हवालात मैं चुद गई” – चुद गयी , झड़ गयी , लुट गयी !
उस दीन कुछ अच्छा नही लग रह था. सुबह से ही मन् में भारीपन लग रहा था. ऐसे ही अलसाई हूई अपने रुम में सोयी पडी थी. काम करने में जीं नहीं लग रह था. तभी ग्ली में शोर होने लगा. अपने पलंग से उठकर बरामदे की खिड़की से ग्ली में झाँकने लगी. बाबु के … Continue reading हवालात मैं चुद गई” – चुद गयी , झड़ गयी , लुट गयी !
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