मेरा नाम सोनू है.
मैं कानपुर का रहने वाला हूँ और अभी नया नया जवान हुआ हूँ.
जब मैं किशोर वय का था, तभी मेरी मम्मी का देहांत हो गया था.
फिर किसी मजबूरी के चलते मेरे पापा को दूसरी शादी करनी पड़ी और वे मेरे लिए एक नई मम्मी ले आए.
मेरी सौतेली मम्मी का नाम मंजू है.
वे बहुत ही सुंदर, खूबसूरत एकदम गोरी चिट्टी हैं.
उनकी उम्र मेरे पापा की उम्र से 15 साल कम है.
मेरे पापा की उम्र 42 साल है और मेरी सौतेली मम्मी की उम्र 27 साल है.
जबकि मैं अभी जवान हुआ ही हूँ.
घर में हम तीनों लोग बड़े आराम से रहते, खाते-पीते, मौज मस्ती करते.
किसी को भी किसी किस्म की दिक्कत नहीं थी.
अगले 9 महीने बाद मेरी मम्मी को बेटा हुआ यानि मेरा सौतेला भाई पैदा हुआ.
मेरी मम्मी मेरा काफ़ी ख्याल रखती थीं.
वे मेरी सारी छोटी से छोटी ज़रूरतों को पूरा करती थीं.
यह स्टेप मॅाम फक स्टोरी मेरी सौतेली मम्मी के साथ सेक्स की है.
हम सभी एक हंसती खेलती फैमिली का हिस्सा बन चुके थे.
एक दिन क्लास में मेरा एक दोस्त सेक्स स्टोरी की किताब लेकर आया.
वह मुझे उस किताब को दिखाने ही वाला था कि तभी टीचर जी आ गए और उसने जल्दबाज़ी में वह किताब मेरे बैग में डाल दी.
उस समय टीचर जी मुझसे कुछ पूछने लगे थे तो मैंने यह देख नहीं पाया कि मेरे दोस्त ने मेरे बैग में क्या डाला है.
हालांकि बाद में उसने कहा था कि उसने सेक्स कहानी वाली किताब तेरे बैग में डाली है.
फिर स्कूल से छुट्टी हुई और मैं जल्दबाजी में अपने घर की तरफ निकल गया.
घर जाकर मैंने देखा कि उसने वह किताब मेरे बैग में डाल दी थी.
सच बता रहा हूँ कि मुझे एकदम से सनसनी सी होने लगी; मेरे रोंगटे खड़े होने लगे.
मुझे बस यह लग रहा था कि कब उस किताब को पढ़ लूँ.
रात को जल्दी जल्दी खाना आदि से फ्री होकर मैं अपने कमरे में आ गया और कुंडी लगा ली.
अब मैं अकेला था और सेक्स स्टोरी वाली किताब मेरे पास थी.
उसे मैंने निकाला और पढ़ने लगा.
मैं पहली बार चुदाई की कहानी पढ़ी थी, तो बहुत ज्यादा उत्तेजना हो रही थी.
उसमें कई सारी कहानियां थीं, तो मैं क्रम से सेक्स कहानी के शीर्षक पढ़ने लगा.
उसी दौरान मैंने एक मां बेटे के बीच चुदाई की कहानी देखी, तो मुझे बड़ी सनसनी हुई.
उस रात मैंने मम्मी बेटे की चुदाई वाली सेक्स स्टोरी पढ़ी.
तो उसी वक्त मेरे मन में भी मेरी मम्मी मंजू को लेकर कामुक विचार आने लगे.
अब मैं सेक्स कहानी पढ़ते समय अपनी नई मम्मी को अपने मस्तिष्क में आने वाली कल्पना में देखते हुए सेक्स कहानी को पढ़ रहा था.
सच में बड़ी उत्तेजना हुई और उस सेक्स कहानी में भी अधेड़ पिता की कमसिन उम्र वाली लड़की को उसके सौतेले बेटे ने उन्हें चोदा था.
यह सारा मसाला मुझे अपनी कम उम्र वाली मम्मी की तरफ ले जाने लगा था.
बस उस दिन से मेरी नजर बदल गई.
अब मैं उन्हें नज़रों से नहीं बल्कि एक खूबसूरत औरत के अंदाज़ में देखने लगा था.
मेरी मम्मी को अभी तक हमारे घर में आए एक साल हो चुका था.
इसी दौरान मेरी मम्मी का फिगर एकदम चेंज हो चुका था.
पापा की मेहनत के चलते मम्मी की चूचियां मोटी मोटी हो गई थीं और अब उनके बेबी हो जाने के कारण दूध से भरी हुई चूचियां बड़ी मादक लगने लगी थीं.
सेक्सी कमर, मस्त हाइट 5 फुट 5 इंच की और चेहरे से भी एकदम हुस्न की परी लगने लगी थीं.
धीरे धीरे मैं अपनी जवान उम्र वाली सौतेली मम्मी के साथ वक्त ज्यादा बिताने की कोशिश करने लगा.
मैं अपने नवजात छोटे भाई का बहुत ख्याल रखने लगा.
साथ ही चुपके चुपके से उसे दूध पिलाती हुई अपनी मम्मी के सेक्सी मम्मों के दीदार भी करने लगा था.
एक दिन मैंने अपनी सौतेली मम्मी को अपनी किसी फ्रेंड से फोन पर बात करते हुए सुना कि मेरा बेटा अब बड़ा हो रहा है और वह मेरा दूध अब बिल्कुल नहीं पीता है. उसी कारण से मेरी छातियां दूध से भर जाती हैं और बहुत दर्द होता है … इतनी ज्यादा तकलीफ होती है कि क्या बताऊं.
यह सुनने का बाद मेरे पास एक सुनहरा अवसर आ गया था.
जल्द ही मुझे उस अवसर का फायदा उठाने का मौका भी मिल गया था.
उन दिनों मेरे पापा बिजनेस टूर पर चार दिनों के बाहर गए हुए थे.
उस रात मम्मी ने किचन का सारा सामान समेटा और मुझे दूध देने मेरे कमरे में आईं.
मैंने दूध पिया और मम्मी से कहा- मुझे आपसे कुछ बात करनी है!
मम्मी- हां बोलो बेटा, क्या हुआ?
मैं- मम्मी आप मुझे अपना बेटा मानती हो ना!
मम्मी- हां बेटा, पर तू यह सब क्यों पूछ रहा है. तू मेरा बेटा ही है, तुझमें और छोटे में कोई फर्क नहीं है.
मैं- पक्का मम्मी?
मम्मी- हां बेटा.
मैं- तो फिर आप मुझे भी छोटे की तरह अपना दूध पिलाओ ना!
मम्मी- अचानक से तू यह क्या बोल रहा है सोनू … छोटू कितना छोटा है और तू अब बड़ा हो गया. मम्मी के दूध की ज़रूरत सिर्फ छोटे बच्चों को होती है.
मैं- मैं भी तो आपका बेटा हूँ, इसमें छोटा बड़ा क्या होता है?
मम्मी- नहीं, यह नहीं हो सकता. अब तुम सो जाओ.
मैं- मम्मी आपने सौतेले और सगे बेटे में फर्क दिखा दिया ना!
मम्मी- सोनू, तुम पागलों वाली बात मत करो.
मैं- प्लीज मम्मी, आपके सिवा मेरा कोई नहीं है. प्लीज प्लीज मम्मी मुझे अपना दूध पिला दो ना!
मम्मी- मगर बेटा!
मैं- मगर वगर कुछ ना करो मम्मी, मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ.
इतना भावुक होकर बोलने के बाद आख़िर मेरी सौतेली मम्मी पिघल ही गईं.
मम्मी- लेकिन बेटा यह बात सिर्फ हम दोनों के बीच में ही रहनी चाहिए!
मैं- पक्का प्रॉमिस मम्मी.
फिर मम्मी बेड पर बैठ गईं और मैं अपना मुँह मम्मी के चूचों की तरफ करते हुए उनकी गोदी में सिर को रख लिया.
मम्मी ने नीचे के ब्लाउज के तीन हुक खोले और अपना स्तन बाहर निकालने लगीं.
मैं काफ़ी उत्तेजित हो रहा था.
मम्मी ने अपनी एक चूची के ऊपर से ब्रा हटाई और अपनी दो उंगलियों में अपना निप्पल फंसा कर मेरे होंठों की तरफ बढ़ा दिया.
मैं उनका निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
जैसे ही मैंने निप्पल चूसना शुरू किया, मेरी मम्मी की आंखें ऐसे सुकून से बंद हो गईं मानो न जाने उन्हें कितना आराम मिल रहा हो.
अब मैं मम्मी का दूध चूसने में मस्त था और उनकी चूची को सहला भी रहा था.
फिर मैंने मम्मी से पूछा- आपकी चूचियों को मैं कसके चूसूँ या हल्के तरीके से चूसूँ?
उन्होंने धीरे से बोला- कस कस के चूस ले.
इसका मतलब था कि अब मेरी मम्मी को भी अपनी चूचियां चुसवा कर मज़ा आ रहा था.
अब मैंने उनकी दूसरी वाली चूची को ब्रा से खुद ही बाहर निकल दिया और दूसरे वाले निप्पल को खींच खींच कर चूसने लगा.
मम्मी की हालत खराब हो चली थी और वे अपने होंठों को काटती हुई मुझे अपने चूचे चुसा रही थीं.
मैं उनके मम्मों से काफ़ी मात्रा में निकलते हुए दूध का आनन्द ले रहा था.
मैंने अब मेरी चूसने की रफ्तार और बढ़ा दी और तेज़ तेज़ चूचुक खींचते हुए व चूचे मसलते हुए दूध चूसने लगा.
साथ ही मैं कभी कभी मम्मी के निप्पल को हल्के से अपने दांतों से थोड़ा सा काट भी ले रहा था.
इससे मम्मी की कामुक आह निकल जा रही थी.
वे मेरे सर को सहलाती हुई अपनी चूचियों से मजा ले रही थीं.
कुछ ही देर में मेरी सौतेली मम्मी के मुँह से वासना भरी सिसकारियां निकलने लगीं.
वे आंख बंद करके बोलीं- आह … आज जी भरके पी ले मेरी चूचियां … आह सोनू … मेरा सारा दूध तेरे लिए ही है.
यह सुनकर जोश जोश में मैं उनके निप्पल ज्यादा काटने लगा और इससे मम्मी को भी बड़ा मज़ा आ रहा था.
अब मैंने मम्मी का पूरा ब्लाउज उतार दिया और उनकी टाइट ब्रा भी खोल दी.
उनके मोटे मोटे चूचे आज़ाद हो गए थे.
मैं अब बड़े आराम से उन्हें चूस रहा था और मम्मी की आंखों में वासना से देख रहा था.
चूचे चूसते चूसते ही मैंने मम्मी के हाथ को पकड़ कर उसमें अपना लंड दे दिया.
मेरा सख्त लौड़ा देख कर उनकी आंखों में अजीब सी चमक आ गई.
वे खुद अपने हाथ से मेरा लौड़ा ऊपर नीचे करने लगीं.
मम्मी जितनी तेज लंड को हिलातीं, उतनी ही तेज़ी से मैं उनके निप्पल को खींच कर चूसने लगता.
थोड़ी ही देर में मैंने उनकी दोनों चूचियां चूस चूस कर खाली कर दीं और लाल भी कर दीं.
अब तक मेरी मम्मी की हालत खराब हो चुकी थी और मेरी मम्मी मेरे पूरे वश में हो चुकी थीं.
मेरी मम्मी मेरी आंखों में वासना से देखती हुई बेड पर चिट लेट गईं और मैं उनके ऊपर आकर उनके गुलाबी होंठों को चूसने लगा.
मम्मी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
होंठों को चूसते चूसते मैंने उनकी दोनों चूचियां को इकट्ठा किया और दोनों निप्पलों को एक साथ मुँह में लेकर चूसने लगा.
जैसे ही मैंने उनके दोनों निप्पलों को एक साथ चूसना शुरू किया, कुछ ही पल के बाद मेरी मम्मी का शरीर अकड़ गया और उनकी चूत पूरी तरह से अपना पानी छोड़ चुकी थी.
मेरी मम्मी एकदम से शिथिल सी हो गईं.
मैंने मम्मी से पूछा- क्या हुआ मम्मी?
मम्मी- कुछ नहीं!
मैंने कहा- प्लीज बताओ ना … क्या हुआ?
तब मम्मी बोलीं- अब पूरी तरह से झड़ गयी हूँ.
मैं बोला- मम्मी अभी तो मैंने कुछ किया ही नहीं, अभी तो पूरी रात बाकी है!
मम्मी- सोनू बात सिर्फ़ दूध पीने की हुई थी. मैं तेरी मम्मी हूँ. हम इससे ज्यादा आगे नहीं बढ़ेंगे!
इतना सुनते ही मैंने फट से अपना मोटा लौड़ा मेरी मम्मी के हाथ में दे दिया और कहा- आप खुद तो सॅटिस्फाई हो गईं और मुझे बीच में लटका दिया!
यह बात सुनकर मेरी मम्मी के चेहरे पर स्माइल आ गई.
मैंने फट से अपने होंठ उनके होंठों से मिला दिए.
मैं फिर से मम्मी को गर्म करने लगा.
वे भी मेरा साथ देने लगीं.
धीरे धीरे मैंने उनकी नाभि को चाटना चालू किया और थोड़ा नीचे आ गया.
जैसे ही मैं उनकी साड़ी खोलने लगा, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मम्मी ने कहा- नहीं!
मैं नहीं माना.
तब मम्मी बोलीं- ओके, पहले लाइट ऑफ कर दे.
मेरी मम्मी का चेहरा शर्म से लाल हो चुका था.
तब मैंने समझाया कि मम्मी अब शर्म मत करो.
मम्मी चुपचाप लेटी हुई थीं.
फिर मैंने मम्मी की साड़ी खोल दी.
उन्होंने विरोध नहीं किया.
बाद में मैंने उनका पेटीकोट भी निकाल दिया.
अब मम्मी सिर्फ़ पैंटी में थीं.
मैं उनकी पिंडलियों और जांघों को किस करता हुआ चूत तक आ गया.
मैंने उनकी पैंटी भी निकाल दी और उनकी चूत चाटने लगा.
मम्मी को यह सुख शायद पापा ने नहीं दिया था, तो वे मस्त होने लगीं.
मैंने काफ़ी देर तक उनकी चूत चाटी.
वे मेरे सिर को अपने हाथों से चूत पर दबा रही थीं.
चूत चटवाती हुई मम्मी बोलीं- आह सोनू … मैं दोबारा झड़ने वाली हूँ!
मैंने कहा- मम्मी अपना नमकीन पानी मेरे मुँह में छोड़ दो.
मम्मी दूसरी बार झड़ चुकी थीं.
मैंने उनकी चूत का सारा रस चाट लिया.
फिर मैंने दोबारा से मम्मी को अपनी बांहों में भर लिया और उनके चूचे चूसने लगा.
कुछ देर बाद मैं अपना लंड मम्मी के मुँह के पास ले गया.
मम्मी ने लंड चूसने से मना कर दिया.
मैंने मम्मी को बड़े प्यार से मनाया और मेरी फीलिंग्स को समझाया.
मम्मी ने हां भर दी और मैं अपना लंड मम्मी के मुँह में धीरे धीरे डालने लगा.
अब मम्मी लंड चूसने में मगन हो गई थीं.
मैंने पूछा- मम्मी आपको मेरा लंड कैसा लगा?
मम्मी- इट्स डेलीशियस … तुम्हारा लंड काफ़ी लंबा और मोटा है.
मैंने मम्मी से 69 की पोज़िशन में आने को कहा.
वे झट से मान गईं.
अब मैं मम्मी की गुलाबी चूत चाट रहा था और मम्मी मेरा लंड की डीप थ्रोट सकिंग कर रही थीं.
कुछ ही देर में मेरी मम्मी फिर से गर्म हो चुकी थीं.
मैं उन्हीं के सिग्नल का इंतजार कर रहा था.
मम्मी बेड पर चित लेट गईं और उन्होंने मुझे अपने ऊपर आने का इशारा कर दिया.
मैंने मम्मी की दोनों टांगें फैलाईं और अपने लंड का मुँह उनकी चूत पर सैट कर दिया.
मैंने पूछा कि धीरे से डालूँ या एक झटके में पूरा लौड़ा पेल दूँ?
मम्मी- एक ही झटके में डालो बेटा, आज मेरी सूखी हुई चूत को हरा-भरा कर दो अपने लौड़े से.
इतना सुनते ही मैंने एक ही झटके में पूरा लंड मम्मी की चूत में पेल दिया.
मम्मी के मुँह से चीख निकल गई.
अब मेरी मम्मी चुदाई का आनन्द ले रही थीं और मैं स्टेप मॅाम फक का मजा लेते हुए उनके निपल्स मुँह में लेकर खींच रहा था.
मेरी मम्मी हवस में और पागल हुई जा रही थी.
वे बोलीं- मेरे निपल्स को बुरी तरह खा जाओ. इनको बाइट करो.
मैं मम्मी की दोनों भरी चूचियों को खाने लगा और कट्टू करने लगा.
क्या मज़ा आ रहा था मुझे भी … और मेरी मम्मी को भी.
एक तरफ उनके दूध की धार थी और दूसरी तरफ उनकी प्यासी चूत की गर्मी थी.
तभी अचानक से मेरी मम्मी बोलीं- जल्दी से अपना रिलीज करो सोनू … मैं तीसरी बार झड़ने वाली हूँ!
इतना कहते ही मम्मी की चूत पूरी लबालब हो गई.
जबकि मैं उन्हें अभी भी ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था.
मम्मी- प्लीज बेटा, बस करो … मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ, अपने लंड को निकाल लो … अब मैं तुम्हारे मूसल और नहीं झेल सकती हूँ.
मैंने अपनी मम्मी की बात मान ली और अपना लंड निकाल लिया.
मम्मी अब रिलॅक्स होकर नंगी ही लेटी हुई थीं.
मैंने कहा- मम्मी प्लीज … मुझे भी सॅटिस्फाइ कर दो!
मम्मी मुस्कुरा कर बोलीं- ठीक है. अब मैं तुम्हारे लौड़े की मुठ मार देती हूँ.
मैंने मम्मी की गोद में सिर रखा और उनकी चूचियां चूसने लगा.
मम्मी मेरा लौड़ा कसके पकड़ कर हिला रही थीं और मैं उनकी चूचियां चूसे जा रहा था.
मेरी मम्मी ने मुठ मारने की रफ्तार को बढ़ा दिया और उसी वक्त मेरा सारा वीर्य उछल कर उनके मुँह पर … और हाथों में जा गिरा.
उसके बाद हम दोनों ने होंठों से किसिंग की और एक दूसरे की बांहों में लेट गए.
मम्मी ने प्यारी सी स्माइल दी और उस रात को वे मेरे ही रूम में सो गईं.
दूसरे दिन से मम्मी मुझसे अपने मम्मे चूसने की कहने लगीं.
तो मैं समझ गया कि मम्मी को अपने बेटे का लंड पसंद आ गया है.