दिल की कोमल उमंगों को भला कोई पार कर सका है, वो तो बस बढ़ती ही जाती हैं। मैंने भी घुमा फिरा कर माँ को अपनी बात बता दी थी कि मेरी अब अब शादी करवा दो। माँ तो बस यह कह कर टाल देती… बड़ी बेशरम हो गई है… ऐसी भी क्या जल्दी है?…
दिल की कोमल उमंगों को भला कोई पार कर सका है, वो तो बस बढ़ती ही जाती हैं। मैंने भी घुमा फिरा कर माँ को अपनी बात बता दी थी कि मेरी अब अब शादी करवा दो। माँ तो बस यह कह कर टाल देती… बड़ी बेशरम हो गई है… ऐसी भी क्या जल्दी है?…