
रात को छत पर, सीढ़ी पर, किचन में, सोफा पर, बाथरूम में … पूरे घर में एक भी जगह ऐसी नहीं बची है, जहां मैं अपने ससुर के हैवी लंड न चुदी होऊं.
दिन रात रंडी की तरह बस मेरी चुदाई होती है.
मैंने अब कपड़े पहनना ही बंद कर दिए हैं.
ससुर जी भी घर में नंगे ही रहते हैं.
जब तक एक दिन में अपने ससुर से चार बार न चुद लूँ, मेरा मन खुद नहीं भरता है.
एक महीने बाद जब मेरा पति घर आया तो उस दिन ससुर ने कहा कि आज घर में पार्टी होगी.
मैं समझी कि आज मेरा पति मेरी लेगा, इसलिए ससुर जी ऐसा कह रहे हैं.
वे आज अंग्रेजी दारू की बोतल लाए और मुर्गा लाए.
मैंने मुर्गा बनाया और अपने पति व ससुर को खाना परोसने लगी.
उसी वक्त मेरे ससुर ने मुझे खींच कर अपनी गोदी में बिठा लिया और वे मुझे दारू पिलाने लगे.
मैं भी बिना हील हुज्जत के उनके लंड पर बैठ कर दारू मुर्गा का मजा लेने लगी.
कुछ देर बाद हम तीनों नशे में धुत्त हो गए और मेरे ससुर ने मुझे नंगी कर दिया.
ससुर ने कहा- आज तुझे हम बाप बेटे मिल कर चोदेंगे.
मैं भी उन दोनों के साथ सेक्स का मजा लेने के लिए तैयार हो गई थी.
ससुर ने मुझे अपने लौड़े के ऊपर बिठाया और मेरी चूत चोदने लगे.
उसी वक्त मेरे पति ने मेरी गांड में लंड पेल दिया और वे दोनों मिल कर मेरी सैंडविच चुदाई करने लगे.
इस तरह से मुझे मेरे ससुर ने रंडी बना दिया था. मुझे भी अब अपने दोनों छेदों में एक साथ लंड लेने में मजा आने लगा था.